किसी को दुःख हो तकलीफ हो तो कौन नहीं रोता है | अपना दर्द अपनों से बाँट लेने से बेहतर दवा तो कोई है ही नहीं, पर ये लेख उन लोगों के लिए है जो हमेशा रोते रहते हैं | मतलब ये वो लोग हैं जो राई को पहाड़ बनाने की कला जानते हैं पर अफ़सोस शुरुआती सहानुभूति के बाद उनकी ये कला उन्ही के विरुद्ध खड़ी नज़र आती है | ये वो लोग हैं जिनको जरा सी भी तकलीफ होगी तो ये उसको ऐसे बढ़ा चढ़ा कर प्रस्तुत करेंगे जैसे दुनिया में इससे बड़ी कोई तकलीफ है ही नहीं | कई बार तो आप महसूस करेंगे कि आप के 104 डिग्री बुखार के आगे उनका 99 डिग्री बाजी मार ले जाएगा | लेकिन अगर आप या आप का कोई प्रिय इस आदत से ग्रस्त है तो अभी भी मौका है … सुधर जाइए |
उनके लिए जो हमेशा रोते रहते हैं ?
आइये सबसे पहले मिलते है राधा मौसी सी | यूँ तो वो किसी की मौसी नहीं है पर हम सब लाड में उन्हें मौसी कहते हैं |एक बार की बात है राधा मौसी अपनी सहेली के घर मिलने गयीं | सहेली के
घर वो जितनी देर बैठी रहीं उन्हें एक कुत्ते के रोने की आवाज़ आती रही | उन्होंने अपनी
सहेली से कहा | पर वो ऊँचा सुनती थी इसलिए उसने उन्होंने कहा कि उसे तो सुनाई नहीं दे
रहा है | राधा मौसी बहुत परेशान हो गयीं | उसके दो कारण थे एक तो कुत्तों का रोना
अपशकुन माना जाता है | दूसरे वो कुत्तों से बहुत प्यार करती थीं | हालांकि
उन्होंने कुत्ते पाले नहीं थे पर गली के कुत्तों को वो रोज दूध रोटी खिलाती | गली के सब कुत्ते भी उनसे हिल मिल गए थे |
मनुष्य और जानवर का रिश्ता कितनी जल्दी सहज बन जाता है मुहल्ले वालों के लिए इसका उदाहरन राधा मौसी बन
गयीं थीं |
खैर राधा मौसी को इस तरह वहां बैठ कर लगातार कुत्ते के रोने की आवाज़
सुनना गवारां नहीं हो रहा था | राधा मौसी
ने सहेली से विदा ली और आवाज़ की दिशा में आगे बढ़ ली | आवाज़ का पीछा करते –करते वो एक घर में पहुंची | घर की बालकनी में एक महिला
चावल बीन रही थी | वहीँ एक कुत्ता उल्टा
लेटा रो रहा था |
राधा मौसी ने उस महिला से
कहा , “ क्या ये आप का कुत्ता है ? महिला ने हाँ में सर हिलाया | राधा मौसी ने फिर
पुछा ये क्यों रो रहा है ? महिला ने लापरवाही दिखाते हुए कहा , “ कोई ख़ास बात नहीं
है , इसकी तो आदत है , ये तो रोता ही रहता है |
राधा मौसी को ये बात बहुत अजीब लगी | उन्होंने कुत्ते को देखा | वो अभी भी
रो रहा था | उसके रोने में दर्द था | राधा मौसी से रहा नहीं गया उन्होंने फिर कहा
, “ ये ऐसे ही नहीं रो रहा , देखिये तो जरूर कोई बात है | वो महिला बोली , “ जी ,
दरअसल इसकी पीठ में जमीन पर पड़ी एक छोटी सी कील चुभ रही है | अब तो राधा मौसी का हाल बेहाल हो गया
| उन्होंने उस महिला को सुनाना शुरू कर दिया , “ कैसी मालकिन है आप , आप के
कुत्ते के कील चुभ रही है और आप मजे से चावल चुन रहीं हैं , आप देखती नहीं कि आपके कुत्ते को दर्द हो रहा है |
महिला चावल बीनना रोक कर उनकी तरफ देख कर इत्मीनान से बोली , ” अभी इसे इतना दर्द नहीं हो रहा है |
अब चुप रहने की बारी राधा मौसी की थी |
मित्रों , ये कहानी सिर्फ राधा मौसी और उस महिला की नहीं है | ये कहानी हम सब की है | इस कहानी के दो मुख्य भाग हैं ….
