जया आनंद की कविताएँ

कविता मन की अभिव्यक्ति है | जया आनंद की कविताएँ उस स्त्री की आवाज है जो आकाश छूना चाहती है| वहीं धरती से जुड़े रह कर अपने स्नेह से रिश्तों की जमीन को भी सींचना  चाहती हैं | कहीं न कहीं हर स्त्री इन दो को थामने साधने के प्रयास  में हैं | आइए पढ़ें ..

जया आनंद की कविताएँ

छूना चाहती हूँ आकाश
पर धरती से
नापना चाहती हूँ ऊंचाई
पर आधार नहीं
खोना चाहती
उड़ना चाहती हूँ
पर बिखरना नही चाहती
होना चाहती हूँ मुक्त
पर बंधन नही तोडना चाहती
होना चाहती हूँ व्यक्त
पर परिधि नहीं लांघना चाहती
…….
देखती हूँ मेरा न चाहना
मेरे चाहने से अधिक प्रबल है
और फिर
मेरा न चाहना भी तो
मेरा चाहना ही है
इसलिए शायद
मेरे सवालों का
मेरे पास ही हल है
#डॉ जया आनंद

ढाईअक्षर का

अधूरा सा शब्द ‘स्नेह’

पर कितना पूरा

इसकी परिधि में है

विचारों की ऊँचाई

भावनाओं की गहराई

नेहिल मुस्कान

सजल  दृष्टि

कोमल अभिव्यक्ति

सहज अनुभूति

आशीषों की वृष्टिे

बीते पल

जीये गीत

सुनहरे सपने

हमारे अपने …

सच !स्नेह शब्द अधूरा कहाँ

यह तो पूरा है ।

#डॉ जया आनंद

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