ऐब्युसिव रिश्ते – क्यों दुर्व्यवहार को प्यार समझने की होती है भूल

ऐब्युसिव  रिश्ते – क्यों दुर्व्यवहार को प्यार समझने की होती है भूल


कितना आसान होता है गलत को गलत कहना और सही को सही कहना | पर ऐसा
हमेशा होता नहीं है | मानव मन न जाने कितनी गुत्थियों में उलझा है | ऐसा ही दृश्य
कई बार ऐब्युसिव रिश्तों में लोंगों के न सिर्फ टिके रहने में बल्कि अपने ऐब्युजर
को प्यार करने में दिखाई देता है | आश्चर्य होता है की हमें कोई जरा सी बुरी बात
कह दे तो हम उससे पलट कर कई दिन तक बात नहीं करते | पर सालों-साल कोई किसी रिश्ते
में अपमान , दुर्व्यवहार और अकेला कर दिए जाने का शोषण झेलता रहे और इसे प्यार
समझता रहे | सवाल उठता है आखिर क्यों ? 

ऐब्युसिव रिश्ते – क्यों दुर्व्यवहार को प्यार समझने की तान्या की कहानी 

Why I Love my abuser 


तान्या पार्टी के लिए तैयार हो रही थी | सौरभ से शादी के बाद उसकी
पहली पार्टी थी | और जैसा कि हमेशा होता है, नयी शादी के बाद सजने संवारने का
उत्साह जायदा होता है | तान्या ने अपना मेक अप बॉक्स उठाया | बड़ी बहन से बहुत
प्यार से गिफ्ट किया था | मैचिंग लिपस्टिक, बिंदी, काजल, ऑय लाइनर और न जाने
क्या-क्या | ओह थैंक्स दीदी, मेरी लाइफ को खूबसूरत बनाने की तुम्हारी इस कोशिश के
लिए… मन ही मन बुदबुदाते हुए तान्या ने पर्पल लिपस्टिक उठा ली | और भरने लगी
अपने होंठों पर रंग | उसके होठों पर बहुत फब रही थी  
| तभी सौरभ ने कमरे में प्रवेश  किया | तान्या ने तारीफ़ की आशा से सौरभ की ओर देखा
| उसे देखते ही सौरभ ने मुँह
 बिचकाते हुए
कहा ,“ये क्या चमकीली बन के जा रही हो | हतप्रभ सी रह गयी तान्या, फिर भी बात को
सामान्य करने के उद्देश्य से उसने कहा ,“मेरी सभी सहेलियां लगाती हैं सौरभ, इसमें
गलत क्या है? “गलत ये है की तुम्हारे पति को पसंद नहीं है | इसलिए तुम लिपस्टिक
नहीं लगाओगी| तान्या एक क्षण सकते में आ गयी | फिर उसने मन ही मन सोंचा ,“ हिम्मत
कर तान्या, हिम्मत कर, मायके में सभी कहते थे कि पति पत्नी की पसंद नापसंद में
थोडा बहुत अन्तर होता है | पर अपनी पसंद बिलकुल त्याग मत देना | एक दूसरे की पसंद
को स्वीकार करने की आदत यहीं से पड़ती है |


 खुद को समझा कर तान्या  ने सौरभ को मुस्कुरा कर देखा और दूसरे कमरे में
चली गयी और अपनी चोटी में क्लिप लगाने लगी | तभी सौरभ वहां आ गया | उसे बांहों में
भर कर अपने होठ से उसके होंठ बुरी तरह रगड़ने लगा | इससे पहले की तान्या कुछ समझ
पाती सौरभ उसकी सारी लिपस्टिक चट कर चुका था | फिर शातिर मुस्कान से बोला ,“ पति
हूँ तुम्हारा| तुम्हारे इन रसीले होंठों पर सिर्फ मेरा हक़ है | घायल होंठ और घायल
आत्मा के साथ उस पार्टी की रंगीन शाम के साथ ही तान्या की हर शाम बदरंग हो गयी |
उस शाम के बाद से घबराई, डरी, सहमी सी तान्या को सौरभ रोज पति का हक़ और पति की
इच्छा ही एक स्त्री जीवन को सार्थक करता है, का पाठ पढाता | तान्या हर संभव प्रयास
करती उसे समझने का |


