युवाओं में पोर्न एडिक्शन …क्या हो अगला कदम

युवाओं में पोर्न एडिक्शन ...क्या हो अगला कदम



एडिक्शन केवल तम्बाकू , सिगरेट या शराब का ही नहीं होता | पोर्न देखने का भी होता है | आज इंटरनेट युग में आसानी से उपलब्द्ध होने के कारण बच्चे और युवा इस की चपेट में आ जाते हैं और अपना कैरियर , खुशियाँ और जिन्दगी तबाह कर बैठते हैं | समझना होगा कि इससे कैसे निकलें |






अपनी जिन्दगी को बदलने के लिए अपनी आदतों को बदलें -जेनी क्रैग 

“हाँ  !तो बोलिए क्या समस्या है ?डॉक्टर ने रीतेश से पूछा

इतनी हिम्मत करके यहाँ तक  आने के बाद भी डॉक्टर के इस पूर्व संभावित प्रश्न पर वो अचकचा सा गया | दिल की धड़कन बढ़ गयी और जुबान जैसे साथ छोड़ने लगी |

“देखिये आप बताएँगे नहीं तो हम आपका इलाज कैसे शुरू करेंगे ?” डॉक्टर ने फिर कहा

पर वो रीतेश का मौन नहीं तोड़ पाया |

अबकी बार डॉक्टर अपनी  कुर्सी से उठ कर रीतेश के पास जा कर उसकी पीठ पर हाथ रख कर बोला ,” आप मुझे अपना दोस्त समझ सकते हैं | मेरे पास सब ऐसे ही मरीज आते हैं और मैं एक दोस्त बन कर उनकी मदद करता हूँ |”

रीतेश को कुछ हल्का सा महसूस हुआ और वो हकलाते हुए बोला , ” डॉक्टर साहब मुझे अपने आपसे घिन आती है |मुझे लगता है कि मैं अपने को पीटता चला जाऊं तब भी मुझे इस पाप से मुक्ति नहीं मिलेगी | मेरी पूरी जिन्दगी बर्बाद हो गयी |”

“बोलो मैं सुन रहा हूँ |” डॉक्टर ने  छलक आये आंसुओं को पोछने के लिए एक टिसू पेपर उसे देते हुए कहा |

युवाओं में पोर्न एडिक्शन … 

आँखें पोछ  कर रितेश ने आगे कहना शुरू किया , ” डॉक्टर साहब , आज पाँच   साल पहले की बात है , जब मैं 16 -१७  साल का था | मैं भी सामान्य बच्चों की तरह एक सामान्य बच्चा ही था | क्लास में हमेशा अच्छे नम्बरों से पास होता था , और फुटबॉल का अपनी स्कूल टीम का स्टार था | माता -पिता का एकलौता बेटा होने के कारण वो दोनों मुझ पर जान छिडकते थे | उसी समय टेंथ का रिजल्ट आया मैंने अपने स्कूल में टॉप किया था |मेरे पिता बहुत खुश थे , उन्होंने मुझे मनचाहा उपहार मांगने को कहा | मैंने आई .पैड की माँग की | हालाँकि वो महंगा था पर मेरे पिता ने कैसे भी खर्चों को मेनेज कर मुझे वो लाकर दिया |

आई .पैड पाकर मैं बहुत खुश था |  उसी समय मैंने स्कूल के साथ -साथ इंजीनियरिंग इंट्रेंस  की कोचिंग लेना शुरू किया | मेरा सपना IITया NIT से इंजीनियर बनने का था | मैं होशियार था , मेहनती था , मुझे अपनी सफलता पर विश्वास था | स्कूल और कोचिंग दोनों दोनों को सँभालने की कोशिश में मेरे पास हमेशा समय की कमी रहती | क्योंकि मेरा आई .पेड नया था , और उसके प्रति मेरी नयी उत्सुकता थी , इसलिए पिताजी ने मुझसे वादा लिया कि मैं इसे सीमित समय के लिए ही इस्तेमाल करूँ | मैंने भी उनकी बात मान ली , आखिर इसमें मेरा ही भला था | मैं भी तो अपने क्लास के बच्चों को अपने से आगे नहीं जाने देना चाहता था |

