दीपावली मानने के तमाम कारणों में एक है राम का अयोध्या में पुनरागमन | कहते हैं दीपावली के दिन प्रभु श्री
राम 14 वर्ष का वनवास काट कर पुन: अयोध्या लौटे थे | इस ख़ुशी में लोगों ने अपने घरों में दीप जला लिए थे |
राम सिर्फ एक राजा ही नहीं थे | बल्कि आदर्श पुत्र , एक पत्नीव्रत का निर्वाह करने वाले , स्त्रियों की इज्ज़त
करने वाले भी थे | हम दीपावली प्रभु राम के अयोध्या वापस आने की ख़ुशी में तो मना लेते हैं पर क्या राम को
अपने व्यक्तित्व में उतार पाते हैं |
दीपोत्सव
जगमगाती दीपमालाएँ लगीं भाने
राम जैसे बन के दिखलाओ तो हम जानें
राम जैसे बन के दिखलाओ तो हम जानें
टूट कर गृह कलह से बिखरे नहीं परिवार
पिता के वचनों को निभाओ तो फिर मानें
राम जैसे बन के दिखलाओ तो हम जानें
राम सीता के न रह पाए बहुत दिन साथ
उन सा पत्नी एक व्रत , धारो तो फिर मानें
राम जैसे बन के दिखलाओ तो हम जानें
दूसरों की पत्नियाँ हों, बहन, या बेटी
अपनी माँ, बहनों सा ही जानो तो फिर मानें
राम जैसे बन के दिखलाओ तो हम जानें
गुरूजन, माता-पिता, अपने जो हैं कुल श्रेष्ठ
उनके चरणों में झुके जो शीश, फिर मानें
राम जैसे बन के दिखलाओ तो हम जानें
जगमगाती दीपमालाएँ लगीं भाने
उषा अवस्थी
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बेहद खूबसूरत कविता।