अपनी याददाश्त व् एकाग्रता कैसे बढ़ाये -how to improve your memory and concentration

अपनी याददाश्त व् एकाग्रता कैसे बढ़ाये -how to improve your memory and concentration

बच्चों की एग्जामिनेशन सिरीज में आज हम बच्चों के लिए याददाश्त व् एकाग्रता बढ़ने के टिप्स ले कर आये हैं |क्योंकि ये टिप्स दिमाग की कार्यविधि पर निर्भर हैं इसलिए ये केवल बच्चों के काम के ही नहीं हैं इसे गृहणी , ऑफिस में काम करने वाले , व्यापर करने वाले या कोई भी अन्य काम करने वाले अपना  सकते हैं |

exam के दिन आने वाले हैं बच्चे अक्सर मुझसे पूछते हैं अपनी concentration power कैसे बढ़ाये | हम कैसे थोड़ी देर में ज्यादा याद कर कर लें , कैसे हमें पढ़ा हुआ याद रहे | क्योंकि ये बच्चों के लिए बहुत जरूरी विषय है इसलिए मैंने इस पर लेख लिखने का मन बनाया |

अपनी याददाश्त व् एकाग्रता कैसे बढ़ाये

how to improve your memory and  concentration

यादाश्त व् एकाग्रता बढाने के लिए आपको सबसे पहले समझना होगा कि हमारा दिमाग कैसे काम करता हैं |हमारा दिमाग एक मेमोरी बैंक की तरह काम करता है , इसे समझने के लिए हम अपने दिमाग को तीन हिस्सों में बाँट सकते हैं या कह सकते हैं कि दिमाग की तीन लेयर होती है ( हालांकि मैं ये स्पष्ट करना चाहती हूँ कि ब्रेन एनाटोमी  में ऐसे कोई लेयर नहीं होती है , इसे brain की psychology के आधार पर सबसे पहले फ्रायड ने तीन लेयर मॉडल  प्रस्तुत किया ,उस समय भले ही इसे नहीं समझा गया पर धीरे -धीरे इसे व्यापक स्वीकार्यता मिली | ये तीन लेयर हैं …
conscious mind या चेतन मन 
sub conscious mind या अवचेतन मन 
unconscious mind या अचेतन मन 

अपनी याददश्त व् एकाग्रता कैसे बढायें







                                 इसे समझने के लिए एक त्रिभुज का इस्तेमाल भी कर सकते हैं | त्रिभुज में सबसे ऊपर का हिस्सा चेतन मन है जो दिमाग का केवल 10 % है , इसका काम रोजमर्रा के अनुभव लेना है जो पांच इन्द्रियों द्वारा लिए जाते हैं | ये  उसी के आधार पर जयादातर काम करता है | इसे कह सकते हैं कि ये जहाज का कप्तान है जो निर्णय लेता है , कई निर्णय तुरंत लेता है और कई निर्णय लेने में ये पूर्व सूचनाओं की मदद लेता है | पूर्व सूचनाएं दिमाग की नीचे की लेयर्स में होती हैं | ये ही वो हिस्सा है जो बाहरी दुनिया से बोल कर , देख कर , लिख कर आदि आदि तरीकों से संपर्क स्थापित करता है | 

उसके बाद अवचेतन मन आता है जो सबसे बड़ा हिस्सा है | ये दिमाग का करीब 50 -60 % होता है | इसमें वो यादें इकट्ठा होती है है जो हाल की हैं , जो चेतन मन ने देखा सुना महसूस किया है वो यादें इसमें स्टोर हो जाती हैं | जब चेतन मन को किसी जानकारी की जरूरत होती है तो वो  अवचेतन मन से ले लेता है | अवचेतन मन सोंचता नहीं है वो केवल स्टोर करता है |  




