काश मुझे पहले पता होता

                      यूँ तो गलती करना इंसान का स्वाभाव है पर कई बार हम ऐसी गलतियाँ  करते हैं , जिनका बहुत बड़ा असर हमारे जीवन पर पड़ता है | तब हम कहते हैं काश हमें पहले पता होता तो हम ये गलती  न करते , परन्तु तब तक तो समय निकल गया होता है | काश मुझे पहले से पता होता -Moral story of Regret  in Hindi                        बहुत समय पहले की बात है कि एक राज्य में एक राजमिस्त्री रहता था |  वो बहुत  सुन्दर -सुंदर  घर और महल बनाता | उसको काम करने में समय तो ज्यादा लगता पर जब  घर या महल बन कर तैयार होते तो वो इतने सुन्दर होते कि  लोग तारीफ़ करते नहीं थकते | उसे अपने काम से बहुत प्यार था और गर्व भी | कई बार राजा भी कुछ जल्दी बनाने को कहता तो वो मना कर देता | उसका एक ही कहना होता  , ” या तो अच्छे काम के लिए धैर्य रखो या काम ही न लो ” | काम के प्रति उसके समर्पण को देख कर राजा भी कुछ न कह पाता और मन ही मन उसकी प्रशंसा करता |                           समय बीता राजमिस्त्री 50 वर्ष  हो चला था | राजा की मृत्यु हो चुकी थी | अब उनका बेटा राजा बन चुका था | वो भी राजमिस्त्री का उतना ही सम्मान करता था |  राजमिस्त्री अभी भी उतनी ही शिद्दत से अपना काम करता था , अभी भी कोई उसके काम में कमी नहीं निकाल; सकता था | पर धीरे -धीरे अब उसे महसूस होने लगा था कि अब उसे काम छोड़ कर अपना समय अपने परिवार के साथ बिताना चाहिए | एक दिन उसने  यही बात राजा से कही ,” राजन , अब  काम करते हुए मुझे लम्बा अरसा हो गया है , अब मैं आराम करना चाहता हूँ | कृपया आप मेरा निवेदन स्वीअर कर के मुझे सेवानिवृत्ति  दे दें |” आप ये पढना भी पसंद करेंगे … भेंड चाल  स्वाद का ज्ञान  खीर में कंकण  वो भी नहीं था  राजा ने  कहा , ” आप ने मेरे  पिता के समय से बहुत अच्छा काम किया है | मेरे मन में आपका बहुत सम्मान है |  मैं आपके निर्णय का स्वागत करता हूँ , पर मेरी एक इच्छा है कि आप एक महल और बना दें | उसके बाद आप सेवा निवृत्त हो जाएँ |” राजमिस्त्री राजा को इनकार न कर सका | उसने महल बनाना शुरू किया | पर इस बार उसे काम खत्म करने की जल्दी थी | उसने देखा नहीं कैसा सामान आ रहा है | अन्य कारीगर उसके बताये अनुसार काम कर रहे हैं या नहीं | खुद के काम भी उसने बेमन से किया | और जैसे -तैसे करके जल्दी से महल बना दिया | उस दिन वो बहुत खुश था | वह राजा के पास गया और राजा से बोला  , ” महाराज आपका महल बन गया है , ये चाभियाँ संभालिये और मुझे सेवा निवृत्त करिए | राजा ने उसे धन्यवाद देते हुए कहा , ” आपने सारी  उम्र बहुत मेहनत से काम किया | मेरे मन में आपके व् आपके काम के प्रति बहुत श्रद्धा है | मैं आपको ये महल मैं आपको सेवानिवृत्ति पर उपहार के रूप में देता हूँ | जाइए और अपने परिवार के साथ इस महल में आराम से रहिये | कहते हुए  उन्होंने राजमिस्त्री को वो चाभियाँ पकड़ा दी | ओह , राजमिस्त्री के दुःख का ठिकाना नहीं रहा | उसने अपनी पूरी जिंदगी में जो सबसे खराब महल बनाया था , अब उसे जिंदगी भर उसी में रहना था | चाभियाँ लेते हुए उसके हाथ काँप रहे थे और होंठ बुदबुदा रहे थे , ” काश मुझे पहले पता होता “|                           मित्रों ये तो एक कहानी है , पर हम भी एक  महल रोज बना रहे हैं वो महल है हमारे रिश्तों का , हमारे सपनों का ,      हमारे कैरियर का , हमारे स्वास्थ्य का … और हमें जीवन      पर्यंत इसी महल  में रहना  है | अगर हर रोज  इसका ध्यान नहीं रखेगे | इसे नहीं तराशेंगे |  तो हम भी उस राजमिस्त्री की तरह बाद में पछतायेंगे और कहेंगे “काश मुझे पहले पता होता “| वैसे तो ये कहानी सबके लिए उपयोगी है पर विशेष रूप से स्टूडेंट्स के लिए उपयोगी है | क्योंकि उनके ये साल बहुत कीमती है | कितने बे लोग हैं जो आज पछताते हैं और ये सोचते हैं की काश तब पढाई कर ली होती |इसलिए आप भी रोज  पढ़िए , मेहनत करिए और अपना खूबसूरत सा महल बनाइये |  नीलम गुप्ता  प्रेरक कथाओं से  यह भी पढ़ें … अपनी याददाश्त व् एकाग्रता कैसे बढाये  सिर्फ 15 मिनट -power of delayed gratification क्या आप अपनी मेंटल हेल्थ का ध्यान रखते हैं आपको  कहानी  “काश मुझे पहले पता होता    “  | अपनी राय अवश्य व्यक्त करें | हमारा फेसबुक पेज लाइक करें | अगर आपको “अटूट बंधन “ की रचनाएँ पसंद आती हैं तो कृपया हमारा  फ्री इ मेल लैटर सबस्क्राइब कराये ताकि हम “अटूट बंधन”की लेटेस्ट  पोस्ट सीधे आपके इ मेल पर भेज सकें | filed under- Moral Stories, Regret, motivational stories, king, work

