कभी किसी पहाड़ की चोटी पर चढ़ कर देखा है ? ऐसा कभी नहीं होता कि चोटी केवल एक बिंदु हो , वाहन भी एक क्षैतिज धरातल होता है | चोटी पर जगह कम नहीं होती , कितने मंदिर-मस्जिद , किले इन चोटियों पर बने है | पर पहाड़ के नीचे खड़े लोगों को ये समझ नहीं आता | उन्हें लगता है कि चोटी पर कोई एक व्यक्ति ही पहुँच सकता है और वही विजेता है | क्षेत्र कोई भी हो , यही बात सफलता के साथ है | आप गिनती कर के देखिये कितने सफल डॉक्टर हैं , कितने सफल इंजीनियर और कितने सफल लेखक , गायक , कलाकार आदि | फिर भी लोगों को लगता है कि किसी दूसरे की सफलता मेरी सफलता में बाधक है | इसलिए वो खुद आगे बढ़ने में मेहनत करने के स्थान पर दूसरे की लकीर छोटी करने और उसे गिराने में लग जाते हैं |आगे बढ़ता व्यक्ति अपनों के इस व्यवहार परिवर्तन से दुखी होता है …कई बार उसका हौसला पस्त हो जाता है और वो प्रयास छोड़ देता है | फिर वही होता है जो हमें दिखता है …बहुत से व्यक्ति जो सफल हो सकते थे , असफल व्यक्तियों की भीड़ में शामिल हो जाते हैं | अगर हम सफलता के तीन चरणों को समझ लें तो सफल होते -होते अचानक से असफल होने की नौबत नहीं आती |
अपना E .Q दुरुस्त रखने के लिए समझिये सफलता के तीन चरण
15 साल की रिया की आवाज़ बचपन से ही ईश्वर का वरदान थी | यूँ तो उसकी दोनों बहनें ( मिताली और दीपा ) अच्छा गाती थी | पर रिया उनसे अलग ही थी | पर उनका ये गायन शौकिया था , उसमें कैरियर बनाने की उनकी तमन्ना नहीं थी | तीनों पढने में भी होशियार थीं |साथ -साथ गाती , खिलखिलातीं , रियाज करती | आने जाने वाले सभी लोग उनकी प्रशंसा करते | यही वो समय था जब उन्हें लगा कि उन्हें अपनी कला को दूसरों को भी दिखाना चाहिए | तीनों ने यू ट्यूब चैनल बनाए और उसमें अपने -अपने गानों के वीडियो अपलोड करने लगीं | रिया के फॉलोअर्स व् लाइक तेजी से बढ़ने लगे , फेसबुक पर भी उसका एक अच्छा फैन मेल तैयार हो गया | जबकि मिताली और दीपा को महज कुछ लाइक ही मिलते | फेसबुक पर कुछ अच्छे स्ट्रगल करके वाले या किसी मुकाम पर पहुँचने वाले गायक /गायिकाओं ने उसेबहुत प्रोमोट किया | उसके वीडियो के शेयर्स बढे और वो लोकप्रिय होने लगी | दोनों बहने भी उसकी इस सफलता पर खुश होतीं और खुद भी अपने वीडियो उत्त्साह के साथ डालती |
