जोमैटो और शुक्ला जी

                      The Telegraph से साभार अगर आप ग्रीनिज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड के रिकार्ड चेक करें तो देखेंगे कि मशहूर होने   के भी अलग अलग किस्से होते हैं |कोई नाखून बढ़ा कर मशहूर होता है, कोई बाल बढ़ा कर तो कोई लगातार हँस कर , या रो कर | पहले लोग इसके लिए बहुत मेहनत करते थे | किसी के लम्बे बालों या नाखूनों की उलझन को सहज ही समझा जा सकता है | पर आज सोशल मीडिया युग है इसमें एक आलतू -फ़ालतू सी ट्वीट आपको रातों -रात स्टार बना सकती है | ऐसा ही किया शुक्ला जी ने ….अब शुक्ला जी तो स्टार बने ही बने मुफ्त का ज़ोमैटो का विज्ञापन भी कर दिया | अब शुक्ला जी टाइप  के लोग हर जाति धर्म में होते ही हैं | इन्हें कुछ दिन बाद सिरफिरे कह कर भुला भी दिया जाएगा पर ज़ोमैटो तो एक कम्पनी है उसे तो इससे आर्थिक लाभ हुआ उसका श्रेय शुक्ला जी को जरूर जाएगा क्योंकि “विज्ञापन का भी कोइऊ धर्म नहीं होता “ जोमैटो और शुक्ला जी   अब ज़ोमैटो और शुक्ल जी का किस्सा जिनको नहीं पता है उनकी जानकारी के वास्ते इतना बता दें कि एक ऑनलाइन वेबसाईट (कम्पनी) है ज़ोमैटो | जिसमें जुड़े किसी भी रेस्ट्रोरेन्ट से आप खाना ऑन  लाइन आर्डर कर के मंगवा सकते हैं |  ये आपको  घर बैठे उस रेस्ट्रोरेन्ट का लजीज खाना पहुँचा देती है | बड़े शहरों में ये वेबसाईट खासी प्रसिद्द है | इसके लिए इसने तमाम डिलीवरी बॉय रखे हैं जो पैक  करा हुआ खाना ग्राहक तक पहुंचाते हैं | अभी कुछ दिन पहले ज़ोमैटो के एक डिलीवरी बॉय के द्वारा रास्ते में स्कूटर रोक कर इन पैक किये हुए खाने को करीने से खोल कर हर पैकेट से कुछ चम्मच भोग लगा कर वापस वैसे ही पैक कर डिलीवरी कर देने की पोस्ट वायरल हुई थी | इससे उन लोगों को भी ज़ोमैटो के बारे में पता चला जिनके  पास इसकी जानकारी नहीं थी …और जिन्होंने इससे खाना तो कभी मँगाया ही नहीं था | अब एक हैं शुक्ला जी |  शुक्ला जी को चार रोज पहले  उनके मुहल्ले के चार लोगों से ज्यादा कोई नहीं जानता था | एक दिन शुक्ला जी ने जोमैटो से कुछ खाना मँगवाया | और जैसे ही उनके पास मेसेज आया कि फलां डिलीवरी बॉय उनके घर खाना ले कर आ रहा है तो मेसेज में उसके धर्म को देख कर शुक्ला जी को अपना धर्म याद आया | शुक्ला जी का कहना था कि वो सावन के दिनों में अपने धार्मिक कारणों की वजह से किसी दूसरे धर्म के व्यक्ति के हाथ से लाया गया खाना नहीं ले सकते | कृपया उनके धर्म के व्यक्ति का डिलीवरी बॉय से खाना भिजवाया जाए | जोमैटो ने उनकी इस शर्त को मानने  से इनकार कर दिया | शुक्ला जी को गुस्सा बहुत आया , उन्होंने जनेऊ सर पर (कान पर नहीं ) चढ़ा कर  खाना कैंसिल करते हुए ये बात  ट्वीट कर दी | उनकी ट्वीट पर ज़ोमैटो ने अपने पक्ष की ट्वीट करी कि वो ये आग्रह स्वीकार नहीं कर सकते क्योंकि … “खाने का कोई धर्म नहीं होता | खाना अपने आप में एक धर्म है |” अब बस जनता को हथियार मिल गया कुछ लोग शुक्ला जी के पक्ष में तो कुछ ज़ोमैटो के पक्ष में खड़े हो गए | देखते ही देखते ट्विटर और फेसबुक की हर वाल पर शुक्ल जी या ज़ोमैटो जी  छा गए | हड़प्पा और मोहन जोदाड़ों की खुदाई   फिर शुरू हुई और एक पुरानी ट्वीट  और पापुलर हुई  जिसमें हलाल का मीट ना देने पर ज़ोमैटो ने ग्राहक से माफ़ी माँगी थी | एक और खबर छाने लगी कि कैसे एक मुस्लिम मदरसे ने इस्कॉन टेम्पल में बनाए खाने को मिड डे मील के रूप में लेने से इंकार कर दिया था | मने की सहिष्णुता /असहिष्णुता का खेल शुरू होगया | मतलब ई कि शुक्ला जी ही सिरफिरे नहीं हैं , उनके जैसे सिरफिरे पहले भी रह चुके हैं | खैर अब मध्य प्रदेश पुलिस की तरफ से शुक्ला जी को FIR मिल (दर्ज )गयी है और ज़ोमैटो को वार्निंग | तो अब पर्दा गिराने से पहले  अगर ज़ोमैटो की बात की जाए तो  इससे कई वेज और नॉन वेज रेस्ट्रोरेन्ट जुड़े हैं | ग्राहक अपनी पसंद के किसी भी रेस्ट्रोरेन्ट से खाना मँगवा सकता है | कई ऐसे रेस्ट्रोरेन्ट जहाँ वेज और नॉन वेज दोनों प्रकार का खाना बनता है वो भी नवरात्र स्पेशल व् पितृ पक्ष स्पेशल नाम की थाली निकालते हैं | उसमें दावा होता है कि ये थालियाँ अलग रसोई में पूर्णतया शुद्ध सात्विक तरीके से बनायी गयीं हैं | निश्चित तौर पर ऐसा कम्पनियाँ धर्म की वजह से नहीं करती बल्कि अपने व्यापार को बढ़ने के लिए करती हैं | निश्चित तौर पर इससे उनका व्यापर बढ़ा  है और सहूलियत मिलने पर व्रत करने वालों की संख्या भी | आज अगर आप नवरात्र थाली स्पेशल देखें तो आप को जरूर लगेगा कि काश आपने भी व्रत कर लिया होता | क्योंकि उसमें इतने आइटम होते हैं जितने आम आदमी की थाली में नहीं होते | पुन्य लाभ और स्वाद लाभ दोनों | ऐसा वो अन्य धर्मों की थालियों में भी करते होंगे | इन समस्त सुविधाओं में ऐसा कभी रेस्ट्रोरेन्ट की ओर से नहीं लिखा जाता कि वो अपने रसोइये किसी खास धर्म के व्यक्ति को ही रखेगा | रसोइया कौन है इसकी जानकारी किसी को नहीं होती | होटल में भी खाना परोसने वाले व्यक्ति के धर्म की जानकारी किसी को नहीं होती | आज पैकेट बंद फ़ूड का ज़माना है | बिस्कुट , दालमोठ , अचार आदि में किस धर्म के व्यक्ति के हाथ लगे हैं ये पैकेट पर नहीं लिखा रहता | ऐसे में शुक्ला जी का ये विश्वास कर लेना कि खाना तो स्वधर्मी ने ही बनाया होगा परन्तु डिलीवरी बॉय का नाम देखकर  लेने से इनकार कर देना गलत है | ऐसे व्यक्तियों के लिए घर का बना खाना ही सही है | और अगर ऐसा न कर सकें तो  फल या दूध दही से गुज़ारा … Read more

