समस्याओं को अपने जीवन में आने से नहीं रोका जा सकता …. ये हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं पर आप समस्या आने पर किस चीज पर फोकस करते हैं समस्या पर या समाधान पर … यही आपकी क्वालिटी ऑफ़ लाइफ तय करता है |
समस्या या समाधान
ये कहानी है एक आदमी की जो किसी काम
से दूसरे शहर गया | जाते समय उसे शंका थी कि शायद काम
पूरा नहीं होयेगा | जब वो वहां पहुँचा तो ठीक वैसा ही
हुआ जैसा उसने सोचा था | काम पूरा ना होने के कारण उसका मन
खिन्न था | दुखी मन से वो अपनी गाडी स्टार्ट कर
के अपने घर लौटने लगा | रास्तेमें एक पुल पड़ता था , जिसके नीचे नदी बह रही थी | आदमी अपने निराशा जनक ख्यालों में डूबा हुआ था | तभी उसने महसूस किया की गाड़ी थोडा धीमे चल रही है | उसने उतर कर देखा तो गाडी क पीछे वाला एक टायर पंचर था | आदमी को और निराशा हुई | उसे चिंता हुई कि ऐसे तो घर पहुँचने में और देर होगी , यहाँ कोई मेकेनिक भी नहीं है | अंत में उसने खुद ही टायर बदलने की सोंची | उसने पंचर हुए टायर के नटबोल्ट खोले , उन्हें एक तरफ रखा और पहिया निकलने की कोशिश करने लगा | तभी टायर का धक्का लगने से वो चारों बोल्ट नदी में जा गिरे | अब तो उस व्यक्ति की निराशा और बढ़ गयी | वो वहीं सर पकड़ कर बैठ गया और सोचने लगा , अब तो कुछ नहीं किया जा सकता , अब तो उसके पास किसी दूसरी गाडी के इंतज़ार करने के आलावा कोई चारा
नहीं था | अपने को कोसते हुए व् तनाव करते हुए
वो उस पुल से पास होने वाली किसी गाड़ी का इंतज़ार करने लगा |
पूछा ,” क्या हुआ भैया , कुछ परेशान दिख रहे हैं ?
गुस्से से बोला , ” हाँ परेशान हूँ , पर आप मेरी मदद नहीं कर सकते , इसलिए अपना काम करें |
नहीं कर सकता पर हो सकता है समस्या सुनने के बाद कोई सुझाव तो दे सकूँ |
अपनी बात बताने लगा , कि कैसे उसे टायर के सारे बोल्ट नदी
में गिर गए | हालांकि उस व्यक्ति को विश्वास था
कि ये किसान उसकी कुछ भी मदद नहीं कर पायेगा |
वो मेकेनिक लगा देगा जो अगले गाँव के बाहर रहता है |
आश्चर्य में पड़ गया | उसने किसान को धन्यवाद देते हुए कहा
, ” कमल का सुझाव दिया है आपने , मैं वर्षों से गाड़ी चला रहा हूँ पर ये विचार मेरे दिमाग में नहीं
आया | आपने शायद ही कभी कोई गाडी चलाई हो
फिर भी ये विचार आप के मन मं आ गया | ये तो कमाल है |
पर था |
उसी के अनुसार काम करते हुए धीरे -धीरे अपनी गाडी लेकर दूसरे गाँव की ओर चल पड़ा |
अपना ध्यान समस्या पर टिकाये रहते हैं | जैसे मेरे साथ ही ऐसा क्यों हुआ , मेरा तो भाग्य ही खराब है , अगर ये काम नहीं हुआ तो मेरा क्या होगा …. और उसी को बार -बार
सोचते रहते हैं , जबकि समाधान समस्या के ही आस -पास
होता है पर हम उस बारे में सोचते नहीं हैं | समस्या के बारे में लगातार सोचने से हमारी उर्जा भी कम हो जाती है
और हम समाधान से और भी दूर हो जाते हैं |
उन्होंने समस्या के स्थान पर समाधान को सोचने में समय लगाने को चुना है |
अटूट बंधन
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वाह बेहतरीन रचना
बहुत ही प्रेरणादायक कहानी,वंदना दी।