तुम ही हो
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आज फिर तुम्हारी यादों ने
मेरे मन के दरवाजे पर
दस्तक दी है……..
फिर उदास हो गई ये शाम……
क्या कहुँ तुमको…….
अजीब असमंजस की सी
स्थिति है…….
एक तरफ “दिल”
मुझे तुम्हारी ओर खींचता है … तो
दूसरी तरफ किसी की
नजर में न आ जाऊं का डर
क़दमों की बेड़ियां बन मुझे
रोक लेता है…..!!!
न तो एक झलक
देख पाने के लोभ का
संवरण किया जा सकता है….!!!
और न ही लोक-लाज के भय
को ही त्यागने का साहस…..!!
मुद्दत हुई
न भुला गया वो चेहरा
दोष मेरा है
क्या करूँ मन को
बेखुदी में जो कुछ भी लिखा
बसबब मैंने…….
वास्ता तुमसे ही है
क्या पता है तुमको……?????
खुद भी न कभी
खुद को समझा
लगा बस तुम ही हो “”खुदा”””
तुम ही हो खुदा…….!!!!!
आखिर क्या है ये
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कितनी भी दशा और दिशाएं
तय कर लूँ
ये “मन” तुम्हारे ही
इर्द-गिर्द घूमता है…..
कितनी भी खाइयाँ
क्युं न बना लूँ
हमारे बीच फिर भी
ये “मन”
गोल-गोल चक्कर
लगाते हुए
तुम तक पहुँच ही जाता है……
आखिर क्या है
तुम्हारा और मेरा रिश्ता……????
प्यार..???? , स्नेह…????, दोस्ती …???
या इन सबसे कहीं ऊपर
एक दूसरे को जानने समझने की इच्छा…..???
क्या रिश्ते को नाम देना जरुरी है????
रिश्ते तो “मन” के होते हैं
सिर्फ “मन ” के …….!!!!!
हम – तुम
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बहुत महीन था वह बंधन
बंधे थे जिसमें
“हम-तुम”
न जाने कब….. क्यों…. और कैसे …????
पड़ गई उनमें छोटी-छोटी गांठे…..
पता ही नहीं चला
समझ ही न पाये “हम -तुम”
जब घेरती हैं पुरानी यादें
बहुत दर्द देती हैं वो यादें
रिसती रहती है धीरे-धीरे
चलो आज मिलकर खोलते हैं
उन सारी गांठों को…..!!!!
सुलझाते हैं उन धागों को
जिसके खूबसूरत बंधन से
बंधे थे “हम-तुम”
गांठों से मुक्त करते हैं
अपने बीच के बंधन को
पिरोते हैं उसमें अतीत के
खुबसूरत फूल……
और खो जाते हैं
उसकी खुशबु में “हम-तुम”
संबंध
**************तुम्हारा मेरा “संबंध”….
माना की भूल जाना चाहिए था,
मुझे अब तक……!पर लगता है एक शून्य अब भी है,
जो बिना कहे सुने पल रहा है
हमारे बीच……!आज वही शून्य मुझसे कह रहा है,की
वह सब यदि मुझे भुला नहीं ,तो
भूल जाना चाहिए अवश्य
एकदम अभी, आज ही, इसी वक़्त..पर उन यादों को मिटाना क्या आसान है….???
जो नागफनी की तरह
मेरे “मन” के हर कमरे में
फर्श से लेकर दीवारों तक फैले हैं…
जिसका दंश रह-रह कर शूल सा
चुभता रहता है…!!याद है…?
तुम हमेशा कहा करते थे
नागफनी तो सदाबहार होती है…!
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शायद इसलिए सदाबहार की तरह छाये रहते हो मेरे मन- मस्तिष्क पर ..।-नंदा पाण्डेय
रांची (झारखंड)