 धीरे – धीरे तान्या बदलती जा रही थी | वो वही बनती जा रही थी
जो सौरभ चाहते थे | पढ़ी-लिखी अपना कैरियर बनाने की इच्छा रखने वाली तान्या को नौकरी
तो दूर, कितना हँसना है, कितना बोलना है, किससे बोलना है, कैसे कपड़े पहनने हैं,
कैसे ब्लाउज, कैसी चप्पल, कैसी चोटी, सब कुछ सौरभ का निर्णय होता | औरतों के लिए
पति ही सबकुछ है इसलिए उसे यह निर्णय मानने ही उचित लगते |
  अम्मा ने भी तो यही पाठ पढ़ा कर भेजा था ,“बिटिया
लोनी मिटटी बन कर रहना |” पर क्यों उसे लगता वह ताबूत में है? जहाँ उसे मुट्ठी भर
दानों व् समाज की स्वीकार्यता के लिए सब कुछ सहना है | फिर उसे इतनी बेचैनी क्यों?
कभी इन बेचानियों को वो बर्दाश्त कर लेती, तो कभी – कभी अन्दर का दवाब लावा बन कर
बहने लगता | वो सौरभ से कहती, “सौरभ ये सही नहीं है| मैं बहुत घुटन महसूस कर रही
हूँ, मैं ये नहीं कर पाउंगी | तब सौरभ उसे और कुसंस्कारी अशालीन औरत के अलंकारों
से नवाज़ देते और घबरा कर वह स्वयं उसी ताबूत में में घुस जाती मुट्ठी भर दानों के
साथ |

 तान्या ये जानती थी कि वो उस व्यक्ति से प्यार कर रही है जो प्यार के
नाम पर उसका शोषण करता है| प्यार कभी भी कंडिशनल नहीं होता | वो इस शोषण वाले
रिश्ते से निकलने की कोशिश करती तो उसे लगता वो सौरभ के उस प्यार को हमेशा के लिए
खो देगी जो उसके दुर्व्यवहार किताप्ती रेत में कभी – कभी बेमौसम बरसता | लेकिन कभी
उसे लगता की प्यार का मूल रूप ही शोषण है | उसे प्यार नाम से ही नफरत होती | धीरे –
धीरे वो अपने में सिमटती चली
 जा रही थी |
उसने हार कर अपनी समस्या अपनी सहेली को बतायी | उसने गंभीरता से सुना और बोली,
“तान्या इसका हल ये है कि तुम खुद से प्यार करो”| तुमने
 सौरभ को ये हक़ दे दिया है की वो तुम्हे उपयोगी
या अनुपयोगी करार दे | तुम्हाती वर्थ सौरभ के द्वारा तुम्हें स्वीकारते जाने में
नहीं है | वो प्यार करे न करे जब तक तुम खुद को प्यार नहीं करोगी , खुद को नहीं
स्वीकारोगी तब तक सौरभ तुम्हारा ऐसे ही शोषण करता रहेगा | 


वो दिन तान्या के लिए
सबसे बड़ा निराशा का दिन था |वो तो इतना सब कुछ होने के बाद भी सौरभ से प्यार करती
है | फिर खुद से प्यार |
 तान्या समझ ही
नहीं पायी कि उसका ये खुद क्या है जिसे उसको प्यार करना | वो अतीत की तान्या जिसे
वो रगड़ – रगड़ कर मिटा चुकी है | जिसके जख्म उसके शरीर पर हैं पर जिसकी कोइ
पहचान
  बाकी नहीं है |  या वो तान्या जो सौरभ के ताबूत में बंद है |
जिसे सौरभ ने रचा है | हर दिन छेनी हथौड़े से तराश – तराश कर | घायल –चोटिल तान्या
की वो अनुकृति जिससे वो नफरत करती है | तान्या खुद से अन्दर से नफ़रत करती है और
सौरभ से प्यार … कितना विरोधाभास है |

ऐब्युसिव(अपमान जनक )  रिश्तों में आखिर  क्यों दुर्व्यवहार को प्यार समझने की होती है भूल 