परन्तु मैं अपने वादे  पर कायम नहीं रह सका | अक्सर मैं कोचिंग से आकर आई .पैड लेकर बैठ जाता   | माँ टोंकती तो थके होने का बहाना बना देता  | फुटबॉल मैच , फिल्मे , एजुकेशन मैटीरियल  देखते -देखते एक दिन अंगुली  , “देखिये फलां अभिनेत्री के उप्स मोमेंट पर क्लिक कर दी |”दोस्तों ने कई बार इन सब के बारे में बताया था पर फिर भी एक भय सा था कि कि कहीं ये कुछ गलत तो नहीं है | लेकिन उस दिन  जाने -अनजाने मैं उस दुनिया में प्रवेश कर ही गया |   उसके बाद एक के बाद एक ऐसे दृश्य आते गए कि आँखें फटी की फटी रह गयीं | दस मिनट के लिए उठाया गया आई .पैड दो घंटे तक इस साईट से उस साईट का सफ़र तय करता रहा जहाँ दुनिया बेपर्दा थी , नग्न थी और शरीर के स्तर पर ही  सीमित थी |

ये कुछ ऐसे विषय थे जिनके लिए मेरे किशोर मन में सहज जिज्ञासा भी थी , मैं  तो कुछ बूँद समान प्रश्नों के उत्तर ही चाहता था पर अब तो मेरे  आगे विशाल सागर था | पहली बार देखते हुए दिल की धडकने तेज हो गयीं | आँखों के आगे अंधेरा सा छाया और माथे पर पसीना छलछला उठा | पर मन तो जैसे रुकने को तैयार ही नहीं था | माँ की आवाज से ही तंद्रा टूटी और झट से उस साईट से बाहर निकल एग्जाम क्वेश्चन पेपर की साईट में शरण ली | माँ मुझे पढ़ते देख कर संतुष्ट हुई |  उन्हें अनुमान ही नहीं था कि पिछले दो घंटे में उनका मासूम सा बच्चा एक व्यस्क बन चुका है | उस दिन माता -पता से नज़र भी नहीं मिलाई गयी ना ठीक से खाया गया ना ही सोया |
प्रण किया कि अब कल से सिर्फ और सिर्फ पढाई पर ही फोकस करूंगा |

परन्तु अगली सुबह ये प्रतिज्ञा ओस बूँद की तरह उड़ गयी | मैंने  सुबह उठते ही जो सबसे पहला काम किया वो था उन्हीं साइट्स पर फिर से क्लिक  करना और उसी संसार में लौट जाना | दिन , महीनों में बदलने लगे …पढाई पर ध्यान हटने लगा | कितनी बार खुद को समझाने की कोशिश करता कि मुझे कुछ करना है , कॉम्पटीशन क्रैक करके अपने माता -पिता का नाम रोशन करना है, अच्छी जॉब पा कर देश और समज के लिए कुछ करना है |  …पर किताब उठाते ही आखों के आगे वेबसाईट की वो आकृतियाँ आने लगतीं और यंत्रवत अंगुलियाँ  उसी और घूम जातीं |

क्लास टेस्ट के रिजल्ट आने लगे | हमेशा टॉप करने वाला मैं क्लास में पीछे होने लगा | माता -पिता  के चेहरे पर चिंता की लकीरे बढ़ने लगीं | माँ आकर समझातीं कि किसी विषय में दिक्कत हो तो कोई और ट्यूशन लगवा देंगे , तुम चिंतामत करो |” पर मुझे माँ की बात पर बहुत गुस्सा आता | उन्हें बता भी तो नहीं सकता था कि मैं इस दुनिया से दूर किसी और दुनिया में विचर रहा  हूँ … जहाँ ना मन है ना दिमाग, है तो बस शरीर हैं …शरीर जो केवल एक ही सुख चाहता है , एक  ही सुख मांगता है और एक ही सुख में डूबे रहना चाहता है …किसी रीढ़ विहीन छोटे जलचर की तरह जिसका उद्देश्य ही बस भोजन और मैथुन होता है | और मुझे तो भोजन से भी अरुचि होने लगी थी | कभी -कभी मेरी आत्मा मुझे धिक्कारती कि मैं ये किस दिशा में आगे बढ़ रहा हूँ …ये मुझे क्या हो रहा है पर उस सुख के आगे ये दुःख ज्यादा देर ठहर ही ना पाता |

