अगर आप भी किसे के प्रति आसानी से धारणा बना लेते हैं तो ये कहानी अवश्य पढ़ें , क्योंकि अंत में पछतावे के सिवा कुछ नहीं रहता | बेहतर हो समय रहते ही सजग हो जाएँ | कहानी -आई एम सॉरी विशिका रिंकू …बेटा रिकू , चलो आज विशिका आंटी घर जाना है | मेरी आवाज सुनते ही रिंकू ने बुरा सा मुँह बना दिया | नहीं मम्मा मैं उनके यहाँ नहीं जाऊँगा , मैं तो उन्हें ठीक से जानता भी नहीं | मैं तो घर पर ही दादी के रहूँगा कहते हुए १० साल का रिंकू खेल में लग गया | यूँ तो विशिका को मैं भी ठीक से नहीं जानती थी, पति के साथ कुछ साल पहले बस एक बार पार्टी में मुलाकात हुई थी | उनका बेटा पीयूष रिंकू से दो साल छोटा है | जहाँ मैं रिंकू को हर समय खेलने के लिए मस्त छोड़ देती वो हर समय अपने बेटे के साथ लगी रहती | मुझे उनकी बच्चे की परवरिश का ये ढंग बिलकुल भी अच्छा नहीं लगा | इस कारण पहली ही मुलाकात से वो मुझे कुछ जमीं नहीं | इंसान भी कितना अजीब है किसी के बारे मैं कितनी आसानी से धारणा बना लेता है | मैंने भी पहली ही मुलाकात में धारणा बना ली थी | इसीलिए फिर मिलने का मन भी नहीं किया | पर पिछले दो दिन से मेरे पति अमित उनके घर चलने को कह रहे थे | दरअसल अमित को काम के सिलसिले में विशिका के पति मयंक से जरूरी बात करनी थी | वो बात उन्हें ऑफिस में न करके घर में करना ज्यादा उचित लग रहा था | अब घर जाना था तो वो चाहते थे कि मैं भी साथ चलूँ | मुझे जाना पड़ा तो मुझे लगा रिंकू को भी ले चलूँ … शायद पीयूष और विशिका बदल गए हों | चेन रीएक्शन केवल एटम के न्यूकलियस के ही नहीं होते …. हम भी घरों में यही प्रयास करते हैं | खैर रिंकू के मना करने के बाद मन मार के मैं जाने के लिए तैयार होने लगी | फिरोजी साड़ी , फिरोजी चूड़ियाँ , और फिरोजी बिंदी लगा कर जब शीशे में खुद को देखा तो अपनी ही प्रशंसा करे बिना न रह सकी | अमित भी समय पर घर आ गए और हम कार से उनके घर रवाना हो गए | सावन की हलकी फुहारे पड़ रहीं थी हमारा मन जो थोड़ी बोरियत महसूस कर रहा था सुहाने मौसम के कारण गुनगुना उठा | उनके घर पहुँचने पर विशिका ने एक फीकी मुस्कान से स्वागत किया | विशिका ने मामूली गाउन पहन रखा था | उसमें भी जगह -जगह हल्दी के दाग लगे थे | घर भी बेतरतीब था | उसे पता था हम आने वाले हैं , फिर भी उसका ऐसा फीका स्वागत हमें अटपटा सा लगा | हम ड्राइंग रूम में बैठ गए , बातें होने लगीं | मुझे पीयूष बहुत ही कमजोर लग रहा था | बहुत रोकने की कोशिश करते हुए भी मेरे मुंह से निकल गया …. पीयूष मेरे बेटे की उम्र का ही है पर कमजोर होने के कारण बहुत छोटा लगता है … आप इसे कुछ खेल खेलने को कहें … जैसे टेनिस , फुटबॉल , बैडमिन्टन , जिससे इसे भूख लगेगी और सेहत भी बनेगी | मेरे इतना कहते ही विशिका जी क्रोधित हो गयीं और बोली , ” आप अपने बेटे को पालने की टिप्स अपने पास रखिये … ये जैसा है ठीक है | माहौल थोडा संजीदा हो गया | मैंने माहौल हल्का करने के लिए इधर -उधर की बातें की फिर भी बात बन नहीं पायी | अमित जिस काम के लिए बात करना चाहते थे , उसके लिए भी मयंक जी ने कोई रूचि नहीं दिखाई | लौटते समय गाडी में मेरा मूड बहुत ख़राब था | मैं अमित पर फट पड़ी | क्या जरूरत थी मुझे साथ ले चलने की , काम की बात ऑफिस में ही कर लिया करो | खामखाँ में अपना और मेरा समय बर्बाद किया | देखा नहीं , कैसे मेरी जरा सी राय पर गुस्सा गयीं | मुझे जो उचित लगा मैंने कहा , अब अच्छी राय देना भी गुनाह है क्या …. रखें अपने लड़के को १६ किलो का मुझे क्या करना है ? ठीक से बच्चे की परवरिश करनी आती नहीं , पहनना -ओढना आता नहीं , मेहमानों का स्वागत करना आता नहीं … ऐसे लोग किसी भी तरह से मिलने के काबिल नहीं हैं | अमित ने मेरी बात में हाँ में हाँ मिलाई | घर आकर मैं उन्हें लगभग भूल गयी | दिन गुज़रते गए | ऐसे ही करीब १० महीने बीत गए | उस दिन रिंकू के स्कूल का एनुअल फंक्शन था | रिंकू को स्पोर्ट्स में कई सारे पुरूस्कार मिले थे | मैं एक गर्वीली माँ की तरह उसके तमगे सँभालने में लगी थी | मन ही मन खुद पर फक्र हो रहा था कि मैंने कितनी अच्छी शिक्षा दी है रिंकू को जो वो आज इतने पुरूस्कार जीत पाया | कितना ध्यान रखती हूँ मैं उसके खाने -पीने का , तभी तो इतना ऊँचा कद निकला है | पढाई में भी अच्छा कर रहा है | एक गर्वीली माँ के गर्वीले विचारों को झकझोरते हुए मेरे साथ गयी निशा ने कहा , ” विशिका से मिलने नहीं चलोगी ? मेरे मुँह का स्वाद बदल गया | फिर भी मैंने पूंछा , ” क्यों ?” स्पोर्ट्स के पुरूस्कार उसी ने स्पोंसर करे हैं , निशा ने बताया क्या ??? मैंने मुश्किल से अपनी हँसी रोकते हुए पूंछा औ उत्तर की प्रतीक्षा करे बिना कहना शुरू किया , ” बड़े आदमियों के बड़े चोंचले ,अपने बेटे को तो स्पोर्ट्स खेलने नहीं देती और दूसरों के बच्चों को पुरूस्कार बाँट रही है | बच्चे पर ध्यान नहीं और खुद के लिए इतनी यश कामना …. देखा है उसका बेटा , १६ किलो से ज्यादा वजन नहीं होगा …. अब उसका बेटा दुनिया में नहीं है , निशा ने मेरी बात काटते हुए कहा | क्यायाययया , कब , कैसे , मुझे लगा पुरूस्कार मेरे हाथ से गिर जायेंगे | तुम्हें … Read more