मुझे मिला वो, मेरा नसीब है
वही सुकून जहां वो करीब है
मैं और क्या भला चाहूंगी
जब प्यार से उसके भर गई ।
उसने जो कहा मैंने मान ली
नज़र की हरकतें पहचान ली
जिस राह उसके कदम बढ़े
बनी फूल और मैं बिखर गई ।
वह मोड़ जहां टकराए हम
बने जिस्म, जिस्म के साये हम
मेरा वक्त आगे बढ़ गया
पर मैं वहीं पर ठहर गई ।
जीवन उसी पर वार के
मैं खुश हूं खुद को हार के
उसने देखा जैसे प्यार से
मेरी रूह तक निखर गई।
आ जाए तो उसे प्यार दूं
मेरे यार सदका उतार लूं
डर है नजर लग जाएगी
गर उसपर कोई नजर गई ।।
साधना सिंह
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बहुत सुंदर