प्रेरक कथा -मैं तुम्हें हारने नहीं दूँगा , माँ
बेटा फोन उठाओ ना , तीसरी बार जब पूरी रिंग के बाद भी बेटे वैभव ने फोन नहीं उठाया तो मधु की आँखों से गंगा -जमुना बहने लगी , दिल तेजी से धड़कने लगा …. कुछ अनहोनी तो नहीं हो गयी | आज ही IIT का रिजल्ट आया है और वैभव का सिलेक्शन नहीं हुआ था |
रिजल्ट वैभव ने घर पर ही देखा था पर उसे बताया नहीं , दोस्तों से मिल कर आता हूँ माँ कह कर तीर की तरह निकल गया |
उसने सोचा था अभी रिजल्ट नहीं निकला होगा … थोड़ी देर में आकर देखेगा | वो तो जब बड़ी बेटी घर आई और वैभव के रिजल्ट के बारे में पूंछने लगी तो उसका ध्यान गया | बड़ी बेटी ने ही लैपटॉप खोल कर रिजल्ट देखा …. वैभव का सिलेक्शन नहीं हुआ था | उसी ने बताया रिजल्ट तो दो घंटे पहले निकल गया था |
ओह … उसे माजरा समझते देर ना लगी …. वैभव ने रिजल्ट देख लिया , इसीलिये दुखी हो कर वो घर से बाहर चला गया | मधु का दिल चीख पड़ा … कितनी मेहनत की थी उसने , पिछली बार तो जब IIT में रैंक पीछे की आई थी तो उसने ही ड्राप कर रैंक सुधारने का फैसला लिया था | उसने बेटे की ख़ुशी में ही अपनी ख़ुशी समझ कर हाँ कर दी थी , पति विपुल की मृत्यु के बाद और था ही कौन जिससे वो राय मशविरा करती |विपुल जब उसके ऊपर तीनों बच्चों को छोड़ दूसरी दुनिया चले गए थे , तब आगे के कमरे में केक बना कर अपना व् बच्चों का गुज़ारा चलाते हुए उसने कभी बच्चों को किसी तरह की कमी महसूस नहीं होने दी | बस यही प्रयास था बच्चे पढ़ लिख कर काबिल बन जाएँ | वैभव सबसे बड़ा था , उसके बाद दो बेटियाँ … वो अकेली कमाने वाली |
उसने वैभव पर कभी दवाब भी नहीं डाला था पर वैभव खुद ही चाहता था कि वो बहुत आगे बढे , जीते और अपनी माँ का नाम ऊँचा करे | इसी लिए तो दिन -रात पढाई में लगा रहता … न खाने की सुध न सोने की | जब भी वो कुछ कहती तो उसके पास एक ही उत्तर होता ,
” मैं तुम्हें हारने नहीं दूँगा , माँ ”
तो क्या वैभव इस हार को बर्दाश्त न कर के …. नहीं नहीं , ऐसा नहीं हो सकता सोचकर उसने फिर से फोन मिलाना शुरू किया | उसकी आँखों के सामने वो सारी खबरे घूमने लगीं जो उन बच्चों की थीं जिन्होंने परीक्षाफल से निराश होकर अपनी इहलीला समाप्त कर ली थी | उनमें से कई अच्छे लेखक बन सकते थे , कई इंटीरियर डेकोरेटर कई अच्छे शेफ …. पर …वो सब एक हार से पूरी तरह हार गए | उसकी आँखों के आगे उन रोती -बिलखती माओं के चेहरे घूमने लगे | आज क्या दूसरों की खबर उसकी हकीकत बन जायेगी … नहीं … उसने और तेज़ी से फोन मिलाना शुरू किया |
तभी दरवाजे की घंटी बजी | वो बड़ी आशा से दरवाजा खोलने भागी | छोटी बेटी थी | माँ को बदहवास देखकर वो सहम गयी | बड़ी ने छोटी को संभाला | मधु ने निश्चय किया कि वो पुलिस को खबर कर दे | बहुत हिम्मत करके उसने दरवाजा खोला …. सामने वैभव खड़ा था | उसने रोते हुए वैभव को गले लगा लिया | दोनों बहने भी वैभव के गले लग गयी |