राधा की समझदारी

क्या आप जो काम शुरू करते हैं उसे बीच में ही छोड़ देते हैं या पूरा खत्म करते हैं ? अगर बीच मेविन ही छोड़ देते हैं तो राधा की तरह आप को भी ये आदत छोड़ कर समझदारी अपनानी होगी | प्रेरक कथा -राधा की समझदारी  राधा अपने कमरे में बैठी पल्लू से आँसू पोंछ रही थी | बाहर से आने वाले स्वर उसे साफ़ -साफ़ सुनाई दे रहे थे | उसकी सास और ननद मुहल्ले की औरतों से कह  रहीं थी की क्या बहु आई है कोई काम करने का सहूर नहीं है | इसकी माँ तो कह रही थी कि इसे सब काम आते हैं , पर देखो सुबह से कोई काम पूरा नहीं किया है | मुहल्ले की औरतें उफ़ कहते हुए उसकी सास के साथ सहानभूति जता रही थीं | उस पर वही  पूराना वाक्य , ” क्या जमाना आ गया है , आजकल की बहुए तो … |                                      राधा के दिल में हुक सी उठ रही थी | उसकी इच्छा थी कि उसका नाम अच्छी बहुओं में शामिल हो | वो उच्च शिक्षित थी  तब भी सब कुछ तो सिखाया था माँ ने खाना पकाना , कपडे धोना , सीना -पिरोना | उसे भी लगता था कि शिक्षा का अर्थ ये नहीं है कि घर के कामों से परहेज किया जाए , बल्कि उन्हें और अच्छे तरीके से किया जाए | उसने तय कर रखा था वो सब काम करके ससुराल में सबको खुश रखेगी | पर आज पहले ही दिन सब गड़बड़ हो गयी | पापा ये वाला लो सुबह इसी उद्देश्य   से वो नहा -धो कर रसोई में पहुंची | सब्जी काट कट कर आटा  माढने के लिए परात में निकाला ही था कि सासू माँ की आवाज़ आ गयी | बहु पूजाघर साफ़ किया कि नहीं | उसने झट से हाथ धोये और परात को थाली से ढक कर रख दिया फिर पहुँच गयी पूजाघर सफाई करने |  सभी मूर्तियों को  उसने हटा कर मंदिर की सफाई की कागज़ बिछाया | मूर्तियाँ साफ़ करने जा ही रही थीं की पति का फरमान आ गया ,” राधा पहले कपडे धो लेना , मेरी ये शर्ट सूख जाए तो प्रेस कर देना , शाम को यही पहन कर क्लायंट से मिलने जाना है | राधा मंदिर से भागती -भागती कपडे धोने बैठ गयी | तभी देवर ने कहा ,” भाभी ये तो धुलते ही रहेंगे , पहले मेरी मैथ्स का सवाल सुलझा दो , मुझे स्कूल जाना है | राधा कपडे छोड़ गणित के सवाल सुलझा ही रही थी की बाहर ससुर जी की जोर -जोर से चिल्लाने की आवाज़ आ रही थी , ” ये क्या घर को अजायबघर बना कर रखा है , न अभी तक घर साफ़ हुआ है न कपडे , न खाना बना है नही कुछ और काम , माँ ने कुछ सिखा के नहीं भेजा | राधा को ये बात बहुत चुभी पर सच्चाई ये थी कि उसने सुबह से कोई काम पूरा नहीं किया था | भले ही उसका उद्देश्य  सबको खुश करने का था पर काम तो कोई भी नहीं हुआ | जब उसके पति मीत को अपने पिता के गुस्से के बारे में पता चला तो वो राधा के पास आया और उसे प्यार से समझाने लगा , ” राधा तुमने हर काम शुरू किया पर उसे बीच में ही छोड़ दिया  , कोई भी काम पूरा न होने से एक दिन में ही पूरा घर बेतरतीब हो गया | भले ही तुम्हारा उद्देश्य सबको खुश करने का हो पर तुमने सबको नाराज़ ही किया | बेहतर होता कि तुम सुबह से जो काम हाथ में लेतीं उसे पूरा करके दूसरा काम शुरू करतीं | जैसे पहले मदिर साफ़ कर रसोई में जाती , वहां खाना बना कर छोटे भाई का गणित का सवाल हल करती फिर सफाई खत्म करके कपडे करती तो न सिर्फ सारे काम पूरे होते बल्कि घर की व्यव्ष्ठ भी सही तरीके से चलती | स्वाद का ज्ञान बात राधा को समझ में आ गयी कि हर काम को अधूरा छोड़ने के कारण ही सारी  अव्यवस्था फैली है | दूसरे दिन से राधा ने मीत के हिसाब से काम शुरू किया | अगर किसी ने बीच में किसी और काम के लिए पुकारा भी तो उसने आदर पूर्वक कहा कि पहले मैं ये काम कर लूँ फिर करती हूँ | पूरा काम बहुत व्यवस्थित तरीके से चला | शाम तक सभी लोग राधा की तारीफ़ करने लगे | ———————————————- दोस्तों राधा द्वारा बस एक दिन किसी काम को पूरा न करने के कारण घर में कितनी अव्यवस्था फ़ैल गयी | पर हम में से कई लोग जीवन में कई काम शुरू करते हैं पर उसे पूरा न कर के दूसरा काम शुरू कर देते हैं तो जिंदगी में कितनी अव्यवस्था  फ़ैल जाती होगी | ज्यादातर जो लोग सफल हुए हैं उन्होंने किसी काम को बीच में न छोड़ कर उसके काम करने के तरीकों में बदलाव किया है , तब तक किया है जब तक उन्हें सफलता नहीं मिल गयी | अगर आप भी अपने जीवन को व्यवस्थित करना चाहते हैं तो किसी काम को बीच में छोड़े | जीवन में सफलता के लिए राधा की तरह समझदारी अपनाने की जरूरत है | नीलम गुप्ता यह भी पढ़ें … पीली frock तूफान से पहले यकीन खीर में कंकण आपको आपको  कहानी  “राधा की समझदारी  “  | अपनी राय अवश्य व्यक्त करें | हमारा फेसबुक पेज लाइक करें | अगर आपको “अटूट बंधन “ की रचनाएँ पसंद आती हैं तो कृपया हमारा  फ्री इ मेल लैटर सबस्क्राइब कराये ताकि हम “अटूट बंधन”की लेटेस्ट  पोस्ट सीधे आपके इ मेल पर भेज सकें | filed under- short stories, Hindi stories, short stories in Hindi, work smart, work

बेटियों की माँ

आज फिर मेरी काम वाली देर से आयी । १२    बज गए थे ।  डेढ़ बजे बेटी को स्कूल से लेने जाना है । मैं बडबडाते हुए बर्तन मलने लगी । तभी दरवाजा खटका। कामवाली खड़ी थी।  ‘ इतनी देर से ‘ मैंने चिल्लाते हुए कहा  ।   वह चुपचाप रसोई में घुस कर अपना काम करने लगी । मैंने भी सोंचा आ तो  गयी ही है चीख चिल्लाकर क्यों अपना खून जलाऊँ । दूसरे कामों में व्यस्त होगी । रोज  की तरह सारा काम करने के बाद मैंने उसे चाय बनाकर दी । पर ये क्या उसकी आँखों में आँसू। मेरा मन द्रवित हो गया ,स्नेह से पूंछा ,  “क्या हुआ सरला क्यों दुखी हो”| क्या बताएं भाभी जी ……. वह सुबकते हुए  बोली …… कल रात आदमी से बहुत लड़ाई हुई । खाना भी नहीं खाया।   उसने लड़कियों की पढाई छुडवा दी।  सोचा था मैं तो बर्तन माज-माज कर किसी तरह अपना पेट भरती हूँ  पर कम से कम लड़कियाँ तो पढ़ जातीं , उन्हें तो मेरी तरह इस नरक में नहीं रहना पड़ता, दोनों पढाई में होशियार भी बहुत हैं। पर आदमी मान नहीं रहा ,कहता है की  देखो, आये दिन बच्चियों के साथ कुकर्म की घटनाएँ हो रही हैं । तू तो काम पर चली जाती है  स्कूल जाती बच्चियों को कोई ले गया तो ?  लड़कियां घर में ही रहेंगी पढ़ें चाहे ना पढ़ें ….. कम से कम सुरक्षित तो रहेंगी ।  मैं चुप थी, चाय का घूँट जैसे हलक से उतर ही न रहा हो |  मैं उसे क्या समझाती … इस ख़बरों के बाद से मैं भी तो अपनी बेटी को लेने स्वयं स्कूल जाने लगी थी।  हम दोनों एक ही  भय में जी रहे थे । नीलम गुप्ता  तुम्हारे बिना गैंग रेप   अनावृत यकीन आपको आपको  कहानी  “बेटियों की माँ  “ कैसी लगी   | अपनी राय अवश्य व्यक्त करें | हमारा फेसबुक पेज लाइक करें | अगर आपको “अटूट बंधन “ की रचनाएँ पसंद आती हैं तो कृपया हमारा  फ्री इ मेल लैटर सबस्क्राइब कराये ताकि हम “अटूट बंधन”की लेटेस्ट  पोस्ट सीधे आपके इ मेल पर भेज सकें  keywords: Rape, Crime, Crime against women, Victim, Fear, Daughter

