सपनों को जीने के लिए जरूरी है जूनून | उन्होंने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि हर बच्चे की आँखों में हजारों सपने होते हैं , वो सफल होना चाहता है | पर सफलता के लिए सिर्फ सपने देखने से काम नहीं चलता क्योंकि सपनों में जीने और सपनों को जीने में जमीन आसमान का अंतर होता है | सफल वहीं होते हैं जो सपनों को जीते हैं | उक्त उदगार थे दिल्ली के सुप्रसिद्ध लवली पब्लिक स्कूल के वार्षिकोत्सव की मुख्य अतिथि अटूट बंधन की कार्यकारी संपादक वंदना बाजपेयी के |
कल मंगलवार को दिल्ली के सुप्रसिद्ध लवली पब्लिक स्कूल ने वार्षिकोत्सव मनाया | जिसमें सभा को संबोधित करते हुए अटूट बंधन की कार्यकारी संपादक श्रीमती वंदना बाजपेयी बच्चों को सफलता के गुर बताये | उन्होंने एक छोटी सी कविता के माध्यम से समझाया कि सपनों को जीने के लिए जूनून या पैशन का होना बहुत जरूरी है| उन्होंने बच्चों से प्रश्न किया कि अगर कुकर में तरह -तरह की सब्जियाँ व् दुनिया भर के मसाले डाल कर गैस पर चढ़ा दिया जाए पर गैस जलाई नहीं जाए तो क्या सब्जी पक सकती है ? बच्चों के नहीं में उत्तर देने पर उन्होंने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि इसी प्रकार जूनून वो आग है जिसमें पक कर सपने सफलता में बदलते हैं | पर सच्चाई यह भी है कि उसी काम को जूनून से किया जा सकता है जिस काम से प्यार हो | उन्होंने बच्चों के पेरेंट्स से आग्रह किया कि आप बच्चों के कैरियर के सन्दर्भ में विशेष सतर्कता बरतें |आप के बच्चे में जिस क्षेत्र में जाने की रूचि हो उसे उसी क्षेत्र में जाने के लिए प्रोत्साहित करे | बच्चा जिस काम से प्यार करता है उसी काम को पूरे जूनून से कर पायेगा तभी खुश रह पायेगा | जब काम ही खेल लगने लगे तो पूरी जिंदगी खेल खेल में हँसते – गाते ही कट जाती है |
श्रीमती बाजपेयी ने बच्चों को आगाह किया की मन का काम होने के बावजूद कई बार बाधाएं आती हैं परन्तु उस समय घबराना नहीं चाहिए | क्योंकि छोटी –छोटी असफलताएं जीत से अलग नहीं होती | ये असफलताएं एक बड़ी जीत का हिस्सा होती हैं | हर सफल व्यक्ति अपने जीवन में असफलताओं को देखता है पर इस उम्मीद के साथ अपने काम में लगा रहता है कि जिस प्रकार रात के बाद दिन व् दिन के बाद रात आती है उसी प्रकार यह यह भी सफलता की राह का हिस्सा भर हैं | श्रीमती बाजपेयी ने उन बच्चों को जो किसी काम को पूरे जोश खरोश के साथ शुरू करते हैं पर आधा करके छोड़ देते हैं उदाहरण देकर समझाया की , अगर बहुत सारे आधे –आधे गड्ढे खोद कर छोड़ दिए जाए तो भी किसी में पानी नहीं मिलेगा | उस के स्थान पर यदि एक ही गड्ढे को लगातार खोदा जाए तो पानी भी मिलेगा और परिश्रम भी व्यर्थ नहीं होगा | किसी भी काम को आधे में नहीं छोड़ना चाहिए बल्कि उसे उसी में निरंतर लगे रहना चाहिए | जो लोग अपने काम में निरंतर लगे रहते हैं उन्हें देर –सवे र सफलता मिल ही जाती है |
श्रीमती बाजपेयी ने बच्चों द्वारा किये गए सरकरात्मक सोंच के कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि ये कार्यक्रम उन्हें बेहद पसंद आया | अटूट बंधन पत्रिका भी इसी दिशा में काम कर रही है कि की हर व्यक्ति का सकारात्मक सोंच से व्यक्तित्व विकास किया जा सके | क्योंकि अब यह विज्ञान द्वारा सिद्ध हो चुका है के विचारों में द्रव्यमान होता हैं जिस कारण वो अपने समान परिस्तिथियों को खीच लाते हैं | इस विषय पर उन्होंने छोटी सी कहानी सुना कर सभा को सकारात्मक विचारों का महत्त्व बताया | उन्होंने आशा व्यक्त की कि वो यहाँ भविष्य के कई सफल लोगों को देख रही हैं | श्रीमती बाजपेयी ने मेधावी बच्चों को पूरुस्कार भी वितरित किये |
इससे पहले लवली पब्लिक स्कूल कि डायरेक्टर प्रिंसिपल ने गुलदस्ता देकर मुख्य अतिथि का स्वागत किया | उन्होंने बच्चों के पेरेंट्स को संबोधित करते हुए कहा कि आप अपने बच्चों को एक ही लकीर पर चलते हुए केवल डॉक्टर व् इंजीनीयर बनाने की न सोंचे बल्कि उस क्षेत्र में भेजे जिस में बच्चे की प्रतिभा हो | आज ऐसे कई क्षेत्र हैं जिन्हें बच्चे अपने कैरियर के रूप में चुन सकते हैं | कई ऐसे भी क्षेत्र हैं जहाँ जा कर ये माधवी छात्र उस क्षेत्र में कैरियर बना कर दूसरों के लिए उदहारण बन सकते हैं | उन्होंने कहा कि आज के तनाव भरी जिंदगी में बच्चों के साथ –साथ माता –पिता का भी तनाव मुक्त रहना जरूरी है | इसके लिए उन्होंने हास्य योग का सुझाव दिया | उनके अनुसार सामान्यत: कभी –कभी किसी चुटकुले पर हंसने व् हास्य योग में अंतर है | क्योंकि ये एक व्यायाम की तरह काम करता हैं व् तनाव को पूर्णतया अपने नियन्त्रण में करने की आदत डाल देता है | श्रीमती मलिक नें बताया कि वो बच्च्चों को स्वयं इसका अभ्यास कराती हैं | उन्होंने इस अवसर पर हास्य योग की एक सी .डी भी अभिवावकों को दिखलाई व् उन्हें उसे घर में करने का परामर्श भी दिया |
वार्षिकोत्सव में बच्चों ने तरह –अरह के रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किये | जिसमें ज्यादातर भातीय संस्कृति से प्रेरित थे | चाहे वो गायत्री मन्त्र हो हनुमान चालीसा या वभिन्न चक्रों से जो उर्जा स्तर बढ़ता है व् उसका जो लाभ होता है उसकी व्याख्या | रंगबिरंगी वेश –भूषा में सुर ताल के साथ नृत्य करते बच्चों के इन सभी कार्यक्रमों ने दर्शकों का मन मोह लिया |
कार्यक्रम में चेयरमैंन ऑफ़ फेडेरेशन ऑफ़ पब्लिक स्कूल ( फार्मर एक्सीक्यूटिव मजिस्ट्रेट ) डॉ . आर . पी मलिक , लवली पब्लिक स्कूल की डायरेक्टर प्रिंसिपल एस . डी मलिक , श्रीमती सेन गुप्ता , लवली पब्लिक स्कूल की शिक्षिकाएं व् बच्चे व् भारी संख्या में अभिवावक उपस्तिथ थे |