मान्यता है कि क्रिसमस पर सैंटा अपनी छोटी सी स्लेज में बैठ कर रात भर बच्चों को उनके मर्जी के उपहार बाँटते हैं | आज भी बच्चे रात भर जाग कर सैंटा का इंतजार करते हैं | ऐसी ही बचपन की किसी क्रिसमस में डूबता उतराता मन ..
सैंटा तक ये सन्देशा
सैंटा तक ये सन्देशा कोई जल्दी से पहुंचाना
घर-आँगन फिर से बचपन वाली क्रिसमस लाना
तकिये के नीचे रखें फिर से मन्नत भरी जुराबें
खिड़की पर रात भर टकटकी बांधे रहे निगाहें
आएगा कोई सुध लेने, भरोसा फिर से जगाना
सैंटा तक ये सन्देशा..
बिस्किट ,चॉकोलेट टॉफी से कैसे खिल जाता है मन
हर अनजान अपरिचित से कैसे हो जाता अपनापन
सर्द हवा भी डिगा ना पातीं, नन्ही आशा के तारे
सबकी अर्जी पूरी करने कोई फिरता द्वारे -द्वारे
बड़े दिन की शुरुआत बड़े दिल से होती समझाना
सैंटा तक ये सन्देशा..
वंदना बाजपेयी
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