समय पर काम शुरू करने के लिए अपनाइए 5 second rule

                                आज बहुत दिनों बाद कुछ लिखा रही हूँ | दरअसल लिखने की तो इच्छा मन में चल रही थी पर आज , कल -आज कल में टल रहा था | जब भी लिखने का मन बनता सोचती चलो थोड़ी देर गप्प मार लेते हैं फिर लिखेंगे , या एक कप कॉफ़ी पी लेते हैं फिर लिखूँगी | मूड बनाने के चक्कर में कई बार किसी और काम में अटक जाती और जिस विचार पर लिखना चाहती वो टाटा … बाय -बाय करके चला जाता | धीरे -धीरे फ्रस्टेशन बढ़ने लगा | लगा कि लगता है अब लिख ही नहीं पाऊँगी | तभी मेरे हाथ लगा एक इंटरव्यू जो, मेल रॉबिन्स का था , जिसमें उन्होंने  ५ सेकंड रूल के बारे में बताया था | ये रुल मुझे इतना प्रभावी लगा की मैंने इसी विषय पर लिखने का मन बना लिया ताकि मेरे साथ -साथ आप का भी  काम सुचारू रूप से चले | जानते हैं समय पर काम शुरू करवाने वाले  5 second rule के बारे में                                      मित्रों मेरी तरह आप के साथ भी ऐसा कई बार होता होगा कि आप कोई काम शुरू करना चाहते हैं पर शुरू नहीं कर पाते | काम आजकल में टालता रहता है | मसलन … 1)सहेली की सासू माँ बीमार हैं देखने जाना है पर हफ्ता बीत गया सोचते -सोचते घर से निकल ही नहीं पाए | 2) क्लास में ही सोच लिया था कि गणित का ये चैप्टर आज ही खत्म करना है पर आज कल करते हुए एग्जाम ही आ गए अब तो मर -खप के करना ही है | 3) कई रोज पहले माँ ने कहा था कमरा ठीक करने को , आज माँ ने खुद ही कर दिया , तबियत ख़राब होने के बावजूद |                                  ऐसे कई उदाहरण हो सकते हैं पर सबसे महत्वपूर्ण है कि हम सोचते तो हैं कि ये काम करना है , उसे शुरू करने का संकल्प भी लेते हैं पर काम शुरू ही नहीं करते , टालते जाते हैं और समय बर्बाद करते जाते हैं ,इतना कि जीवन ही हाथ से निकल जाता है | क्या आप को पता है कि ऐसा करने के पीछे हमारे दिमाग का अहम् रोल होता है | काम को टालने की आदत का साथी है हमारा दिमाग                             हमारा दिमाग जिस पर हम इतना गर्व करते हैं वो ही काम को टालने की आदत के लिए जिम्मेदार है | आप जरूर जानना चाहेंगे कि कैसे ? दरसल हमारा दिमाग जब आराम कर रहा होता है या कुछ मनपसंद काम कर रहा होता है तो उसमें से एक केमिकल रिलीज होता है जिसे डोपामीन कहते हैं , इसके निकलते ही व्यक्ति ख़ुशी की अवस्था में आ जाता है | उससे वो किसी दूसरी अवस्था में जाने से इनकार कर देता है | इसे कम्फर्ट ज़ोन के तरीके से भी समझ सकते हैं | इसलिए जब कोई काम दिमाग में आता है , थोड़ी ही देर में दिमाग दलील देना शुरूकर देता है … अरे अभी क्या जरूरत है , थोड़ी देर में कर लेंगे | ये थोड़ी देर और थोड़ी देर , और थोड़ी देर और फिर इतनी देर में बदल जाती है कि काम शुरू करने की इच्छा ही खत्म हो जाती है | हम काम कैसे करते हैं                        ५ सेकंड रुल को जानने से पहले जरूरी है कि हम जान लें कि हमारा दिमाग काम कैसे करता है | दरअसल हमारा दिमाग दो तरह से काम करता है | पहला वो काम हैं जिन्हें हम रोज करते हैं …. वो ऑटो पायलट मोड में आ चुके होते हैं | जैसे स्कूल जाने के लिए तैयार होना , स्कूल या ऑफिस जाना , खाना बनाना या अन्य रोजमर्रा के काम जिन्हें हम सुबह उठ कर यंत्रवत करते जाते हैं | दूसरे श्रेणी में वो काम आते हैं जिन्हें हमें शुरू करना है , जिसके लिए हमें खुद को धक्का लगना पड़ता हैं | जैसे वजन कम करने के लिए जिम जाना शुरू करना है , नयी किताब शुरू करनी है या नया लेख लिखना शुरू करना है आदि -आदि |              दूसरी श्रेणी के कामों को पहली श्रेणी में लाने के लिए हमें उन कामों को कई दिन तक लगातार एक ही समय पर करना होता है जिससे वो ऑटो पायलट मोड में आ जाएँ ताकि हम उन्हें रोज आसानी से कर सकें | क्या है 5 second rule                          मेल रॉबिन्स के अनुसार जैसे ही आप के दिमाग में कोई काम करने का विचार आता है ठीक पांच सेकंड बाद दिमाग बहाने गढ़ना शुरू कर देता है कि थोड़ी देर बाद कर लेंगे , कल कर लेंगे आदि -आदि | यानी कि हमारे पास केवल 5 सेकंड होते हैं जिसमें हम वो काम शुरू कर दें तो दिमाग बहाना बना कर हमें रोक नहीं पायेगा | जैसे गणित का चैप्टर शुरू करना है तो तुरंत उठो और शुरू कर दो | जैसे कुछ सामन लेने ४ बजे जाना है , चार बजते ही निकल जाओ | जिम जाना है , समय होते ही पांच सेकंड के अन्दर निकल जाओ |                                   आप देखेंगे की इससे आपके सोचे हुए सब काम होने लगेंगे | मैंने स्वयं इस रुल को अपनाया , जैसे ही मेरा मन किया कि मैं इस विषय पर लिखूं मैं ५ सेकंड के अन्दर उठ कर लैपटॉप खोल कर लिखने लगी | अब देखिये लेख भी पूरा होने वाला है | आपने पढ़ा होगा की ज्यादातर सफल लोग जिस काम को सोचते हैं उसे उसी दिन शुरू कर देते … Read more

