तीन गेंदों में छिपा है आपकी ख़ुशी का राज

                 

तीन  गेंदों में छिपा है आपकी ख़ुशी का राज

जीवन यहाँ पर इतना मेहरबान नहीं है
कौन है जो इस शहर में परेशांन  नहीं है

अभी कुछ दिन पहले एक गाँव में जाना हुआ | हवाओं में भी एक सुकून सा था , बरगद पर झूले थे , तालाब के पास बतियाती औरतें थीं , मर्तबान में मदर्स रेसिपी का नहीं खालिस माँ के हाथ का बना आचार होता है और होती है अपनेपन की एक सौंधी खुशबु  जो शहरी जीवन  में मयस्सर नहीं | यहाँ  तो हर आदमी बस भागा  जा रहा है …. और , और , और ‘और ‘की कभी न खत्म होने वाली दौड़ में | शहर की आपाधापी भरी जिंदगी में बेहतर जीवन स्तर रुपया पैसा होने के बावजूद भी क्या कभी -कभी यह नहीं लगता की हम क्यों खुश नहीं हैं , हम किसलिए भाग रहे हैं ? क्या आपको भी लगता हैं  की आप के पास रुपया -पैसा , नाम शोहरत  सब कुछ है फिर भी आप खुश नहीं हैं | तो प्रश्न उठाना स्वाभाविक है कि आखिर हमारी ख़ुशी है कहाँ ? और हम इसे कैसे पा सकते हैं |

तीन  गेंदें जिनमें  छिपा है आपकी ख़ुशी का राज 

एक बार की बात है एक आदमी जो पहले कुछ भी काम नहीं करता था , यूँही सारा समय बर्बाद कर दिया करता था , अपने गुरु के दिखाए कर्म के  मार्ग पर चल कर सफल व्यवसायी बन गया था ,दूर -दूर तक उसके नाम के चर्चे थे | इतना सब होने के बाद भी वो खुश नहीं था | एक दिन वो अपने गुरु के पास गया और बोला गुरु जी आप ने मुझे बहुत अच्छा ज्ञान दिया कि मैं अपने काम पूजा समझ कर करूँ मैंने आपके कहे अनुसार ही अपने काम पूजा समझ कर किया | आज  मैं दिन में १७ -१८ घंटे  काम करता हूँ | मैं एक सफल बिजनेस मैन हूँ | मेरे पास एक बड़ा घर है , बड़ी-बड़ी दो गाड़ियां हैं , जिनके नाम भी मैं पहले नहीं जानता था | मेरे बच्चे देश के नामी स्कूल में पढ़ते हैं | कुल मिला कर मेरे पास सब कुछ है | फिर भी मैं खुश नहीं हूँ |

कृपया मुझे बताये मैं खुश कैसे रह सकता हूँ ?

गुरूजी उसको देख कर मुस्कुराए | फिर अन्दर जा कर तीन गेंदे उठा कर ले आये | उनमें से एक गेंद काँच  की थी एक चीनी मिटटी की और एक रबर की | उन्होंने तीनों गेंदें उस आदमी को देते हुए कहा कि ये तीनों गेंदें लो और इन्हें लगातार उछालते और पकड़ते रहो | आदमी ने तीनों गेंदे ले ली और वो उनको बारी बारी से उछालने लगा | कुछ ऐसा सिस्टम बन गया कि हर समय उसके हाथ में दो गेंदे रहती और एक हवा में | काफी देर तक ऐसा होता रहा | अचानक एक स्थिति ऐसी आई कि उसने जो चीनी मिटटी की गेंद उछाली थी वो उसे कैच नहीं कर सकता था | क्योंकि उसके एक हाथ में रबर की गेंद व् दूसरे में  कांच की गेंद थी |  चीनी मिटटी की गेंद अगर नीचे गिर जाती तो वो टूट जाती | लिहाज़ा उसने वही किया जो ऐसी स्थिति में कोई भी समझदार आदमी करता |