मुझे आज भी याद है कि मेरी पढाई व् कोचिंग में घटती रूचि देख कर पिताजी ने मुझे खुद पढ़ाने  के उद्देश्य से फिजिक्स पढनी शुरू की | मैं स्टडी रूम में  किताब में आई पैड छुपा कर उसमें डूबा रहता   और वो ड्राइंग रूम में फिजिक्स पढने में, ताकि मुझे समझा सकें | जब भी वो मेरे पास आते मैं जोर -जोर से चीखता , किताबें फेंकता और शोर मचाता | उन लोगों को लगने लगा कि मैं पढाई में पिछड़ रहा हूँ इसलिए अवसाद में जा रहा हूँ | उन्होंने मुझे पढाई के लिए मोटिवेट करने  की कोशिश छोड़ कर अपनी सारी  ताकत इस बात में झोंक दी कि मैं कहीं कोई आत्मघाती कदम ना उठा लूँ | अब उनकी बातें में , “तुम कर सकते हो “, का स्थान “क्या हुआ , जो बहुत से बच्चे नहीं कर पाते हैं , वो कहीं और सफल हैं “ने ले लिया | मुझे थोड़ी सी राहत महसूस हुई और अपनी मन -मर्जी का करने की सुविधा भी |

बारहवीं का रिजल्ट निकला तो मैं बस किसी तरह पास ही हुआ था | उस रात मैं बहुत रोया | वो रीतेश जो IIT में आने की कूबत रखता था आज बस पास में सिमिट गया | ये सब मेरा ही किया धरा था | दोष देता भी तो किसे ? मैं कामना के ऐसे  ज्वार  में फंस गया था कि निकलना मुश्किल हो गया था | उस रात माता -पिता दोनों मेरे पास ही बैठे रहे | उनकी चेहरों पर चिंता की घनी रखायें थीं | पिछले दो सालों में उनकी उम्र दस साल बढ़ गयी थी | उस दिन मुझे अपने से घृणा हुई | उस रात मैंने प्रण किया कि मैं उनका सर नीचे नहीं झुकने दूँगा | मैं अपनी इस गलत आदत से छुटकारा पा लूँगा |

कहते हैं जिन्दगी बार -बार मौका देती है पर एक बार मौका खोकर दुबारा मैदान में डट कर खड़े होना बहुत मुश्किल होता है | इतने कम परसेंटेज पर मेरा किसी भी कॉलेज में एडमिशन  नहीं हुआ | पिताजी यहाँ से वहां मेरी मार्कशीट लेकर कितना दौड़े , कितनी कोशिशे की पर परिणाम वही रहा जो होना था | मैंने इग्नू से लॉ  में पढाई शुरू की | मोबाइल पर भी अलार्म सेट कर दिया कि थोड़ी देर नेट सर्फिंग के बाद  बज उठे | मुझे लगा कि अब मुझे  पढने में मन लगाने में कोई दिक्कत नहीं होगी पर …कोशिश शुरू कर दी | फिर भी मेरा मन उस तरफ खिंचता था |

उन्हीं दिनों मैंने अपने दोस्तों से भी इस बारे में बात की | वो सब मेरी बात पर हंस पड़े देवेश मेरी पीठ पर हाथ मारते हुए बोला ,” पगले इस उम्र में इन सब का मजा नहीं लेगा तो क्या ८० साल की उम्र में लेगा |” वैभव ने आँख मारते हुए कहा , ” ये उम्र घास  खाने की नहीं मांस खाने की है |”  मेरी ग्रुप की लड़कियों को भी ये बात पता चल गयी | वो भी बहुत हँसी , ” अरे हम सब देखते हैं , कुछ गलत नहीं है, इस उम्र में हारमोंस की डिमांड है … थोड़ी देर देखते हैं जो करना हैं कर भी लेते हैं फिर पढ़ते हैं … ये सब नेचुरल है ” और समवेत हंसी में मेरी चिंताएं कपूर की तरह उड़ गयीं |