प्रिडिक्टेबली इरेशनल की समीक्षा -book review of predictably irrational in Hindi

                            हम सब बहुत सोंच विचार कर निर्णय लेते हैं | फिर भी क्या हम सही निर्णय ले पाते हैं ? क्या हमारे निर्णय पर दूसरों का प्रभाव रहता है ?ऐसे कौन से फैक्ट्स हैं जो हमारे निर्णय को प्रभावित करते हैं ?ये बहुत सारे प्रश्न हैं जिनका उत्तर  MIT के Dan Ariely  की किताब  Predictably irrational में मिलता है | यह किताब विज्ञानं के सिद्धांतों पर आधारित है , जो बताती है कि कोई भी निर्णय लेते समय मनुष्य का दिमाग कैसे काम करता है और कैसे छोटी -छोटी चीजें उसके निर्णय को प्रभावित कर देती हैं | प्रिडिक्टेबली इरेशनल की पुस्तक समीक्षा book review of predictably irrational in Hindi                    मानव मष्तिष्क  के निर्णय लेने की क्षमता को वैज्ञानिक सिद्धांतों द्वारा प्रतिपादित करने वाली  किताब predictably irrational में Dan Ariely  कई प्रयोगों द्वारा मानव मन की गहराय में घुसते जाते हैं | ये वो गहराई है जो आपके निर्णय को प्रभावित करती है |                              कभी आपने सोंचा है एक रुपये की कैल्सियम की गोली के स्थान पर 40 रुपये की कैल्सियम की गोली का असर आप पर ज्यादा होता है | हम उस रेस्ट्रा का खाना खाना पसंद करते हैं जो एक बोतल कोक फ्री देता है बन्स्पत उसके जो उतने ही पैसे कम कर देता है | क्या आप ने गौर किया है कि ऐसा क्यों होता है ? यही नहीं काफी खरीदने से लेकर , वेट लोस के जिम तक , कोई सामान चुनने में , मित्र या जीवन साथी चुनने में  हमारा दिमाग एक खास तरीके से काम करता है .. जिसे Dan Ariely  ने predictably irrational का नाम दिया है | आइये जाने कि हमारा दिमाग कैसे काम करता है … 1) तुलना …                   हमारा दिमाग दो चीजों में तुलना  करता है फिर निर्णय लेता है | इसे  आप ने देखा होगा कि  एक समान आकर की दो मेजें अगर एक लम्बाई में राखी जाये व् दूसरी चौड़ाई में  , फिर आप से पूंछा जाए कि कौन सी बड़ी है तो आप कहेंगे कि जो लम्बाई में रखी है |                                चित्र brainden.com से साभार  इसी तरह से अगर दो समान आकार के गोले लें … अब एक गोले के चरों और बड़े -बड़े गोले लगा दें व् दूसरे के चरों ओर छोटे -छोटे गोले लगा दें , अब आप से पूंछा जाए कि  कौन सा गोला बड़ा है तो निश्चित रूप से सबका जवाब होगा जिसके चरों ओर छोटे गोले हैं … इसके पीछे एक साइंटिफिक कारण है .. वो ये की हमारा दिमाग अब्सोल्यूट में नहीं काम्पैरिजन में सोंचता है |  फोटो wikimedia commons से साभार                                        अब जानिये तुलनात्मक अध्यन की वजह से हमारे निर्णय किस तरह से प्रभावित होते हैं … एक प्रयोग … एक बार लोगों  के सामने  थ्री days ट्रिप के ३ ऑप्शन रखे गए … अ ) पेरिस (फ्री ब्रेक फ़ास्ट के साथ ) ब) रोम ( बिना ब्रेकफास्ट के )  स) रोम (फ्री ब्रेक फ़ास्ट के साथ )                               ८५ % लोगों ने रोम (फ्री ब्रेक फ़ास्ट के साथ ) के साथ चुना | क्या लोग रोम ही जाना चाहते थे पेरिस नहीं … ऐसा नहीं है एक दूसरे ग्रुप पर इस प्रयोग को उलट कर किया गया |  अ ) पेरिस (फ्री ब्रेक फ़ास्ट के साथ ) ब) पेरिस  ( बिना ब्रेकफास्ट के ) स) रोम (फ्री ब्रेक फ़ास्ट के साथ )                          अबकी बार लोगों ने पेरिस फ्री ब्रेकफास्ट के साथ चुना | कारण स्पष्ट था लोगो ने उसे चुना जो उन्हें तुलना करने का अवसर दे रहा था व् उसे दरकिनार कर दिया जिसने तुलना करने का अवसर नहीं दिया | क्योंकि लोगों का दिमाग पहले तुलना पर जाता है | दूसरा उदाहरण एक मैगज़ीन है  “The Economist” उसने अपनी वेबसाइट पर मागज़ीन सबस्क्राइब करने के तीन तरीके बताये हैं … 1)Economist  times – वेब एडिशन $59 प्रिंट एडिशन -$ 125 प्रिंट & वेब एडिशन $  125                  अब  केवल १६ % लोगों ने वेब एडिशन व् 84 % लोगों ने प्रिंट व् वेब एडिशन वाला थर्ड ऑप्शन चुना  और सेकंड ऑप्शन किसी ने नहीं चुना | जाहिर सी बात है जब प्रिंट व् वेब दोनों $125 में मिल रहे थे तो कौन मूर्ख होगा जो केवल प्रिंट एडिशन $125  में लेगा | अब सोंचने वाली बात है कि economist मैगज़ीन ने ऐसा बेवकूफाना ऑफर क्यों रखा | दरअसल  यह ऑफर द्वारा किये गए एक प्रयोग के बाद लाया गया| ने इस प्रयोग में लोगों को दो ग्रुप्स में बांटा … दूसरे ग्रुप को ये ऑफर दिया गया और पहले ग्रुप को दिए गए ऑफर में बीच वाले ऑफर को हटा लिया गया , जिसकी वास्तव में कोई जरूरत ही  नहीं थी , तब परिणाम इस तरह से आये… वेब एडिशन $ 59….. 75 % लोगों ने लिया प्रिंट & वेब एडिशन $  125…. केवल 25 % लोगों ने लिया                      जाहिर है इससे कम्पनी को नुक्सान था | इसलिए उसने ऐसा ऑफर रखा | यह दोनों उदाहरण हमें ये बताते हैं कि हमारा दिमाग चीजों का तुलनात्मक अध्यन करके निर्णय लेता है | जिन दो चीजों में समानता ज्यादा होती है उनमें से वो  तुलना करके नतीजा निकालता है | उस समय उसका ध्यान तीसरे ऑप्शन पर नहीं रह जाता | उसका काम बस इतना होता है कि वो कहे कि मुझे देखो , मुझसे तुलना करो फिर वो चुनो जो कम्पनी चाहती है | रिश्तों में निर्णय  तुलना का ये नियम केवल सामान पर ही नहीं रिश्तों पर भी लागू होता है | इसके लिए भी एक … Read more

