करवाचौथ का उपवास

करवाचौथ … क्या ये उपवास लोटा सकता है ? उस विधवा के मांग का सिंदूर जो कुछ दिन पहले सीमा के पास रह रहे उस नवेली दुल्हन की सितारो वाली चुंदङी उङा कर ले गये क्या ये उपवास लोटा सकता है? उस सुहागन का मांग टीका जो बिना किसी कारण शिकार  बना उन दंगो का जिससे उसका दूर दूर तक कुछ लेना देना भी न था क्या ये उपवास लोटा सकता है? उस औरत का विश्वास जो किसी परनारी पर आंख रख बेठे अपने पति की वफादारी को पढ भी नही पाती क्या ये उपवास लोटा सकता है उस बहन का सुहाग जो गल्ती से पेट की खातिर सीमा पार कर चल पङे पर सालो साल बंदी रहे बिना किसी अपराध घुट घुट…तिल तिल कर मरे क्या ये उपवास लोटा सकता है? उस बहन का सिंदूर जो सीमा पर लङने हेतु भेज गई अपने सिदूंर को ताकि महफूज रहै लाखो बहनो का सिंदूर करते तो हम सभी है इस उपवास पर विश्वास पर … क्या ये उपवास लोटा सकता है? वो अधूरी आस जिसके लिये न भूख लगे ना प्यास बस जिवित रहता है एक अहसास …कि ना छुटे विश्वास एकता सारदा सूरत (गुजरात)

अटल रहे सुहाग : एक प्यार ऐसा भी

बस अब इन दिनो मे और जमकर मेहनत करनी है ये सोचता हुआ रामू अपना साईकिल रिक्शा खींचे  जा रहा था।पिछले 8-10हफ्तो से वो ज्यादा समय तक सवारी ले लेकर और पैसे कमाना चाह रहा था।अपनी धुन मे वो पिछले कितने समय से लगा हुआ था। ले भाई !तेरे पैसे ये कहते हुए सवारी वाले ने उसे पैसे दिये।आज के कमाऐ  हुए पैसो  मे से कुछ रुपये अपने मित्र कन्हैया को देते हुआ बोला और कितने इकट्ठे करने होंगे? कन्हैया बोला यार कम से कम 1200-1300 रुपये तो होने चाहिये।अभी तो 950ही एकत्रित हुऐ है।और अब करवाचौथ को बचे भी दो दिन है।ठीक है कोई नही इन दो दिनो मे और ज्यादा मेहनत करुंगा कहकर रामू घर को चल पङा। शादी को 10साल हो गये थे पर रामू ने अपनी पत्नी को कभी कोई तोहफा नही दिया था।इस बार वो कुछ देना चाहता था अपनी पत्नी को तोहफे मे।उसे देर हो जाती थी तो उसकी पत्नी राह देखती देखती दरवाजे पर ही सो जाती थी।आसपास कही लोकल  फोन भी न था जहां वो फोन करके बोल भी देता कि देरी हो जायेगी।कुछ दूर बनियें की दुकान थी जहा मुहल्ले के सभी लोगो के फोन आते जाते थे पर शाम पङे वहां गली का कुछ बदमाश लङके डेरा जमा के बैठ जाते थे और लङकियो और औरतो से बतमिजी किया करते थे।इसलिये रामू ने शाम के बाद उसे वहाँ जाने के लिये मना किया हुआ था। आज फिर देर कर दी ! अपनी बीवी की आवाज सुन रामू का ध्यान भंग हुआ।हां, अभी त्यौहारो का दिन है ना तो सवारियां थोङी ज्यादा मिल जाती है। हाथ मूहं धोकर जैसे ही रामू खाना खाने बेठा उसकी बीवी बोली दो दिन बाद करवा चौथ है आप तब तो जल्दी आ जाना घर.. मेरा व्रत होगा।हम्म् कहकर रामू मन ही मन मुस्कराने लगा। दो दिन की कङी मेहनत करने के बाद अब रामू के पास अलग से 1400 रूपये इकट्ठे  हो गये थे।उसने 1200 का अपनी बीवी के लिये मोबाईल लिया और और उपरी खर्चा करके डिब्बे को छुपाते हुये घर पहुचा और भगवान के मन्दिर के पीछे  रख दिया। सुबह देर तक रामू के न उठने पर बीवी ने आवाज लगाई..आज काम पर नही जाना क्या? नही आज मन नही है  कहकर वह झूठमूठ सोने का नाटक करने लगा।तभी पङोसन इट्ठलाते हुऐ आई देख लता मेरे ये मेरे लिये साङी लाये है।तुम्हे क्या मिला या इस बार भी भैया यू ही रखे।लता मुस्कराते हुऐ रामू की तरफ देख बोली मेरा सुहाग ही मेरा तोहफा है।तभी घर मे फोन की घंटी बजी लता यहां वहां देखने लगी आवाज तो यही से आ रही है जाकर देखा तो भगवान की मूर्ति के पिछे एक पैकेट पङा था उत्सुकतावश उसे देखा तो अंदर एक डिब्बे मे से फोन की घंटी बज रही थी और जब उठाया तो दुसरी तरफ से रामू का दोस्त बोला पाय लागू भौजाई।लता को समझते देर नही लगी कि उसका पति देर रात तक मेहनत क्यूं करता था।बस एकटक रामू की तरफ देखते हुऐ खुशी के आंसू बहाये जा रही थी।इस बार की करवा चौथ कुछ खास बन गई उसकी। एकता शारदा