जब भी आप कोई गेजेट खरीदते हैं तो उसका यूजर मैन्युअल जरूरार पढ़ते हैं | आखिर उसी में सारे दिशा निर्देश होते हैं उस को चलाने के लिए | ऐसा ही एक कमल का गेजेट है हमारा mind यानि की दिमाग या फिर थोडा और विस्तार में जाएँ तो मन | जो हमारा हो कर भी हमारा नहीं है | पलक झपकते ही यहाँ पलक झपकते ही वहाँ |हमें ये तो पता है कि शरीर को स्वस्थ रखने के लिए क्या क्या खाना चाहिए पर क्या हमने कभी अपने दिमाग का यूजर मैनुअल पढ़ा है ? पढ़िए और इसे सही से इस्तेमाल करना सीखिए … देखिएगा आप कितने शांत व् प्रसन्न रहेंगे |
जानिये अपने mind के user manual के बारे में
क्या आप ठीक हैं ?
हाँ ठीक तो हूँ , पर वो चार साल पहले की बात जब -तब याद आ जाती है तो मन से निकलती ही नहीं , कभी -कभी लगता है जैसे जीवन ही व्यर्थ है … जब तक उस बात का ठीक ना कर लूँ तब तक दिमाग से निकलना मुश्किल है |
और आप ?
अजी क्या बताये , ये प्रश्न मत पूछिए जब तक कार न आ जाये /मकान न खड़ा हो जाए , बेटे की शादी ना हो जाए /बेटे की नौकरी ना लग जाए तब तक क्या खाक ठीक हैं ?
हममे से अधिकतर लोग अतीत की यादों या भविष्य की चिंता से जूझ रहे होते हैं | जबकि जीवन केवल इस पल है | दरअसल हमारा दिमाग तीन काल में चलता है भूत काल , वर्तमान काल और भविष्य काल | आप किसी ज्योतिषी के पास जाए तो वह आपके past या future के बारे में बताता है … ऐसे लोगों को त्रिकाल दर्शी भी कहते हैं |
पर यहाँ हम बात कर रहे अपने mind की जो तीन स्तरों पर चलता है स्मृति , कल्पना और ये पल , यानि की memory, imagination और वर्तमान समय | अधिकतर लोगों को मेमोरी या इमेजिनेशन के कारण दुःख होता है | वर्तमान समय में उन्हें कोई खास दुःख नहीं होता फिर भी वो या तो पिछला या अगला सोच -सोच कर परेशां होते रहते हैं |
अतीत से छुटकारा
मान लीजिये कि किसी के साथ कोई बहुत बड़ा हादसा हो गया वो उससे नहीं निकल पा रहा है … तब तो कुछ हद तक बात समझ में आती है पर ज्यादातर लोग छोटे बड़े हादसों , बातों , किसी की गलती के बारे में इतना सोचते हैं कि वो वर्तमान समय का आनन्द उठा ही नहीं पाते |
आप जिसे महान जीवन समझते हैं वो पृथ्वी की नज़र में बस एक उपजाऊ मिटटी है जिसे एक फसल के बाद फिर से रौंद कर दूसरी फसल उगानी है … सद्गुरु जग्गी वाशुदेव
जो घटना घट चुकी है अब उसका कोई अस्तित्व नहीं है वो केवल अतीत में थी | लेकिन हम उसे अपनी स्मृति में जिन्दा रखते हैं और उसी दुःख को जिसे एक बार भोग कर हम निकल आये थे बार -बार भोगते हैं | कितने लोग हैं जो अच्छी स्मृतियों को बार -बार दोहराते हैं और अगर दोहराते भी हैं तो एक कसक के साथ कि अब वो समय नहीं रहा |
जब आप कहते हैं कि मैं उसको माफ़ नहीं कर सकता मतलब आप उस व्यक्ति से सम्बंधित स्मृतियों को नहीं भुला पा रहे हैं , और खुद को बार -बार दंड दे रहे हैं |
भविष्य की चिंता से मुक्त
एक कहावत है सामान सौ बरस का … खबर पल की नहीं |
जो हम आज हैं वो हमारे अतीत में किये गए कामों और फैसलों की वजह से हैं जो हम कल होंगे वो आज किये गए कामों और फैसलों की वजह से होंगे | बेहतर है कि हम सही काम आज करें न कि भविष्य की चिंता | हमारे सोचते रहने से कुछ होने वाला नहीं है |
मेमोरी या इमेजिनेशन क्या है … माइंड के एप्रेटस में आने वाले विचार ही तो हैं -संदीप महेश्वरी
ऐसा नहीं हो सकता कि विचार ना आयें पर उन पर चिंतन ना करे ये आपके हाथ में है | इसके लिए जरूरी है कि आप इस प्रक्रिया को समझें | विचारों के बनने की प्रक्रिया को समझें , विचारों के बहुगुणित होने की प्रक्रिया को समझे | वर्तमान के जीवन को समझे … समझे कि केवल वर्तमान ही हमारे हाथ में हैं …. जहाँ हम कुछ कर सकते हैं बाकि दुःख सब विचार रूप में हैं |
जिस दिन हम अपने mind का user manual समझ जायेंगे … उस दिन से ही हम चिंता मुक्त ,सुखी जीवन जी पायेंगे |
नीलम गुप्ता
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