होली पर कवि सम्मलेन का अपना ही मजा है , क्योंकि हंसी के रंग के बिना तो होली अधूरी ही है , पर आज एक समाजवादी कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ है … जरा देखिये उसके रंग
होली और समाजवादी कवि-सम्मेलन
डरिये नही क्योंकि————–
यहाँ न बीवी न उसके हाथ मे बेलन है,
आज छूट है,आॅफर है,लाभ उठाये
ये हम जैसे बेलन सिद्ध कवियो का—–
एक समाजवादी कवि-सम्मेलन है।
यहाँ सबसे सीनियर कवि को,
आशाराम बापु स्वर्णभष्म सम्मान से अलंकृत कर,
उससे इस कवि-सम्मेलन की अध्यक्षता करवायेंगे,
और किसी महिला कवयित्री को———-
हनीप्रित सम्मान से नवाज कर,
किसी राम-रहीम नेचर के कवि से,
उसके गुलाबी गालो पे अबीर मलवायेंगे।
बैंक से पैसे न निकलपाने के कारण,
इस कवि-सम्मेलन का भुगतान,
हम विथ जियसटी के होली बाद करवायेंगे।
क्योंकि हम कवि है कोई नीरव मोदी नही,
हमारी तो बीस हजार की खातिर,
जाँच पचीसो करवायेंगे——-
और ये निश्चित है कि वे हमे किसी नियम पाँच मे बझायेंगे,
इसलिये हम उनके कथनानुसार,
अपने ही पैसे को होली बाद ही ले पायेंगे।
हे! भगवान अजीब स्थिति है——–
कलम किंग और पीयनबी वाले बड़े-बड़े,
फैंसी फ्राडो का भुगतान करोड़ो और अरबो का करवायेंगे,
और हमे हमारे ही चंद हजार के लिये,
बैंक का दिवाल पे लिखा नियम पढ़वायेंगे,
अब तो कालेधन की छोड़िये———–
उजला धन तो अब काले से ज्यादा जा रहा,
विपक्ष मे राहुल ट्वीट पे ट्वीट कर पुछ रहे,
अपनी अगली होली———-
दो हजार उन्नीस मे ढूंढ रहे,
यानी भाजपा के लिये बसंती,
तो राहुल के लिये अगला चुनाव——
एै “रंग” विदेशी हेलन है।
ये हम जैसे बेलन सिद्ध कवियो का——
एक समाजवादी कवि-सम्मेलन है।
@@@रचयिता—–रंगनाथ द्विवेदी।
जज कालोनी,मियाँपुर
जौनपुर
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बहुत ख़ूब … करारा व्यंग है …