पति -पत्नी के प्रेम का प्रतीक करवाचौथ का व्रत सुहागिनें निर्जल रहा करती हैं और चंद्रमा पर जल का अर्घ्य चढ़ा कर ही जल ग्रहण करती हैं | समय के साथ करवाचौथ मानाने की प्रक्रिया में कुछ बदलाव भी आये पर मूल में प्रेम ही रहा | आज उसी प्रेम को चार काव्य अर्घ्य के रूप में समर्पित कर रहे हैं |
करवा चौथ पर चार काव्य अर्घ्य
१—
जोड़ियाँ
कहते हैं
बनती हैं जोड़ियाँ
ईश्वर के यहाँ
आती तभी
धरती पर
पति-पत्नी के रूप में..!
ईश्वर के
वरदान सदृश
बंधे हैं जब
इस रिश्ते में
तो आओ आज
कुछ अनुबंध कर लें…!!
जैसे हैं
बस वैसे ही
अपना कर
एक-दूजे को
साथ चलते रहने का
मन से प्रबंध कर लें….!!!
अपने “ मैं” को
हम में मिला कर
पूरक बनने का
दृढ़ संबंध कर लें…..!!!!
पति-पत्नी के साथ ही
आओ
कुछ रंग
बचपन के
कुछ दोस्ती के
कुछ जाने से
कुछ अनजाने से
आँचल में भर कर
इस प्यारे से रिश्ते को
और प्यारा कर लें…..!!!!!
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२–
करवाचौथ पर
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मीत!
सुना तुमने..?
बन रहा
इस बार
विशेष संयोग
सत्ताइस वर्षों बाद
इस करवाचौथ पर….!
मिलेंगी जब
अमृत सिद्धि
और स्वार्थ सिद्धि
देंगी विशेष फल
हर सुहागिन को….!!
लगता
हर दिन ही
मुझे करवाचौथ सा
जब से
मिले तुम
मुझे मीत मेरे!
ये मेरा
सजना-सँवरना
है सब कुछ तुम्हीं से
राग-रंग
जीवन के
हैं सब तुम्हीं में….!!!
पूजा कर
जब चाँद देखेंगे
छत पर
हम दोनों मिलकर
माँगेंगे आशीष
हम चंद्रमा से
सदा यूँ ही
पूजा कर
निहारे उसे
हर करवाचौथ पर…..!!!
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३–
सुनो चाँद!
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सुनो चाँद!
आज कुछ
कहना चाहती हूँ तुमसे
ये पर्व
मेरे लिए
उस निष्ठा
और प्रेम का है
जिसे
जाना-समझा
अपने माता-पिता को
देख कर मैंने
कि प्रेम और संबंध में
कभी दिखावा नहीं होता
होता है तो बस
अनकहा प्रेम
और विश्वास
जो नहीं माँगता
कभी कोई प्रमाण
चाहत का……!
मैं
तुम्हारे सम्मुख
अपने चाँद के साथ
कहती हूँ तुमसे..,
मुझे
प्यारा है
अपने मीत का
अनकहे प्रेम-विश्वास का
शाश्वत उपहार
अपने हर
करवाचौथ पर….!!
तुम
सुन रहे हो न
चाँद……..!!!
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४—
अटका है..!
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मेरी
प्रियतमा!
कहना चाहता हूँ
आज तुम्हें
अपने हृदय की बात…,
सुनो!
आज भी
मुझे याद है
पहला करवाचौथ
जब हम
यात्रा के मध्य थे,
स्टेशन पर
रेल से उतर कर
चाँद को
अर्ध्य दिया था तुमने…!
वो
सादगी भरा
मोहक रूप
पहले करवाचौथ का
आज भी
मेरी आँखों में
वैसा ही बसा है…!!
मेरा हृदय
सच कहूँ तो
आज भी वहीं
करवाचौथ के
चाँद के साथ
तुम्हारी
उसी भोली सी
सादगी पर अटका
स्टेशन पर
अब भी वहीं खड़ा है….!!!
सुन
रही हो न
तुम मेरी प्रियतमा….!!!!
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डा० भारती वर्मा बौड़ाई
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