एक प्रेम कथा का अंत

प्रेम कितना खूबसूरत अहसास है , ना ये उम्र देखता है ना जाति -धर्म , लेकिन समाज ये देखता है | उसे बंधन में बांधे गए घुट -घुट कर जीते जोड़े पसंद हैं पर प्रेम के नाम पर अपने मनपसंद साथी को चुनने का अधिकार नहीं |यूँ तो रोज ना जाने कितनी प्रेम कथाओं का अंत होता रहता है , ये तो महज उनकी एक कड़ी है | एक प्रेम कथा का अंत  टिंग -टांग घंटी की आवाज सुनते ही निधि ने   दरवाजा खोला | सामने उसकी  घरेलू  सहायिका की माँ देविका खड़ी थी | “अरे ! इतनी जल्दी , आज तो इतवार है , अभी तो नाश्ता भी नहीं बना “उसने दरवाजे पर ही उसे लगभग रोकते हुए कहा | पर वो एक उदास दृष्टि से उसकी  ओर देख कर आगे बढ़ गयी और पंखा खोलकर सोफे पर पसर  गयी | वो  पीछे -पीछे आई | ” क्या हुआ ? सब ठीक तो है” , आज राधा नहीं, तुम आयीं हो  |” देविका  सुबकने लगी | पल्लू से अपनि आँखें पोछ  कर बोली , ” का बतावे, राधा को पुलिस पकड़  कर ले गयी | “ राधा को पुलिस पकड़  कर ले गयी , आखिर किस जुर्म में , किस अपराध में ? ” का बतावें , आग लगे सबको , हमरा तो पेट जलत है “कहते हुए वो अपने पेट की मांस -पेशियों को जोर -जोर से नोचने लगी | “आखिर हुआ क्या ?” अरे , हुआ ई कि हमरी राधा के कोन्हू दिमाग नाहीं है | सब ससुरालिये पड़े रहते हैं उसके घर मा आये दिन , सब का नंबर राखत है , कई बार कहा जब ऊ सब तुम को नाहीं पूछत हैं तो तुम काहे अपनी जान होमत हो सब की खातिर , पर हर बार एक ही जवाब अम्मा  हमको दया लग जाती है |अब भुगतो !! “पर हुआ क्या ?” निधि  अपनी अधीरता को रोकने की असंभव कोशिश करते हुए कहा ” का बतावें  , ई जो राधा के चचिया ससुर का देवर है ना , बड़ा हरामी है , ठाकुरों की बहु भगा लाया  | उसकी भी राजी है   , अब वो लोग क्या छोड़ देंगे … मार डालेंगे , ना अपनी बीबी बच्चों का सोचा , ना उसके बच्चे का |  महतारी  ने भी अपने बच्चे का नहीं सोचा ऊपर से उसने अपनी  भौजाई को बता दिया कि डिल्ली में  हैं | वो औरत ठाकुरों के दवाब में सब कबूल गयी  | अब लगा लिए पता कि डिल्ली में तो उसकी भौजाई राधा ही राहत है तो खोजत -खोजत  पुलिस आय गयी | लेडिस पुलिस ले गयी है पूछताछ के वास्ते” , कह कर वो फिर रोने लगी | निधि को  कुछ भी समझ नहीं आया कि उसे कैसे चुप कराये  | पूरी बात की तहकीकात करने के लिए  उसने  राधा को फोन मिलाया  | ” आ रही हूँ भाभी , अभी रास्ते में हूँ |” उधर से राधा की आवाज़ आई | उसे  कुछ तसल्ली हुई और ये बात उसकी माँ को बता कर वो  चाय बनाने किचन में चली आई | थोड़ी देर में राधा आ गयी | ” क्या हुआ  ? तुम्हारी माँ बहुत परेशान है, जब से आई है राये जा रही है  ? ” उसने  पूछा ” कुछ नहीं माँ की तो परेशान होने की आदत है |” ” राजाराम (राधा का पति ) बता रहा था लेडिस पुलिस आय के तुमको लिवा ले गयी |” देविका   वहीँ से बोली | “झूठ , बोल रहा था | लड़की के ससुरालिये  आये थे | कह रहे थे तुम बस उसका घर बता दो, हम तुम्हें कुछ नहीं कहेंगे  | हमने भी कह दिया , हमें पता नहीं है , साथ में ढूँढने चलते हैं  | खिचड़ीपुर में रहता है ,ढूंढते -ढूंढते पहुँच गए उसके घर , लड़की वही पाजामा टॉप पहने उसके साथ एक ही चारपाई पर बैठी थी |  कतई कम उम्र की थी | ये राजाराम ना जाने काहे झूठ बोल रहा था , उसको तो पता था, उसी के सामने तो गए थे , का डरते हैं हम किसीसे  |”राधा ने तेज आवाज़ में कहा ” अरे मरे साला , बहुतही झूठ बोलता है |” देविका  मुँह बिचकाते हुए बोली   इतनी गाली -गलौज  की भाषा निधि को अच्छी नहीं लग रही थी | आज वो अपने स्वाभाविक रूप में थीं जैसे घर में रहतीं है  पर  वो  उनकी इस मानसिक दशा में कुछ कह भी नहीं पायी और धीरे से चाय छानने के लिए रसोई में घुस गयी |” चाय सुडकते मठरी कुतरते राधा बोलती जा रही थी , ” बड़ी हरा.. औरत है , दो बार पहले भी भाग चुकी है , अब इसके साथ भाग आई  | मैंने कहा कि तुम्हारी वजह से ठाकुर हमारे घर आये तहकीकात को , हमारा क्या दोष ,  दिल्ली काहे आ गयीं , कहीं और भाग जाती ,मर जातीं ,  तो मुझसे कहने लगी , ” आप बीच में ना बोले दीदी , आप पर दोष नहीं आएगा | हम कहेंगे पंचायत में , कोर्ट में, हम आये हैं इसके साथ , का गलत का है ,  आदमी नहीं है वो,  नामर्द है साला , जबरजस्ती बाँध रखा है अपने  साथ | जे बच्चा भी उसका ना है जेठ से करा दिया | जब उसने मिटटी पलीद कर ही दी तो काहे  चाकरी करें उसकी ,जब मरद के होते हुए भी इसका उसका पेट भरे का ही है तो क्यों ना अपने मन का चुन लें |  ना मायके की ठौर , ना ससुरे की | हाँ भागे हैं हम दुई बार और पहिले भी …साले डरपोंक निकले  कह दिया हमरे साथ नहीं आई है | एही लिए ई बार हम कोई रिस्क ना लेवे | “ ” हे भगवान् , ऐसे बोली एकदम  खुल्ला | अरी नासपीटी , ये  आजकल की लडकियाँ हैंये ऐसी , ना लाज ना शरम , ना जान का डर , मरे जा के पर तुम पर मुसीबत ना आवे |” देविका अपनी छाती को लगभग पीटते हुए बोली | हम पे का मुसीबत आवेगी अम्मा , ठाकुरन की बहु है , छोड़ेंगे थोड़ी ही ना, काट डालेंगे  | … Read more

