तुम प्रेम हो इससे इतर
मैं सम्मान क्या जोहूंगी |
कियें अास सब तूने पूरे …विश्वास मेरा जीता
हुआ मेरा सांस-सांस तेरा
तेरी उम्मीद मैं बोऊंगी |
अब तरंग है, उमंग है , रास-रंग है ये जीवन
एक तुझे पाकर जो पाया है,
तुझे खोकर ना खोऊंगी |
गुदगुदाती रहती है मन को तेरी मीठी ये बातें
तुने तोहफे में हंसी दी है अब
एक आँसू ना रोऊंगी |
बहुत गुजरी है रातें मेरी उलझन में, बेचैनियों में
तेरे बांहों का तकिया लेकर
अब चैन से सोऊंगी ||
_____=== साधना सिंह
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जाने कितनी सारी बातें मैं कहते -कहते रह जाती हूँ
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