Students “Adult Content ” addiction से कैसे निकलें

                     

Students "Adult Content " addiction से कैसे निकलें

   इस विषय पर लिखने का मन मैंने तब बनाया जब मेरे पास अमित ( परिवर्तित नाम ) की समस्या आयी | क्लास 6 th तक अमित एक पढने में होशियार , क्लास में फर्स्ट आने वाला , मासूम सा बच्चा था | एक दिन क्लास में दोस्तों ने ऐसा कुछ बताया की जिज्ञासा जगी , पर वो बीज वहीँ पड़ा रह गया | एक दिन किसी म्यूजिक वीडियो को देखते समय एक ऐड क्लिक हो गया और उसके सामने वो संसार खुल गया जो उसके लिए बिलकुल नया था | शुरू की जिज्ञासा धीरे -धीरे आदत बनने लगी | रोज उसकी  किशोर अँगुलियाँ उन साइट्स को क्लिक  कर ही देतीं  जो  “adult content ” था | इसमें कोइ  आश्चर्य नहीं कि घर में किसी को इसका पता नहीं चला ,क्योंकि किसी के आने की आहट  सुनते ही वो पहले से खुली स्टडी मैटीरियल की साईट पर क्लिक कर देता | माता -पिता समझते कि बच्चा पढ़ रहा है , पर अमित पढाई में पिछड़ने लगा | फर्स्ट आने वाला बच्चा  बस पास होने लगा | उसके  अन्दर अपराध बोध भी होता था पर वो किसी शराबी की तरह  हर रोज उसी और दौड़ जाता |  अमित नवीं कक्षा में फेल हो गया | तब जा के अमित को होश आया | उसने डरते हुए अपनी समस्या अपने पिता को बताई | पहले तो उसके पिता के आश्चर्य की कोई सीमा नहीं रही , माता -पिता एक दूसरे पर बच्चे पर ध्यान न देंने का आरोप लगाते रहे | अंत में उन्होंने क्लिनिकल साइकोलोजिस्ट  को दिखाया | अमित इस  adiction से बाहर निकला | उसने अपनी पढाई को फिर से संभाला और अच्छे  नंबरों से पास होने लगा |

Students “Adult Content ” addiction से  बाहर कैसे निकलें 

                                       हर बच्चा जो इस अँधेरी गुफा में घुस जाता है , वो अमित की तरह निकल नहीं पाता और अपनी शिक्षा के बेहतरीन वर्ष  ” adult content” की भेंट चढ़ा सारा जीवन पछताता है | किशोर व् नव युवा उम्र के वो ८ , ९ साल हैं जो उसकी जिंदगी के बाकी ५० सालों का भविष्य तय करते हैं | अक्सर बड़े ऐसी समस्याओं के सामने आने पर बच्चों को रास्ता दिखाने के स्थान पर ” हमारे समय में तो ऐसा नहीं होता था ” कह कर इतिहास पढ़ने लगते हैं | जिसका  कोई भी फायदा नहीं | वो समय दूसरा था | ये आज की समस्या है और इसका सामाधान भी आज ही निकालना  होगा | मनोवैज्ञानिक अतुल भटनागर जी के अनुसार जो बच्चे ” adult content addiction” में फंस गए हैं , वो भी थोड़े से प्रयास से  इससे निकल सकते हैं  और पुन: अपना कैरियर व् भविष्य बना सकते हैं |

क्यों होता है “Adult content addiction”

                                      ये सच है कि आज के ज़माने में बच्चों को इन्टरनेट से दूर नहीं रखा जा सकता | ये ज्ञान का भण्डार है |  उन्हें मनोरंजन , स्कूल के प्रोजेक्ट व् अन्य जानकारी के लिए इसकी बहुत जरूरत है | वहीँ ये भी सच है कि इन पोर्न  साइट्स पर पहली क्लिक जिज्ञासा में या अनजाने में होती है ,  पर धीरे -धीरे आदत में शुमार हो जाती है | बच्चों को  उसे नशे में बदलने से रोकना ही होगा |  इसके लिए जरूरी है कि ये समझा जाए कि ” Adult content addiction क्यों होता है | दरअसल  विकास के साथ -साथ “human mind ” में बहुत सारे परिवर्तन हुए | जिस तरहसे  हम अपने पोस्ट को अपडेट करते हैं वैसे ही इसान का दिमाग पुराने जीवों के दिमाग का अपडेटिड वर्जन है | वैज्ञानिकों के अनुसार  दिमाग की तीन लेयर हैं , जो पुरानी लेयर से अपडेट होकर बनी हैं ….

