रिश्ते टूट जाते पर यादे साथ नहीं छोडती | इतना अंतर अवश्य है जो कभी फूल से सुवास देती है वो विछोह के बाद नागफनी के काँटों सी गड़ती हैं | टूट कर भी नहीं टूटते ये सबंध
सबंध
तुम्हारा मेरा “संबंध”….
माना की भूल जाना चाहिए था,
मुझे अब तक……!
माना की भूल जाना चाहिए था,
मुझे अब तक……!
पर लगता है एक शून्य अब भी है,
जो बिना कहे सुने पल रहा है
हमारे बीच……!
जो बिना कहे सुने पल रहा है
हमारे बीच……!
आज वही शून्य मुझसे कह रहा है,की
वह सब यदि मुझे भुला नहीं ,तो
भूल जाना चाहिए अवश्य
एकदम अभी, आज ही, इसी वक़्त..
वह सब यदि मुझे भुला नहीं ,तो
भूल जाना चाहिए अवश्य
एकदम अभी, आज ही, इसी वक़्त..
पर उन यादों को मिटाना क्या आसान है….???
जो नागफनी की तरह
मेरे “मन” के हर कमरे में
फर्श से लेकर दीवारों तक फैले हैं…
जिसका दंश रह-रह कर शूल सा
चुभता रहता है…!!
जो नागफनी की तरह
मेरे “मन” के हर कमरे में
फर्श से लेकर दीवारों तक फैले हैं…
जिसका दंश रह-रह कर शूल सा
चुभता रहता है…!!
याद है…?
तुम हमेशा कहा करते थे
नागफनी तो सदाबहार होती है…!
————————–
शायद इसलिए सदाबहार की तरह छाये रहते हो मेरे मन- मस्तिष्क पर ..।
तुम हमेशा कहा करते थे
नागफनी तो सदाबहार होती है…!
————————–
शायद इसलिए सदाबहार की तरह छाये रहते हो मेरे मन- मस्तिष्क पर ..।
-नंदा पाण्डेय
रांची (झारखंड)
रांची (झारखंड)
यह भी पढ़ें …
आपको “ सबंध “ कैसे लगी | अपनी राय अवश्य व्यक्त करें | हमारा फेसबुक पेज लाइक करें | अगर आपको “अटूट बंधन “ की रचनाएँ पसंद आती हैं तो कृपया हमारा फ्री इ मेल लैटर सबस्क्राइब कराये ताकि हम “अटूट बंधन”की लेटेस्ट पोस्ट सीधे आपके इ मेल पर भेज सकें |
filed under: , poetry, hindi poetry, kavita, relation, relationship