व्रत

अरे बशेसर की दुल्हिन , ” हम का सुन रहे हैं , अब तुम हफ्ता में तीन  व्रत करने लगी हो | देखो , पेट से हो , अपने पर जुल्म ना करो | अभी तो तुमको दुई जानो का खाना है और तुम … काकी की बात पूरी भी नहीं हुई थी कि बशेसर की अम्माँ बोल पड़ीं | समझाया तो हमने भी था , पर मानी ही नहीं | अब धर्म -कर्म की बात है , का करें …हम रोकेंगे तो पाप तो हमहीं को चढ़ेगा ना |” काकी ने समर्थन में सर  हिलाया | “चलो पुन्य करने वाली है लड़का ही होगा “ ” तुम्हारे मुँह में घी शक्कर “ उधर इन दोनों से थोड़ी दूर पर बैठी बशेसर की दुल्हिन  अपने पैर के अंगूठे से जमीन खोदते हुए सोचती है कि , ” पुन्य जाए भाड़ में छठे महीने से जब जमीन पर बैठ चूल्हे पर रोटी बनाने में दिक्कत होने लगी तब कितना कहा था उसने सासू माँ से , हमसे नहीं होता है | तब कहाँ मानी थीं वो , बस एक ही रट लगी रहती , ऐसे कैसे नहीं होता , हमने तो ६ बच्चे जने  और पूरे समय तक रोटी बनायीं और तुम पहले बच्चे में ही हाथ झाड़ रही हो |” तब व्रत ही उसे एक उपाय लगा | सास खुद ही उसे रसोई से हटा देतीं , चलो हटो , व्रत की हो , ये रोटी की रसोई है |खुद ही फल ला कर उसके आगे रख देतीं | व्रत की वजह से ही सही इस भीषण गर्मी में उसे रोटी बनाने से तो मुक्ति मिल ही गयी थी | नीलम गुप्ता यह भी पढ़ें … तन्हाँ सुरक्षित छुटकारा श्रम का सम्मान आपको  लघु कथा   “ व्रत“ कैसी लगी   | अपनी राय अवश्य व्यक्त करें | हमारा फेसबुक पेज लाइक करें | अगर आपको “अटूट बंधन “ की रचनाएँ पसंद आती हैं तो कृपया हमारा  फ्री इ मेल लैटर सबस्क्राइब कराये ताकि हम “अटूट बंधन”की लेटेस्ट  पोस्ट सीधे आपके इ मेल पर भेज सकें  filed under – hindi story, emotional story in hindi, fast, fasting, pragnent woman

देश की समसामयिक दशा पर पाँच कवितायें

देश की दशा पर कवि का ह्रदय दग्ध ना हो ऐसा हो ही नहीं सकता | वो अपने दर्द को शब्द देकर न सिर्फ खुद राहत पाटा है बल्कि औरों को सोचने को भी विवश करता है | प्रस्तुत है देश की समसामयिक दशा पर ऐसी ही कुछ कवितायें ………. देश की समसामयिक दशा पर पाँच कवितायें  विकास ——————- बिहार से आ रही है रोज बच्चों के मरने की खबर और हम रोती कलपती माताओं से दृष्टि हटा नयी मिस इंडिया की ख़बरों में उलझे हैं सच में हमने विकास कर लिया है हम मानव से मशीन  बन गए हैं टी .वी रिपोर्टिंग  ——————— आइये आइये … अपने टी वी ऑन करिए देखिये -देखिये कैसे कैसे गरीब बच्चे मर रहे हैं यहाँ अस्पताल में इलाज के आभाव में हाँ  तो डॉक्टर साहब आप क्या कर रहे हैं ? देखिये -देखिये वो बच्चा वहाँ  पड़ा उसे कोई पूछ नहीं रहा आखिर क्या कर रहे हैं आप ? बताइए -बताइए ? छोडिये मैडम जाने दीजिये क्यों जाने दूं आज पूरा देश देखे देखे तो सही आप की लापरवाही मैंने कहा ना मैडम जाने दीजिये फिर जाने दीजिये हद है आप डरते हैं उत्तर देने से नहीं मैडम डरता नहीं पर जितनी देर आपसे बात करूंगा शायद एक बच्चे की जान बचा लूँ मुझमें और आपमें फर्क बस इतना है कि आपके  चैनल की टी आर पी बढ़ेगी बच्चों की मौत की सनसनी से और मेरी निजी प्रैक्टिस बच्चो को बचाने से शरणार्थी —————— वो शरणार्थी ही थे जो रिरियाते हुए आये थे दूर देश से दया की भीख मांगते पर भीख मिलते ही वो 200 लोगों को ट्रक में लाकर कर देते हैं डॉक्टरों पर हमला डॉक्टर करते हैं सुरक्षा की मांग नहीं पिघलती सत्ता की कुर्सी की ममता उन्हें नज़र आता है  सांप्रदायिक रंग नहीं देखतीं कि उनकी सरपरस्ती में क्या  है जो गुंडागर्दी पर उतर आये हैं बेचारे शरणार्थी और इन दो पाटो के बीच पिस रहे हैं मरीज शरणार्थियों के पक्ष में खडी ममता आखिर क्यों नहीं देख पाती उन का दर्द जो अपने मरीज के ठीक होने की आशा में आये थे इन अस्पतालों की शरण में संसद में नारे  ——————- इस बार संसद में गूंजे जय श्री राम अल्लाह हु अकबर जय भीम जय हिन्द जय संविधान के बुलंद नारे सही है कि एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में सबको है स्वतंत्रता अपने -अपने धर्म -सम्प्रदाय के नारों की आवाज़ बुलंद करने का नहीं है कोई रोक टोक बशर्ते ये नारे ना हों एक दूसरे को नीचा दिखाने लिए संसद से लेकर सड़क तक ना बने धर्म किसी युद्ध की वजह आधा गिलास पानी ——————- जब तुम फ्रिज से निकाल कर हलक से उतारते हो आधा गिलास पानी और आधा बहा देते हो नाली में तो कुछ और सूख जाते हैं महाराष्ट्र , बुन्देलखंड और राजस्थान के खेत तीन गाँव पार करने की जगह अब चार गाँव पार कर लाती हैं मटकी भर पानी वहां की औरतें क्या ये सही नहीं कि प्यास के अनुसार  पिया जाए सिर्फ आधा गिलास एक बार में और आधा बच जाए फेंकने से क्या ये भी बताना पड़ेगा कि ये धरती सबकी है और सबके हैं इसके संसाधन नीलम गुप्ता यह भी पढ़ें मैं माँ की गुडिया ,दादी की परी नहीं … बस एक खबर थी कच्ची नींद का ख्वाबकिताबें कतरा कतरा पिघल रहा है आपको ”  देश की समसामयिक दशा पर पाँच कवितायें “कैसे लगी अपनी राय से हमें अवगत कराइए | हमारा फेसबुक पेज लाइक करें | अगर आपको “अटूट बंधन “ की रचनाएँ पसंद आती हैं तो कृपया हमारा  फ्री इ मेल लैटर सबस्क्राइब कराये ताकि हम “अटूट बंधन“की लेटेस्ट  पोस्ट सीधे आपके इ मेल पर भेज सकें | filed under- poem in Hindi, Hindi poetry , current situation 