करीब एक वर्ष तक यही सब चलता रहा | रिया को पहला काम मिला उसे किसी विज्ञापन की जिंगल गानी थी | वो बहुत खुश थी | बहनों ने बधाई दी | रिया ने घर आकर उसका वीडियो फेसबुक पर अपलोड किया | लाइक कमेंट आये … पर उसकी बहनों ने लाइक नहीं किया | रिया को अच्छा नहीं लगा पर उसने सोचा हो सकता है उसकी बहनें ख़ुशी में भूल गयीं हों | रिया शुरूआती कदम आगे बढ़ने लगे | धीरे -धीरे उसने महसूस किया कि वो सारे नए स्ट्रगल करने वाले , कुछ थोड़े से स्थापित और उसकी बहनें जो उसकी हर पोस्ट पर उत्त्सह्वर्धन करते थे , उसकी पोस्ट से एक दूरी बनाने लगे | आपस में उनका व्यवहार अभी भी वैसा ही था | मित्रों व् बहनों का ऐसा व्यवहार व् उपेक्षा रिया को अंदर ही अन्दर तोड़ने लगा | उसे समझ नहीं आ रहा था कई उसकी गलती क्या है | वो तो अभी भी पहले की ही तरह है फिर अपने ही उसे क्यों छोड़ रहे हैं | उसका काम से मन हट गया | जो वीडियो वो रोज अपलोड करती अब हफ्ते में और फिर महीने में करने लगी | फैन फॉलोअर्स कम होने लगे | रिया अवसाद में डूबने लगी एक ऐसा अवसाद जिसमें उसे उसके अपनों ने डुबोया था | गाने का उत्साह और मन खत्म हो गया |
रिया का अवसाद माँ से छिपा नहीं रह सका | एक दिन बालों में तेल लगाते हुए उन्होंने रिया से पूछा तो वो फफक -फफक कर रो उठी | उसने माँ को सारी बात बतायी | अनुभवी माँ को बात समझते देर ना लगी | उन्होंने रिया से कहा , ” ठीक है , अपनों ने तुमसे दूरियाँ बनायीं पर इसके लिए तुमने अपना काम क्यों छोड़ दिया | तुम अपना काम वैसे ही करती रहो , पूरी निष्ठां के साथ | देखना एक दिन सब लौटेंगे , उस दिन , जब तुम्हारी सफलता का तीसरा चरण होगा | ”
रिया ने माँ की बात को गंभीरता से लिया और फिर अपने काम में जुट गयी | उसे फिर से विज्ञापन मिलने लगे और फिर एक दिन वो भी आया जब उसे फिल्म में गीत गाने का अवसर भी मिला | रिया की मेहनत और भाग्य रंग लाया , वो गीत सुपर हिट हुआ | रिया के पास काम की झड़ी लग गयी | उसकी अपनी बहने व् मित्र जो उससे दूर हो गए थे उसके पास लौटने लगे | एक सम्मान समारोह में बहनों ने उसकी जमकर तारीफ़ करी | रिया बहुत खुश थी | घर आ कर वो रिया से बोलीं , ” रिया मुझे भी स्टेज पर थोड़ी देर गाने का मौका दिला देना |” रिया ने हाँ कह दिया | वो अब परिपक्कव हो चुकी थी और समझ चुकी थी कि वो सफलता के दो चरण पार कर तीसरे में आ गयी है जहाँ अब उसकी बहनें व् मित्र वापस लौट आये हैं |
मित्रों ये कहानी भले ही रिया की हो पर आप भी अगर किसी काम में सफलता पाने के लिए मेहनत कर रहे हैं तो आपको भी ये किस्सा अपना लग रहा होगा | दरअसल सफलता के तीन चरण होते हैं |
सफलता का पहला चरण –
“क्या लिखते हो ?”