गलतियों की सजा दें या माफ़ करें

                            सीमा जी मेरे पास बैठ कर आधे घंटे से अपनी एक सहेली की बुराई कर रही थी , जिसने अपने बेटे की शादी में उन्हें देर से कार्ड देने की गलती कर दी थी  , हालांकि उसकी सहेली ने कहा था कि कार्ड बाँटने का काम उसने स्वयं नहीं किया था | उन्होंने अपने एक सम्बन्धी को कार्ड व् गेस्ट लिस्ट पकड़ा दी थी , जब उन्हें उनकी गलती का पता चला तो शादी वाले दिन तमाम कामों में से समय निकाल कर स्वयं उनके घर उन्हें बुलाने गयीं, पर सीमा के हलक के नीचे ये तर्क  उतर नहीं रहा था |                                        ये समस्या सिर्फ सीमा की नहीं है | हममें से कई लोग किसी दूसरे की गलती या खुद की गयी गलती को माफ़ नहीं कर पाते | उसकी नाराजगी या कसक जीवन भर पाले रहते हैं | सबंधों में दूरी बढ़ा  कर हम दूसरे व्यक्ति या खुद को सजा दे रहे होते हैं , जिसका खामियाजा हमें अपने स्वास्थ्य और ख़ुशी की कुर्बानी के रूप में देना  पड़ता है | हर गलती सजा देने के लायक नहीं होती | अलबत्ता कुछ गलतियाँ  सजा की हकदार होती है | क्या ये जरूरी नहीं कि हम समझ लें कि किन गलतियों पर सजा दी जाये किन पर नहीं | गलतियों के लिए  सजा दें या माफ़ करें                                              गलतियों के लिए  सजा दें या माफ़ करें पर बात करने से पहले मैं आप को छोटे से दो उदहारण दूंगीं  | नन्हा सोनू डॉल हॉउस बना कर खेल रहा था | उसने  करीब एक घंटे की मेहनत से डॉल हाउस बनाया था | तभी उसका बड़ा भाई मोनू स्कूल से आया | वो एक छोटा सा प्लेन उठा कर दौड़ -दौड़ कर उसे उड़ाने लगा | इसी क्रम में वो सोनू के डॉल हॉउस से टकरा गया | डॉल हाउस टूट गया | सोनू जोर -जोर से रोने लगा | रोने की आवाज़ सुन कर उनकी माँ तृप्ति वहाँ आई | स्थिति समझ कर वो सोनू को समझाने लगी ,” भैया ने जानबूझकर कर नहीं तोडा है , भूल से हुआ है , कोई बात नहीं मैं तुम्हारे साथ लग कर अभी दुबारा बना देती हूँ | तृप्ति सोनू के साथ डॉल हॉउस बनाने लगी व् उसने मोनू को दूसरे कमरे में खेलने को कह दिया | थोड़ी देर में मोनू भी सोनू के साथ खेलने लगा | मुकेश जी के दोस्त सुरेश जी उनसे कई बार मिलने को कह चुके थे | मुकेश जी अपने व्यापर में इतने व्यस्त थे कि चाहते हुए भी समय नहीं  निकाल पाए | एक दिन अचानक उनके पास खबर आई कि कार एक्सीडेंट में सुरेश जी की मृत्यु हो गयी है | 35 साल के सुरेश जी का यूँ चले जाना किसी सदमें से कम नहीं था , पर मुकेश जी के मन में दर्द के साथ -साथ एक गिल्ट या अपराधबोध भी भर गया | उन्हें लगा उनसे बहुत बड़ी गलती हुई है | वो अपने मित्र के लिए समय नहीं निकाल पाए | इस अपराधबोध के कारण वो अवसाद में चले गए , व्यापार धंधा , घर-परिवार सब चौपट हो गया | समझें गलती हुई है या की है                                    जब भी कोई गलती करता है या हमसे खुद ही कोई गलती हो जाती है तो हम दोष देना शुरू कर देते हैं | किसी को आरोपी सिद्ध कर देना समस्या का समाधान नहीं है | ऐसे मौकों पर हमें देखना चाहिए कि गलती की है या हो गयी है | अगर जानबूझ कर गलती किहे तो ये एक अपराध बनता है | अगर अनजाने में हो गयी है तो उसके लिए क्षमा कर देना अपने व् उस रिश्ते के लिए बेहतर है | जैसा कि सोमू की माँ ने मोनू  को गलत न मान कर किया | वहीँ मुकेश जी जो ये कल्पना भी नहीं कर सकते थे कि उनका मित्र इतनी जल्दी दुनिया से चला जाएगा , उसके जाने के बाद खुद को व् अपने व्यापर को दोषी समझने लगे | काम से अरुचि हुई व् व्यापार ठप्प हो गया | . खुश रहना चाहते हैं तो एक दूसरे की मदद करें  जब भी कोई दूसरा गलती करे तो पहले ये पता लगाने का प्रयास करें कि गलती की है या अनजाने में हो गयी है | अगर दूसरे से अनजाने में गलती हो गयी है | उसका इरादा आप को ठेस पहुँचाने का या आप का नुक्सान करने का नहीं था तो उसे क्षमा कर दें |   अगर आप से कोई गलती  अनजाने में हो गयी है तो खुद को भी क्षमा कर दें | मान के चलें कि इंसान गलतियों का पुतला है , गलतियाँ   हो जाती हैं | इस गलती से सबक लें और जिंदगी में आगे बढें | जब जानबूझ कर गलती की जाये                                                 जब कोई जानबूझ कर गलती करे तो उसे सजा अवश्य दें | क्योंकि अगर तब सजा नहीं दी जायेगी तो वो व्यक्ति फिर से गलती करेगा | बार -बार की गयी गलतियाँ उसे सुधरने का मौका नहीं देंगी और एक न एक दिन वो रिश्ता हमेशा के लिए खत्म हो जायेगा | पर सजा गलती के अनुसार ही होनी चाहिए जैसे .. आप विद्यार्थी हैं व् आपका  मित्र आपसे नोट्स ले लेता है परन्तु आप को जरूरत पड़ने पर नहीं देता है , या आप की पढ़ाई  का तरीका जान लेता है पर अपना तरीका आप से शेयर नहीं करता है | ऐसे में आप भी उसके साथ वही व्यव्हार करिए , ताकि उसे समझ आ सके कि अगर वो आपसे दोस्ती चाहता है तो उसे भी … Read more

