पूजा के समय सुनाई जाने वाली गणेश जी की चार कहानियाँ





गणेश चतुर्थी पर विशेष 
प्रथम पूज्य गणेश जी की पूजा के बाद ही किसी दूसरे देवी देवता की पूजा होती है | अत : हर पूजा में गणेश जी की पूजा अनिवार्य है | पूजा के साथ गणेश जी की कहानियाँ  भी सुनाई जाती हैं | आज हम आके लिए वो चार कहानियाँ लाये हैं जो पूजा के समय सुनाई जाती हैं | 



कविता बिंदल 
जब राजा का महल टेढ़ा हो गया 


                             एक बुढिया थी | वह गणेश जी की बहुत पूजा किया करती थी | उसने घर में एक मंदिर में गणेश जी की छोटी सी प्रतिमा स्थापित कर रखी थी | बुढिया की बहू उसकी पूजा पथ से बहुत चिढती थी | एक दिन उसने मौका देख कर गणेश जी किप्रतिमा  कुंएं में फेंक दी | जब बुढिया वापस मंदिर में गयी तो प्रतिमा न पाकर जोर – जोर से रोने लगी | वह अर्द्ध विक्षिप्त सी शहर की ओर निकल पड़ी और हर आते – जाते व्यक्ति से कहने लगी ,” कोई मेरे गणेश जी की प्रतिमा बना दो | ” पर कौन बना पाता ? तभी उसे एक कारीगर मिला जो राजा का महल तैयार कर रहा था | बुढिया ने उससे भी वही बात कही | कारीगर ने उसे डांटते हुए कहा ,” अरे जितनी देर में मैं तेरे गणेश बनाऊंगा कोई दूसरा काम न कर लूँ जो मुझे पैसा मिले | बुढिया रोते हुए आगे बढ़ गयी | तभी कारीगर के पास खबर आई की राजा का महल तिरछा हो गया है व् राजा बहुत गुस्से में है | कारीगर को माजरा समझते देर न लगी | वो तुरंत बुढिया के पास गया और बोला ,” अम्मा ला मैं न तेरे गणेश बनाऊंगा बल्कि उनका मंदिर भी बनाऊंगा | कारीगर ने मंदिर बनाना शुरू किया | जैसे ही मंदिर में मूर्ति की स्थापना हुई राजा का महल सीधा हो गया | 


जैसे गणेश भगवान् ने राजा व् बुढिया पर दया की सब पर अपनी कृपा बनाए रखें | 
बोलो गणेश जी की जय 
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बुढिया की खीर 


                     एक बार गणेश जी एक बालक का रूप धर कर थोड़े से चावल व् चुल्लू भर दूध ले कर गाँव में घूमने निकले | वह हर किसी से प्रार्थना करते की मेरी खीर बना दो | सब उन पर हँसते ,” आते इत्ते से चावल व् दूध से क्या खीर बनेगी | तभी वो एक गरीब बुढिया के पास गए व् उससे भी खीर बनाने का आग्रह किया | बुढिया बच्चे का मन देख कर राजी हो गयी | उसने घर पहुँच कर दूध को कटोरी में डाला तो कटोरी भर गयी , फिर उसे भगौने में पलता तो वो भी भर गया | फिर बुढिया ने उसे घर के सबसे बड़े बर्तन में दूध पलता तो वो भी भर गया |बुढिया ये देख कर सकते में आ गयी वो गाँव की सबसे बड़ी देगची ले कर आई उसमें दूध पलटने पर वो भी भर गयी | बुढिया ने उसे चूल्हे पर चढ़ा कर खीर पकानी शुरू की | खीर की खुशबूं पूरे घर में फैलने लगी | बुढिया ने अपनी बहू से कहा ,मैं उस बच्चे को बुलाने जा रही हूँ तू खीर का ध्यान रखना | बुढिया के जाते ही बहू खुद को रोक न पायी उसने कटोरी में खीर निकाली व् एक चम्मच गणेश जी के नाम से दरवाजे के पीछे डाल कर खा ली | बुढिया ने उस बच्चे को ढूंढ कर उससे खीर खाने को कहा तो बच्चा बोला ,” अम्मा तुम्हारी बहू ने तो पहले ही मुझे भोग लगा दिया है | मेरा पेट भर गया | अब यह खीर गाँव भर में बाँट दो | बुढिया ने बच्चे की बात मान कर गाँव भर में खीर बाँट दी | सबने पेट भर के खायी | 


