हम सब चाहते है की हमारे रिश्ते अच्छे चले और इसके लिए हम प्रयास भी करते हैं | बड़ी मेहनत से रिश्तों के पौधे को सींचते हैं | खाद पानी देते हैं | दिल से जुड़े हर रिश्ते में हमारा बहुत बड़ा इन्वेस्टमेंट होता है … इमोशनल इन्वेस्टमेंट | जाहिर है नकद रकम के साथ ब्याज वसूलने की इच्छा हम सबकी होती है | सच है कि बदले में हमें बहुत कुछ मिलता भी है | पर हमेशा ऐसा होता नहीं की दो लोगों का रिश्ता एक सा रहे | यूँ तो हर रिश्ता इन ऊँचाइयों, गहराइयों से गुज़रता है पर साथ बना रहता है | पर कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं जहाँ दूरी इस कदर बढ़ जाती है की रिश्ता टूट जाता है | रिश्ता भले ही टूट जाए पर एक घाव दिल में हमेशा बना रहता है | पर अगर मैं कहूँ की हम हर रिश्ते को टूटने से आसानी से बचा सकते हैं तो ?
गुंजन और सौम्या के बिगड़ते रिश्तों की कहानी
गुंजन और सौम्या गहरी मित्र थी | वो साथ – साथ काम भी करती थीं |उन्होंने एक बुक शॉप खोली | शॉप पर बैठने की जिम्मेदारी गुंजन की व् प्रचार – प्रसार की सौम्या की थी | सब कुछ ठीक चल रहा था | उनमें छोटी सी गलतफहमी हो गयी | जिसको सुलझाने के साथं पर दोनों ने एक दूसरे पर आरोप -प्रत्यारोप लगाने शुरू कर दिए | दोनों अपने को सही सिद्ध करने की कोशिश करती | बात संभलने की जगह बिगड़ जाती | तनाव इस कदर बढा कि न सिर्फ दोनों का साझा काम बंद हो गया बल्कि दोनों की दोस्ती टूट गयी | इतनी की बरसों हो गए उन्होंने एक दूसरे का मुंह भी नहीं देखा |
ये सिर्फ गुंजन या सौम्या का किस्सा नहीं है | न जाने कितने रिश्ते यूँ ही गलतफहमी के शिकार हो कर टूट जाते हैं | अगर उस समय उनको संभालने की जितनी भी कोशिश की जाए बात बिगडती ही जाती है | सवाल ये उठता है की फिर गलतफहमी को दूर कैसे किया जाए ?
पॉज बटन से मंजुश्री व् गर्वित ने कैसे संभाला अपना रिश्ता
गर्वित और मंजुश्री पति – पत्नी है |यूँ तो पति – पत्नी के बीच विवादों का अंत नहीं है | फिर भी सुबह के झगडे शाम को या दो चार दिन बाद एक हो ही जाते हैं | पर इस बार मामला थोडा सीरियस था | कई दिनों से बातचीत बंद थी | सुलह की हर कोशिश नाकाम हो रही थी | लगता था बात तलाक तक चली जायेगी | तभी मंजुश्री ने एक महीने के लिए मायके जाने का प्रोग्राम बना लिया | शर्त ये थी की दोनों आपस में फोन पर भी बात नहीं करेंगे | शुरू – शुरू में दोनों को अपनी आज़ादी बहुत अच्छी लगी | धीरे – धीरे जिन्दगी में एक दूसरे का महत्व समझ में आने लगा | फिर आकलन होने लगा उन परिस्थितियों का जो एक दूसरे के बिना भोगनी पड़ती | अंत तक आलम ये हुआ की दोनों एक दूसरे की कमी शिद्दत से महसूस करने लगे | एक महीने बाद दोनों ने आपस में बात कर साथ रहने की स्वीकृति दे दी | मंजुश्री का मायके जाना वो पॉज बटन था | जिससे दोनों के रिश्ते फिर से हरे भरे हो गए | हालांकि पति – पत्नी के तलक के मामले में आद्लते भी ६ महीने अलग रहने का जो आदेश देती हैं वो एक तरह से पॉज बटन ही है | जिसमें अनेकों शादियाँ टूटने से बच जाती हैं | पर पति – पत्नी के अतिरिक्त हमारे अन्य कीमती रिश्ते भी होते हैं जहाँ अलगाव अदालतों द्वारा नहीं होता है | ऐसे में रिश्तों को टूटने से बचाने के लिए ये पॉज बटन हमें खुद ही दबाना पड़ता है |
क्या है ये पॉज बटन