पहली लेयर रेपटिलीयन काम्प्लेक्स  – यानि रेपटीलिया का दिमाग ( सांप आदि रेंगने वाले जीव )
 दूसरी लेयर -पैलियोमैमेलियन काम्प्लेक्स – कुछ निचले स्तर के स्तनधारी जीव का दिमाग

तीसरी लेयर -नीओमैमेलियन काम्प्लेक्स  ( ऊँचे  लेवल के मैमल का दिमाग , जैसे मनुष्य का वर्तमान दिमाग जो की पिछली दो लेयर का अपडेटेड वर्जन है |

रेपटी लियन ब्रेन वो ब्रेन है जो सेक्सुअली ओरिएंटेड होता है |
पैलियोमैमेलियाँ ब्रेन वो ब्रेन है जो क्षणिक सुख को देखता है , वो बहुत दूर तक भविष्य के फायदे , नुक्सान को सोंच नहीं पाता | 


नीओ मैमेलियन ब्रेन वो ब्रेन है जो भविष्य की योजनायें बनाता है , भविष्य के बड़े सुखों के लिए छोटे सुखों को त्याग सकता है | यह प्रायोरिटी बेसिस पर काम करता है | इसके लिये परिवार , नौकरी , शिक्षा , कैरियर ज्यादा महत्वपूर्ण है | 

                               जब भी कोई porn content सामने आता है तो रेपटीलियन  और नीयो मैमेलियन लेयर एक्टिव हो जाती हैं और पैलियो मैमेलियन ब्रेन से सारा कण्ट्रोल अपने  हाथ में ले लेती हैं | जैसे ही इंस्टेंट प्लेजर का एक राउंड खत्म होता है  पुन : कण्ट्रोल पैलियोमेमिलीयन ब्रेन के हाथ में आ जाता है तब स्टूडेंट  को गिल्ट महसूस होती है उसे लगता है उसने बेकार में अपना समय ख़राब किया | इसके कुछ और भी नुक्सान हैं जैसे स्वाभाव में चिडचिड़ापन आता है , दिमाग फ़ोकस नहीं कर पाता , पढने से ध्यान हट जाता है , और छोटी छोटी बातों  भूलने लगता है |

            फिर भी स्टूडेंट कंट्रोल नहीं कर पाता , रोज देखता है और ये उसकी आदत बन जाती है | ये एक नशे की तरह है | परतु जैसे दूसरे नशे छुडाये जाते हैं इसे भी छोड़ा जा सकता है बस थोड़ी सी संकल्प शक्ति  बढ़ानी होगी |

students “Adult Content ” addiction ऐसे बाहर निकलें 

एडल्ट कंटेंट एडिक्शन से निकलने के लिए स्टूडेंट्स कुछ तरीके इस्तेमाल कर सकते हैं | ये सभी तरीके मनो वैज्ञानिकों द्वारा सुझाए गए बहुत कारगर तरीके हैं | 

अपने कम्प्यूटर से वो सारा मैटीरियल डिलीट करें  

आपने जिस पेन ड्राइव , डीवीडी , हार्ड ड्राइव में या कोई फोल्डर  में वो मैटिरियल छुपा कर रखा है उसे डिलीट कर दें | डिलीट करते समय एक बार मन में ख्याल आएगा कि ये क्या कर रहे हैं , कहाँ से ढूंढ -ढूंढ कर इसे सेव किया था पर इसके अतिरिक्त कोई और उपाय नहीं है | जैसे की अगर आप को मिठाई पसंद  है और आप मिठाई का डिब्बा अपनी आँखों के सामने रखेंगे तो आप से कंट्रोल नहीं होगा | अगर मिठाई घर में ही न हो तो थोड़ी देर मन चलेगा फिर खुद ब खुद ध्यान हट जाएगा | इसी तरह जब आप के पास ऐसा मैटिरियल सेव ही नहीं होगा तो फिर आप  मन चलने पर भी देख नहीं पायेंगे |