आंटी -अंकल की पार्टी और महिला दिवस

कल अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर एक लेख लिखने की सोंच रही थी, लेकिन शाम को मुहल्ले की एक शादी में जाना था लिहाज़ा लेख को रात को लिखने की सोंच हम शादी में पहुंचे | वहां पहुँचते ही आंटी अंकल ने अपने पास बुला लिया | हम वहाँ उनके पास जा  कर बैठ गए |  थोड़ी बातों के बाद खाने –पीने का सिलसिला शुरू हुआ | अंकल 80 +हैं और उनके कई परहेज चल रहे हैं |  पापा की वो डांट या  जिन्दगी की परीक्षा में पास होने का मंत्र  जैसे ही अंकल कुछ लेने आगे बढे आंटी ने जोर से आवाज़ लगाईं रुकिए चाट खानी है आपको, चाट, एसिडिटी नहीं हो जायेगी | अंकल रुक गए, फिर खुद ही उनका मन देख कर चाट बनवा लायीं और बोली ,” देखिये मैंने खट्टा कम डलवाया है , ये खा लीजिये | “ थोड़ी देर बाद अरे ये पनीर मत लीजिये हैवी करेगा | अरे वो मत लीजिये , हाँ ये ले लीजिये ये ठीक रहेगा , आंटी की फ़िक्र साफ़ दिखाई दे रही थी ,और अंकल किसी छोटे बच्चे की तरह ख़ुशी –ख़ुशी उनकी बात मान रहे थे | आंटी हम लोगों से कहने लगीं ,समझते ही नहीं , बीमार पड़ जायेंगें , इतना स्वादिष्ट खाने के लिए मचलते हैं , सुनते ही नहीं , देखना पड़ता है मुझे ही , पतिदेव मुस्कुरा दिए |  तभी अंकल कॉफ़ी ले कर आ गए | आंटी बोली ,” अब काफी क्यों ले आये आप , फिर आइसक्रीम मत खाइएगा , गर्म के बाद ठंडा मत लीजियेगा गला ख़राब हो जाएगा | पर अंकल कहाँ मानने वाले थे थोड़ी देर बाद कुल्फी की जिद करने लगे ,अरे एक ले लेता हूँ कुछ नहीं होता | काफी मना  करने के बाद आंटी पसीजी , ठीक हैं , ले लीजिये घर चल के चाय बना दूँगी |  जिंदगी का चौराहा पतिदेव मेरी तरफ मुखातिब हो कर बोले , “ देखो तुम भी ऐसे ही करना बुढापे में , और मैं जो रात रात में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर लिखने की सोंच रही थी वो घर आकर इस बात पर सर्च करने लगी की पुरुषों को बुढापे में कैसे डांटे J  कम या ज्यादा ये हाल लगभग हर बुजुर्ग दम्पत्ति का है |जो पुरुष जवानी में पत्नी को बोलने का अधिकार भी नहीं देता वह बुढापे में उसकी डांट खाना चाहता है … क्यों ? क्योंकि शरीर अस्वस्थ होने पर वो बच्चा बन जाता है , बिलकुल मासूम सा बच्चा , जिसकी जिम्मेदारी उसकी माँ पर होती है .. और पत्नी  अपने पति की माँ बन कर अपने मातृत्व पर फिर से इतरा उठती है | कितना अत्याचार है ये पुरुषों का महिलाओं पर 🙂 या इसी का नाम है परिवार  नीलम गुप्ता  यह भी पढ़ें … इतना प्रैक्टिकल होना भी सही नहीं रानी पद्मावती और बचपन की यादें हे ईश्वर क्या वो तुम थे निर्णय लो दीदी आपको आपको  लेख “  आंटी -अंकल की पार्टी और महिला दिवस  “ कैसा लगा  | अपनी राय अवश्य व्यक्त करें | हमारा फेसबुक पेज लाइक करें | अगर आपको “अटूट बंधन “ की रचनाएँ पसंद आती हैं तो कृपया हमारा  फ्री इ मेल लैटर सबस्क्राइब कराये ताकि हम “अटूट बंधन“की लेटेस्ट  पोस्ट सीधे आपके इ मेल पर भेज सकें | 

क्या आप घर से काम करते हैं?

            जो लोग ऑफिस में काम करते हैं उन्हें लगता है कि घर से काम करने वाले कितने मजे में होंगे | जब मर्जी आये तब काम करो , मन करे तो लेट जाओ , कोई आ जाए उससे बात कर लो | फिर काम शुरू करो | वास्तव में ये सब बहुत आसान लगता है औ इसी लिए कई लोग घर से काम करना शुरू करते हैं | अपने मन से काम करेंगे | दिन में समय नहीं मिला तो रात में जाग कर कर लेंगे | सर पर कोई बॉस नहीं होगा | परन्तु जैसा दिखाई देता है वैसा होता नहीं है| खासकर महिलाओं के मामले में | पुरुष अगर घर से काम कर रहे हैं तो ये समझा जाता है कि वो काम कर रहे हैं , इसलिए उनको बेसिक सुविधाएं दी जाती हैं पर महिलाओं के काम को अक्सर इतनी वरीयता नहीं दी जाती और कई बार तो उसे काम ही नहीं टाइम पास समझा जाता है | यकीन मानिए जब मैंने ये लेख लिखा शुरू किया था तब से अब तक मैं तीन बार घर के जरूरी कामों के लिए  उठ चुकी हूँ | अगर आप घर से काम करते हैं  तो आजमाइए मोटिवेशनल टिप्स                                                                          अगर आप घर से काम करते हैं और आप को महसूस हो रहा है की आप को काम जारी रखने के लिए जरूरी मोटिवेशन नहीं मिल रहा है तो खुद को मोटिवेट रखने के लिए आप को दो मुख्य बिन्दुओं पर काम करना होगा | पहले तो आपको डी मोटिवेशन की वजह ढूंढनी होगी फिर उसे दूर करने का प्रयास करना होगा | घर से काम करने में आने वाली दिक्कतें किसी भी जॉब का सबसे अच्छा हिस्सा होता है शाम को घर लौटना – अज्ञात 1 )जब आप घर से काम करते हैं तो आप काम करने बैठे तभी बेल बज गयी , पडोसी आये हैं … आप को देखना ही पड़ेगा , कभी फोन की बेल बजेगी , बात करनी ही पड़ेगी , कभी बच्चे किसी काम के लिए मदद मांगेंगे तो देनी ही पड़ेगी | ऐसा इसलिए है क्योंकि हर किसी को लगता है है की आप जब चाहे तब काम कर सकते हैं तो फिर उन्हें तो आसानी से समय दे ही सकते हैं |ऐसे में जब आप किसी नए आइडिया के साथ  काम कर रहे होते हैं तो कई बार वो आइडिया ही दिमाग से निकल जाता है | 2 )इफरात में समय किसी के पास नहीं होता , घर से काम करने वाले भी घर के जरूरी काम निपटा कर अपना प्रोफेशनल काम करने बैठते हैं | अगर इस तरह से बार -बार उनका ध्यान भटकता रहा तो वो रात में जाग कर या सुबह जल्दी उठ कर ही अपना काम कर पायेंगे | यानी उन्हें डबल ड्यूटी देनी पड़ती है जो सेहत के लिए नुकसानदायक है | 3) कई बार आप ही अपना समय ये सोंच कर बर्बाद कर देते हैं की कल कर लेंगे| ऐसे कल -कल पर टलता हुआ काम अपना मोटिवेशन खो देता है | 4) आप को 24 घंटे घर में ही रहना है यानी आप के घर का वातावरण बिलकुल नहीं बदलता जिस कारण आपको धीरे -धीरे बोरियत होने लगती है जो आपके काम पर भी असर डालती है | 5) घर से काम करने पर आपके आने -जाने का समय बचता है जिस कारण  कई बार आप ज्यादा काम कर पाते हैं | आपको हर थोड़ी सी फुरसत के समय काम दिखाई पड़ता है |  आप आउटगोइंग कम हो जाते हैं | धीरे -धीरे आपके रिश्ते आपसे दूरी बनाने लगते हैं | जब कभी आप गेट टुगेदर में आप पहुँचते हैं तो आप एलियन नज़र आते हैं | पढ़िए –5 मिनट रूल – दूर करें काम को टालने की आदत                                                                         जाहिर हैं अगर आप घर से काम करते हैं तो आप ये सब समस्याएं महसूस कर रहे होंगे | लेकिन अपने काम और लाइफ को बेलेंस रखने के लिए आपको खुद को मोटिवेट रखना बहुत जरूरी है | इसके लिए कुछ उपाय हैं | सोंचिये आप घर से क्यों काम करते हैं                                                          अगर आप ये सोंचते हैं कि आप घर से क्यों काम करते हैं तो आप का स्ट्रेस थोडा कम हो जाता है | इसलिए इसे रोज अपनी सोंच में दोहरा लीजिये | इसकी कई वजह हो सकती हैं – आप फ्री लांसर हैं | आप के घर में छोटे बच्चे या कोई बीमार है और आप उसके केयरगिवर  हैं | अभी आप का बजट आपको अपना ऑफिस खोलने की इजाज़त नहीं देता | आप  शौकिया  काम करते हैं | आप खुद बीमार रहते हैं |                                  अगर ऐसी कोई वजह है तो आप जानते हैं  कि घर से काम करना ही आप के लिए बेस्ट ऑप्शन है | इसलिए जब भी बोरियत लगे या ये लगे की बाहर से काम करने वाले ज्यादा खुश है तो आप अपनी लायबिलिटी याद कर लीजिये| रिलेटेड -2018 में लें हार न मानने का संकल्प अपने कमरे को ऑफिस की शक्ल दें                                                                   जब मैंने घर से काम करना शुरू किया था तो मैंने महसूस किया की मैं अपना लैपटॉप उठा कर कहीं भी काम कर सकती थी ,पर इससे दिक्कत ये आ रही थी कि कोई … Read more

students distraction avoid कैसे करें ?

