जल जीवन है

जल जीवन है

अखिल सृष्टि में जल जीवन है
जीवन का सम्मान करो
संरक्षित कर स्वच्छ सलिल को
धरती में मुस्कान भरो
जिस पानी को हम तलाशते
मंगल चन्द्र विविध ग्रह पर
वह अमृत अवनी पर बहता
नदी , झील ,निर्झर बनकर
मिले विरासत में जो , इन
जल स्रोतों पर अभिमान करो
नष्ट मत करो इन्हे बचाओ 
तुम सबका कल्याण करो
अम्बु – कोष जो हमे मिला है
उसका कर्ज चुकाना है
भावी पीढ़ी को इससे 
कुछ बेहतर देकर जाना है
उषा अवस्थी
लेखिका
यह भी पढ़ें …
आपको  कविता  ..जल जीवन है कैसी लगी   | अपनी राय अवश्य व्यक्त करें | हमारा फेसबुक पेज लाइक करें | अगर आपको “अटूट बंधन “ की रचनाएँ पसंद आती हैं तो कृपया हमारा  फ्री इ मेल लैटर सबस्क्राइब कराये ताकि हम “अटूट बंधन”की लेटेस्ट  पोस्ट सीधे आपके इ मेल पर भेज सकें 

Leave a Comment