बचपन में सब कहते थे की
शैव्या बहुत सीधी है | शैव्या थी भी ऐसी ही | माँ ने कहती यहाँ बैठ जाओं तो घंटो
बैठी रहेगी | घर से निकलने से ठीक पहले तैयार शैव्या से पिताजी ने कहते नहीं आज घूमने नहीं चल पाएंगे |बिना ना – नुकुर किये शैव्या मान जाती |दादी कहती ,” शैव्या अपनी सबसे
प्यारी गुडिया चाहेरी बहन काव्या को दे दो | शैव्या ख़ुशी- ख़ुशी दे देती | दरसल सबकी
ख़ुशी में ही शैव्या खुश रहती थी | इसी लिए सब उससे खुश रहते थे | समाज के हिसाब से
देखे तो ये तो बहुत अच्छी बात हैं | पर ये बात आगे चलकर शैव्या के लिए बहुत अच्छी
सिद्ध नहीं हुई | सबकी ख़ुशी में खुश होने वाली शैव्या धीरे – धीरे भूल ही गयी कि
उसकी पसंद –ना पसंद किसमें है | उसकी ख़ुशी किसमे है | तू जो कहे हाँ तो हाँ , तू जो कहे ना तो ना में शैव्या का निजी व्यक्तित्व दबता गया | सबको खुश रखने वाली
शैव्या दुखी रहने लगी | सबका प्यार पाने वाली शैव्या अपने आप से नफरत करने लगी |शैव्या
सबसे कटने लगी | तो लोग उसे दब्बू , खुदगर्ज बुलाने लगे | ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि
शैव्या के व्यव्हार में उसकी आत्मा के घाव और उसका दर्द लोग समझ नहीं पाए | पर ये
कहानी सिर्फ शैव्या की नहीं है |
जरा सोंचिये हम सब सब कितनी बातें करते हैं | सुबह से शाम तक | और बातों के आधार पर दूसरों को समझने की कोशिश भी करते हैं | पर क्या बातें वो बता पाती हैं जो वो छुपा रहे हैं | जाहिर है नहीं | यहाँ मैं उनकी निजी बातों की बात नहीं कर रही हूँ | बल्कि उन घावों की बात कर रही हूँ जो हमारी/उनकी आत्मा पर होते हैं |हर आत्मा पवित्र , शांति पूर्ण व् शक्ति से भरी हुई है | पर समय के साथ – साथ हमारी आत्मा पर गहरे घाव होते जाते हैं | क्योंकि हमारे व्यक्तित्व का निर्माण बहुत सारी बातों से होता है | जिसमे हमारे बचपन का बहुत बड़ा हिस्सा होता है | लेकिन ऐसा नहीं है कि उसके बाद हमारा व्यक्तित्व बनना बंद हो जाता है | जीवन में जब भी ,किसी भी उम्र में जब हम एक जैसी परिस्थितियों के साथ लम्बे समय तक रहते हैं तो उनसे हमारा व्यक्तित्व बनता जाता है | लेकिन हर व्यक्तिव के बनने के पीछे कुछ घाव होते हैं जिसे हम छुपा रहे हैं | सोल या आत्मा के सन्दर्भ में कुछ भी गलत नहीं है | कोई भी बुरा नहीं है | पर जब हम किसी व्यक्ति की बात करते हैं तो कहते हैं कि वो बहुत खुशमिजाज है , वो बहुत नकचिढा है , अकडू है या भावनाहीन है | अगर आप आध्यात्मिक है तो अवश्य ही आपको ये विरोधाभासी लगता होगा | सोल हीलिंग में आज हम इसी विषय पर चर्चा करेंगे और जानेगे कि जो इंसान ऐसा या वैसा है वो ऐसा क्यों है | जब आप उसके मूल स्वाभाव को समझ लेंगे | तब उसके व्यवहार की बुराई – भलाई करने के स्थान पर आप उससे सहज रूप से स्नेह करने लगेंगे | आत्मा को आत्मा से जोड़ने में इससे बेहतर और क्या हो सकता है | तो आइये चलते हैं सोल हीलिंग पर …
सोल हीलिंग – कैसे बातचीत से पहचाने व्यक्ति के छुपे घाव को
soul healing-how to identify soul’s hidden wounds by talking
किसी व्यक्ति की बातचीत से आप उसकी आत्मा के छुपे घावों को जानने के लिए सबसे पहले तो इस उदाहरण पर जरा ध्यान दीजिये ….
रीता , निधि , श्यामा , मीता और राधिका पांच सहेलियाँ हैं | वो एक पिकनिक जाने का कार्यक्रम बनाती हैं | पाँचों नियत समय पर उस स्थान में पहुँचती हैं | जहाँ उनकी टैक्सी खड़ी होगी | पर वहां पहुँचते ही देखती हैं कि टैक्सी का टायर पंचर है | उफ़ , ये पहला शब्द है जो शायद सबके मुँह से निकलता है | फिर देखिये क्या होता है ..
