फोटो – विकीपीडिया से साभार
वेन डायर आत्मविकास और आध्यात्म के प्रसिद्द लेखक व् वक्ता रहे हैं | उन्होंने करीब ४० किताबें लिखीं ,जिनमें से कई बेस्ट सेलर रहीं |उन्होंने कई ऑडियो -वीडियो प्रोग्राम भी चलाये | उनकी कुछ प्रसिद्द किताबें हैं …
Manifest your destiny
Wisdom of the Ages
There is a spiritual solution to every problem
10 Secrets of success and inner peace
The power of intention , inspiration
Change your thought’s -change your life
Excuses Begone ! Wishes Fulfilled
I can see clearly now
प्रस्तुत हैं उनके कुछ जीवन मंत्र ….
Father of motivation-वेन डायर के 51 जीवन मंत्र
1)जो पाना है उसके लिए अभी जाओ …. भविष्य ने कभी किसी से कोई वादा नहीं किया है |
2)किसी की आलोचना करना आसान है लेकिन कुछ करना मेहनत , खतरा और परिवर्तन मांगता है |
3)जीवन में आपकी स्थिति आपकी मानसिक स्थिति के प्रतिबिम्ब के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है |
4..आप जीवन में कभी भी अकेलापन महसूस नहीं करेंगे , अगर आप उस व्यक्ति को पसंद करते हैं जिसके साथ आप अकेले हैं |
5..टालमटोल वो सबसे खतरनाक बिमारी है जो ख़ुशी और सफलता की मृत्यु दर को बढाती है |
6..आपकी प्रतिष्ठा दूसरों के हाथ में है , आप उसे किसी तरह से कंट्रोल नहीं कर सकते आप जोचीज कंट्रोल कर सकते हैं वो है आपका चरित्र |
7..वो हर चीज जिसके आप विपक्ष में हैं आप को कमजोर करती है , वो हर चीज जिसके आप पक्ष में हैं आपको शक्तिशाली बनाती है |
8..रिश्तों में समस्याओं की सबसे बड़ी वजह ये है कि हर व्यक्ति का ध्यान (फोकस ) इस बात पर है कि अगले व्यक्ति में क्या कमी है |
9..आपके दोस्त आपके परिवार के लिए ईश्वर द्वारा मांगी गयी क्षमा है |
10…जूनून एक भावना है जो आपको बताती है कि ये करना आपके लिए सही है, और कोई इस रास्ते में मुझे नहीं रोक सकता | तब इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि कोई क्या कहता है …ये भावना इतनी अच्छी व्हो शक्तिशाली होती है , जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता | आप कह उठते हैं कि मैं इश्वर द्वारा अपने को दिए गए आशीर्वाद के पथ पर चलने जा रहा हूँ …और ख़ुशी की इस आनन्ददायक लहर के अनुसार ही काम करूंगा |”
11..किसी भी रिश्ते में जब दो लोग एक हो जाते हैं तो उसका अंतिम परिणाम एक ही होता है ….दो अधूरे लोग |
12…हर बुरी आदत को एक विचार के साथ छोड़ा जा सकता है ….” मैं अपनी जिन्दगी में इस बात की जरूरत को मुक्त करता /करती हूँ |”
13…जब आप किसी संतरे को निचोड़ते हैं तो उसमें संतरे का रस निकलता है , क्योंकि वही उसके अंदर हैं | विपरीत परिस्थितियों द्वारा निचोड़े जाने से आपके अंदर से वही निकलेगा जो आपके अंदर है |
14…परिस्थितियाँ किसी व्यक्ति को नहीं बनाती हैं वो केवल उसके असली स्वरुप को खोल कर रख देती हैं
15…आप जिस काम को बहुत प्यार करते हैं और उससे जीविका कमाना चाहते हैं वहां अवसरों की कोई कमी नहीं है …अवसरों की कमी केवल आपके ‘इसे करना ही है ‘के संकल्प में है |