फिर आता है अचेतन मन  जो कि 30-40% होता है , इसमें पुरानी गहरी यादें दबी होती हैं , जिन्हें हमे लगता है कि हम भूल गए , पर जरूरत पड़ने पर वो याद आ जाती हैं | इसके आलावा यहाँ हमारी आदतें व् विश्वास रहते हैं | हम नहीं चाहते हुए भी वही  करते हैं जो कि बचपन में हमारी आदत व् विश्वास के रूप में वहां इकट्ठा है | कई बार आपने देखा होगा कि  जो किशोर पुत्र अपने पिता का बात -बात पर विरोध करता है पर बड़ा होने पर वह भी पिता की तरह ही हो जाता है , क्योंकि तब उसका चेतन मन तर्क करना बंद कर देता है और अचेतन मन वही फीड बैक देने लगता है जो बचपन में स्टोर हुआ था | यहाँ पर ख़ास बात ये है कि अचेतन का अर्थ बेहोश नहीं है , ये केवल एक नाम दिया हुआ है |    


                      

कम्प्यूटर की भाषा में चेतन मन की बोर्ड और मोनिटर है , अवचेतन मन RAM है और अचेतन मन हार्ड डिस्क है | 


कैसे काम करते हैं ये तीनों मन  



दिमाग के तीनों हिस्से आपस में मिल कर काम करते हैं , यानि इस तरह से चेतन मन जो फैसला लेता है वो अपने अचेतन  , व् अवचेतन से सूचनाएं निकाल -निकाल कर लेता है | ये तालमेल सरवाइवल के लिए जरूरी है | 
                                  इसका सबसे सटीक उदाहरण Infant stage है | एक छोटा बच्चा  जिसका चेतन मन पूर्ण रूप से विकसित नहीं हुआ है वो अवचेतन व् अचेतन मन में स्टोर मेमोरी के आधार पर निर्णय लेता है … जैसे वो समझ लेता है की बोतल की निपल से उसका पेट भरता है माँ की गोदी में वो सुरक्षित महसूस करता है या रोने पर कोई उसके पास आता है | 


बड़े होने पर चेतन मन किसी निर्णय को लेने से पहले अपने राडार अवचेतन मन तक घुमाता है जिसमें हाल की मेमोरी स्टोर होती है, वहां से पूर्व अनुभव के आधार पर वह ज्ञान लेता है और फिर फैसला लेता है | अचेतन मन में गहरे स्थित विश्वास व् आदतें होती हैं,   जिन्हें बदलना आसान नहीं है |

अपनी याददाश्त व् एकाग्रता  बढ़ाने के लिए क्या करें 

 

                                                              दिमाग की तीन हिस्सों को जानने  के बाद हमें ये समझना होगा कि दिमाग कैसे चीजों को याद रखता है | सोंचिये जब हम सुबह से  अपने स्कूल , ऑफिस या कहीं और जाते हैं तो न जाने कितनी चीजें हमें दिखाई देती हैं , न जाने कितनी गाड़ियाँ , घर , लोग … चेतन मन उन्हें देखता है , पर क्या वो सब हमें याद रहता है … नहीं | दरअसल अगर हमें सब याद रहने लगे तो भी दिमाग पगला जाएगा | इसलिए चेतन मन केवल जरूरी डेटा ही स्टोर करता है | ये जरूरी डेटा स्टोर करने के तीन तरीके हैं अगर आप उनको समझ लेंगे तो चीजों को याद रखना आसान हो जाएगा |

1) चीजों का अनअनुपातिक होना 

                                          आपको वही चीजें याद रहती हैं जो  जरूरत से ज्यादा बड़ी , छोटी , लम्बी मोटी या अजीब सी होती हैं | अगर आपको कोई ऐसा आदमी दिख जाए जो बहुत लम्बा , पतला या नाटा  हो तो आपको  हमेशा याद रहेगा |
इसका प्रयोग स्टूडेंट्स याद करने में कर सकते हैं | वो जो नाम या फ़ॉर्मूले उन्हें याद नहीं हो रहे हैं उन्हें याद करते समय अजीब सा आकार , रंग , रूप दे दें | अब जब एग्जाम के समय आप उसे याद करेंगे तो आप को  वो आकर याद करते ही वो नाम याद आ जाएगा |

जैसा की मैंने पहले ही बताया है कि चेतन मन चीजों  पर फोकस कर सकता है व् कल्पना कर सकता है तो आप  किसी नियम या पेज को नीले रंग में कल्पना कर पढ़े , जब आप एग्जाम में याद करेंगे तो नीला रंग का पेज याद करते ही उसमें लिखा सब याद आ जाएगा |