निधि : टैक्सी कैसे पंचर हो गयी | जरूर इसके ड्राइवर ने किसी कील पर चढ़ा दी होगी | फिर रीता की ओर देख कर ,” रीता तुमने टैक्सी देर से बुलाई | अगर तुम जल्दी बुला देती तो शायद कील इस टैक्सी के टायर में नहीं चुभी होती | लेकिन तुम जल्दी कैसे बुलाती ? क्योंकि तुम उठ ही नहीं पायी होगी | उफ़ , एक तो इतनी गर्मी है | सूरज को भी इतना तपना था | अब इतनी गर्मी में हम को दूसरी टैक्सी भी नहीं मिलेगी | किसी ने ठीक से प्रोग्राम नहीं सेट किया | पूरा प्रोग्राम चौपट हो गया |
रीता : माफ़ी मांगती हूँ निधि , सब मेरी ही गलती है | sorry , मैं जल्दी उठ नहीं पायी | वो क्या है रात को देर तक पढाई की | नींद नहीं खुली | मम्मी से कहा था जगाने को पर उन्होंने जगाया ही नहीं | मम्मी की तरफ से भी सॉरी | नहीं तो हमारी टैक्सी ठीक होती | सॉरी,तुम्हे इतनी गर्मी लग रही है | सब मेरी ही गलती है | अब जब दूसरी टैक्सी करेंगे तो उसके सारे पैसे मैं दूंगी | अब तो खुश हो जाओ |
श्यामा : निधि की सॉरी से रीता पर कोई असर नहीं है वो लगतार बोलती ही जा रही है | श्यामा इन दोनों के झगडे से बेखबर मोबाईल से तस्वीरे खींच रही है | वो ऐसे दिखा रही है कि जैसे दोनों से उसे कोइ मतलब ही नहीं है | या उसे कुछ सुनाई ही नहीं दे रहा है |
मीता : रीता और निधि के बीच में जाकर अरे छोड़ो कह कर अपने मोबाइल पर सेव् किया हुआ कॉलेज का वीडियो दिखाने लगती है | इधर , उधर की बातें करने लगती है | जिससे झगडा धीमा तो होता है पर जारी रहता है |
राधिका : दोनों के बीच में जाकर दोनों का ध्यान अपनी और करके कहती हैं | जो हो गया उसे बदला तो नहीं जा सकता | मैं ड्राइवर से कह देती हूँ की वो टायर बदल ले या दूसरी टैक्सी भेज दे | तब तक का समय हम क्यों बर्बाद करें | माना कि धूप तेज है पर आज इतने समय बाद हम दोनों मिले हैं | ये क्या किसी त्यौहार से कम है | चलो , वहां पेड़ के नीचे चादर बिछाते हैं |और अन्ताक्षरी खेल कर यहीं से पिकनिक की शुरुआत करते हैं |
सोल हीलिंग में इस उदहारण से जानते है व्यक्तित्व या आत्मा के छुपे घाव को
ऊपर के उदाहरण में आपने पाँचों सहेलियों का व्यवहार अलग – अलग देखा | अब आइये जानते हैं इनके व्यतित्व व् आत्मा के छुपे घाव के बारे में ..
दरसल बातचीत के आधार पर व्यक्तित्व को पांह भागों में बाँटा जा सकता है |
पीपुल प्लीजर –
ऊपर के उदाहरण में रीता को देखिये | जरा सी बात के लिए उसने कितनी बार सॉरी बोला | उसके पिकनिक कैंसिल होने का सारा दोष अपने सर ले लिया | यहाँ तक कि उसने अपनी मम्मी को भी अपने साथ दोषी मन लिया | दोषी मानना और सॉरी बोलना ही पर्याप्त नहीं था | उसने टैक्सी का भाडा जो पाँचों सहेलियों में बँटना था उसे पूरे का पूरा खुद देने का प्रपोजल भी दे दिया |
तो ये हैं people-pleaser, apologetic personality के लोग … जो बात – बात पर सॉरी बोलते हैं , हर बात में खुद की गलती मानते हैं या हमेशा दूसरों को खुश करने में लगे रहते हैं |
आत्मा का घाव – दरसल ये लोग अपना भय (fear)छुपा रहे होते हैं |
इस प्रकार के लोगों की सेल्फ एस्टीम कम होती है ऐसा परवरिश की वजह से जहाँ उनके गुणों को सराहना न मिली हो या किसी ख़ास गुण को बार – बार सराहना मिलने के कारण उन्होंने अपने बेसिक नेचर को खुद ही बदल दिया , जिस कारण उनका सेल्फ एस्टीम बढ़ ही नहीं पाया | इम्पोस्टर सिंड्रोम से ग्रस्त लोग | इसके अतरिक्त और भी भय (fear)हो सकते हैं | जिस कारण किसी भी काम को करने की क्षमता रखते हुए भी ये लोग आगे बढ़ कर काम नहीं कर पाते और दूसरे बाजी मार लेते हैं |
2) ब्लेमर
