सुप्रसिद्ध लेखक kent m keith की दार्शनिक कविता Anyway में जीवन दर्शन समाया है l समस्त मानवीय वृत्तियों जैसे ईर्ष्या, क्रोध, जलन , सफलता, खुशियाँ आदि में हम दूरों की राय से सहजता से प्रभावित हो जाते हैं l अक्सर झगड़ों की वजह और खुल कर ना जी पाने की वजह भी यही होती हैं l कई बार प्रेम भरे रिश्तों में भी शीत युद्ध की दीवार खींची रहती है l परनातू ये युद्ध हमारे और उनके बीच होता ही नहीं, ये होता है …
कविता का हिंदी अनुवाद किया है वंदना बाजपेयी ने l आइए पढ़ें कविता
फिर भी…
फिर भी..
होते हैं लोग अक्सर समझ से परे
चिड़चिड़े और आत्मकेंद्रित
करना क्षमा उन्हें
फिर भी…
अगर बह रहा हो दया का सागर हृदय में तुम्हारे
तब भी नवाजे जा सकते हो तुम
स्वार्थी मतलबी के उपालंभों से
करते रहना दया
फिर भी…
अगर कहूं रही है सफलता कदमों को तुम्हारे
तो मिलेंगे राह में कुछ घटक शत्रु और कुछ विश्वास घाती मित्र भी
होना सफल
फिर भी…
अगर हो तुम अटल और ईमानदार
चले जाओगे कदम-कदम पर अपने और बेगानों के द्वारा
रहना ईमानदार
फिर भी…
जीवन के बरसों-बरस लागाने के बाद
हुआ होगा दृश्यमान तुम्हारी रचनात्मकता से जो कुछ
सकते हैं गिर कुछ आओने और बेगाने लोग उसे
बने रहना रचनात्मक
फिर भी…
अगर जीवन के अरण्य में
खोजने पर मिल जाए तुम्हें शांति और खुशियाँ
तो ईर्ष्या की कनाते साज जाएगी कुछ मनों में
रहना खुश
फिर भी…
जो किया है आज तुमने अच्छा
वो भूल दिया जाएगा कल तलक
करते रहना अच्छा
फिर भी…
बोते रहना अच्छाई के बीज
मनों की धरती पर
जानते हुए कि तृप्त नहीं होगी धरा
मात्र कुछ छींटों से
देते रहना
फिर भी…
देखना, अपने आखिरी भी खाते में
थोड़ा झांक कर एक बार
ये सारा खेल तो ठा बस तुम्हारे और ईश्वर के मध्य
ये नहीं था तुम्हारे और उनके मध्य
कभी भी…
अनुवाद वंदना बाजपेयी
मूल कविता
पाठकों के लिए यहाँ पर प्रस्तुत है मूल कविता anyway
Anyway
“People are often unreasonable,
irrational, and self-centered.
Forgive them anyway.
If you are kind,
people may accuse you of selfish,
ulterior motives.
Be kind anyway.
If you are successful,
you will win some unfaithful friends
and some genuine enemies.
Succeed anyway.
If you are honest and sincere
people may deceive you.
Be honest and sincere anyway.
What you spend years creating,
others could destroy overnight.
Create anyway.
If you find serenity and happiness,
some may be jealous.
Be happy anyway.
The good you do today,
will often be forgotten.
Do good anyway.
Give the best you have,
and it will never be enough.
Give your best anyway.”
You see, in the final analysis,
it is between you and your God.
It was never between you and them anyway.
Anyway Poem was written by Kent M Keith
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