कुछ दिनों तक मुझे लगा कि ये सब नेचुरल  है हारमोंस की मांग है | मैंने वेबसाईट देखने पर लगाया प्रतिबन्ध हटा दिया | फिर पढाई पिछड़ने लगी | मैं कितनी भी कोशिश करता ..कितना भी जरूरी काम सर पर होता पर जब तलब सी लगती …तो उसके आगे सब बेअसर हो जाता | मैंने महसूस किया कि और दोस्तों और मुझमें अंतर हैं | वो इसे अपनी मर्जी से ऑफ़ -ऑन कर सकते हैं | जब जरूरी काम या पढाई के लिए समय निकालना हो तो महीनों के लिए स्थगित भी कर देते हैं | परन्तु मैं … मैं तो इस दलदल से निकल ही नहीं पा रहा | लगता है जैसे मेरा रिमोट किसी दूसरे के हाथ में हो और मैं यंत्रवत चल रहा हूँ | मैंने एक एप की मदद से वो सारी  वेबसाईट ब्लॉक करीं | उस दिन मुझे लगा कि अब सब ठीक हो जाएगा |

पर अब वो सब साइट्स मेरे दिमाग में खुलने लगीं | उससे भी ज्यादा बेपर्दा , उससे भी ज्यदा नग्न और उससे भी ज्यादा घातक | वेबसाईट से निकलने का ऑप्शन मेरे पास था …पर उन विचारों से निकलने का कोई ऑप्शन मेरे पास नहीं था | क्योंकि उसमें दिखने वाले लोग कोई फ़िल्मी कलाकार  नहीं थे ….जिन्हें देखकर मैं संतुष्ट होता था …वो सब मेरे अपने परिचित थे , मेरे दोस्त , मेरे टीचर , मेरे रिश्तेदार और मेरे …..मैं घबरा गया | उस दिन मुझे यह अहसास हुआ ये पाप है ये गलत है …आखिर मैं ऐसा क्यों कर रहा हूँ ….मेरे साथ ही ऐसा क्यों हो रहा है |

मैं भयंकर अवसाद में घिरने लगा | मुझे अपने आप से नफ़रत होने लगी | किसी काम में मेरा मन  नहीं लगता | घंटो उदास पड़े रहने के बाद खुद को कुछ अच्छा महसूस कराने के लिए मुझे फिर उन्हीं विचारों की शरण में जाना पड़ता | फिर खुद से घृणा … और गहरी उदासी | मुझे लगता मैं एक चक्रव्यूह में फँस गया हूँ | मेरे अन्दर खुद को खत्म करने की इच्छा होने लगी | एक -दो बार कोशिश भी करी पर बच गया | कभी -कभी अपने माता -पिता पर दया भी आती है कि आखिर उनका क्या अपराध है …फिर वही सब कुछ | समझ में नहीं आता कि जो काम मेरी उम्र के लगभग सभी बच्चे करते हैं …वो मेरे लिए इतना पीड़ा दाई क्यों है ? एक दोस्त ने ही मुझे आपको दिखाने को कहा | बिना माता -पिता को बताये चुपचाप मैं आपके पास आया हूँ | प्लीज डॉक्टर मेरी मदद करिए … नहीं तो मैं खुद को खत्म कर लूँगा | “

डॉक्टर ने अपना हाथ उसकी पीठ पर फेरते हुए कहा , ” घबराओ नहीं , इसका इलाज संभव है | तुम इससे जरूर निकल आओगे | तुमने सही कहा कि तुम्हारी उम्र के दोस्त भी पोर्न देखते हैं पर उन पर इतना असर नहीं होता , जितना तुम पर हुआ | दरअसल किशोरावस्था उम्र ही ऐसी है , जब हॉर्मोन्स के कारण सहज ही मन उस तरफ जाता है | एक बार देखने के बाद दुबारा या बार -बार देखने का मन करता है | पर तुममे और तुम्हारे दोस्तों में फर्क ये है कि उनका अपने मन पर वश है , वो कभी -कभार देखते हैं और तुम एडिक्ट हो गए हो , तुम उसे देखे बिना रह नहीं पाते …अगर वेबसाईट बंद कर देते हो तो वह सब कुछ तुम्हें अपने विचारों में साफ़ -साफ़ दिखता है | क्योंकि अंदर से मन कहता है कि ये सब गलत है तो मन में अपराधबोध आता है | जिसके कारण अवसाद और आत्महत्या के विचार आते हैं | फिर भी तुम उससे निकल नहीं पा रहे हो क्योंकि तुम्हें पोर्न एडिक्शन हो गया है |”