ऊपर के उदाहरण में निधि को देखिये | वो सारा दोष रीता पर डाल रही है | उसने ये कहा की जरूर तुम देर से उठी होगी | यानी वो जानती थी की रीता जल्दी नहीं उठ पाती | तो उसे खुद ही टैक्सी बुलाने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए थी | पर नहीं उसने एक बार भी अपना दोष महसूस नहीं किया | वो लगातार ब्लेम लगाती रही |
तो ये हैं fault finding people जो हर बात पर दूसरों पर ब्लेम लगाते हैं |
आत्मा का घाव – दरसल ये लोग अपना दर्द छुपाते हैं
जो लोग बात – बात पर दूसरों पर ब्लेम करते हैं वो अन्दर से किसी गहरे दर्द से गुज़र रहे होते हैं | जिसे वो सबके साथ बांटना नहीं चाहते | ये हार का दर्द हो सकता है | अपनों को खोने का दर्द हो सकता है या जिंदगी में प्रेम का आभाव हो सकता है | जिसके कारण ये दूसरों पर बेवजह ब्लेम लगा कर संतुष्ट महसूस करते हैं |
3) कम्प्यूटर
ऊपर के उदहारण में श्यामा इस प्रकार का व्यक्तित्व रखती है | दो सहेलियों की लड़ाई हो रही है | उसे कोई मतलब नहीं है | वो आराम से मोबाइल पर फोटो खींच रही है | ऐसे लोग कंप्यूटर पर्सनालिटी में आते हैं | अपने काम से काम रखना , ज्यादातर गेट टुगेदर में अकेले पीठ सीधी कर शांत बैठना | किसी जोक पर न हँसना | हर बात में रिजन ढूंढना |
तो ये हैं computer people ये लोग टफ , स्ट्रिक्ट और फीलिंग लेस दीखते हैं | इन्हें इमोशंस से मतलब नहीं | ये कंप्यूटर की तरह रीजन और लोजिक पर चलते हैं |
आत्मा का घाव – दरसल ये लोग अपनी भावनाएं छुपाते हैं
ये जैसे दिख रहे हैं वैसे हैं नहीं | ये भी भावुक लोग हैं | पर अतीत में ये बहुत धोखा खाए हुए हैं | इतना कि अब ये कोई इमोशनल धोखा बर्दाश्त नहीं करना चाहते | इस कारण ये अपनी फीलिंग्स छुपाते हैं | ताकि ये और कोई दूसरा इनसे इमोशनली अटैच न हो | जिससे धोखा खाने का खतरा बिलकुल खत्म हो जाए |
4
)Distractor
ऊपर के उदाहरण में मीता दोनों सहेलियों यानि निधि और रीता का ध्यान झगडे से हटा कर कहीं और लगाने की कोशिश करती है | वो झगडा तो नहीं टाल पाती पर ध्यान भटका कर शांति लाने का प्रयास करती है | इधर – उधर की बातें करती है | खूब बोलती है | वीडियो दिखाती है |
Distractor people मुख्य मुद्दे से ध्यान भटकाने का प्रयास करते हैं
आत्मा का घाव – दरसल ये लोग रियेलिटी से भागते हैं
ऐसे लोग बहुत बोलने वाले व् सत्य से भागने वाले होते हैं | इनकी कम्फर्ट जोन बहुत सख्त होती है | और ये बार – बार उसी में लौट कर आना चाहते हैं | जब भी कोई समस्या आती है ये उससे भाग कर किसी दूसरे काम में लग जाते हैं | ताकि ध्यान समस्या पर न जाए | कई बार ये ” शेर सामने आ जाए और आँख मूँद कर खुद को सुरक्षित समझना भी होता है | कई बार इसके पीछे कोई ऐसी घटना होती है जिससे ये भाग जाते हैं और इन्हें सुकून मिलता है बाद में यही बात वो चाहे – अनचाहे बार – बार अपनाते हैं |
non violent communication
इस टाइप की पर्सनालिटी के लोग सबसे सीमित बातचीत करते हैं | वो अपनी बातों से किसी को हर्ट नहीं करते | इनकी कोशिश रहती है की दो पक्षों में आसानी से समझौता हो जाए | इनके विचार प्रभावी होते हैं पर ये अपने विचारों के प्रति रिजिड नहीं होते | कोई समस्या आने पर उसका सही हल निकालते हैं |
non violent communication करने वाले लोग सोल हीलिंग में सबसे संतुलित व्यक्तित्व है |
आत्मा का घाव – इनकी आत्मा घाव रहित होती है |
इन्हें बातों को समझना संभालना आता है |दरसल ये ऊपर वर्णित चारों व्यक्तिवों का मिक्सचर होते हैं | ये जरूरत पड़ने पर ब्लेम भी करते हैं , लोगों को खुश करने की कोशिश या सॉरी भी बोलते हैं | किसी स्थिति में मौन कंप्यूटर भी बन जाते हैं तो कहीं distractorभी | कहने का मतलब है की ये संयत होते हैं |
बहुत अच्छा लेख। अपने आपको जानने का मौका मिला। शुक्रिया वंदना दीदी।
धन्यवाद मीना जी