    जनवरी आधी से ज्यादा बीत गयी है | मार्च से 10 th, और 12th बोर्ड exam शुरू होने वाले हैं | बाकि क्लासेज के exams भी १५ फरवरी के बाद शुरू हो जायेंगे| कहने का मतलब ये हैं की पढाई करने का ये पीक पीरियड है | सभी बच्चे इस कोशिश में लगे होंगे कि वो ज्यादा से ज्यादा पढ़ कर अच्छे नंबर लायें | ऐसे में बहुत जरूरी है की दिमाग पूरी तरह से पढाई में फोकस रहे , पर क्या करें दिमाग बार – बार distract हो जाता है | इस कारण जितना सोंचा था उतना पढ़ नहीं पाते , भले ही बाद में पछताना पड़े पर अगले दिन फिर distraction बिन बुलाये मेहमान की तरह आ जाता है , ऐसे में बच्चों व् उनके पेरेंट्स का सीधा – सादा प्रश्न रहता है की आखिर इसे avoid कैसे करें? जानिये कैसे करें students distraction avoid  ?                          आप बच्चों की तरह मेरे बेटे के भी exam आने वाले हैं , उसने भी टाइम टेबल बना कर  जोर शोर से पढाई शुरू कर दी हैं पर अक्सर वो distraction की वजह से अपना target achieve नहीं कर पाता है , जिससे अगले दिन पर टारगेट से भी ज्यादा बोझ पड  जाता है | जब ने उसकी इस समस्या को देखा तो मुझे भी अपनी पढाई के दिन याद आगये जब मैं मेहनत से पढाई करने का टाइम टेबल  बना कर किताब ले कर बैठती तो बीच -बीच में ऐसे ही distractions को झेलना पड़ता | फिर एक दिन मैंने अपने लिए कुछ नियम बनाए , जिससे मेरा ध्यान इधर -उधर भटकना कम हो  गया | आज अपने बेटे के साथ वही टिप्स शेयर करते समय मुझे ख़याल आया कि क्यों न मैं सब students से ये  टिप्स शेयर करूँ , जिससे सबको फायदा मिल सके और सभी स्टूडेंट्स अपना 100 % दे सकें |   distract करने वाले ख्यालों को लिख लें  students, आपने notice किया होगा कि  जैसे ही आप कुछ पढने बैठे दिमाग में अनेक ख्याल आना शुरू हो जाते हैं , जिनका पढने से कोई लेना देना नहीं है | 1) एग्जाम के बाद मोबाइल फोन लेना है | 2) फेयरवेल में कौन सी ड्रेस पहन कर जाएँ | 3) पद्मावत का end क्या होगा | 4)मैथ्स का वो वाला सवाल , कैसे निकलेगा | 5) प्रैक्टिकल फ़ाईल का कवर लेना है | 6) आखिर सीरियल में वो एक्टर मरा क्यूँ ? हम सब के दिमाग में किसी काम को करते समय ऐसे ख्याल आते हैं | इन्हें avoid करने की कोशिश करों तो ये दिमाग में और शोर मचा देते हैं | बेहतर है आप इन्हें अवॉयड न करें , बल्कि अपनी study table के पास ऐसी एक कॉपी रखे जिस पर आने वाले ख्याल लिख लें , इस वाडे की साथ कि आप इनपर दुबारा खाली समय में विचार  करेंगे | इससे दिमाग को ये सिग्नल जाएगा कि आप उन ख्यालों को इग्नोर नहीं कर रहे हैं |  जिससे आप का दिमाग पढने में कम अवरोध उत्पन्न करेगा | अब बाद में उस लिस्ट को चेक करें | आप देखेंगें  कि कुछ बातें तो बिलकुल फ़ालतू हैं , जिनका जीवन में कोई रोल नहीं है जैसे ऊपर के उदहारण में ३और ६ , वो तो तुरंत कट  जायेंगे | बाकी  को आप attend कर लीजिये | decide कर लीजिये कि  कौन सी ड्रेस पहननी है फेयर वेल में , मैथ्स का सवाल हल कर के देखिये नहीं solve हो तो अगले दिन teacher से स्कूल में पूँछिये | फ़ाइल कवर शाम को ले आइये और मोबाइल कौन सा लेना है इसकी खोज एग्जाम के बाद करनी है ऐसा वादा खुद से करिए | इस तरह से लिख कर जब आप अपने ख्यालों को सही दिशा दे देते हैं तो  आपका दिमाग भी problem creater की जगह problem solver के मोड में आ जाता है|   इन्टरनेट पर लगाम लगाए  students, आपने देखा होगा कि आप मन लगा कर पढ़ रहे हैं तभी  मोबाइल पर किसी का मेसेज आ गया और आपने देखने के लिए फोन उठा लिया , या जरा सा फेसबुक का कोई स्टेटस चेक करना हों , या ईमेल देखना हो , आपने मोबाइल उठाया तो हो गया एक साइट से दूसरी साइट या एक वीडियो से दूसरे वीडियो तक कूदते हुए एक घंटा बर्बाद | इन्टरनेट हर समय भले ही बाखबर रखता हो पर एग्जाम के दिनों में बेखबर रहना आपकी पढाई की सेहत के लिया आवश्यक है | हो सके तो पढ़ते समय इन्टरनेट ऑफ रखिये | ऐसा करके आप उसे आसानी से avoid  कर सकेंगे | कुछ स्टूडेंट्स को अपने काम के लिए इन्टरनेट जरूरी होता है , अगर ऐसा है तो आप एक एप डाउन लोड करिए जो दूसरी साइट्स को ब्लाक कर सकता है | अब इस एप की सहायता से उन साइट्स को ब्लाक  , जहाँ आपका मन ज्यादा भटकता हो | इन्टरनेट पर लगाम लगाने से आप काफी हद तक distraction पर लगाम लगा सकते हैं | आस – पास की आवाजों से अपना ध्यान हटाने के लिए आप हेड फोन इस्तेमाल कर सकते हैं | पढने से पहले की तैयारी  कभी अपनी मम्मी को खाना बनाते हुए देखा है , वो पहले से ही एक जगह सारी  चीजें , जैसे कटी सब्जियां , मसाले , बर्तन , पानी आदि  रख लेती हैं | ये नहीं की जीरा डाल दिया , फिर हल्दी लेने को भागीं , जब तक आयीं तब तक जीरा जल गया | लेकिन ज्यादातर स्टूडेंट्स पढ़ते समय सारा सामन पास नहीं रखते | चार लाइन पढ़ीं … फिर देखा , अरे पेंसिल तो है ही नहीं , फिर चार लाइन पढ़ीं स्केल लेने के लिए उठे , फिर कुछ पेज पढ़े तो ध्यान आया कि नोट करने के लिए डायरी तो रखी ही नहीं , फिर उठाना पड़ा | याद रखिये अगर आप इतनी बार उठेंगे तो आप का दिमाग पढाई से हट जाएगा | इस distraction को avoid करने के लिए जब भी पढने बैठे सारा सामन अपने पास रख लें | जिससे लगतार पढ़ सकें | … Read more

अपने दिन की प्लानिंग कैसे करें ?