                                       जिस बुढिया के घर में खाने को नहीं था गणेश जी की कृपा से उसका घर धन धान्य से भर गया | ऐसे ही गणेश जी हर भक्त पर दया  करें | 
                                बोलो गणेश जी की जय 
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जब गणेश जी को अपना वचन पूरा करना पड़ा 
                               एक बुढिया थी | वह अंधी थी व् अपने बेटे बहू के पास रहती थी | वह रात – दिन गणेश जीकी पूजा किया करती थी | एक दिन गणेश जी ने उससे पर प्रसन्न हो कर कहा , माई मैं तेरी पूजा से खुश हूँ तो जो चाहे मांग ले | 
अब बुढिया ने कहा ,” प्रभु मेरे पास तो सब कुछ है मैं क्या मांगूं | 
गणेश जी बोले ,” ठीक है तू अपने बेटे बहू से पूँछ कर मांग ले |
बुढिया  ने बेटे बहू से पूंछा 
बेटे ने कहा , ” अम्मा करोंड़ों रूपये मांग ले 
बहू ने कहा ,” अम्मा पोता मांग ले 
बुढिया असमंजस में पड़ गयी उसने पड़ोसी से पूंछा तो उन्होंने कहा , ” रुपया पैसा तेरे किस काम का अम्मा तू आँखों की रोशिनी मांग ले | 
रात भर बुढिया सोंचती रही | सुबह गणेश भगवान् फिर प्रगट हुए | बुढिया पहले से तैयार थी | वो बोली प्रभु आप मुझे ये वरदान दें की मैं करोंड़ों रूपये के महल में , मांग सिदुर टीका लगाए हुए , अपने पोते को गोद में बिठा कर उसे किताब पढ़ाते हुए मरुँ |
गणेश जी मुस्कुरा कर बोले अम्मा तुमने तो सब कुछ मांग लिया | पर मैंने वादा किया है इसलिए तुम्हे सब कुछ मिलेगा | तथास्तु कह कर गणेश जी अंतर्ध्यान हो गए | 


तो , जो भी गणेश जी की पूजा सच्चे ह्रदय से करता है उसे सब कुछ मिलता है |


बोलो गणेश भगवान् की जय 
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माता – पिता में ही हैं ईश्वर 
                           एक बार देवताओ पर बहुत बड़ी विपदा आई | देवता उसका समाधान करवाने शिव जी के पास गए | वहीँ गणेश जी व् कार्तिकेय जी भी बैठे थे | भगवान् शिव ने देवताओं का संकट सुन कर दोनों से पूंछा की कौन देवताओं की मदद के लिए जाएगा | दोनों ही तैयार थे | शिव जी एक को ही भेजना चाहते थे | अत : बोले ,”जो तीनों लोकों की परिक्रमा कर के पहले लौटे गा वही देवताओं की सहायता कर सकेगा | अब कार्तिकेय जी तो मोर पर बैठ कर फुर्र से उड़ गए |  परन्तु गणेश जी वहीं खड़े सोंचते रहे की मूषक पर बैठ कर कैसे तीनों लोकों का चक्कर लगायेंगे | गणेश जी ने थोड़ी देर सोंचा व् शिव – पारवती की की सात बार परिक्रमा कर कहा ,” क्योंकि माता – पिता में सभी लोक बसते हैं अत : आप दोनों की परिक्रमा कर मैंने सभी लोकों की परिक्रमा कर ली | शिव जी मुस्कुराए और उन्होंने गणेश जी को विजेता घोषित कर दिया | 


                                     माता – पिता ही धरती पर ईश्वर का रूप हैं | यह गणेश जी ने सिद्ध कर दिया | जो माता – पिता की सेवा करता है उसे हर सुख प्राप्त होता है | 


बोलो गणेश जी की जय | 


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