अथ श्री मुफ्त मेट्रो कथा

चुनाव का मौसम यानी फ्री का मौसम … हर राजनैतिक पार्टी कुछ ना कुछ फ्री देने की घोषणा करती है | मोदी जी पद्रह लाख हर गरीब के अकाउंट में डलवा रहे थे तो राहुल जी 72000 … अब केजरीवाल जी कहाँ पीछे रहते उन्होंने दिल्ली मेट्रो में सफ़र करने वाली हर महिला का किराया माफ करने की बात कही है | जिसे वो केवल चुनावी वादे  के रूप में ही नहीं ला रहे हैं बल्कि वो चुनाव से पहले ही इसे लागू  करना चाहते हैं क्योंकि वो जानते हैं कि जनता अब वादो पर यकीन नहीं करती , इसीलिये उसनेअपने ७२००० का नुक्सान करवाने का रिस्क  भी ले लिया है | और ‘आप’ की पतली हालत को देखते हुए वो जनता की रिस्क लेने की खराब आदत को फिर से कोई मौका नहीं देना चाहते | केजरीवाल जी ने इस सुविधा के लिए bpl कार्ड बनवाने की परेशानियों सभी महिलाओं को मुक्ति दे दी है | यानी आप मर्सिडीज से चलती हों या ११ नंबर की बस से कोई फर्क नहीं है , आप मुफ्त मेट्रो यात्रा कर सकती हैं | लेकिन इस फ्री से महिलाओं में एक और फ्री की इच्छा जगी है …. अथ श्री मुफ्त मेट्रो कथा  केजरीवाल सरकार ने दिल्लीवासियों को बिजली हाफ और पानी माफ़ देने के बाद तीसरे अध्याय में महिलाओं को मेट्रो का किराया माफ़ करने की बात कही है | ख़ुशी के मारे हम महिलाओं के  तो पाँव जमीन पर नहीं पड़ रहे हैं | सुनते हैं इसमें सरकार को १२००००००००००० अतरिक्त भर पड़ेगा | जीरो जरा चेक कर लीजियेगा | ख़ुशी में कहीं  कम ज्यादा ना हो गए हों | इसी ख़ुशी को बांटने के लिए मुहल्ले में हम सब ने इस बात पर वार्ता -पार्टी दी | और सबने अपने –अपने विचार रखे |  सबसे ज्यादा खुश श्रीमती गुप्ता थीं | यूँ तो उनके पास चार  गाड़ियां हैं , पर उनके हिस्से में मर्सिडीज आती है | कारण है वो एवरेज ज्यादा देती है तो बाकी लोग जिन्हें रोज जाना होता है वह मारुती की गाड़ियां ले कर फुर्र हो जाते हैं और् मर्सिडीज रिश्तेदारों पर अपनी शान दिखाए जाने के लिए किसी उत्सव की प्रतीक्षा में खड़ी रह जाती है | अब इस खबर से वो खासी उत्साह  में थीं कि अब तो वो मेट्रो की फ्री यात्रा से दिल्ली के अलग –अलग मालों में जाकर जाकर तमाम एक के साथ एक फ्री स्कीम का लाभ उठा पाएंगी | भाई मानना पड़ेगा कि इस देश में इतनी राजनैतिक पार्टियों के होते हुए भी अमीरों की गरीबी देखने का जो हुनर केजरीवाल के पास है वो किसी के पास नहीं | श्रीमती मलिक ने सुझाव रखा,” क्यों न हम हर महीने होने वाली किटी  पार्टी का आयोजन मेट्रो में ही रखा करें | क्या है कि मैंने तीन –चार किटी  ज्वाइन कर रखी हैं |अब घर में पार्टी हो तो ए सी दिन भर चलता रहता है | बिजली हाफ का फायदा ही नहीं मिल पाता | बिजली का बिल इतना लम्बा –चौड़ा आता है कि देख के पसीना आ जाए | अब ये पार्टियाँ मेट्रो में ही की जाए तो कैसा रहेगा | शुरू के स्टेशन से पकड लेगें तो बैठने की जगह भी मिलेगी | फिर घुमते रहो दिन भर , मनाते रहो पार्टी पर पार्टी आमने –सामने की सीटों पर बैठे हुए | घर का बिजली का बिल भीकम आएगा … ये फायदा अलग से | श्रीमती देसाई कहाँ चुप बैठने वाली थीं , झट से बोलीं , “ मेरे विचार से तो केजरीवाल सरकार को महिलाओं को लंच पैकेट भी फ्री में मुहैया करवाने चाहिए | क्या है कि गर्मी बहुत है ना | हम महिलाओं को खाना बनाने में कितना पसीना बहाना पड़ता है | अब लंच मुफ्त रहेगा तो घूमते रहो रोज यहाँ से वहां … क्या फर्क पड़ता है कि मेट्रो द्वारिका से वैशाली जा रही है या वैशाली से द्वारिका | श्रीमती देसाई की बात सभी महिलाओं को सही लगी | और हम सब चल पड़ीं केजरीवाल से फ्री लंच की मांग करने … जैसे खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है एक फ्री मिलने पर दूसरे फ्री की मांग शुरू हो जाती है | केजरीवाल जी मना तो नहीं करेंगे … आखिर बात महिलाओं की …श्श्श …चुनाव की जो है 🙂  नीलम गुप्ता  यह भी पढ़ें … अप्रैल फूल -याद रहेगा होटल का वो डिनर सूट की भूख तुम्हारे पति का नाम क्या है ? वो पहला खत आपको आपको  व्यंग लेख “ अथ श्री मुफ्त मेट्रो कथा   “ कैसा लगा  | अपनी राय अवश्य व्यक्त करें | हमारा फेसबुक पेज लाइक करें | अगर आपको “अटूट बंधन “ की रचनाएँ पसंद आती हैं तो कृपया हमारा  फ्री इ मेल लैटर सबस्क्राइब कराये ताकि हम “अटूट बंधन”की लेटेस्ट  पोस्ट सीधे आपके इ मेल पर भेज सकें |  filed under- ,  Satire in Hindi, metro, Delhi metro  free metro ride for women in delhi, 

