श्रीदेवी आज तू ———
लाइट,ऐक्सन,कैमरा यानी सबको तन्हा और,
विरान कर गई।
देखो हमारी भीगी नम आँखे——
हम कोई ऐक्टिंग नही करते,
इसमे आज तेरे निभाये हर किरदार की वे—-
हर एक सूरत उतर गई।
तू क्या जाने कि तेरे जाने से,
हमारी मुहब्बत के दरख्त़ो के सारे महबूब पत्तो को,
तू दर-बदर-कर गई।
हो सकता है कि इन दरख़्तो पे लगे फिर नये पत्ते,
फिर पहले सी बहार आये,
लेकिन तू क्या जाने कि किस तरह तेरे जाने से,
हमारे दौरे शाख की बुलबुल,
हमेशा कि खातिर हमारे मुहब्बत के शाख से उड़ गई।
शायद आसमां पे भी खुदा को,
अपनी सिनेमा की खातिर तेरे जैसे किरदार की जरुरत थी,
शायद आज इसी से———
तू हमसे और हमारे जैसे तमाम चाहने वालो से बिछड़ गई।
सच यकीन नही हो रहा एै “रंग” आज—–
की हमारे दिल और हमारे सिनेमा की श्रीदेवी मर गई।
अलविदा हम और हमारे दौर के कला की बेमिसाल मूरत यानी श्रीदेवी को।
@@@रचयिता—–रंगनाथ द्विवेदी।
जज कालोनी,मियाँपुर
जौनपुर–
फोटो क्रेडिट –bollywoodhungama.com
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