इस बात में है की वो जो भी काम करें उसे पूरी समग्रता के साथ करे | क्योंकि
व्यक्ति की पहचान उसके काम से है | आज आपके साथ काम के महत्व को दर्शाती एक छोटी
सी कहानी प्रस्तुत कर रही हूँ |
आज मुझे को ननकू भैया की याद आ ही गयी | हुआ यूँ की सुबह जैसे ही बेटे
ने स्कूल बैग कंधे पर लटकाया | उसकी बद्धि टूट गयी | जैसे तैसे पुराने बैग में उसकी कॉपी किताबे भर कर उसे भेजा | अब मेरे
पास दो ही ऑप्शन थे या तो मैं आज के आज ही
नया बैग लूँ या पुराने बैग को ही सिलवा लूँ | दूसरा ऑप्शन ज्यादा सस्ता था | तो मैं बैग
लेकर चल दी ननकू के पास | दरसल ननकू हमारे मुहल्ले में बैठने वाले मोची हैं |
कॉर्नर वाले मकान से सटा कर उन्होंने कुछ
बांस की खपच्चियों पर पोलिथीन डाल कर छोटी
सी दुकान खोल रखी है | दुकान छोटी जरूर है पर पर ननकू भैया की सब को जरूरत है |
तभी तो उनकी दुकान पर भीड़ लगी रहती है | ब्रांडेड सामान की असलियत कई बार ननकू भैया
की दुकान पर देखी जा सकती है | लोग महंगे
ब्रांडेड आइटम के टूट जाने पर बैठे हुए दिल से ननकू की दुकान पर आते हैं | ननकू
उन्हें २० – २५ रुपये ले कर ठीक कर देता है | ननकू की सधी हुई अंगुलियाँ टूटे हुए
बैग्स , लेडीज पर्स व् जूते – चप्पलों पर ऐसे चलती हैं जैसे चित्रकार कोई चित्र
बना रहा हो | इसके अलावा ननकू का एक काम और है …वो है लोगों को पता बताना |
अजनबी कहीं से भटकते हुए आएगा और ननकू से मकान पूंछेगा | तो उसे आगे भटकना नहीं पड़ेगा | ननकू
को पता है की मुहल्ले में किस नंबर का घर कहाँ पड़ता है | और अपना यह ज्ञान वो
लोगों के साथ खुश हो होकर बाँटता भी |
अपना बैग सिलवाने के इंतज़ार में खड़ी ही थी
की एक महिला कार से उतर कर ननकू के पास आई
और बोली ननकू भैया , “ ये चप्पल ठीक हो जायेगी क्या ? अभी कुछ दिन पहले ही मॉल
से २५०० की ली है | ननकू ने चप्पल देख कर कहा ,” हाँ ! बिलकुल आप छोड़ दीजिये | “
महिला ने मुस्कुराते हुए कहा ,” ननकू भैया आप कल दिखे नहीं , मेरा तो जी ही बैठा
जा रहा था | उसकी बात सुनकर मुझ से रहा नहीं गया | मैंने हँसते हुए कहा ,” क्या बात है ननकू भैया , इस मेट्रो कल्चर
में जब इंसान मर जाता है तब भी महीनों आस पड़ोस वालों को भी खबर नहीं होती और आप का
एक दिन काम पर न आने पर भी लोगों का ध्यान जाता है | ननकू भैया अपने पीले दांत
दिखाते हुए बोले ,” वो क्या है ना , आप ही लोग कहते हैं की इंसान की वैल्यू नहीं
होती उसकी पोस्ट की वैल्यू होती है |
होती है | इसे थोडा और परिमार्जित करें तो इंसान के काम की वैल्यू होती है |
जिन्दगी न जाने इतने कितने उदाहरणों से भरी पड़ी है जहाँ काम करने वाले व्यक्ति के सारे अवगुण इस एक गुण
के आगे ढक जाते हैं |काश ननकू की तरह हम
सब अपने –अपने काम के महत्व को समझ पाते | और उसी तल्लीनता से कर पाते |
बार दादी की पंक्तियाँ याद आ रही थी “ कामलो सो लाडलो “ जो अपना काम अच्छे से करता
है वही सबका प्यारा होता है |