नवरात्रि पर ले बेटी बचाओ , बेटी पढाओ का संकल्प

किरण सिंह 
हिन्दू धर्म में व्रत तीज त्योहार और अनुष्ठान का विशेष महत्व है। हर वर्ष चलने वाले इन उत्सवों और धार्मिक अनुष्ठानों को हिन्दू धर्म का प्राण माना जाता है  इसीलिये अधिकांश लोग इन व्रत और त्योहारों को बेहद श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाते हैं।व्रत उपवास का धार्मिक रूप से क्या फल मिलता है यह तो अलग बात है लेकिन इतना तो प्रमाणित है कि व्रत उपवास हमें संतुलित और संयमित जीवन जीने के लिए मन को सशक्त तो करते ही हैं साथ ही सही मायने में मानवता का पाठ भी पढ़ाते हैं!
वैसे तो सभी व्रत और त्योहारों के अलग अलग महत्व हैं किन्तु इस समय नवरात्रि चल रहा है तो नवरात्रि की विशिष्टता पर ही कुछ प्रकाश डालना चाहूंगी! नवरात्रि विशेष रूप से शक्ति अर्जन का पर्व है जहाँ माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है! 
शैलपुत्री – इसका अर्थ- पहाड़ों की पुत्री होता है।

ब्रह्मचारिणी – इसका अर्थ- ब्रह्मचारीणी।
चंद्रघंटा – इसका अर्थ- चाँद की तरह चमकने वाली।
कूष्माण्डा – इसका अर्थ- पूरा जगत उनके पैर में है।
स्कंदमाता – इसका अर्थ- कार्तिक स्वामी की माता।
कात्यायनी – इसका अर्थ- कात्यायन आश्रम में जन्मि।
कालरात्रि – इसका अर्थ- काल का नाश करने वली।
महागौरी – इसका अर्थ- सफेद रंग वाली मां।
सिद्धिदात्री – इसका अर्थ- सर्व सिद्धि देने वाली।

माँ दुर्गा के नौ रूपों से सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि एक स्त्री समय समय पर अपना अलग अलग रूप धारण कर सकती है ! वह सहज है तो कठोर भी है, सुन्दर है तो कुरूप भी है, कमजोर है तो सशक्त भी है……तभी तो महिसासुर जैसे राक्षस जिससे कि सभी देवता भी त्रस्त थे उसका वध एक देवी  के द्वारा ही हो सका.! .  इसीलिए कन्या पूजन का विधान बनाया गया है ताकि स्त्रियों के प्रति सम्मान का भाव उत्पन्न हो सके ! 
शक्ति की उपासना का पर्व शारदीय नवरात्र का अनुष्ठान सर्वप्रथम श्रीरामचंद्रजी ने  समुद्र तट पर किया था और उसके बाद दसवें दिन लंका विजय के लिए प्रस्थान किया और विजय भी प्राप्त की। तब से असत्य, अधर्म पर सत्य, धर्म की जीत का पर्व दशहरा विजय पर्व के रूप में मनाया जाने लगा।
जिस भारत वर्ष की संस्कृति और सभ्यता इतनी समृद्ध हो वहाँ पर स्त्रियों की यह दुर्दशा देखकर बहुत दुख होता है जिसके लिए स्त्री स्वयं भी दोषी हैं ! ठीक है त्याग, ममता, शील, सौन्दर्य उनका बहुमूल्य निधि है किन्तु अत्याचार होने पर सहने के बजाय काली का रूप धारण करना न भूलें !
आज की सबसे बड़ी समस्या है कन्या भ्रुण हत्या जिसे रोका जाना अति आवश्यक है! आज हरेक क्षेत्र में बेटियाँ बेटों से भी आगे निकल रही हैं तो क्यों न इस महापर्व में हम बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का मन से दृढ़ संकल्प लें! 
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