फेसबुक पर लाइक कमेंट की मित्रता

दोस्त यूँ ही नहीं बनते | दो लोगों के जुड़ने के बीच कुछ कारण होता है | ये कारण उस दोस्ती को थामे रखता है | दोस्ती को जिन्दा रखने के लिए उस कारण का बने रहना बहुत जरूरी है | ऐसी ही तो है फेसबुक की मित्रता भी …जिसकी प्राण -वायु है लाइक और कमेंट फेसबुक पर लाइक कमेंट की मित्रता  फेसबुक की इस अनजान दुनिया में तमाम परायों के बीच अपनापन खोजते हुए मैंने ही तो भेजा था तुम्हें मित्रता निवेदन जिसे स्वीकार किया था तुमने बड़ी ही जिन्दादिली से और मेरी वाल पर चस्पा कर दी थी अपनी पोस्ट स्वागत है आपका झूम गयी थी उस दिन मन ही मन और एक तरफ़ा प्रेम में डूबी मैं तुम्हारी  हर पोस्ट पर लगाती रही लाइक  और कमेंट की मोहर और खुश होती रही अपनी मित्रता की इस उपलब्द्धि पर महीनों की मेहनत के बाद तुम्हारी  भी कुछ लाइक चमकने लगीं मेरी पोस्ट पर और उस दिन समझा था मैंने खुद को दुनिया का सबसे धनी फिर फोन नंबर की हुई अदला -बदली और कभी -कभी मुलाकाते भी अचानक तुमने मेरी पोस्ट आना छोड़ दिया कुछ खटका सा मेरे मन में हालांकि फोन पर थीं तुम उतनी ही सहज मिलने के दौरान भी लगता था सब ठीक फिर भी तुम्हारी हर पोस्ट पर मेरी लाइक -कमेंट के बाद नहीं आने लगीं तुम्हारी लाइक मेरी किसी भी पोस्ट पर इस बीच बढ़ गए थे हमारे मित्रों की संख्या पर उन सबके बीच मैं हमेशा खोजती रही तुम्हारी लाइक और होती रही निराश  अन्तत :न्यूटन का थर्ड लॉ अपनाते हुए धीरे -धीरे तुम्हारी पोस्टों पर कम होने लगे मेरे भी   कमेंट फिर लाइक भी अब हमारी फोन पर बातें भी  नहीं  होतीं मुलाकातें तो बिलकुल भी नहीं और फेसबुक की हजारों दोस्तियों की तरह हमारी -तुम्हारी दोस्ती भी जो लाइक -कमेंट से शुरू हुई थी लाइक -कमेंट की प्राण वायु के आभाव में खत्म हो गयी नीलम गुप्ता यह भी पढ़ें … मैं माँ की गुडिया ,दादी की परी नहीं … बस एक खबर थी कच्ची नींद का ख्वाबकिताबें कतरा कतरा पिघल रहा है आपको “फेसबुक पर लाइक कमेंट की मित्रता  “कैसे लगी अपनी राय से हमें अवगत कराइए | हमारा फेसबुक पेज लाइक करें | अगर आपको “अटूट बंधन “ की रचनाएँ पसंद आती हैं तो कृपया हमारा  फ्री इ मेल लैटर सबस्क्राइब कराये ताकि हम “अटूट बंधन“की लेटेस्ट  पोस्ट सीधे आपके इ मेल पर भेज सकें | filed under- poem in Hindi, Hindi poetry, facebook, facebook friends

प्रेरणा में छिपी जलन

जो लोग आप का उत्साह बढाते हैं | आपको आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते दिखते  हैं | क्या वो आप से जल सकते हैं ? यकीनन आपका उत्तर ना ही होगा | लेकिन ऐसा हो भी सकता है , कई बार वर्षों बाद जब आपको पता चलता है कि अमुक व्यक्ति आपसे जलता  रहा है और जिसके प्रेरणादायक शब्दों को सुन कर आप  उसे अपना हितैषी समझ रहे थे, तो सच्चाई सामने आने पर आप के पैरों तले जमीन खिसकना स्वाभाविक है | आखिर कैसे पहचाने उन लोगों को जिनकी प्रेरणा में जलन छिपी हो …. How to know if someone is secretly jealous of you  जरा इस उदाहरण पर ध्यान दीजिये …ये बातचीत है मिश्रा जी की और मिताली की हाँ तो क्या रिजल्ट रहा ?पड़ोस के मिश्रा जी ने पान चबाते हुए पूछा बड़ी ख़ुशी के साथ मिताली ने  रिजल्ट   उनके हाथ में पकड़ा दिया | मिताली को मिश्रा अंकल बहुत अच्छे लगते थे | वो उसकी पढाई -लिखाई में इतनी रूचि जो लेते थे | उनके शब्दों से उसे बहुत प्रेरणा मिलती थी |  रिजल्ट लेते ही उन्होंने मुँह थोड़ा बिचकाकर पान का रस अंदर की ओर गुटकते  हुए कहा ,  ” अरेरेरे ! क्लास में थर्ड , भई ये तो अच्छा नहीं लगा , फर्स्ट आओ  तब कोई बात होगी , हमें तो तभी ख़ुशी होगी , अभी और मेहनत करो और … ————————— ठीक है , ठीक है  , फर्स्ट तो आई हो पर ये गणित /हिंदी /विज्ञान में नंबर कुछ कम है , भी जब गणित में सौ में सौ नंबर आयेंगे तो ख़ुशी होगी |  ——————— ये स्कूल तो खासा नामी नहीं है , अरे फलाना स्कूल में पढ़ातीं तब कुछ ख़ुशी की बात होती | कोशिश करती रहो …करती रहो | ————————- अच्छा -अच्छा लिखने लगी हो ?( यहाँ आप किसी भी कला , प्रतिभा को ले सकते हैं )  कहाँ छप कहाँ रही हो ? ओह , ठीक है अच्छी बात है , तुम्हें बड़ी लेखिका , तब मानेगे जब नेशनल पत्रिकाओं में छ्पोगी …फिर शिकायत नहीं रहेगी कि हमने तारीफ़ नहीं करी |  मिताली क्लास में फर्स्ट भी आ गयी , गणित में १०० में १०० नंबर नंबर भी , अच्छे स्कूल में पढ़ाने  लगी और बड़ी पत्रिकाओं में छपने भी लगी |  लेकिन मिश्रा जी खुश नहीं हुए …इस बार उन्होंने ख़ुशी को आगे सरकाया भी नहीं , पर उनके निराश चेहरे ने उनके अतीत के सभी वाक्यों की पोल खोल दी | अब बारी मिताली के चौंकने की थी |  क्या आप ने देखे हैं ऐसे लोग ? पहचानिए प्रेरणादायक शब्दों के पीछे छिपी जलन की भावना को  जब बच्चा पहला कदम रखता है तो माता -पिता की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहता | वो हर कदम पर उसे प्रोत्साहित करते हैं ,सँभालते हैं , गिरने पर पैरों की मालिश कर उसे फिर से दुरुस्त करते हैं |  जब बच्चा चलने लगता है , दौड़ने लगता है तो उसे इस की जरूरत ही नहीं रहती | हमारे आस -पास हमारे अपनों में बहुत से ऐसे लोग होते हैं , जो हमारे किसी क्षेत्र में पहले कदम पर ताली नहीं बजाते , गिरने पर सँभालते भी नहीं , हाँ ये जरूर कहते हैं कि , “ठीक है कोशिश कर रही/रहे हो अच्छा है लेकिन जब ‘वो’ …प्राप्त करोगी /करोगे तब हमें ख़ुशी होगी | अक्सर हम इस बात को मोटिवेशनल समझने की व्  उन्हें अपना हितैषी समझने की  भूल कर जाते हैं | लेकिन जब हम गिरते, लडखडाते  संभलते , तथाकथित ”वो” स्थान  प्राप्त कर लेते हैं , तब असली चेहरा सामने आता …क्योंकि तब भी वो खुश नहीं होते | मोटिवेशन और इर्ष्या में अंतर अक्सर लोग नहीं समझ पाते हैं | जो व्यक्ति वास्तव में आप को प्रेरणा देना चाहता है वो हर कदम पर आपके साथ होगा | वो पहले कदम के बाद दूसरा कदम रखने की जुगत बतायेगा | लेकिन जो व्यक्ति इर्ष्या करता है वो पहले कदम के बाद ये कह कर तारीफ़ नहीं करेगा ….वो देखों वो है चाँद …जो वहां तक नहीं गया , समझो वो चला ही नहीं | जब व्यक्ति पहले ही कदम पर चाँद को देखता है तो उसका मनोबल टूट जाता है | अरे इतनी लम्बी यात्रा कैसे होगी , वो चलने से डर  जाता है और दूसरा कदम ही नहीं रख पाता | दरअसल पहले कदम पर ताली बजा कर हौसला अफजाई की जरूरत होती है ….चलने की अधिकतम सीमा बताने की नहीं | अगर आप के आस -पास के कोई व्यक्ति ऐसा कर रहे हैं तो उनके मन में आप के लिए प्रशंसा का भाव कम इर्ष्या का भाव ज्यादा है | वो आपकी छोटी से छोटी गलतियों पर ध्यान दिलाएंगे अगर आप सफल हैं और अपने क्षेत्र में अच्छा काम कर रहे हैं तो ऐसी लोग आप की छोटी से छोटी गलती पर  ध्यान दिलाएंगे | मान लीजिये अगर आप  थोड़ा  सा असफल होते हैं तो उनका पहला शब्द होगा , ” देखा मैंने तो कहा था |” ऐसा कह के वो अपने को थोड़ा सा उंचा महसूस करते हैं | आपका उतरा चहेरा उनकी तसल्ली होती है | यहाँ पर कुछ अन्य लक्ष्ण दे रही हूँ ताकि आप अपने करीबी लोगों की छुपी हुई जलन को पहचान सकें  वो आपको नज़र अंदाज  करेंगे                          जब आप सफल होंगे तब उनका व्यवहार आप के प्रति बदल जाएगा | वो आपके लिए कभी समय नहीं निकालेंगे | जब भी आप उनके मिलने बात करने की इच्छा रखेंगे वो मैं व्यस्त हूँ कह कर बात खत्म कर देंगे | दोस्तों की महफ़िल में वो आप को नज़र अंदाज कर देंगे | आप देखेंगे कि जिस समय आप की उपस्थिति में वो आप को नज़रअंदाज कर रहे हैं …ठीक उसी समय वो किसी अन्य मित्र या व्यक्ति के आने पर अपना पूरसमी देकर खुल कर बात करेंगे | उल्टा चक्र                      दुनिया का नियम है कि  जब आप सफल हैं तो लोग आपस जुड़ते हैं और असफलता मिलते ही दूर होने लगते हैं | कहा भी … Read more