इन्टरनेट फिल्टर्स को डाउन लोड करें 

                                                     इन्टरनेट ने ही  स्टूडेंट्स को पोर्न का आदी  बनाया है वो ही इसे रोकने में भी मदद करता है | बहुत से ऐसे एप हैं जो ” adult content” को ब्लाक करते हैं | जैसे …

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                          ये सारे एप उस  ADULT CONTENT  को ब्लाक कर देंगे , अब आप चाहे जितना मर्जी इन्टरनेट पर बैठिये ऐसी साईट  आपकी आँखों के सामने आयेंगी ही नहीं | तो आपका मन इंस्टेंट प्लेजर के लिए भागेगा ही नहीं |

कोई हॉबी डेवेलप  करें 

                                       इन साइट्स की तरफ बच्चे इसलिए आकर्षित होते हैं क्योंकि उनके पास खाली समय  होता है , खाली समय में वो अगर कोई हॉबी डेवेलप कर लें जैसे गाना गाना , पेंटिंग , डांस , कोई वाध्य यंत्र बजाना आदि तो उनका धयान उस तरफ जाएगा ही नहीं और आदत छूट जायेगी | वैसे बच्चे
 अपने परिवार के साथ खली समय में क्वालिटी टाइम भी बिता सकते हैं |  इससे रिश्तों की बोन्डिंग भी अच्छी होगी |

मेडिटेशन करें 

                       ध्यान या मेडिटेशन विचारों पर कण्ट्रोल सिखाता है , रोज सुबह दस मिनट का ध्यान काफी परिवर्तन ला सकता है | स्टूडेंट्स को ही सबसे ज्यादा मेडिटेशन की जरूरत होती है क्योंकि उनका किशोर मन ज्यादा भटकता है |

कोई ऊँचा लक्ष्य निर्धारित करें 

                                          अगर आपको क्रिकेट खेलना हो और कुछ घंटे बाद एग्जाम हो तो क्या आप वो समय खेलने में व्यर्थ करेंगे , नहीं क्योंकि आप को पता है की एग्जाम का लक्ष्य जीतना ज्यादा जरूरी है | इसी तरह से जब आप जीवन के अपने लक्ष्य ऊँचे  रखेंगे तो आप का ध्यान इस ओर न जाकर अपमे लक्ष्य में ही लगा रहेगा | एक कहावत है …

develop the higher taste to discard the lower one 


                        मनुष्य जीवन में सुख के चार स्तर होते हैं  शरीर के स्तर पर , मन के स्तर पर , बुद्धि के स्तर पर व् आत्मा के स्तर पर | ये सुख क्रमवार ऊपर की और जाते हैं | जिसे बुद्धि के सुख की आदत लग गयी उसका ध्यान शारीरिक सुखों पर कम जाएगा | विद्यार्थी जीवन में पढाई पर ध्यान  लगा कर मन को भटकने से रोका जा सकता है  पढाई पर बहुत ध्यान लगे इसके लिए कुछ बनने का सपना देखना पड़ेगा | कोई लक्ष्य सामने होगा तो  उसी में दिन रात लगना  पड़ेगा तब शारीरिक स्तर पर मिलने वाले  सुखों की ओर ध्यान ही नहीं जाएगा |

                       तो स्टूडेंट्स ये थे कुछ टिप्स जिन्हें अपना कर आप adult content addiction से बच सकते हैं | याद रखिये विद्यार्थी जीवन बहुत महत्वपूर्ण है , इसी पर आप का पूरा भविष्य निर्भर है |

वंदना बाजपेयी
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