1) अरे ये तो रोता ही रहता है |
2) अभी दर्द इतना नहीं हो रहा है |
हम इनकी एक-एक करके विवेचना करेंगे |
अरे ,ये तो रोता ही रहता है
बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो हर समय अपना रोना रोते रहते हैं | सुख और दुःख जीवन के दो हिस्से हैं | हम सब के जीवन में ये आते रहते हैं | पर कुछ लोग केवल अपने दुखो का ही रोना रोते रहते हैं | ऐसे लोग सिम्पैथी सीकर होते हैं | उनके पास हमेशा एक कारण होता है कि वो आप से सहानभूति ले | उन्हें इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि अगले के जीवन में इस समय क्या दुःख चल रहा है |
श्रीमती शर्मा जी को ही लें | कॉलोनी में सब उन्हें महा दुखी कहते हैं | क्योंकि वो हर छोटी से छोटी घटना से बहुत परेशान हो जाती हैं और हर आने जाने से उसकी शिकायत करने लगती हैं | श्रीमती गुप्ता हॉस्पिटल में एडमिट थीं | हम सब का उनको देखने जाने वाले थे | श्रीमती शर्मा से भी पूंछा , उनके पैरों में दर्द था , मसल पुल हो गयी थी | उन्होंने कहा, “आप लोग जाइए मैं थोड़ी देर में आउंगी” | उन्होंने श्रीमती गुप्ता की बीमारी का कारन भी नहीं पूंछा | हम सब जब वहां थे , तभी वो हॉस्पिटल आयीं और लगीं अपने पैर की तकलीफ का रोना रोने | इतना दर्द , उतना दर्द , ये दवाई वो दवाई आदि -आदि | काफी देर चर्चा करने के बाद उन्होंने पूंछा , ” वैसे आपको हुआ क्या है ? श्रीमती गुप्ता ने मुस्कुरा कर कहा , ” मुझे नहीं पता था आप इतनी तकलीफ में हैं , मुझे तो बस कैंसर हुआ है |
इस जवाब को सुन कर आप भले ही हंस लें पर आप को कई ऐसे चेहरे जरूर याद आ गए होंगे जो हमेशा अपना रोना रोते रहते हैं | ऐसे लोगों से ज्यादा देर बात करने वालों को महसूस होता है कि उनकी सारी उर्जा खत्म हो गयी | अगर आप भी उनमें से एक हैं तो संभल जाइए , ऐसे लोग समाज में लोकप्रिय नहीं होते | सभी उनसे दूर भागते हैं | और ईश्वर न करे कभी ऐसी गंभीर परिस्थिति आ गयी तो लोग उनकी समस्याओं के प्रति उदासें ही रहते हैं , उन्हें लगता है , ” अरे ! ये तो रोते ही रहते है |
अभी दर्द इतना नहीं हो रहा है |
ऊपर वाली कहानी में अगर फर्श पर पड़ी कील उस कुत्ते के इतनी ही चुभ रही थी तो वो उठ सकता था | वो वहीँ पड़ा रहा … क्यों , क्योंकि उसके उतना दर्द नहीं हो रहा था , वो बस रो रहा था | कोई उपाय नहीं कर रहा था |
अक्सर हमें ऐसे लोग मिलतें हैं जो बहुत समस्याएं बताते हैं | उनके बताने का तरीका ऐसा होता है कि लगता है वो बहुत मुसीबत में है | ऐसे में अगर आप उन्हें कोई सलाह दें या हाथ पकड कर उस समस्या से निकालना चाहे तो वो नहीं निकलना चाहेंगे | क्योंकि उन्हें पता होता है कि समस्या इतनी बड़ी नहीं है |
५५ वर्षीय मधु घर के काम आराम से करती थी | तभी बेटे की शादी हुई और बहु अपने पति के साथ बोकारो चली गयी, जहाँ बेटा नौकरी करता था | उन्होंने हर आने जाने वाले से कहना शुरू कर दिया , ” उनके तो भाग्य ही ऐसे हैं , उन्हें तो बुढापे में भी काम करना पड़ रहा है | लोग कहते दिक्कत है तो बहु को कुछ दिन अपने पास बुला लो या खाना पकाने वाली लगा लो | अरे मेरे इतने भाग्य कहाँ ? लोगों को भी लगता कैसे पति हैं , कैसे बेटे -बहु हैं जो उनका ख्याल नहीं रख रहे | उनसे ज्यादा तो हम उनके बारे में सोच रहे हैं | करते -करते १५ -१६ साल बीत गए | एक दिन वो गिर पड़ीं | पैर की हड्डी टूट गयी | आनन् -फानन में बेटा बहु आये | कुछ दिन बहु ने उनके साथ रह कर बच्चो की तरह उनकी सेवा करी फिर उन्होंने खाना पकाने वाली एक पूर्णकालिक कामवाली भी लगा ली | क्योंकि अब दर्द वास्तव में इतना हो गया कि मदद की जरूरत थी |
कई बार हम इसलिए भी रोते रहते हैं कि फलाना तो इस तकलीफ से विद्रोह करके निकल गया और हम अभी तक यहीं पिस रहे हैं | क्या उस समय थोडा रुक कर ये नहीं सोच सकते कि हो सकता है कि समान दिखने वाली उसकी तकलीफ वास्तव में सहन शक्ति से बाहर हो गयी हो , जबकि हमारी तकलीफ के साथ कुछ पॉजिटिव पॉइंट्स भी होंगे जिस कारण हम विद्रोह कर के नहीं निकल रहे हैं |
जो भी हो | इस दुनिया में कौन ऐसा है जिसने जीवन में कभी दुःख न झेला हो ऐसे में हर समय अपनी ही परेशानियों का रोना रोते रहने से से धीरे -धीरे आप सहानुभूति ही नहीं दोस्ती और रिश्ते भी खो देंगे | और इतने अकेले होते जायेंगे कि रोये या हँसे किसी को कोई फर्क नहीं पड़ेगा | रिश्तों को बनाये रखने के लिए जरूरी है कि सिर्फ अपनी ही न सुनाये , दूसरों की भी सुने … तभी आपको पता चलेगा कि किसी दूसरे को आपसे ज्यादा मदद या सहानुभूति की जरूरत है |
वंदना बाजपेयी
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सहमत …
हमेशा रोते रहने से कुछ नहीं होता … अपने दर्द को भी ज़्यादा बाँटने से लोग मजाल उड़ाते हैं …
धन्यवाद दिगंबर जी