पूरक एक दूजे के

 आज पितृ दिवस पर मैं अपने पिता को अलग से याद नहीं कर पाउँगी , क्योंकि माता -पिता वो जीवन भर एक दूसरे के पूरक रहे यहाँ तक की समय की धारा   के उस पार भी उन्होंने एक दूसरे का साथ दिया  |एक बेटी की स्मृतियों के पन्नों से निकली  हृदयस्पर्शी कविता … पूरक एक … Read more

Share on Social Media

विश्व पर्यावरण दिवस

विकास के साथ हमने जिस चीज का सबसे ज्यादा  विनाश किया वो है हमारा पर्यावरण | पर्यावरण हमारे जीने का आधार है , इसकी उपेक्षा कर के हमने पृथ्वी पर जीवन को ही खतरे में डालने की शुरुआत कर दी है | आज अनेकों बीमारियाँ इसका परिणाम है | अगर अब भी नहीं चेते तो … Read more

Share on Social Media

एक पाती नेह भरी -बहुत याद आ रही हो माँ!

आज तुम बहुत याद आ रही हो माँ! पर आज ही क्यों… तुम तो मुझे सदा ही इसी तरह याद आती हो। या यूँ कहूँ तुम मेरी यादों से कभी गई ही नहीं।आज न जाने क्यों मन में स्वयं से ही यह जानने की जिज्ञासा जगी है कि चौवन वर्ष के अपने और तुम्हारे इस … Read more

Share on Social Media

बचपन की छुट्टियाँ: नानी का घर

              कई दिनों से मन में स्मृतियों के बादल उमड़-घुमड़ रहे थे, गरज रहे थे पर बरसने का नाम नहीं ले रहे थे। बहुत बेचैन था मन बरसने को आतुर, पर बरसे कहाँ जाकर? माँ-पापा के कंधे तो कब के छूट चुके.. जहाँ मौसम-बेमौसम कभी भी सुख-दुःख में जाकर … Read more

Share on Social Media

विश्व हास्य दिवस पर दो कवितायें

हँसी.. ख़ुशी का पर्याय है | हँसना वो तरंग है जिस पर जीवन उर्जा नृत्य करती है | फिर भी आज हँसी की कमी होती जा रही है | ये कमी इतनी हो गयी है कि इसे इंडेंजर्ड  स्पीसीज का किताब देते हुए विश्व हास्य दिवस की स्थापना करनी पड़ी | अगर जीवन की उर्जा … Read more

Share on Social Media

पीली फराक

बाबू! इस जन्मदिन पर तो मेरे लिए पीले रंग की फराक लाओगे न? हाँ! हाँ! जरूर लाऊँगा। हरिया के दिमाग में उठते ही रधिया की बातें गूँजने लगी।       बदन बुखार और दर्द से टूटा जा रहा था। हिम्मत उठने की नहीं हो रही थी पर आज पीली फराक तो रधिया को लाकर … Read more

Share on Social Media

बुद्ध पूर्णिमा पर 17 हाइकु

हायकू काव्य की एक विधा है जो नौवी शताब्दी से प्रचलन में आई | ये बहुत ही गहन विधा है जिसमें  कम से कम शब्दों में अपनी बात कही जाती है | हायकू कविता  की बनावट 5-7-5 होती है | बुद्ध पूर्णिमा पर पढ़ें – भगवान् बुद्ध  को समर्पित 17 हाइकु  नहीं आसान  स्वयं बुद्ध बनना  … Read more

Share on Social Media

किताबें

मैंने हमेशा कल्पना की है कि स्वर्ग एक तरह का पुस्तकालय है -जोर्ज लुईस बोर्गेज  किताबें मनुष्य की सबसे अच्छी दोस्त होती हैं | ये अपने अंदर  विश्व का सारा ज्ञान समेटे हुए होती हैं | केवल किताबों को पढ़कर एक कोने में रख देना ही काफी नहीं है उन्हें समझ कर उस ज्ञान को … Read more

Share on Social Media

शहीद दिवस पर कविता

शहीद दिवस भारत माता के तीन वीर सपूत भगतसिंह , राजगुरु व् सुखदेव को  कृतज्ञ राष्ट्र का सलाम है |अंग्रेजी हुकूमत ने 23 मार्च सन 1931 को फांसी पर लटका दिया था | देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों का बलिदान करने वाले ये तीनों हमारे आदर्श हैं आइये पढ़ते हैं उन्हीं को समर्पित … Read more

Share on Social Media

विश्व गौरैया दिवस पर दो कविताएँ

20 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय गौरैया दिवस मनाया जाता है | इसका मुख्य उद्देश्य गौरैया और अन्य घरेलू चिड़ियों के  बारे में जागरूकता पैदा करना है , ताकि इनकी लुप्त होती प्रजाति को बचाया जा सके | ये एक पहल है भारत की nature foever society व् बहुत सारे अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण समूहों की | इसी चेतना अभियान … Read more

Share on Social Media