16…जब आप नृत्य करते हैं तो आपका उद्देश्य ये नहीं होता कि आपको ‘डांसिंग फ्लोर ‘पर एक खास जगह चाहिए , आप केवल अपने हर कदम का आनंद लेना चाहते हैं | यही बात जीवन में भी लागू होनी चाहिए |
17…सबसे बड़ी अज्ञानता या है कि आप उन चीजों को अस्वीकार कर देते हैं जिनके बारे में आपको कुछ भी पता नहीं |
18…मैं उन सब का शुक्रगुजार हूँ जिन्होंने मुझे ‘ना ‘कहा | केवल उन्हीं के कारण ये सब कुछ मैंने खुद किया |
19…अगर हम कुरूपता पर ज्यादा ध्यान फॉक्स करेंगे तो हमारे विचारों में कुरूपता बढ़ जायेगी , फिर हमारी भावनाओं में कुरूपता बढ़ जायेगी और अन्तत : हमारे जीवन में कुरूपता बढ़ जायेगी |
20…सबसे बड़ी जेल जिसमें लोग कैद रहते हैं वो ये है कि दूसरे व्यक्ति हमारे बारे में क्या सोच रहे हैं |
21…कर्तव्य पर आधारित रिश्तों में गौरव का अभाव होता है |
22…आप वो आकर्षित नहीं करते जो आप चाहते हैं , आप वो आकर्षित करते हैं जो आप हैं |
23…निर्णय या धारणा बनाना हमें उस खूबसूरती को देखने से रोकता है जो बाहरी दिखावे के अंदर छुपी होती हैं |
24…हर प्रकार का दोषारोपण केवल समय की बर्बादी है | इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप दूसरे के अंदर कितनी कमियाँ ढूंढ लेते हैं , और किसी सीमा की परवाह किये बिना आप उनपर कितना ज्यादा से ज्यादा दोष लगाते हैं …इससे आप की जिन्दगी में कोई परिवर्तन नहीं होता | इस बात से केवल आप का ध्यान (फोकस ) अपने आप पर होने के स्थान पर उन बाहरी कारणों पर हो जाता है जिसकी वजह से आप दुखी व् कुंठित हैं | हो सकता है दूसरे के ऊपर इल्जाम लगा कर उसमें अपराधबोध पैदा करने में आपको सफलता मिल जाए पर आप उसको बदलने में सफल नहीं होंगे जो आपके बारे में है, जो आप को दुखी कर रहा है |
25…मैं यथार्थ वादी हूँ ,…. मैं चमत्कारों की उम्मीद करता हूँ |
26…लोग आपके साथ कैसा व्यवहार करते हैं ये उनके कर्म हैं और आप उस पर कैसे प्रतिक्रिया देते हैं ये आपके |
27…हर परिस्थिति या तो विकास करने का एक अवसर है या विकास के मार्ग में एक अवरोध है …ये चुनाव आपको ही करना है |
28…आप हमेशा उन परिस्थितियों को नहीं बदल सकते जो बाहर हैं , लेकिन आप हमेशा उन परिस्थितियों को बदल सकते हैं जो आपके मन के अंदर चल रहीं हैं |
29….जब आप किसी दूसरे के बारे में अपनी राय व्यक्त करते हैं तो आप उनको परिभाषित नहीं करते , खुद को परिभाषित करते हैं |
30…आप जहाँ पर हैं वहां पर फंसे हुए तब तक नहीं हैं , जब तक आप इस बात को निर्णयात्मक रूप से स्वीकार नहीं कर लेते हैं |
31…आप चीजों को देखने के तरीके ( नज़रिए ) में परिवर्तन कर दीजिये और आपके प्रति उनका नजरिया बदल जाएगा |
32….आपको किसी दूसरे से बेहतर होने की आवश्यकता नहीं हैं , आपको केवल खुद से बेहतर होने की आवश्यकता है |
33…जितना ज्यादा आप खुद को वहां देखेंगे जो आप बनना चाहते हैं और उसी तरह से से व्यवहार करेंगे जैसे आप वहां पर अभी से हैं तो आप उन रुके हुए बालों को और ज्यादा शक्ति प्रदान करेंगे जो आप के सपनों को वास्तविकता में बदल देते हैं |
