हिंदी की कीमत पर अंग्रेजी नहीं

                         हिंदी दिवस आने वाला है | अपनी अन्य  पूजाओं की तरह एक बार फिर हम हमारी प्यारी हिंदी को फूल मालाएं चढ़ा कर पूजेंगे और उसके बाद विसर्जित कर देंगे | आखिर क्यों हम साल भर इसके विकास का प्रयास नहीं करते | … Read more

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देश गान

                   स्वतंत्रता दिवस का अर्थ केवल जश्न मनाना नहीं है ये दिन हमें हमारे कर्तव्यों को याद दिलाता है | तो आइये हम भी अपने देश के प्रति अपने कर्तव्यों  को पालन करने का संकल्प लें | जैसा कि इस देश गान में लिया है …. देश … Read more

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फूल गए कुम्हला

किसी का आगमन तो किसी का प्रस्थान ये जीवन का शाश्वत नियम है |  प्रात : सुंदरी सूर्य की रश्मियों के रथ पर बैठ कर जब आती है तो संध्या को खिलने वाले फूल कुम्हला जाते हैं और दीपक धुंधले पड़ जाते हैं | आईये पढ़ें प्रकृति का मनोहारी वर्णन करती हुई कविता … फूल … Read more

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पुर्नस्थापन

तुलसी मात्र एक पौधा ही नहीं है वो हमारी संस्कृति और भावनाओं का प्रतीक भी है  जिसका पुनर्स्थापन जरूरी है | प्रतीक के माध्यम से संवेदनाओं को संजोने का सन्देश देती कविता  कविता -पुर्नस्थापन क्यों तुलसी को उसके   आँगन से उखाड़ ले जाओगे ? भला वहाँ कैसे पनपेगी रोप कहाँ तुम पाओगे ? इतने दिन … Read more

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दो जून की रोटी

एक इंसान के जीने के लिए पहली आवश्यकता क्या है .. बस “दो जून रोटी ” उसका सारा संघर्ष इसी के इर्द गिर्द बिखरा पड़ा है | हृदयस्पर्शी कहानी … दो जून की रोटी   बुआ जी के घर पर, सत्यनारायण कब आया, मुझे पता नहीं. जबसे होश संभाला, उसे बुआ जी के घर के पीछे, … Read more

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सखि , देखो तो , वसन्त आया

सखि , देखो तो , वसन्त आया नव द्रुम , नव पल्लव , नव सुगन्ध चहुँ दिशि मधु – उसव का आनन्द मंजरी मधुर मधुकोष भरित ये आम्र – कुंज भी बौराया सखि , देखो तो वसन्त आया अमराई में कोयल कूजी वन उपवन ने श्रृंगार किया वृक्षों , पादप , लतिकाओं की देही पर … Read more

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प्रकृति की अद्भुत छटा

कूजती है कोकिला अमराई मेंगूंजती भ्रमरावली मधुराई मेंचल रही सुरभित मृदुल शीतल पवनकर रहे कलरव मधुर पक्षी मगनइन्द्रधनुषी तितलियां इठला रहींझूमती लतिकाएं रस बरसा रहींपुष्प भारों से झुके पादप विपुलखिल रहा सौन्दर्य धरती का अतुलपीत सरसों खेत में लहरा रहीअवनि रंगों से सजी मुसका रहीबांसुरी चरवाहे की कुछ कह रहीप्रकृति की अद्भुत छटा मन हर … Read more

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गीत वसंत

धरा ने है ओढ़ी वसन्ती ये चूनरनव सुमनों का किनारा टँका हैनवल किसलयों का परिधान पहनाकि फागुन अभी आ रहा , आ रहा है धरा – – – –ये पायल की रुनझुन सी भँवरों की गुनगुनसघन आम्रकुन्जों में कोयल की पंचमशीतल सुगन्धित मलय को लिए संगऋतुराज तो स्वागत को खड़ा हैधरा  – – – – ये पुष्पों … Read more

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वाणी-वंदना

                                         यूँ तो पतझड़ के बाद वसंत के आगमन पर जब वसुंधरा फिर से नव- श्रृंगार करती है तो सारा वातावरण ही  एक अनूठी शोभा से युक्त हो जाता है | ऋतुओं में श्रेष्ठ वसंत ऋतु  … Read more

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जल जीवन है

अखिल सृष्टि में जल जीवन है जीवन का सम्मान करो संरक्षित कर स्वच्छ सलिल को धरती में मुस्कान भरो जिस पानी को हम तलाशते मंगल चन्द्र विविध ग्रह पर वह अमृत अवनी पर बहता नदी , झील ,निर्झर बनकर मिले विरासत में जो , इन जल स्रोतों पर अभिमान करो नष्ट मत करो इन्हे बचाओ  … Read more

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