कभी लैपटॉप पर मनपसंद फिल्म देखते समय कोई आ जाए तो आप क्या करते हैं | पॉज बटन दबा देते हैं | बस फिर क्या मेहमान के जाने के बाद वहीं से पिक्चर शुरू | कोई सीन मिस नहीं होता | टी. वी , कम्प्यूटर के रिमोट की तरह आपकी जिंदगी का रिमोट भी आपके हाथ में है | जिन्दगी में भी जब व्यवधान बढ़ जाए तो अगर आप पॉज बटन दबा देंगे तो जिंदगी फिर से वहीं से शुरू होगी | जहाँ छोड़ी थी | बिना किसी कडवाहट के साथ | ये पॉज बटन है ” टाइम गैप ” …. यानि रोज – रोज लड़ने झगड़ने के स्थान पर रिश्तों को थोडा समय देना | कम से कम इतना समय कि एक दूसरे की जरूरत महसूस हो | इस पॉज बटन के दबाने के बाद अगर आप का रिश्ता वापस लौट आता है तो आप की जिन्दगी फिर से वहीं से शुरू हो जायेगी | साथ ही आप – दोनों के पास आरोप – प्रत्यारोप की नकारात्मक यादें नहीं होंगी | जो आपको बार – बार अतीत में नहीं घसीटेंगी |अगर आप का रिश्ता वापस नहीं आया तो आप आगे उस में ” इमोशनल इन्वेस्टमेंट करने से बच जायेंगे |
कैसे दबाये पॉज बटन
पॉज बटन दबाने के लिए आप को और उस व्यक्ति को जिससे आप का गहरा लगाव है पर पिछले कुछ महीनों से बार – बार गलतफहमी पैदा हो रही है समझदारी से काम लेना पड़ेगा | यहाँ मैं विशेष रूप से दो कहवतों की बात करना चाहूंगी ,” जितना गुड डालो उतना मीठा” और कीड़े ज्यादा मीठे में ही पड़ते हैं ” | दरसल हर रिश्ते में मिठास की एक निश्चित मात्र की जरूरत होती है | उससे ज्यादा मिठास हानिकारक होती है | अक्सर रिश्ते इसलिए बिगड़ते हैं जब दो लोग जिनमें गहरा लगाव है ( उनमें कोई भी रिश्ता हो सकता है … पति – पत्नी , भाई – बहन , पिता – पुत्र , मित्र आदि ) वहां एक दूसरे के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताना हम अच्छे रिश्ते की पहचान मान लेते हैं | यहीं पर अधिकार भावना का जन्म होता है | अधिकार भावना एक हद से ऊपर घातक है | वहां दखलंदाजी महसूस होने लगती है | रिश्ते का दम घुटने लगता है | दोनों रिश्ते से भागने की कोशिश करने लगते हैं | यहीं गलतफहमियों का जन्म होता है | और फिर शुरू होता है लड़ाई – झगड़ों का दौर | अगर आपसी बातचीत से ये लड़ाई – झगडे नहीं सुलझ रहे हैं व् विवाद बढता जा रहा है | तब एक दूसरे से भाग कर सांस लेने की कोशिश के स्थान पर एक दूसरे से बात करके सांस लेने की कोशिश करनी चाहिए | आरोप – प्रत्यारोप में नकारात्मकता बढाने के स्थान पर एक दूसरे से एक नियत समय मांगना चाहिए | जिसमें हम झगड़ने के स्थन पर शांति से दूसरे के पक्ष को समझ सकें | व् एक दूसरे की जरूरत महसूस कर सके | गलफहमी या नाराजगी जितनी बड़ी होगी पॉज उतना ही बड़ा लेना पड़ेगा |
पॉज बटन से कैसे संभलते हैं रिश्ते
पॉज बटन के बाद जब वही रिश्ते हमारी जिंदगी में आते हैं तो गलतफहमी दूर हो चुकी होती है | एक दूसरे की अहमियत समझ में आ चुकी होती है | अधिकार भावना कम हो जाती है | जिसके कारण अपेक्षाएं भी कम हो जाती है | और रिश्ते की मुरझाई कली फिर से खिल जाती है |
बिगड़ते रिश्तों को सँभालने के लिए ये पॉज बटन बहुत कारगर हथियार है | और एक बार , दो बार , तीन बार जब जरूरत हो इसका इस्तेमाल जरूर करें |
वंदना बाजपेयी
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वंदना जी, रिश्तों में इस बटन का उपयोग करके हम अपने रिश्तों को सही मायने में जीवित रख सकते हैं। सुंदर प्रस्तुति।