उसने अपने हाथ से रबर की गेंद गिरा दी व् चीनी  मिटटी की गेंद को पकड़ लिया | अब उसके एक हाथ में चीनी मिटटी की गेंद व् दूसरे में कांच की गेंद थी | रबर की गेंद जमीन पर पड़ी थी | वो आदमी गुरु के पास गया और बोला गुरु जी , मैं आप का दिया काम पूरा  नहीं कर सका |

गुरूजी ने कहा जब तुम चीनी मिटटी की गेंद नहीं पकड़ पा रहे थे तो तुमने उसे क्यों नहीं गिर जाने दिया | तुमने रबर की गेंद को क्यों गिर जाने दिया ?

वो व्यक्ति बोला गुरूजी ,” चीनी मिटटी की वो गेंद बहुत कीमती थी अगर वो गिर जाती तो वो टूट जाती | कांच की गेंद भी गिरने पर टूट जाती | रबर की गेंद तो इतनी कीमती भी नहीं थी , गिरने पर टूटती भी नहीं | फिर अगर आप इजाज़त देते तो मैं उसे फिर से उठा लेता और खेल शुरू कर देता | इसलिए मैंने रबर की गेंद को गिर जाने दिया पर मैंने इन  दो गेंदों को टूटने से बचा लिया |

गुरूजी ने उसकी तरफ देख कर कहा ,”  तो फिर निश्चित तौर पर तुम्हें अपने प्रश्न का उत्तर मिल गया |

वो व्यक्ति आश्चर्य से गुरूजी की और देखते हुए बोला ,”कैसे ?

गुरूजी ने शांत स्वर में कहा ,   ” ये तीन गेंदे तुम्हारी तीन प्राथमिकताएं हैं |

चीनी मिटटी की गेंद तुम्हारा स्वास्थ्य तुम्हारा परिवार और तुम्हारे करीब के रिश्तेदार हैं |  ये तुम्हारे जीवन में सबसे कीमती हैं |

कांच की गेंद  तुम्हारा काम तुम्हारी नौकरी  है जो तुम्हें अपनी जरूरतें पूरा करने का धन देती हैं |

रबर की गेंद तुम्हारी लग्जरी हैं … बड़े से बड़ा मकान , महंगी से महंगी कार , महंगे से महंगा मोबाइल ये सब  न भी हों तो तुम्हारा काम चल सकता है |

जब तक संतुलन चलता रहे अच्छी बात है , जब संतुलन न बन पाने लगे तो रबर की गेंद को छोड़ देना चाहिए |

जीवन में ख़ुशी का सारा खेल इन तीन गेंदों का यानी प्राथमिकताओं का है | 

आप खुश क्यों नहीं हैं ? 

 मित्रों , इंसान खुश क्यों नहीं है ? क्योंकि वो संतुलन न बना पाने की स्थिति में चीनी मिटटी की गेंद को छोड़ देता है | यानी वो अपने स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं देता , अपने परिवार व् रिश्तों पर ध्यान नहीं देता | स्वास्थ्य खराब होते ही सब कुछ पाया हुआ बेमानी लगने लगता है |

मोटिवेशनल  गुरु संदीप माहेश्वरी अक्सर कहते हैं जब उन्होंने बहुत पैसा कमा  लिया तब उनका ध्यान अपने स्वास्थ्य पर गया | मोटापा बढ़ गया था , कोलेस्ट्रोल हाई लेवल पर था , परिवार में झगडे होने लगे | रिश्ते टूटने की कगार पर आ गए | ऐसे में उन्हें अंदेशा हुआ की वो रबर की बॉल  को पकड़ने के चक्कर में चीनी मिटटी की बॉल को टूटने दे रहे हैं | जिसके कारण सब परेशानियां आ रही हैं |

उन्होंने तुरंत फैसला लिया कि वो अब रबर की गेंद यानी पैसा और पैसा और लग्जरी को छोड़ेंगे | लेकिन ये काम इतना आसन नहीं था | संदीप माहेश्वरी कहते हैं कि जिस तरह से अपने काम में सफल होने के लिए हमें अपने काम पर फोकस करना सिखाया जाता है , और सफल वही  होता है जो फोकस कर पाता है | उसी तरह जीवन में भी वही सफल हो पाता है जो अपने काम पर फोकस और उससे  डिटैच होने में एक संतुलन बना पाता है |