ये कहानी सिर्फ तान्या की नहीं है | ऐसे हजारों लोगों की है जो लम्बे
समय तक एब्युसिव रिलेशन में रहने के बाद अपना शोषण करने वाले को ही प्यार करने
लगते हैं | कितनी औरतें हैं जो रोज पिटती है फिर भी अपने पति को प्यार करती हैं |
 ऐसी ही एक औरत है नेहा बंसल जो अपने पति के
अब्युसिव रिश्ते से बाहर आ चुकी हैं फिर भी अक्सर कहती हैं की मैं उसको प्यार करती
हूँ | जब वो अपनी नयी पत्नी के साथ निकलता है मुझे जलन होती है | नेहा जी के दर्द
पर पीठ पीछे लोग हँसते हैं | पहले तो अपनी शादी खुद ही तोड़ दी अब भी पति से प्यार
करती हैं कह रहीं हैं | ये मामला सिर्फ पति पत्नी का हो ऐसा भी नहीं है | रिश्ता
कोई भी हो सकता है | लेकिन सब के मूल में दुर्व्यवहार को प्यार समझने की भूल होती
है | या यूँ कहें की वह जिस व्यक्ति के साथ लम्बे समय तक ऐसे रिश्ते में रहते हैं
जहाँ उनका लगातार शोषण हो रहा हो , फिर भी वो उसे प्यार समझते हैं |

जाने क्या है ऐब्युसिव  रिश्तों की परिभाषा


  अपमान जनक
या ऐब्युसिव रिश्ते का मुख्य मकसद होता है आपको डरा धमका कर अपनी बात मनवाना | विक्टिम
को पूरी तरह अपने कंट्रोल में लेना | अगर आप उनकी बात नहीं मानते हैं तो स्थिति
मार – पीट तक भी आ सकती है | ऐसे
 रिश्ते
में अब्यूजर , विक्टिम को ऐसे कंट्रोल में करता है …

१)      
विक्टिम  जिन लोगों को पसंद करती हैं उनसे मिलने से आपको
रोकेगा |

२)      
वो विक्टिम  वो काम नहीं करने देगा जो  करने की वो  इच्छा रखते हैं | या जिसे करके वो  खुश होते हैं |ताकि विक्टिम  फैनेंसियली उस  पर निर्भर रहे |

३)      
विक्टिम को उसके  परिवार वालों से दूर करने की कोशिश करेगा ताकि
उसे  कहीं इमोशनल सपोर्ट न मिल पाए व् वो  उस पर इमोशनली भी निर्भर रहे |

४)      
हर वक्त विक्टिम पर अविश्वास करेगा |

५)      
अगर विक्टिम  किसी पुरुष के साथ पवित्र रिश्ता भी है तो वो उस
पर भी चरित्र हीन कहेगा | तरह – तरह के गंदे इलज़ाम सिद्ध करेगा |

६)      
धीरे – धीरे विक्टिम का घर से बाहर  निकलना बंद  करवा देगा |

७)      
रिश्ते में होने वाली सभी समस्याओं के लिए
विक्टिम को दोषी कहेगा | क्योंकि उसके अनुसार अगर विक्टिम उनका कहा मान कर चले तो
रिश्ते में कोई समस्या ही नहीं है |

८)      
विक्टिम चाहे कितना भी हुनरमंद क्यों न हो बात पर
पर विक्टिम को छोटा दिखाकर उसकी औकात बताएगा |

९)      
विक्टिम को नीचा दिखाने के लिए दूसरों के साथ
उसकी तुलना करेगा |

      10)  विक्टिम के जीवन पर हर समय नज़र रखेगा , आप कहाँ
जा रही हैं , किससे बात कर रही है , क्या    कर रहीं है |

ऐब्युसिव (अपमान जनक ) रिश्ते में क्या है प्यार समझ कर साथ रहने की वजह 

मेघना एक लम्बे समय तक ऐब्युसिव रिलेशन में अपने पति के साथ रही | ऐसा
रिश्ता जहाँ आर्थिक , मानसिक शारीरिक हर तरह का सोशन था | फिर भी अपने परिवारवालों
के समझाने पर भी उसने उनका साथ नहीं छोड़ा | ऐसे में लोगों को लगता है कि हम बेकार
ही उनके पचड़े में पड़े | दरसल ऐसे लोगो अक्सर Mentally overwhelmed condition में
रहते हैं | यानि विचारों के चक्रव्यूह  में फंसे रहते हैं कि उन्हें खुद लगता वो उस
व्यक्ति से कैसे प्यार कर सकते हैं जो उसके साथ ऐब्युसिव रहा |इसका कारण है इमोशनल
मैनीपुलेशन | जहाँ ऐब्यूजर विक्टिम को ये अहसास दिला देता है कि वो उससे बहुत
प्यार करता है | ऐब्युजर विक्टिम को इतना सोंचने का समय नहीं देता की ये प्यार
नहीं है |
 और विक्टिम उसे प्यार समझने
लगता है | यहाँ पर ये समझना जरूरी है कि ये फीलिंग्स गलत नहीं हैं | प्यार कोई एक
दिन में खत्म हो जाने वाली चीज नहीं है | चाहे रिश्ता ऐब्युसिव हो या नार्मल जब
टूटता है तो बहुत ज्यादा दर्द का सामना करना पड़ता है | इसका कारण है प्यार महज एक
शब्द नहीं है | इसमें समय का भावनाओं का इमोशंस का इन्वेस्टमेंट है | अगर बच्चे
हैं तो उनके फ्यूचर की चिंता भी है | अगर कोई ऐसी फीलिंग्स से गुज़र रहा है तो उसके
अनेकों कारण हो सकते हैं |