सब को देख कर हड्बड़ाये हुए वैभव ने पुछा , ” क्या हुआ है माँ … सब ठीक तो है , आप लोग इतने परेशान क्यों हैं |
मधु ने रोते हुए सब बता दिया |
ओह !कह कर वैभव बोला , ” माफ़ करना माँ मैंने इस बात पर ध्यान ही नहीं दिया | मैंने सोचा मैंने तो तुम्हें रिजल्ट बताया नहीं है , ये सच है कि जब मैंने देखा कि मेरा सिलेक्शन नहीं हुआ है तो मुझे धक्का लगा फिर मैंने देखा मेरा दोस्त निशान जिसने मेरे साथ ही ड्राप किया था उसका भी सिलेक्शन नहीं हुआ है | मुझे याद आया उसने दो दिन पहले ही कहा था कि अगर मेरा सेलेक्शन नहीं हुआ तो मैं गंगा बैराज से कूद कर जान दे दूँगा | उसी घबराहट में मैं उससे बात करने के लिए घर से निकल गया | वो अपने घर से जा चुका था , बाहर बारिश हो रही थी | फोन भीग न जाए इसलिए मैंने फोन उसके घर साइलेंट पर करके रख दिया और निशान को खोजने निकल पड़ा |
मैं उसके कहे के अनुसार गंगा बैराज पर पहुंचा …. निशान वही था … वो कुछ लिख रहा था | मैंने जल्दी से जा कर उसे गले लगाया , हम दोनों देर तक रोते रहे |
जब चुप हुए तो मैंने उसे समझाया , ” मूर्ख क्या करने चला था , कभी सोचा अपनी माँ के बारे में , तुझसे ये हार सहन नहीं हो रही और वो तेरा दुःख भी झेलेंगी और सारी जिन्दगी ये हार झेलेंगी की वो एक अच्छी माँ नहीं हैं | लोग तो यही कहेंगे ना कि माता -पिता बहुत दवाब डालते थे … जान ले ली अपने ही बच्चे की | तुझे केवल अपनी हार दिखी उनकी हार नहीं दिखी |
निशान फिर रोने लगा , ” हां , सच कहा , मैं स्वार्थी हो गया था … उस समय मुझे अपने आलावा कुछ नहीं दिख रहा था | जीवन है तो फिर जीत सकते हैं … लेकिन मेरे माता -पिता जो हारते वो कभी ना जीत पाते |
मधु अपने बेटे की मुँह से ऐसे बात सुन कर रोने लगी |
वैभव उसके पास आ कर बोला , ” माँ , तुम्हारे लिए भी तो आसान था जब पिताजी छोड़ कर चले गए थे और किसी ने हमें सहारा नहीं दिया था तो खुद को खत्म कर लेना या हम तीनों के साथ खुद को खत्म कर लेना … पर तुमने हिम्मत नहीं हारी … तुमने हमें हारने नहीं दिया , तो मैं कैसे तुम्हें हारने दूँगा | माँ IIT नहीं तो क्या ? मैं मेहनत करूँगा और एक दिन इस हार को जीत में बदल कर दिखा दूँगा |
मैं तुम्हें हारने नहीं दूंगा , माँ
मधु के साथ-साथ दोनों बहनों ने भी मुस्कुरा कर एक स्वर में कहा … “आमीन “
विशेष –बच्चों ये जिन्दगी अनमोल है | किसी एक परीक्षा की असफलता इसे पूरी तरह से हरा नहीं सकती | जब तक जीवन है , बहुत परीक्षाएं हैं , बहुत मौके हैं … लेकिन अगर जीवन नहीं है तो कुछ भी नहीं हो सकता | इसलिए ये मान कर चलो हमेशा हार तुम्हारी नहीं होगी , क्योंकि तुम्हारा प्रयास हारा है तुम नहीं |
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dhnyvad jyoti ji