प्रधानमंत्री मोदी -अक्षय कुमार इंटरव्यू से सीखने लायक बातें

फोटो –दैनिक भास्कर से साभार  व्यक्ति कोई भी हो क्षेत्र कोई भी हो जब कोई व्यक्ति सफल होता है तो उसके पीछे उसकी कुछ ख़ास आदतें या गुण होते हैं | atootbandhann.com का प्रयास रहा है कि अपने पर्सनालिटी डीवैलपमेंट सेक्शन में उन शख्सियतों के गुणों की भी चर्चा की जाए , जिससे हम सब सब उन गुणों को अपने व्यक्तित्व में शामिल कर सकें | यहाँ पर ये बाध्यता नहीं है कि हम व्यक्ति को पसंद करते  हैं कि नहीं पर आत्म विकास की राह में गुण ग्राही होना पहली शर्त है | प्रधानमंत्री मोदी जी के आलोचक भी उनकी लोकप्रियता और एक चायवाले से प्रधान मंत्री बनने की सफल यात्रा से इनकार नहीं कर सकते | अक्षय कुमार द्वारा लिए गए इंटरव्यू से कुछ ऐसेही आत्मविकास और  सफलता के सूत्र ले कर आई हैं नीलम गुप्ता जी …. प्रधानमंत्री मोदी -अक्षय कुमार  इंटरव्यू से सीखने लायक बातें    फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार द्वारा लिया गया प्रधानमंत्री मोदी का इंटरव्यू आजकल चर्चा में हैं | वैसे तो ये गैर राजनैतिक इंटरव्यू है पर इसका प्रभाव राजनैतिक दृष्टि से भी पड़ेगा इस संभावना  से इनकार नहीं किया जा सकता | ये  वीडियो वायरल हो गया है | जाहिर है पक्ष –विपक्ष वाले दोनों इसे देख रहे हैं और अपने –अपने हिसाब से आकलन कर रहे हैं | लेकिन मैं ये कहना चाहूँगी कि आप मोदी जी के पक्ष में हो या विपक्ष में लेकिन अगर इस इंटरव्यू से कुछ बातें सीखने को मिल रही हैं है तो उनसे सीखने में क्या हर्ज है | हम और आप में से बहुत से लोग फेंकू कह कर मोदी जी पर हंस सकते हैं पर उन शिक्षाओं पर अगर धयन दें तो अपने निजी जीवन में कुछ गुण जोड़ सकते हैं | तो आइये सीखते हैं … जिन्न पर नहीं कर्म पर भरोसा रखो प्रधानमंत्री मोदी के इंटरव्यू में अक्षय कुमार का एक प्रश्न और उसका जवाब मुझे बहुत अच्छा लगा |  प्रश्न था कि अगर आपके हाथ में अलादीन का चिराग आ जाए तो आप क्या माँगेंगे | आम तौर पर इसी उत्तर की उम्मीद की जा सकती है कि ये मांगेंगे वो माँगेगे और क्योंकि बात मोदी जी कई है चुनाव का माहौल है तो मुझे उम्मीद थी कि वो कहेंगे कि अपने देश की खुशहाली मांगेंगे , बच्चों की शिक्षा या जवानों और किसानों के लिए कुछ मांगेंगे | परन्तु मोदी जी का उत्तर इन सबसे जुदा था | उन्होंने कहा कि , “ वो जिन्न से मांगेंगे कि जहाँ कहीं भी लिखी हैं उन सब को मिटा दो , कि कोई ऐसे शक्ति होगी जो हमें बैठे –बैठे सब कुछ दिला देगी , ऐसी कहानियाँ बच्चों को नकारा बनाती हैं | उन्हें सिर्फ ऐसी कहानियाँ सुनानी चाहिए कि जितनी मेहनत करोगे उतना ही फल मिलेगा | मुझे याद है कि कुछ समय पहले ऐसी ही एक फिल्म बनी थी सीक्रेट … उसके ऊपर सीरिज़ में किताबें भी आयीं , बेस्टसेलर बनी खूब बिकीं | “Law of attraction” का नशा यूथ के सर चढ़ कर बोलने लगा | ऐसी ही मेरी एक रिश्तेदार की बेटी है जो उन दिनों कहा करती थी कि उसने सीक्रेट से लॉ ऑफ़ अट्रैक्शन सीख लिया है जिसे वो प्रयोग में लाती है , उसका IIT में अवश्य चयन हो जाएगा | वो ज्यादा पद्थी नहीं थी पर उसे उस किताब की विज्युलाइजेशन टेक्नीक पर भरोसा था | वो रात को सोते समय रोज सोचती की वो IIT दिल्ली में पढ़ रही है , उस थ्रिल को , उस ख़ुशी को महसूस करती और सो जाती |  मैंने उसे समझाया भी कि जितने लोग सेलेक्ट हुए हैं उन्हें उस परिणाम से तो प्यार् था ही , वो सपनों में तो अपने को वहाँ देखना चाहते ही थे पर उसके लिए कड़ी मेहनत  भी करते थे | क्या तुमने कभी किसी चयनित उमीदवार  का इंटरव्यू नहीं सुना ? उनमें से किसी ने नहीं कहा कि वो सब उन्हें सपने देखने से मिल गया | सबने एक ही सूत्र बताया , मेहनत , मेहनत  और मेहनत | “वो मूर्ख थे “कहते हुए उसने मेरी बात काट दी | अगर यह सब कुछ बिना मेहनत के ही मिल जाए तो वो मूर्ख ही तो कहलायेगा जिसने उसके लिए जान झोंक दी | कुछ समय बाद जब रिजल्ट निकला तो उसका कहीं चयन नहीं हुआ था , साथ ही बारहवीं के बोर्ड एग्जाम में भी उसके बहुत कम नंबर  आये थे | उसने मुझसे कहा कि मैंने विज्युलाइजेशन टेक्नीक तो अपनाई थी पर मेरे मन में कहीं न कहीं यह विश्वास भी था कि मैं पढ़ तो रही नहीं हूँ , क्या ये टेक्नीक वर्क करेगी | मैंने कहाँ यहीं पर किताब में झोल है , वो विश्वास पढने से या मेहनत करने से ही आता है | हमारे दिमाग की कार्यविधि ही ऐसे है | कहते हैं कि हमारे दिमाग का एक हिस्सा रेपटीलियन ब्रेन होता है | जिसे सुस्त  और आलसी रहना पसंद हैं | कभी देखा है घड़ियाल या मगरमच्छ को घंटों एक जैसा पड़े हुए … वैसे ही हमारा दिमाग हर चीज यूँ ही पड़े –पड़े प्राप्त कर लेना चाहता है, या थोडा सा परिश्रम करने के बाद फिर अपने आलसी मोड में आ जाता है | जो लोग बहुत मेहनत करते हैं वो सब अपनी विल पॉवर का इस्तेमाल करते हैं | ऐसी कहानियाँ , किताबें फिल्में हमारी विल पॉवर को कमजोर करती हैं और दिमाग को फिर सुस्त हो जाने  को विवश करती हैं | बेहतर हो हमारे बच्चे , युवा , बुजुर्ग भी ऐसी कल्पनाओं से बचें ताकि जीवन के यथार्थ को समझ सकें … और मेहनत  में विश्वास कर सकें |  सामूहिक खेलों से बढती है टीम भावना                           आजकल बच्चे टी वी या फिर फोन में उलझे रहते हैं | पार्क में खेलने के स्थान पर बच्चे वीडियो गेम्स की ओर झुक रहे हैं | लेकिन ये एकांत प्रियता उनके सर्वंगीड विकास में बाधा है |  बच्चे जब वो खेल खेलते हैं जिसमें टीम हो तो वो बहुत सी चीजें सीखते हैं | जैसे … उनमें परस्पर सहयोग … Read more

