कहते हैं भाई बहन का रिश्ता कच्चे धागे में बंधा दुनिया का सबसे पक्का रिश्ता होता है | क्योंकि वहां लेने देने की भावना से परे सिर्फ स्नेह होता है | सौ फीसदी खरा , सोने सा |
कहते ये भी हैं जब कोई इस लोक से दूर चला जाता है तो वो तारा बन जाता है | कल रात आसमान बहुत साफ़ था | बहुत सारे तारे टिमटिमा रहे थे | और उनके बीच मैं ढूंढ रही थी अपने “ओम भैया”को | शायद ये , शायद वो …फिर दिखा सबसे चमकीला तारा | हां वही, वही तो हैं भैया |
कहते ये भी हैं की इस पार से उस पार हम भले ही न पहुँच सके | पर भावनाएं पहुँच जाती है | उन पर कोई पहरा नहीं होता | ईश्वर से की गयी प्रार्थनाएं इस बात का प्रमाण नहीं हैं क्या ? मेरी आँखे भले ही धुंधला गयी हों | भावनाएं साफ़ – साफ़ देख रहीं हैं और होंठ बुदबुदा रहे हैं
“Happy Birthday भैया , इस दुनिया या उस दुनिया में कहीं भी रहने से रिश्ते नहीं टूटते | क्योंकि रिश्तों का बंधन अटूट होता है |
भैया , क्योंकि आप सदा सकारात्मक विचारों के प्रचार प्रसार में विश्वास रखते थे | आप हमेशा कहा करते थे जिंदगी यूँ ही काटने के लिए नहीं है | ये एक मिशन है ,इसमें में कुछ करना है,ऐसा जो सबके काम आ सके | एक – एक मिनट कीमती है | रुपये गँवा कर कमाये जा सकते हैं | पर एक पल भी जो गँवा दिया वो पूरी जिंदगी में फिर से कमाया नहीं जा सकता |आप खुद भी अपनी जिंदगी में समय की बहुत कद्र करते थे | और हमेशा सीखने सिखाने पर जोर देते थे |
इसलिए आज आप के जन्मदिन पर मैं आपका अपने काम के प्रति जूनून व् समय की कद्र का किस्सा शेयर कर रही हूँ |
बात तब की है | जब कंप्यूटर नया – नया आया था | भैया भी मीडिया की फील्ड में नए – नए गए थे | एक बार न्यूज़ पेपेर ऑफिस में कोई काम अटक गया | भैया को उस समय कंप्यूटर की ज्यादा जानकारी नहीं थी | उन्होंने इसे एक कमी के रूप में लिया और तुरंत कम्प्यूटर कोर्स करने की ठानी |हर काम को जल्दी से जल्दी करने की अपनी आदत के अनुसार भैया ने इसे एक हफ्ते में सीखने की ठान ली | तमाम कंप्यूटर इंस्टीटयूट में पता करने पर पता चला की इसे सीखने में ६ हफ्ते लगेंगे | लेकिन समय को समय न देना तो भैया की पुरानी आदत थी | इसलिए उन्होंने एक साथ ६ जगह वही कोर्स ज्वाइन कर लिया | और हर किसी से बात कर ली की मुझे वहीँ से सिखाना जहाँ से मैं पूँछु | अलबत्ता फ़ीस मैं आपको पूरी दूँगा |
अब हर कम्प्यूटर इंस्टीटयूट वाला हंसने लगे | ऐसा कैसे हो सकता है ? यह कैसे संभव है | एक घंटे में जितना यहाँ सिखाया जाता है | उससे ज्यादा कोई कैसे सीख सकता है | समय की और ह्युमन ब्रेन की कोई सीमा है |
पर भैया तो भैया , ठान ली तो ठान ली |
अब शुरू हुई भैया की भाग – दौड़ | शाम को ऑफिस से आने के बाद पहले एक इंस्टीटयूट जाते वहाँ सीखते | फिर दूसरे में जाते और कहते की अब इसके आगे सिखाओ | फिर तीसरे में उससे आगे ,…फिर घर में प्रैक्टिस न खाने की सुध न आराम की | बस एक धुन लग गयी तो लग गयी |
एक हफ्ते में भैया ने कम्प्यूटर का कोर्स पूरा कर लिया | जो काम सबको असंभव लगता था उसे भैया ने कर दिखाया | शायद इसी लिए आपने इतनी कम उम्र में इतनी सफलता पायी |जो किसी साधारण व्यक्ति के लिए संभव नहीं है | मुझे शिव खेडा का वो कोट याद आ रहा है …
“जीतने वाले कोई अलग काम नहीं करते ,वो काम को अलग ढंग से करते हैं “|
इस प्रसंग को शेयर करने का मेरा उद्देश्य इतना था की सफलता यूँहीं दरवाजे पर चल कर नहीं आती है | उसके लिए बहुत अनुशासन , जूनून और समय की कद्र करनी पड़ती है |
कभी कभी जब मैं संकोचवश किसी की फ़ालतू बात सुनती रहती तो भैया टोंकते | कभी कभी मैं कह देती , जरा सा सुन ही तो लिया | भैया तपाक से कहते ,” दीदी ,नकारात्मक लोग केवल वही समय बर्बाद नहीं करते जो आपने सुनने में लगाया है | उनकी बातें उनके जाने के बाद भी दिमाग में चलती रहती हैं | उन्हें शुरू में ही रोक दिया करिए | नहीं तो जीवन का बहुत कीमती समय बर्बाद होता है | मुझे पता है भैया आप जहाँ कहीं भी है सीखने , सिखाने में लगे होंगे और हम लोगों को देख भी रहे होंगे कि कहीं हम लोग अपना समय फ़ालतू तो नहीं बर्बाद कर रहे हैं |
आपके जाने के बाद एक – एक पल की कीमत सीख ली है हमने | यही आपका बर्थडे गिफ्ट है | आपक जहाँ भी होंगे आपको यह गिफ्ट जरूर मिल गया होगा | क्योंकि रिश्तों का बंधन अटूट होता है |एक बार फिर से ..
Happy Birthday bhaiya
वंदना बाजपेयी
निर्णय लो दीदी – ओमकार भैया को याद करते हुए
वो बाईस दिन
एक दिन पिता के नाम -मेरे पापा
मदर्स डे पर पत्र