एब्युसिव रिश्ते : भय साथ रहने की वजह तो नहीं
                   
कई बार भय
के कारण व्यक्ति ऐसे रिश्तों में न सिर्फ बना रहता है बल्कि उसे प्यार का नाम देता
है | ये भय कई प्रकार के होते हैं |

  • उसने पहले भी ऐसे रिश्ते देखे होते हैं इसलिए उसे लगता है ये नार्मल
    है

  • उसे अपनी सामजिक इज्जत खोने का भय होता है |
  • अपने दोस्तों और समाज के सामने ये स्वीकार करने में श्रम आती है कि वो
    एक ऐब्युसिव रिश्ते में रहे हैं | उन्हें लगता है की वो ही कहीं न कहीं गलत  थे | जिसकी वजह से उनका शोषण हुआ |
  • सामजिक दवाब , जैसे भारत में एक शादी तोड़ने वाली महिला को हमेशा गलत
    समझा जाता है |
  • आत्म सम्मान की भावना की कमी |
  • अगर बच्चे हैं तो उनके भविष्य की चिंता सब कुछ सहने को विवश कर देती
    है |
  • शारीरिक विकलांगता
  • आर्थिक आभाव
  • अगर किसी की कोई स्शारिरिक समस्या है तो उसके उजागर होने का भय होता
    है | जैसे की हमारे देश में अभी भीbisexual , lesbian या gay लोगों को सामान्य रूप
    से स्वीकार नहीं किया जाता | एक एब्युसिव रिश्ते में व्यक्ति इसलिए टिका रहता है
    क्योंकि उसे लगता है कि उसकी निजी बातें समाज के सामने आ जाएँगी |
  • उसके पास कोई ऐसा सुरक्षित स्थान नहीं होता जहाँ वो जा सके |  

 विक्टिम  केवल अच्छा समय ही याद कर रहे हो

जब आप किसी व्यक्ति से प्यार करते हैं तो जरूर उसमें कुछ गुण देखते
हैं | ये गुण उसकी पर्सनालिटी , उसका शांत व्यवहार , एजुकेशन कुछ भी हो सकता है
|आप उसे हमेशा पाना चाहते हैं |किसी भी रिश्ते में चाहें कितना भी एब्युसिव क्यों
न हो | कुछ अच्छा समय होता है | उस रिश्ते से अलग होते समय वही समय बार – बार लव
की फीलिंग्स या उसी घुटन भरे रीश्ते में बने रहने को मजबूर करता है | जैसे कभी –
कभी दिए गए गिफ्ट्स , तारीफ़ या घूमना | इसके अतिरिक्त
  शोषण करने वाला /वाली बार – बार शोषण के एक
साइकिल के बाद जब उसे लगता है विक्टिम उसके कंट्रोल में है | वादा करता है की अब
वो कभी ऐसा नहीं करेगा | इसके बाद कुछ समय शांति का रहता है | दरसल ये ऐब्युजर की
कंट्रोल में लेने की तकनीक होती है | जब उसे लगता है की विक्टिम उसके हाथ से जा
सकता है या अलग होने का फैसला ले सकता है तो वो कुछ दिन बहुत अच्छा बनने का मुखौटा
ओढ़ लेता है |
  विक्टिम यह सोंचता है की
शायद वो इस बार अपने वादे
  पर कायम रह
पायेगा | इसी इंतज़ार में वो उस रिश्ते में बना रहता है |

दुर्व्यवहार का शिकार से कोई लेना देना नहीं होता फिर भी शिकार के
अन्दर ये भावना आ जाती है कि वो वैसा नहीं कर पा रहा है जैसा अब्युजर चाहता है
इसलिए रिश्ते मैं समस्या है | इसी guilty feeling में वो रिश्ते मैं बना रहता है |