भविष्य का पुरुष

एक शब्द है संस्कार … ये कहने को तो महज एक शब्द है पर इस पर किसी व्यक्ति का सारा जीवन टिका होता है | एक माँ के रूप में हर स्त्री के लिए जरूरी है कि अपने बेटों को संस्कारित करें , तभी भविष्य का पुरुष एक संतुलित व्यक्तित्व के रूप में उभरेगा | भविष्य का पुरुष  नलनी के हाथ तेजी से बर्तनों को रगड़   रहे थे | उसे सिंक भर बर्तन धोने में पन्द्रह मिनट से ज्यादा का समय नहीं लगता | करीब दस  घरों में काम करती हैं | सुबह सात बजे की निकली रात सात बजे घर पहुँचती हैं | दम मारने की फुर्सत नहीं हैं , करे भी तो क्या , अकेली कमाने वाली है | तीनों बच्चे पढने वाले हैं और पति ….उसे तो वो खुद ही छोड़ आई हैं | अक्सर अपना किस्सा सुनाती है , मेरा आदमी बहुत पीटता था भाभी , गांजे के नशे का आदी हो गया था ,अपनी कमाई और मेरी सभी उड़ा देता था | फिर भी इस आशा में पिटती रही किएक दिन सब ठीक हो जाएगा | बच्चे बड़े हो रहे थे और मेरी प्रतीक्षा धैर्य छोड़ रही थी | एक दिन फैसला कर लिया कि अब नहीं पिटना है |बस तीनों बच्चों को लेकर चली आई | अब तो अकेले ही काम करके बच्चों को पाल रही हूँ | ऐसा कहते हुए उसकी आँखों में स्वाभिमान की चमक दिखाई देती |  कितनी भी तेजी से उसके हाथ काम करें पर नलिनी हर घर की भाभियों , दीदीयों , आंटियों से बात करने का समय निकाल ही लेती है | बात भी कैसी ? … ज्यादातर उसे अपने घर के किस्से सुनाने होते | उसके घर के किस्सों में किसी की रूचि हो न हो पर उन्हें कह -कह कर कभी उसका दुःख निकल जाता तो कभी ख़ुशी दोगुनी हो जाती |  अधिकतर घरेलु औरतें से उसका एक दोस्ती का रिश्ता हो जाता , ठाक वैसे ही जैसे ऑफिस में काम करते समय हम अपने साथ काम करने वालों से घुल -मिल जाते हैं चाहें वो बॉस ही क्यों ना हो |  उस दिन नलिनी अपने छोटे बेटे और बेटी के झगड़ने का किस्सा सुना रही थी | उसकी आवाज़ में उत्साह था , ” भाभी कल मेरे बेटे ने बिटिया को इतना मारा कि पूछो मत , दोनों भाई बहन में बहुत ही कुत्तम -कुत्ता हुई |  “क्यों मारा ?” शालिनी ने दाल का कुकर खाली  करते हुए पूछा  ” क्या बताये भाभी , चार घर छोड़ के अम्मां रहती हैं , आजकल वहां छोटी बहन आई हुई है | बिटिया ने जिद पकड़ ली कि जब तक मौसी हैं मैं वहीँ रहूंगी | अब छोटा बेटा जो उससे पांच साल छोटा है उसी का पाला हुआ है उसे उसके बिना घर में अच्छा नहीं लग रहा था , तो लगा रोकने | अब रोकने का सही तरीकतो आता नहीं … चोटी पकड के खींच दी , यहीं रह , नहीं जायेगी तू  नानी के घर | बिटिया भी कहाँ कम है , जिद पकड ली कि वो तो जायेगी ही | अब तो बेटे का गुस्सा सर चढ़ कर बोलने लगा | मारते -मारते बिटिया को जमीन पर गिरा दिया …पीटता जाये और बोलता जाए , तुझे नानी के घर नहीं जाने दूंगा | मुझे यहाँ तुम्हारे बिना अच्छा नहीं लगता , देखें कैसे जायेगी |  बिटिया किसी तरह से निकल कर भाग कर नानी के यहाँ पहुँच गयी | तो पीछे -पीछे पहुँच गया … नहीं रहेगी तू यहाँ , मुझे अकेल घर में अच्छा नहीं लगता … फिर खींच के  ले ही आया |  भाभी हमारे हाते में सब कह रहे थे , ” देखो कितना प्यार करता है अपनी बड़ी बहन से , अकेले अच्छा नहीं लगता है बहन के बिना , बेटे के प्रति गर्व माँ की आँखों में उतर आया |  प्यार या … शालिनी के लब थरथरा उठे| क्या भाभी जी ? ” ये प्यार नहीं है , अधिकार की भावना है , और अधिकार भी कैसा कि मार के पीट के चाहें जैसे रह मेरी इच्छा के अनुरूप ही रहे  | इसे अभी से रोको नलिनी , जो हाथ बहन पर उठ रहा है कल बीबी पर उठेगा … क्योंकि उसने प्यार की यही परिभाषा समझ रखी है | ११ साल का हो गया है इतना बच्चा भी तो नहीं है अब | समझाओ उसे , नहीं तो अपने पिता जैसा ही निकलेगा |” नलिनी ने शालिनी की तरफ घूर कर देखा , फिर चुपचाप बर्तन साफ़ कर चली गयी |  दो दिन तक नलिनी काम पर नहीं आई | शालिनी ने फोन करके उसकी माँ से पूछा |  ” उसने आपके यहाँ काम छोड़ दिया है , कह रही थी कि मेरे मासूम बेटे में ऐब ढूँढतीं हैं | भाई बहन के प्यार में पति -पत्नी की तकरार खोजतीं हैं | कहिये तो मैं आपके यहाँ काम करूँ | “ “बताउंगी” कहकर शालिनी ने फोन रख दिया |एक सवाल उसके सामने आ कर खड़ा हो गया | भविष्य का पुरुष कैसा होगा इसकी जिम्मेदारी एक माँ की होती है और अक्सर माएं अपना कर्तव्य ठीक से नहीं निभाती हैं |  …………………….                    ………………….                      …………….. पितृसत्ता को कोसने से ही काम नहीं चलेगा , पितृसत्ता के इस विकृत स्वरुप में स्त्रियों का भी योगदान है | एक पुरुष को स्त्री जन्म ही नहीं देती , उसे आकर भी देती है , बहनों से उसकी मारपीट पर स्वीकृति , घर में काम ना करने की स्वीकृति और बहने से ज्यादा अच्छा भोजन में स्वीकृति देकर वो भावी पुरुष अहंकार को पोषित करती है | अगर हम चाहते हैं कि भविष्य में हमारी बेटियों को अच्छे सुलझे विचारों वाले पति मिलें तो उसका निर्माण हर माँ को आज ही करना होगा |  नीलम गुप्ता  यह भी पढ़ें … कोई तो सुनले मक्कर पेंशन का हक़ जब झूठ महंगा पड़ा ब्रेकअप के बाद जिन्दगी आपको  लघु कथा  “भविष्य का पुरुष  “कैसी लगी   | अपनी राय अवश्य व्यक्त करें | हमारा फेसबुक पेज लाइक करें | … Read more