  हम सब चाहते है की हमारा दिन बहुत अच्छे से गुज़रे , हम खूब एक्टिव रहे व् सब काम निपटा सकें , पर क्या इसके लिए हम अपने दिन की प्लानिंग करते हैं | दिन की प्लानिंग करना हमारी जिंदगी को अपने कंट्रोल  में करने जैसा होता है | एक उदाहरण देखिये …  विंध्या  बर्तन धोने में लगी थी तभी सुयश वहां आया | सुयश  – विंध्या  तुमने चिंटू के स्कूल की फीस भर दी थी क्या ?  ओह ! भूल गयी , विंध्या  ने सर पर हाथ रखते हुए कहा | सुयश -उफ़ , दो दिन पहले लास्ट डेट निकल गयी, तुम्हें  ध्यान ही नहीं रहा| अब तो लेट फीस  के साथ फाइन भी देना पड़ेगा| तुम्हें कम से कम मुझे बता देना चाहिए था , मैं कर देता अगर तुमसे नहीं हो पा रहा था , फाइन तो न देना पड़ता| विंध्या  – क्या करूँ मुझे याद ही नहीं रहा , भूल गयी , फिर घर के इतने काम रहते हैं कि .. सुयश(गुस्से में ) – तुम्हे याद कैसे रहेगा, वो जो तुम्हारी सहेलियां आ जाती हैं न , उनसे बतियाने में सब भूल जाती हो | विंध्या ( गुस्से में )- सिर्फ मेरी सहेलियां ही नहीं , तुम्हारी बहने , भाई और  दोस्तों के परिवार भी आते -रहते हैं , उन्हें क्यों गिनती करने से भूल जाते हो |                                              मामला गर्म होते देख , “तुम औरतें” अपमानजनक मुद्रा में कहते हुए सुयश वहां से चला गया , और विंध्या रोने लगी |                                            ये मामला  विंध्या और सुयश का नहीं है | स्त्री और पुरुष का भी नहीं है, ये मामला है जरूरी काम भूल जाने का| हम में से अधिकतर लोग सारा दिन समय को यूँही बर्बाद कर देते हैं , या कम जरूरी कामों में उलझे रहते हैं जिस कारण जरूरी काम रह जाते हैं , फिर बाद में पछताते हैं | जानिये कैसे करे अपने दिन की प्लानिंग                                            जरूरी कामों को भूलने और बेकार के कामों में उलझे रहने की  इन सब तकलीफों से बचने के लिए जरूरी है कि हम अपने दिन की सही तरीके से प्लानिंग करें | इससे हमारे सब काम सही समय पर होंगे और हम हर समय कामों में उलझे हुए नहीं रहेंगे | पर दिन को सही तरह से प्लान करने के लिए आपको कुछ बातें ध्यान में रखनी होंगी | To-Do लिस्ट बनाएं                                एक कहावत है कि ,  ” अगर आप चाहते हैं कि आप का काम समय पर पूरा हो , तो उस व्यक्ति को दें जो सबसे ज्यादा व्यस्त हो |”सुनने में जरूर अजीब लगेगा पर जो व्यक्ति सबसे ज्यादा व्यस्त होगा वही समय को सबसे सही ढंग से संचालित करना जानता होगा | उसका टाइम मेनेजमेंट एकदम परफेक्ट होगा | दुनिया में जितने भी लोग सफल हैं उनकी to -do तैयार रहती है| उन्हें पता होता है कि अगले दिन उन्हें क्या करना है | वो अपना समय इस हिसाब से बाँटते है कि किस समय क्या – काम करना हैं | जिससे हर काम समय पर पूरा होता है| यही उनकी सफलता का राज़ भी है | अगर आप भी चाहते हैं की आपका समय बर्बाद न हो तो आप भी to- do लिस्ट बनाए | कैसे बनाए To -Do-लिस्ट                                            अगर आपने कभी ऐसी लिस्ट नहीं बनायीं है तो आपको समझ नहीं आ रहा होगा की इसे कैसे बनायें |  आइये मैं  आपको कैसे to -do लिस्ट बनाये इसकी पूरी जानकारी दे दूं | वैसे तो इसे बनाने के कई तरीके हैं , इस पर कई किताबें भी लिखी जा चुकी हैं कई सेमिनार्स हुए हैं जिनके वीडियो हैं | पर मैं आपको सबसे आसन तरीका बता रही हूँ | इसका नाम है .. ABC लिस्ट  ABC लिस्ट  में अपने नाम के अनुसार आपको अपने कल किये जाने वाले कामों को तीन भागों में बांटना है | A पार्ट में वो काम रखने हैं जो बहुत जरूरी हैं जैसे …URJENT हैं बच्चे की  फीस भरनी है | दवाई लानी है | प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करनी है |  ईमेल का जवाब देना है  विद्यार्थियों के लिए एग्जाम सर पर हैं 5 चैप्टर या कोई ख़ास कठिन चैप्टर कम्पलीट करना है |  B पार्ट में आप वो काम रख सकते हैं जो कल न भी हुए तो कोई बात नहीं | यानी की हमारी दूसरी प्राथमिकता के काम …ये कैटेगिरी सबसे बड़ी होती है | इसमें वो काम होते हैं जिन्हें हम अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल करते हैं |ये काम Urjent  नहीं पर important हैं |  इसमें हमारे दिन के लगभग सारे जरूरी काम आते हैं | पड़ोस के बच्चे की BIRTHDAY PARTY में जाना है |  आज कौन सा चैप्टर पढना है  किसी किताब की समीक्षा लिखनी है |  थोडा समय परिवार की किसी खास सदस्य को देना है जो बीमार है  थोडा समय मी टाइम के लिए |  सब्जी लानी है | बाथरूम का बल्ब फ्यूज हो गया है , बदलना है |  स्कूल ड्रेस पर प्रेस करनी है |  Cपार्ट में वो काम आते हैं जो न Urjent न IMPORTANT पर उन्हें हमें करना है | आज नहीं तो कल करना ही पड़ेगा |  सर्दियों में मेहमानों के आने से पहले पर्दे धोने हैं |  किचन गार्डन सही करना है |  हीटर ठीक कराना है  बेटे के लिए 11th में आने से पहले सही कोचिंग इंस्टीटयूट पता करना है |  कोई हॉबी कोर्स जो करना है | कोई नावेल जो पढना है | किसी सहेली का हालचाल पूँछना है |  ये काम अभी जरूरी व् महत्वपूर्ण नहीं हैं … Read more