वैवाहिक जीवन को सुखद बनाने मे कुछ तथ्यो का अपना महत्वपूर्ण स्थान है। आपसी सूझबूझ व प्रेम से दामपत्य जीवन को खुशहाल बनाया जा सकता है।
सुखी वैवाहिक जीवन कैसे प्राप्त करें ?
वैवाहिक जीवन को सुखी बनाने मे कुछ गलतियो से सबक लेकर व सहनशीलता का परिचय देकर सुखी बनाया जा सकता है। कुछ तथ्य है जो वेवाहिक जीवन को किसी ना किसी रूप मे प्रभावी बनते है।
उमर का प्रभाव—
कहते हैफूल की कली नाजुक होती है, गुलदस्ते मे सजाते समय जैसे चाहो मोड लो, उसी प्रकार कच्ची उमर की लडकी को अपने परिवार मे अपने संस्कारो मे ढाला जा सकता है किन्तु आजकल पढाई पूरी करते करते व नौकरी की सैटलमैन्ट करते करते कच्ची उमर पीछे छूट जाती है। पति की उमर यदि पत्नी से ज्यादा है तो वह अनुभवी होने के कारण पत्नी के बचपने को सम्भाल लेता है व अपनी राय देकर उसे संतुष्ट कर लेता है। इसके विपरित यदि पत्नी की उमर ज्यादा हो तो वो अपने पति को कम आंकती है, स्वयं को ज्यादा समझदार मान पति की भावनाओ को ढेस पहुंचा देती है।
पित्रसत्तात्मक परिवार होने के कारण,सरनेम पति का होता है किन्तु आजकल पेनकार्ड बन जाने से सरनेम पीछे लगाने की मजबूरी हो जाती है स्त्री की।
पहली नजर का प्यार_____
किसी भी स्त्री या पुरूष को पसन्द आने वाला जीवनसाथी की पहली नजर के प्यार की बात ही कुछ और है, इसीलिये आजकल सगाई होते ही दोनो आपस मे मिलना शुरू कर देते है।आपसी विचारो का लेनदेन रिशते को मजबूत बनानेमे सकारात्मक भूमिका अदा करते है। आपसी प्यार व समझ हावी हो जाती हैएक दूसरे पर। कभी कभी वो दोनो अपनी आभासी दुनिया मे इस कदर खो जाते हे कि परिवार मे अन्य सदस्यो की भावनाएं गौण होकर रह जाती है।
उचित कद काठी_____
एक दूसरे से मिलकर अपनी जोडी सबसे सुन्दर हो, इस तरफ ज्यादा ध्यान हो जाता है। विवाह मे भी सब कहने लगते है :क्या जोडी है? इस उपमा से भी दोनो खुशी से अभिभूत होने लगते है।
सलीकेदार व्यकितत्व______
स्त्री के सलीकेदार होने से पुरूष का भी सम्मान बढता है। स्त्री का स्वयं को ढंग से सजाकर रखना भी एक कला है,, बिखरे बाल, फटे वस्त्र पहन कर रहना आकारण हंसना व बै सिर पैरकी बाते करना फूहढता की निशानी है। स्त्री का व्यकितत्व मंहगे कपडो मे नही है, उसकी बातचीत का लहजा इतना सरल व स्पष्ट हो कि देखने वाला दांतो तले अंगूली दबाये। पुरूष का स्वभाव भी मीठा व नम्र हो। ससुराल वालो को आदर दे।
संस्कारो पूर्ण व्यकित सभी के मन को भाता ह वो चाहे स्त्री हो या पुरूष। धर्म से जुडना ही संकारो से जुडना है। अच्छे संस्कार वाली लडकी ईशवर भय से पति का सम्मान करेगी। सीता सावित्री मे श्रद्धा रखने वाली पति का मंगल ही सोचेगी। स्वयं तो पूजा पाठ करेगी अन्य सदस्यो को भी पूजा पाठ से जोडेगी। किन्तु आजकल नौकरी परजाने की जल्दी मे ये सब छूट रहा है।
मितव्यता_____
आजकल मंहगाई चरम सीमा पर है। स्त्री पुरूष को मितव्यता की आदत होगी तो वे बचत ज्यादा कर पायेगे। व खुश भी रह पायेगे। कयोकि आज के समयमे सुख सुविधाओ के चलते बाजार ऐसी क ई चीजो से भरा पडा है जिनके बिना भी घर चल सकता है। औरत कम खर्च करने वाली होगी तभी बचत कर घर चला पायेगी।
सहनशीलता______
सबसे महत्वपूर्णहै सहनशीलता का गुण।
वैवाहिक सम्बन्धो की मधुरता की पहली नींव सहनशीलता पर टिकी है। पुरूष को कितना भी गुस्सा आ रहा हो स्त्री चुप रहे तो पुरूष सामान्य हो जाता है। चुप रह करस्त्री मुस्कुराते हुऐ सहनशीलता का परिचय दे तो पुरूष भी उसकी ओर खिंचा चला आता है और उसकी नजरो मेआदर भीबढ जाता है। समझदार व सहनशील बहू परिवार की आंखो का तारा बन जाती है। पति का प्यार व ससुराल वालो का आदर पाकर औरत खुद तो खुशहाल बनती है परिवार मे खुशहाली का वातावरण बनाकर घर को स्वर्ग बना देती है।
आज की आपाधापी जीवन मे ये चिन्तन का विषय है कि हम अपने दामपत्य जीवन को कैसी सुखी बनाएं।
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bahut hi achha article hai.
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