होलिका दहन : अपराध नहीं , लोकतंत्र का उत्सव

फोटो क्रेडिट -भारती वर्मा बौड़ाई होलिका दहन कर  को आजकल स्त्री विरोधी घोषित करने का प्रयास हो रहा है | उसी पर आधारित एक कविता जहाँ इसे लोकतंत्र समर्थक के रूप में देखा जा रहा है … होलिका दहन : अपराध नहीं , लोकतंत्र का उत्सव  वो फिर आ  गए अपने दल -बल के साथ हर त्यौहार  की तरह इस बार भी ठीक होली से पहले अपनी  तलवारे लेकर जिनसे काटनी  थी परम्पराएं कुछ तर्कों से , कुछ कुतर्कों से और इस बार इतिहार के पन्नों से खींच कर निकली गयी होलिका आखिर उस का अपराध ही क्या था , जो जलाई जाए हर साल एक प्रतीक के रूप में हाय ! अभागी , एक बेचारी स्त्री पुरुष सत्ता की मारी स्त्री जो हत्यारिन नहीं, थी एक प्रेमिका अपने प्रेमी संग विवाह रचाने को आतुर एक बहन जो  भाई के प्रेम में झट से तैयार हो गयी पूरी करने को इच्छा दे दी आहुति … उसके भस्म होने का , जश्न मनाते बीत गयी सदियाँ धिक्कार है हम पर , हमारी परम्पराओं पर , आह ,  कितने अधम  हैं हम बदल डालो , बदल डालो , नहीं जलानी है अब होलिका आखिर अपराध की क्या था ? आखिर अपराध की क्या था ? की सुंदर नक्काशीदार भाषा के तले बड़ी चतुराई से दबा दिया ब्यौरा इस अपराध का कि कि अपने मासूम  भतीजे को भस्म करने को थी तैयार वो अहंकारिणी जो दुरप्रयोग करने को थी  आतुर एक वरदान का हाँ , शायद ! उस मासूम की राख की वेदी पर करती अपने प्रियतम का वरण , बनती नन्हे -मुन्ने बच्चों की माँ एक भावी माँ जो नहीं जो नहीं महसूस कर पायी अपने पुत्र को खोने के बाद एक माँ की दर्द नाक चीखों को अरे नादानों वो भाई केप्रेम की मारी अबला नहीं उसमें तो नहीं था सामान्य स्त्री हृदय जिस पर दंड देने को थी  आतुर उस मासूम का अपराध भी कैसा बस व्यक्त कर रहा था , अपने विचार जो उस समय की सत्ता के नहीं थे अनुकूल उसके एक विचार से भयभीत होने लगी सत्ता , डोलने लगा सिंघासन मारने के अनगिनत प्रयासों का एक हिस्सा भर थी होलिका एक शक्तिमान हिंसक की मृत्यु और मासूम की रक्षा के चमत्कार का प्रतीक बन गया होलिकादहन समझना होगा हमें ना ये स्त्री विरोधी है न पुरुष सत्ता का प्रतीक ये लोकतंत्र का उत्सव है जहाँ शोषक स्वयं भस्म होगा अपने अहंकार की अग्नि में और मासूम शोषित को मिलेगी विजय शक्तिशाली या कमजोर , मिलेगा हर किसी को अपनी बात रखने का अवसर … तोआइये … पूरे उत्साह के साथ मनइये होलिका दहन ये कोई अपराध नहीं है न ही आप हैं स्त्री मृत्यु के समर्थक करिए गर्व  अपनी परम्परा पर शायद वहीँ से फैली है लोकतंत्र की बेल जिसे सहेजना है हम को आपको नीलम गुप्ता यह भी पढ़ें … होली और समाजवादी कवि सम्मलेन होली के रंग कविताओं के संग फिर से रंग लो जीवन फागुन है होली की ठिठोली आपको “ होलिका दहन : अपराध नहीं , लोकतंत्र का उत्सव “कैसे लगी अपनी राय से हमें अवगत कराइए | हमारा फेसबुक पेज लाइक करें | अगर आपको “अटूट बंधन “ की रचनाएँ पसंद आती हैं तो कृपया हमारा  फ्री इ मेल लैटर सबस्क्राइब कराये ताकि हम “अटूट बंधन“की लेटेस्ट  पोस्ट सीधे आपके इ मेल पर भेज सकें | keywords- happy holi , holi, holi festival, color, festival of colors, होलिका दहन