” अरे ट्राई करो ट्राई तुमसे बेहतर कौन हो सकता है |”
इस मनोबल से आपका अपने काम पर विश्वास बढ़ता है आप हर दिन काम कर आगे औरे आगे जाने का प्रयास करने लगते हैं |
दूसरा चरण –
सफलता का तीसरा चरण –
जब आप इन लोगों की बातों को निरंतर नज़रअंदाज करते हुए आगे बढ़ते हैं …और इतना आगे बढ़ जाते हैं कि अब उनके ताना देने , निंदा करने या इग्नोर करने से आपको कोई फर्क नहीं पड़ता तो आप के आश्चर्य को बढाते हुए वे लोग फिर आपके पास लौटने लगते हैं | पहली बात तो लगातार मेहनत ने आपको सिद्ध कर दिया है वो समझ गए हैं कि वो इतनी मेहनत नहीं कर सकते थे | दूसरे अब आप ऐसी स्थिति में पहुँच गए हैं कि वो आपका लाभ उठा सकें | लाभ का स्वार्थ उनकी नफ़रत पर भारी पड़ जाता | नफ़रत और इर्ष्या अभी भी होती है पर हमदर्दी के खोल में ढक कर वो आपके पास आते हैं |
समझें E.Q और सफलता का संबंद्ध
अब ध्यान देने की बात ये हैं कि सफल होने के लिए I/Q ही जरूरी नहीं होता उसके लिए E.Qकी भी जरूरत होती है | जिनका I .Q या प्रतिभा से आपको शुरूआती सफलता मिल सकती है पर E.Q ही आपके आगे की सफलता का मार्ग प्रशस्त करता है | जिन्हें पता नहीं है उन्हें बता दें कि E.Q का अर्थ है इमोशनल इंटेलिजेंस …अर्थात भावनात्मक दवाब को आप कैसे हैंडल करते हैं | अब अगर आप सफलता के दूसरे चरण में देखें तो आप पायेंगे कि अपने हितैषियों , मित्रों , बंधुओं के अचानक से इग्नोर करने , ताना कसने या असहयोग करनेसे का असर निश्चित रूप से आपके भावनात्मक संतुलन पर होगा |
@अपनों का यह व्यवहार आपको अंदर से तोड़ देगा |
@ ये भी लग सकता है कि ऐसी सफलता लेकर क्या करेंगे जब अपने ही छूट जायेंगे |
@ क्योंकि अभी तक आपकी सफलता का केंद्र अपने ही थे इसलिए आपको ये भी लग सकता है कि अपने तो खुश ही नहीं हैं … फिर बेगानों की ख़ुशी का क्या |
कई बार ये अपने बहुत खास जैसे माता -पिता , पति -पत्नी , भाई -बहन आदि भी होते हैं | ऐसे में टूटन और ज्यादा होती है | इसके अतिरिक्त अगर आपका आत्मविश्वास थोडा सा भी कम है तो बिना उनके प्रोत्साहन के आपको आगे का सफ़र डरावना लगने लगता है |
यही वो समय है जब आप अपना काम पर से ध्यान हटाने लगते हैं | कितनी प्रतिभाये सफलता के शुरूआती दौर में ही दम तोड़ देती हैं क्योंकि वे अपने भावों के आगेआधीन हो जाती हैं |
यहाँ पर ये समझना बहुत जरूरी है कि जो आपको सफल होते हुए नहीं देख सकता वो आपका कितना भी अपना क्यों ना हो आपका हितैषी नहीं है | वो आपको अपने से थोड़ा सा नीचे देखना चाहता है ताकि उसका इगो सलामत रहे | यही पर आपको हारकर काम नहीं छोड़ना है बल्कि इन लोगों को पहचान लेना है जो आपसे प्रेम जताते थे पर वास्तव में इर्ष्या करते थे | अगर कोई ईर्ष्यालु है तो उसके लिए आप काम तो नहीं छोड़ सकते ना | हाँ कुछ लोग अभी भी होंगे जो आपके अवश्य साथ होंगे | यही आपके सच्चे हितैषी हैं | अगर आप भावुक होकर ना सोचे तो सफलता का दूसरा चरण आपके सच्चे हितैषियों और जलनखोर बंधुओं को अलग -अलग कर देता है | पहचानिए और आगे बढिए |
सफलता के तीसरे चरण में उनके वापस आने पर एक बार फिर आपको अपने E.Q.के सहारे की जरूरत होगी | क्योंकि अगर आपने ये समझ कर कि वो अब आपके साथ आ गए हैं पूरे दिल से उन्हें अपना लिया तो आपको अर्श से फर्श पर पहुँचते देर नहीं लगेगी | इन चिन्हित करे हुए लोगों के वापस आने का कारण समझते हुए आपको सतर्क रह कर उनकी मदद करनी है |
अगर आप सफलता के एन तीन चरणों और अपनों के व्यवहार को समझने में E.Q. का सहारा लेंगे तो आपको आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता |
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