राधा कृष्ण “अमितेन्द्र ” जी की कवितायें





******स्थिति और परिस्थिति******
स्थिति और परिस्थिति
सभी को अपने ढ़ंग से नचाता है….
कोई याद रखता है ,
कोई भूल जाता है !
जो काम स्थिति वश 
बहुत अच्छा होता है…..
वही काम परिस्थिति वश
बहुत बुरा बन जाता है….
इंसान के सोचने का नजरिया
अलग-अलग होता है…
कोई खरा-खोटा और
तो कोई खोटा-खरा होता है…..
स्थिति और परिस्थिति से मजबूर होकर….
न चाहते हुए भी
जो करना पड़ता है…..
वो तुम करते हो….
तो फिर…..
दूसरे से शिकवा और शिकायत क्यो ????
उसकी भी मजबूरियों का
ख्याल क्यों नही करते हो !!
बस तुम रूठ जाते हो 
यूँ ही…………
               कभी -कभी !!!!!!!!!!!
                     
                               
————————————————–
              ******समझौते का मकान******
बहुत कुछ……
न चाहकर भी
करना पड़ता है
लोगो को….
इस जिन्दगी में…..
बहुत कुछ …..
न चाहकर भी
सहना पड़ता है
लोगो को….
इस जिन्दगी में…….
जिन्दगी क्या है ??????
एक समझौते का मकान…… !
जिसे घर बनाना…..
चाहकर भी ….
नही बना पाता है इंसान…….. !
फिर भी…..
प्रसन्नता का मुखड़ा 
पहन कर….दर्द पीकर……
अपनी कुछ न कह कर
सब की सुन कर
खो देता है…….स्वाभिमान
स्व………….
जो उसका है……. !
उसे ही भुला देता है………
और………..
भावना के भंवर जाल मे
फँस कर………
अपना सब कुछ लुटा देता है……… !!!!!!!!!
                      राधा कृष्ण “अमितेन्द्र “

Leave a Comment