बहुत से लोग ऑफिस से घर आने के बाद भी अपने काम में फंसे रहते हैं वो न तो बच्चों के साथ खेलते हैं न ही पत्नी को समय देते हैं , और रिश्तों की तो बात ही क्या है ? धीरे धीरे सब रिश्ते उनसे दूर होते जाते हैं और वो एकाकी होते -जाते हैं ( पढ़िए इस आशय की लघुकथा कला ) ये वो लोग हैं जो बहुत नाम और पैसा कमाने के बाद भी खुश नहीं रह पाते |

कभी – कभी ये अनदेखी सारी  उम्र का दर्द बन कर रह जाती है |जैसे की एक पति जो अपनी पत्नी से बहुत प्रेम करता रहा पर काम के चक्कर में अपनी पत्नी की उपेक्षा करता रहा | उसकी पत्नी की मृत्यु हो गयी | वो बहुत सफल हो गया पर उसकी सफलता की ख़ुशी को बांटने वाला कोई नहीं रहा | क्या वो व्यक्ति खुश हो सकता है ? नहीं |

हरिवंश राय बच्चन ने बहुत ही ख़ूबसूरती से इस बात को कहा है …

विश्व करेगा मेरा आदर 
हाथ बढ़ा कर शीश नवा कर 
पर न खुलेंगे नेत्र , पर्तीक्षा में जो रहते थे मतवाले 
बीते दिन कब आने वाले 

 अगर आप अपने जीवन में सब कुछ होते  हुए भी ख़ुशी का अनुभव नहीं कर रहे हैं तो जरूर आपने रबर की गेंद को पकड़ रहा है और चीनी मिटटी की गेंद को टूट जाने दिया है |

स्टीव जॉब्स के अंतिम शब्द 

                              सफलता का पर्याय माने जाने वाले स्टीव जॉब्स जिनका उदहारण हर मोटिवेशनल स्पीकर देता है, ने एक बार कहा था कि दुनिया का सबसे महंगा बेड “sick bed” है | आप अपनी कार  के लिए ड्राइवर हायर कर सकते हैं पर आपके पास कितना भी पैसा हो आप किसी को भी अपनी बिमारी के लिए हायर नहीं कर सकते , ये दर्द आपको खुद झेलना होगा |

आप जिंदगी में कोई भी चीज दुबारा प्राप्त कर सकते हैं सिवाय जिंदगी के 

 उनके अंतिम शब्द थे ,    ” अगर मैं अपनी लाइफ को रीकॉल करता हूँ तो मुझे लगता है कि जिंदगी में मुझे जो नाम और पैसा मिला वो अंत समय मेरे किसी काम का नहीं है |
आज मैं अँधेरे में हॉस्पिटल की ग्रीन लाईट में देख रहा हूँ , मौत पास आती नज़र आ रही है | मैं कहना चाहता  हूँ कि जब आप अपने जीने के लिए पर्याप्त पैसा इकट्ठा कर लेते हैं तो आपको अपने रिश्तों , बचपन के सपनों और अपनी कला पर ध्यान देना चाहिए | हमेशा और लगातार पैसा कमाने की आदत आपको मेरी तरह विकृत इंसान बना देगी |”

देर कैसी आज से ही शुरू करिए …

कहते हैं शुभस्य शीघ्रम … अर्थात नेक काम में देरी नहीं करी चाहिए |

अपने काम को पूरी श्रद्धा से करिये क्योंकि उसी से आपके जीवन की आवश्यकताए पूरी होंगी , आपका काम आप की पहचान है , साथ ही आपका काम वो जिम्मेदारी भी है जिसे पूरा करने आप दुनिया में आये हैं |

तो क्या आज आपने ख़ुशी -ख़ुशी अपना काम किया ?