34…मैं जो हूँ उसके लिए नफरत किये जाना , जो नहीं हूँ उसके लिए प्यार किये जाना के बनिस्पत ज्यादा पसंद करूँगा |
35…जब आप खुद के साथ शांति में होते हैं और खुद को प्यार करते हैं तो वो खुद के खिलाफ कोई विनाशकारी काम करना नामुमकिन होता है |
36…जीवन का हर अनुभव बहुत महत्वपूर्ण है जो हमें हमारी जिन्दगी की अगली सीढ़ी पर ले जाता है , और ये हर क्षण हो रहा है |
37…आपकी भागीदारी के बिना कोई झगड़ा नहीं हो सकता |
38…जब मैं पैसे के पीछे भाग रहा था , तो पैसा मुझसे दूर भाग रहा था , जब मैंने जीवन को एक उदीश्य से जोड़ लिया , और उसमें खुद को पूरी तरह झोंक दिया तो पैसा मेरे पीछे भागने लगा |
39…शांति उस जीवन के साथ अनुकूलन बना कर चलना है जो ये है बनिस्पत उसके जैसा हमारे अनुसार इसे होना चाहिए |
40….अपने को बदलने की क्षमता को कभी कम मत आंकों और दूसरों के बदलने की क्षमता को कभी ज्यादा मत आंकों
41…संवाद की सबसे बड़ी समस्या ये है कि हम लोग दूसरे को समझने के लिए नहीं सुनते हैं ….हम उसे उत्तर देने के लिए सुनते हैं |
42…रिश्तों में चमत्कार तब होते हैं जब हम दूसरों के प्रति कोई धारणा नहीं बनाते हैं |
43….हमारे जीवन में जो कुछ हैं वो उस दिव्य की आगया का विस्तार है , इसलिए उसे वैसा ही स्वीकार करो | अपने पति , बच्चे , बॉस , मित्र आदि को समझने के लिए अतरिक्त उर्जा खर्च ना करो | संसार जैसा आपके सामने खुल रहा है उसे वैसा ही खुलने की अनुमति दो |
44…अगर आप सोचते हैं कि आप उदार रवैया इस लिए नहीं अपना पाते क्योंकि आपके पास कम है तो आप गलत सोचते हैं | अगर कम में आप उदारता नहीं दिखा पा रहे हैं तो ज्यादा में भी आप उदारता नहीं दिखा पायेंगे क्योंकि उदारता दिल का मामला है जेब का नहीं |
45 …लोग पूछते हैं डीटेच कैसे हों ? …. आप बस अपने उस ख्याल या विचार को अपने मन , दिमाग से अलग करना है जो आपको दुःख दे रहा है …धीरे धीरे आप डिटैच होने लगेंगे | ये एक बहुत ही शक्तिकारी अनुभव है |
46…manifestation…ये नहीं है कि आप जो चाहते हैं वो आप को मिल जाए , ये एक समझ है कि आप उन्हीं चीजों को अपनी तरफ खींचते हैं जो आप हैं |
47…जब आपको सही होने और दयालु होने में से एक को चुनना हो तो वो चुनो जो शांति लाये |
48…अगर आप को इस बात का बोध हो कि आपने जो रास्ता चुना है उसमें आप के पीछे कौन चल रहा है तो आपको कभी असुरक्षा या भय महसूस नहीं होगा |
49 …हर चीज जो बनी है वो मौन से आती है , आप के विचार अविचार से आते हैं …शब्द भी वहीँ से आते हैं |आपका अस्तिव भी अनस्तित्व से आता है … रचनात्मकता के लिए शांति जरूरी है |
50… दिन में पांच मिनट बस उन चीजों को धन्यवाद दें जो आपको मिली हैं … चमत्कार यहीं से शुरू होते हैं |
51…इस तथ्य को कभी न भूलो कि आप केवल एक इंसान नहीं है … आप एक आध्यात्मिक प्राणी हैं जो मानव शरीर का अनुभव लेने आये हैं … इस लिए खुद जैसे ही रहिये …वर्ना ये सारा अनुभव नकली होगा |
अटूट बंधन
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