और तो और कई सेलिब्रिटी व् सशक्त महिलाएं भी इसे प्यार  समझती हैं | कई
हौली वुड बालीवुड अभिनेत्रियों यहाँ तक की बेनजीर भुट्टो की कहानी किसे नहीं पता
|


  सलाह –

अगर आप ये  देख रहे हैं आप के
रिश्ते में सामान प्रकार की गलतियों और सॉरी का दोहराव है तो वो सॉरी , सॉरी नहीं
आप का शोषण करने का हथियार है | जितनी जल्दी हो सके समझ लीजिये और फिसला लीजिये |

अपने साथी के दर्दनाक अतीत को भरना चाहते  विक्टिम हैं

अक्सर लोग
ऐब्युसिव रिश्ते में इसलिए टिके रहते हैं क्योंकि उन्हें अपने साथी के दर्दनाक
अतीत के बारे में पता होता है | जिसे वो अपने प्यार से भरना चाहते हैं | ये
दर्दनाक अतीत साथी को प्यार में मिला धोखा , उसका कठिन बचपन या उसके परिवार की
अनेकों समस्याएं होती हैं | यहाँ पर विक्टिम बहुत सह्नुभुतिपूर्ण ह्रदय वाले होते
हैं | उनको लगता है की उनका प्यार दूसरे के घाव भर कर उसे दुर्व्यवहार करने के
चक्र से मुक्त कर देगा |हालांकि कोई भी समस्या हो ये किसी दूसरे के साथ
दुर्व्यवहार करने का अधिकार नहीं देती | पर शिकार को दूसरों की समस्याएं सुलझाकर
उनकी जिंदगी सही करने की आदत होती है | परन्तु ऐसे रिश्तों में वो दूसरों की
समस्याएं तो हल नहीं कर पाते अपनी जिंदगी की चाभी ऐब्युजर को पकड़ा देते हैं | दर्द
 भरे अतीत की कहानियाँ बार – बार power andcontrol के लिए सनाई जाती हैं |

सलाह


 अगर आप विक्टिम हैं तो जरा ध्यान  दें …

1)       क्या आपका पार्टनर
हर रिश्ते में ऐब्युसिव या अपमान जनक  है |

2)       क्या वो हर रिश्ते
में इमेल चेक करता है या बार – बार पूंछता है वो कहाँ हैं|

3)       क्या वो औरों को भी
उनकी औकात याद दिला कर छोटा सिद्ध करता है|

4)       क्या वो अपने अन्य
करीबी रिश्तों में भी दवाब बनाता है की वो चीजों को वैसे ही करें जैसा वो चाहता है
|

5)       क्या वो उनलोगों से
भी उसी तरह से खफा हो जाता है जब कोई आपकी तरह उनकी बात काट देता है |

अगर आप के पार्टनर का व्यवहार अन्य रिश्तों के लिए अच्छा है | उसकी
सोशल
  इमेज एक बहुत  अच्छे इंसान की है वो सबके साथ हंसमुख और
मिलनसार है तो यकीन मानिए आप कितना भी उसे प्यार
 दे ये अतीत का घाव कभी भरेगा नहीं क्योंकि ये
कहानियाँ केवल आप को शिकार बनाये जाने के लिए सुनाई जा रही हैं |

3) प्यार  जब जिन्दा रहने की
शर्त बन जाए

ये
प्यार का एक बड़ा ही विचित्र रूप
 है | जो
व्यक्ति किसी अपमानजनक रिश्ते में नहीं रहे हैं उन्हें ये जान् कर आश्चर्य
 होता है की कोई व्यक्ति कैसे उस रिश्ते में रह
सकता है जहाँ अगला व्यक्ति कहे की वो उनसे प्यार करता है पर उनके साथ दुर्व्यवहार
करे , उसे छोटा महसूस काराए या उसे बदलने की कोशिश करे | दरसल ये विक्टिम कि “
सर्वाइवल टेक्नीक होती है | जिसमें विक्टिम अपने दुःख दर्द से छुटकारा पाने के लिए
अवचेतन
 मन से दुनिया को ऐब्युजर की नज़र से
देखने लगता है |ऐसा एक लम्बे समय में मैनिपुलेशन के कारण होता है | जब उसे ऐब्युजर
का नजरिया व् अपना शोषण सही लगने लगता है | उसको पता चल जाता है कि उसके मन की कर
दो तो कैसे शांति बनी रहती है | इस शांति की तलाश में उसका अपना अस्तित्व मिटता
जाता है | ऐसे समय में अगर विक्टिम
 शारीरिक , आर्थिक व् भावनात्मक रूप से ऐब्युजर
पर निर्भर
 हो तो  स्थिति और भी खतरनाक हो जाती है | यहाँ प्यार
जिन्दा रहने की शर्त बन जाता है | पिटती , मार खाती , शारीरिक और मानसिक शोषण
झेलती स्त्रियाँ क्या हमने अपने पड़ोस में नहीं देखी | ये प्यार अपने को खत्म कर के
उत्पन्न होता है | जिसे प्यार समझा जाता है वो दरसल जिन्दा रहने की एक टेक्नीक है
|