आप की सेहत और आपका ‘मी टाइम ‘ भी बहुत जरूरी है | अभी आप् भले  ही एक्स्ट्रा और एक्स्ट्रा के पीछे भाग लें पर जब शरीर ही स्वस्थ नहीं रहेगा तो बेसिक काम भी नहीं कर पायेंगे | आज आप ढेर सारी  मिठाइयाँ अपने पेट को गोदाम समझ कर भर रहे हैं तो कल फीका खाना खाने को मजबूर हो जायेंगे | ‘मी टाइम ‘ मानसिक स्वास्थ्य के लिए है | स्ट्रेस मीठा जहर है जो आपको कभी शांत व् खुश रहने नहीं देगा | इसलिए मानसिक स्वास्थ्य के लिए कुछ अच्छा पढ़िए , सुनिए मेडिटेशंन  करिए |

तो क्या  आज आपने वाक या एक्सेरसाइज की , ध्यान किया ?

मनुष्य एक भावनात्मक प्राणी है | उन सफलताओं का कोई मतलब नहीं है , जिन्हें बांटने वाला कोई न हो , बीमार हो सेवा के लिए नर्स लगा ले पर आपके घर का कोई सदस्य आपके सर पर प्यार से हाथ फेरने को उपस्थित न हो | एक प्रसिद्द ब्लॉगर ने एक बार लिखा था कि अत्यधिक काम और घर से काम करने के कारण उसके घर वाले उससे दूर होते जा रहे हैं ( क्योंकि जब आप घर से काम करते हैं तो अपने को काम से अलग नहीं कर पाते और घंटों बस काम ही करते रहते हैं – पढ़िए सम्बंधित लेख ) पास -पड़ोस में उसे कोई पहचानता नहीं था , दोस्तियाँ कमजोर पड़ने लगीं कभी किसी फंक्शन में दोस्तों से मिलना भी हुआ तो ताज़ा घटनाओं की जानकारी न होने के कारण एलियन सा महसूस हुआ | इसलिए ऑफिस का टेंशन ऑफिस में छोड़ कर आइये और घर का समय रिश्तों को दीजिये |

तो क्या आज आप बच्चों के साथ खेले ?
माँ के साथ सुख -दुःख की बात की ?
पत्नी के साथ थोड़ी देर बैठ कर दिन भर का ब्यौरा  लिया ?

                                        इन सरे उत्तरों को ज्यादा से ज्यादा हाँ में करिए | ये कांच की और चीनी मिटटी की बॉल्स हैं |  इन्हीं में आपकी ख़ुशी छिपी है | रबर की बल आपकी प्राथमिकता में अंतिम होनी चाहिए |इसे तभी उठाइए जब आप तीनों को संतुलन में रख पा रहे हों |

वंदना बाजपेयी

यह भी पढ़ें …

संकल्प लो तो विकल्प न छोड़ो

समय पर निर्णय का महत्व

समय पर काम शुरू करने के लिए अपनाइए 5 second rule

खुद को अतिव्यस्त दिखाने का मनोरोग


क्या आप अपनी मेंटल हेल्थ का ध्यान रखते हैं


आपको तीन  गेंदों में छिपा है आपकी ख़ुशी का राज कैसे लगा  अपनी राय से हमें अवगत कराइए | हमारा फेसबुक पेज लाइक करें | अगर आपको अटूट बंधन  की रचनाएँ पसंद आती हैं तो कृपया हमारा  फ्री इ मेल लैटर सबस्क्राइब कराये ताकि हम अटूट बंधनकी लेटेस्ट  पोस्ट सीधे आपके इ मेल पर भेज सकें |

filed under- Happiness, Balance life, work -life balance, true happiness

1 thought on “तीन गेंदों में छिपा है आपकी ख़ुशी का राज”

  1. वंदना जी,खुशी पाने के रहस्य को तीन गेंदों वाली कहानी के माध्यम से बहुत ही खूबसूरती से समझाया हैं आपने। बहुत सुंदर।

    Reply

Leave a Comment