आखिर क्यों 100 %के टेंशन में पिस रहे हैं बच्चे

 

मेरी एक सहेली को  एक फूल का बोटानिकल नाम याद करने में दिक्कत हुई … फूल का नाम था sasbania grandiflora तो उसने चित्र खींचा सास की बहन  के पैर गंदे हैं , फिर वो उसे आसानी से याद कर ले गयी | आप भी अपने हिसाब से कुछ भी चित्र खींच सकते हैं |



2) अपने किसी अनुभव से जोडें 

                                क्योंकि अवचेतन मन में आप के अनुभव अंकित रहते हैं तो आप अपने किसी अनुभव से कोई चीज जोड़ सकते हैं | मुझे याद है कि बॉटनी में हमें मेटा जाइलम व् प्रोटो जाइलम ढूँढने में बहुत दिक्कत होती थी | मैंने मेटा को मोटा कर के याद किया … उसके बाद सोंचा जो जाइलम मोटा होगा वो बड़ा होगा ही , पुराना होगा ही और मुझे बहुत आसानी हुई |
  
knowledge की स्पेलिंग याद करने के लिए … कनऊ लद गे
assassination की स्पेलिंग याद करने के लिए गधे के ऊपर गधा फिर मैं उसके ऊपर पूरा देश

हमारा दिमाग उन चीजों को याद रखता है जो अति से जुड़े होते हैं … जैसे बहुत गर्मी , बहुत सर्दी , बहुत सुख , बहुत दुःख , आदि | बच्चे इसका इस्तेमाल भी नोट्स को याद रखने में कर सकते हैं |  अगर वो अपने इमोशन को किसी पाठ  के साथ जोड़ दें तो वो पाठ उन्हें याद रह जाता है , किसी कवि की कवितायें आपको इसलिए याद रह जाती हैं क्योंकि आप की भावनाओं को छूती हैं | अगर आप बाकी पाठों को भी किसी भावना से जोड़ देंगे तो आप को जरूर याद रहेंगे जैसे  पईथागोरस की प्रमेय याद करने के लिए आप उस महान  वैज्ञानिक से अपने को जोड़ सकते हैं | आप महसूस कर सकते हैं कि आप किसी बिल्डिंग के बाहर खड़े हो कर तेज धूप में उसके कोण नाप रहे हैं |

3) अपने लक्ष्य पर फोकस करके 

हम दिन भर बहुत कुछ देखते सुनते रहते हैं | पर अगर आप २४ घंटे अपने लक्ष्य पर चेतन मन को फोकस करते हैं तो आपके अवचेतन मन में एक फोल्डर “लक्ष्य” का बन जाता है , अब जो सूचनाएं आपके काम की होती है यानि आपके लक्ष्य में सहायक होती हैं वो तो स्टोर होती हैं बाकी पर दिमाग का ध्यान नहीं जाता | जैसे आप अखबार में एक चुटकुला पढ़ते हैं व् एक ऐतिहासिक न्यूज़ पढ़ते हैं | अब अगर आप का लक्ष्य आईएएस बनने का है और आप हर समय अपने लक्ष्य पर फोकस करे रहते हैं तो आप को हिस्ट्री वाली न्यूज़ याद रहेगी व् चुटकुला भूल जायेंगे , अगर आप कॉमेडियन बनना चाहते हैं तो आपको चुटकुला ही याद रहेगा |

चेतन भगत की स्टूडेंट्स के लिए स्टडी टिप्स

तो ये थे कुछ टिप्स जो आपकी याददाश्त बढाने  के काम आयेंगे | खास बात ये हैं कि हम २४ घंटे न जाने कितना कुछ  बिना जाने समझे अपने दिमाग में स्टोर करते रहते हैं | वो सूचनाएं अक्सर हमारे काम की नहीं होती | अगर हम सचेत होकर स्टोर करें तो हम जरूरत पर उन सूचनाओं को इस्तेमाल कर अपना  एग्जाम में अच्छे नंबर ला सकते हैं , जीवन में सफल हो सकते हैं | बस आपको By default डाटा स्टोर करने के स्थान पर by choice स्टोर करना है , और आपकी एकाग्रता व् याददाश्त बढती जायेगी |

वंदना बाजपेयी

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