डॉक्टर के कहे  अनुसार मैंने इलाज शुरू किया और अब मैं इससे निकल कर कम्प्यूटर में उच्च शिक्षा ले रहा हूँ | अगर आप भी इस समस्या से ग्रस्त हैं तो आप भी निकल सकते हैं …

आमतौर पर देखा जाए तो  में 78 से 80 % तक पुरुष व् 20-25 % महिलाएं पोर्न देखती हैं | ऐसा केवल युवा ही नहीं बल्कि हर उम्र के लोग करते हैं | पहले वो इसके लिए फिल्मों या मैगजीन्स का सहारा लेते थे पर आजकल इन्टरनेट की वजह से उन्हें प्रचुर मात्रा में पोर्न उपलब्द्ध है | नैतिक रूप से पोर्न देखना भले ही गलत हो पर मनोवैज्ञानिक इसे गलत नहीं मानते | और तो और पोर्न  एडिक्शन को बहुत सारे मनोवैज्ञानिक एडिक्शन के तौर पर नहीं लेते | परन्तु मनोवैज्ञानिकों की एक बड़ी शाखा इस विषय में गंभीर हैं कि पोर्न का मानव मष्तिष्क पर वही असर होता है जो अल्कोहोल तम्बाकू आदि नशीली चीजों का होता है | थोडा बहुत देर देखना किसी बालिग के लिए गलत नहीं कहा जा सकता , लेकिन अगर कोई इसके बिना रह नहीं सकता तो मामला  इलाज की जरूरत  होती है | 





क्या हैं पोर्न एडिक्शन के लक्षण 





1-जब लगे की ये समय लगातार बढ़ता जा रहा है |
2- जब लगे कि हर समस्या का हल यहीं है …क्योंकि देखने के बाद थोड़ी देर हाई महसूस हो और  उसके लिए बार -बार उसे देखें |
3- जब एक अपराधबोध जन्म लेने लगे |
4- जब समय का एक बड़ा हिस्सा इसमें जाने लगे और पढाई या काम में एकाग्रता की कमी आने लगे |
5-जीवन की अन्य जरूरतें , जैसे खाना -पीना सोना आदि प्रभावित होने लगें |
6-जीवन साथी के साथ रिश्ते प्रभावित होने लगे |

जानिये कम्पलशन और एडिक्शन में अंतर 

कम्पलशन में बिना किसी खास कारण के वही व्यवहार बार -बार दोहराने का मन करे | कुछ अच्छा महसूस करने के लिए उसेदेखने का मन करे , जबकि  एडिक्शन में उसके बिना  रहा ही ना जाए , जबकी उसके नकारात्मक पहलु जीवन में दिखने लगे हों |

Students “Adult Content ” addiction से कैसे निकलें  ?

क्या आप इस पर खुद से लगाम लगा सकते हैं 

खुद पर लगाम लगाने की कोशिशों में आप …

1-इन्टरनेट से वो सारी  साइट्स जो बुक मार्क कर राखी हैं डिलीट कर दीजिये |
2- हार्ड डिस्क में से वो सारा मैटिरियल हटा दीजिये |
3- जब पोर्न देखने की इच्छा जागृत हो तो कोई और ध्यान बंटाने वाला काम करें …जैसे संगीत सुनना , शतरंज खेलना , या घर में ही किसी से गप्पे मारना आदि |

4-उन ट्रिगर्स को पहचानिए जिसके कारण उस तरफ ध्यान  जाता है |
5-जब भी पोर्न देखने का मन करे तो याद करिए कि इसने आपकी जिन्दगी में कितनी तोड़ -फोड़ मचाई है |
6- योग और ध्यान को अपने जीवन में स्थान दीजिये वो आपके विचारों को नियंत्रित करने में मदद करेगा |
7-अपने इस सफ़र में अगर हो सके तो किसी को अपना राजदार बनाइये जो आपकी इस कोशिश में आपका मनोबल बढाए |
8-अगर आप  धार्मिक हैं … तो थोड़ा समय अपना ध्यान ईश्वर में लगाइए |

9-एक कॉपी पेन ले कर लिखते रहे कि कब आपको पोर्न देखने की जबरदस्त तलब हुई और उस समय आप ने ऐसा क्या किया कि खुद को रोक पाए |