 सलाह-

यहाँ समझने की जरूरत है कि जब
आप का पार्टनर ये कहे कि आप उनसे प्यार करती रहो तो परिस्थितयाँ
 बदल जायेंगी या आप को लागता है कि वो आपसे प्यार
करते हैं |ये सही है कोई प्यार करे ये एक खूबसूरत अहसास है पर यहाँ मामला अपनी
सुरक्षा का हो तो ?आपका पार्टनर जो आपको दे रहा है वो वास्तव में प्यार नहीं है |
प्यार सुरक्षा , सहारा
  , विश्वास व्
सम्मान का नाम है | ये प्यार केवल power and control game है | आप को लगे की आप
किसी से प्यार भी करते हैं और उसके साथ खुद को स्वस्थ (मानसिक व् शारीरिक ) व्
सुरक्षित भी महसूस नहीं करते हैं | अपने को कोसते हुए प्यार के विचार के साथ चिपके
रहना बंद करिए | हर व्यक्ति प्यार में सुरक्षा , सम्मान ,सहयोग पाने के योग्य है |
 

ऐब्युसिव रिश्ते से कैसे निकलें



ऐब्युसिव रिश्ते से निकलने के लिए पहल विक्टिम को ही करनी पड़ेगी …


  • सबसे पहले तो पहचाने की आप ऐब्युसिव रिलेशन में हैं | इसके लिए विक्टिम
    को इस पर लिखे जाने वाले लेखों को पढने की आवश्यकता है | जहाँ ये जानना जरूरी है
    की शारीरिकके आलावा  मानसिक और भावनात्मक
    शोषण भी शोषण ही है
  • शोषण के  साक्ष्य रिकॉर्ड करें
    | क्योंकि शोषण कर्ता की सामाजिक इमेज इतनी अच्छी होती है की वो ये सिद्ध कर देगा
    की आप दोनों में कोई झगडा ही नहीं है | बल्कि आप कुछ दिनों से मेंटली अनस्टेबल चल
    रही हैं | सबके सामने आपको बड़े प्यार से ले जाएगा |
  • ऐब्युजर को पहले से बिलकुल न बाताये की आप उसे छोड़ने का सोंच रही हैं
    | नहीं तो कुछ दिन तक वो आपके सामने अपना बेस्ट वेर्जन शो करेगा और आप खुद ही अपना
    निर्णय वापस ले लेंगी | 
  • अपना इमोशनल सपोर्ट सिस्टम तैयार करिए |
  • कोई ऐसी जगह निश्चित कर लीजिये जहाँ आप सुरक्षित जा सकते हों |
  • हील होने का समय लीजिये | क्योंकि जब कोई भी रिश्ता टूटता है तो दर्द
    होता है | यहाँ रिश्ते के साथ आपका आत्मसम्मान , शक्ति , कांफिडेंस सब कुछ टूटा है
    | इसलिए अच्छे वातावरण में अच्छे लोगों के साथ कुछ समय व्यतीत करिए |

                          अंत
में शोषण को प्यार समझना विक्टिम की भूल है | जितनी जल्दी वो इसे सुधर लेगा उसके
आगे वाले जीवन के लिए बेहतर होगा |



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ब्रेक अप बेल्स – समस्या के बीज बचपन में भी दबे हो सकते हैं

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*आपको जानकार आश्चर्य होगा इस 
तकलीफ देने वाले से प्यार करने के पीछे एक सिंड्रोम छिपा हुआ है जिसका नाम
है  “स्टॉकहोम सिंड्रोम” जिसके बारे मैं
मैं अगले लेख में बात करुँगी | 

2 thoughts on “ऐब्युसिव रिश्ते – क्यों दुर्व्यवहार को प्यार समझने की होती है भूल”

  1. गहरा विश्लेषण … इस आलेख के माध्यम से बहुत कुछ कहने का प्रयास किया है आपने …

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