कब लें डॉक्टर की मदद 

जब आपको लगे  कि आप खुद से निकलने में असमर्थ हैं तो बेझिझक डॉक्टर की मदद लें | खासकर तब जब आपको लगे कि आप अवसादग्रस्त हो रहे हैं या OCD की चपेट में आ गए हैं |

डॉक्टर इसमें ज्यादातर बेहेवियरल थेरेपी देते हैं …कई बार वो आपके परिवार और दोस्तों को ग्रुप काउंसिलिंग के लिए बुलाते हैं |

डॉक्टर सबसे पहले तो ये पड़ताल करते हैं कि आपको कम्पलशन क्यों उत्पन्न  होता है फिर वो आप के हिसाब से इफेक्टिव  कोपिंग मेकेनिज्म तैयार करते हैं |

आमतौर पर दवाई के स्थान पर कोग्नैटिव थेरेपी ही देते हैं | लेकिन अगर अवसाद या OCD भी है तो उसकी दवाईयाँ दी जाती हैं |

कुछ लोगों को सपोर्टिव ग्रुप से बात करके आराम मिलता है जो इस रोग से निकल चुके हैं | आप  इसके लिए अपने डॉक्टर से बात कर सकते हैं |

अन्य एडिक्शन की तरह पोर्न एडिक्शन पर भी लगाम लगायी जा सकती है और पुन : स्वस्थ , शांतिमय आनंददायक जीवन जिया जा सकता है |

क्या हम  बच्चों में रचनात्मकता विकसित कर रहे हैं 

बच्चों में बढती हिंसक प्रवत्ति



खराब रिजल्ट आने पर बच्चों को कैसे रखे पॉजिटिव


आपको आपको  लेख  कैसा लगा  | अपनी राय अवश्य व्यक्त करें | हमारा फेसबुक पेज लाइक करें | अगर आपको “अटूट बंधन “ की रचनाएँ पसंद आती हैं तो कृपया हमारा  फ्री इ मेल लैटर सबस्क्राइब कराये ताकि हम “अटूट बंधन”की लेटेस्ट  पोस्ट सीधे आपके इ मेल पर भेज सकें |   


filed under- child issues, adult content, addiction of adult content, porn addiction, pornography addiction

अगला कदम के लिए आप अपनी या अपनों की रचनाए समस्याएं editor.atootbandhan@gmail.com या vandanabajpai5@gmail.com पर भेजें 
#अगला_कदम के बारे में 

हमारा जीवन अनेकों प्रकार की तकलीफों से भरा हुआ है | जब कोई तकलीफ अचानक से आती है तो लगता है काश कोई हमें इस मुसीबत से उबार ले , काश कोई रास्ता दिखा दे | परिस्तिथियों से लड़ते हुए कुछ टूट जाते हैं और कुछ अपनी समस्याओं पर कुछ हद तक काबू पा लेते हैं और दूसरों के लिए पथ प्रदर्शक भी साबित होते हैं |
जीवन की रातों से गुज़र कर ही जाना जा सकता है की एक दिया जलना ही काफी होता है , जो रास्ता दिखाता है | बाकी सबको स्वयं परिस्तिथियों से लड़ना पड़ता है | बहुत समय से इसी दिशा में कुछ करने की योजना बन रही थी | उसी का मूर्त रूप लेकर आ रहा है
” अगला कदम “
जिसके अंतर्गत हमने कैरियर , रिश्ते , स्वास्थ्य , प्रियजन की मृत्यु , पैशन , अतीत में जीने आदि विभिन्न मुद्दों को उठाने का प्रयास कर रहे हैं | हर मंगलवार और शुक्रवार को इसकी कड़ी आप अटूट बंधन ब्लॉग पर पढ़ सकते हैं | हमें ख़ुशी है की इस फोरम में हमारे साथ अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ व् कॉपी राइटर जुड़े हैं |आशा है हमेशा की तरह आप का स्नेह व् आशीर्वाद हमें मिलेगा व् हम समस्याग्रस्त जीवन में दिया जला कर कुछ हद अँधेरा मिटाने के प्रयास में सफल होंगे


” बदलें विचार ,बदलें दुनिया “ 

Leave a Comment