विवाहेतर रिश्तों में सिर्फ पुरुष ही दोषी क्यों ?
दो व्यस्क लोग जब मिल कर एक गुनाह करते हैं तो सजा सिर्फ एक को क्यों ? ये प्रश्न उठता तो हमेशा से रहा है परन्तु इस सामजिक प्रश्न की न्यायलय में कोई सुनवाई नहीं थी | ये सच है की विवाह एक ” अटूट बंधन ” है | जिसमें पति – पत्नी दोनों एक दूसरे के प्रति वफादार रहने की कसम खाते हैं | फिर भी जब किसी भी कारण से ये कसमें टूटती हैं तो उसकी आंच चार जिंदगियों को लपेटे में ले लेती है | और जिंदगी भर जलाती है |दुर्भाग्य है की एक तरफ तो हम स्त्री पुरुष समानता की बात कर रहे हैं वही हमारा कानून ऐसे मामलों में सिर्फ पुरुषों को दोषी मानता है | और कानूनन दंड का अधिकारी भी | अक्सर ऐसे मामलों में महिला शोषित की श्रेणी में आ जाती है | जिसे बरगलाया या फुसलाया गया | हालांकि इस बात पर उस महिला का पति उससे तलाक ले सकता है पर कानून दंड का कोई प्रावधान नहीं हैं | क्या आज जब महिलाएं पढ़ी -लिखी व् खुद फैसले ले सकती हैं तो क्या व्यस्क रिश्तों में दोनों को मिलने वाले दंड में बराबरी नहीं होनी चाहिए ? विवाहेतर रिश्तों की कहानी दिव्या और सुमीत अपने बच्चों के साथ दिल्ली में रह रहे थे | दिव्या और सुमीत के बीच में ऐसा कुछ भी नहीं था जिससे ये कहा जा सके की ये खुशहाल परिवार नहीं है | तभी ताज़ा हवा के झोंके की तरह समीर उनके घर के पास वाले घर में अपनी पत्नी आशा व् बेटी निधि के साथ किराए पर रहने आया | दोनों परिवारों में पारिवारिक मित्रता हुई | जैसा की हमेशा होता है की पड़ोसी के यहाँ कुछ अच्छा बनाया भेज दिया , एक दूसरे की अनुपस्थिति में उनके बच्चों के आने पर उसका ध्यान रख लिया , और मुहल्ले की अन्य कार्यक्रमों में साथ – साथ गए | पर यहाँ दोस्ती का कुछ अलग ही रंग में रंग रही थी | दिव्या जो बहुत अच्छा खाना बनाती थी और सुमीत को खाने का बिलकुल शौक नहीं था | ऐसा नहीं है की सुमीत को अच्छा खाना भाता नहीं था | पर पेट की बीमारियों के कारण वो सादा खाना ही पसंद करते थे | दिव्या जब भी कुछ बनाती तो तारीफ़ की आशा करती | पर सुमीत कोई भी तली – भुनी चीज सिर्फ एक – दो चम्मच ले कर यह कहना नहीं भूलते ज्यादा तला भुना न बनाया करो | मुझे हजम नहीं होता और बच्चों को भी इससे कोई फायदा नहीं होगा | दिव्या मन मसोस कर रह जाती | ऐसे ही एक दिन दिव्या ने कुछ बनाया और सुमीत ने सही से रीएक्ट नहीं किया | दिव्या दुखी बैठी थी की समीर आशा व् निधि के साथ उनके घर आये |दिव्या ने वही खाना टेबले पर लगा दिया | समीर जो खाने के बहुत शौक़ीन थे | अपने आप को रोक नहीं पाए | और तारीफ़ कर – कर के खाते रहे | दिव्या की जैसे बरसों की मुराद पूरी हो गयी | अब तो आये दिन दिव्या कुछ न कुछ अच्छा बना कर भेजती | समीर तारीफों के पुल बाँध देते | हालांकि आशा भी बदले में दिव्या के घर कुछ भेजती पर वो खाना पकाने में इतनी कुशल नहीं थी | उसका मन किताबों में लगता था | उसका समीर का इस तरह दिव्या के खाने की तारीफ करना खलता तो था पर वो यही सोंच कर चुप रहती की चलो कोई बात नहीं समीर की इच्छा तो पूरी हो रही है | फिर उसे दिव्या से कोई शिकायत भी नहीं थी | खाने का ये आकर्षण सिर्फ खाने तक सीमित नहीं रहा | समीर की तारीफे बढती जा रही थीं | एक दिन वो किसी जरूरी कागज़ात को देने दिव्या के घर गया | दिव्या गाज़र का हलवा बना रही थी | उसने समीर से हलवा खा कर जाने की जिद की | समीर भी वही बैठ गया | बच्चे खेल रहे थे | थोड़ी देर बाद बच्चे बाहर पार्क में खेलने चले गए | दिव्या हलवा ले कर आई | पिंक साड़ी में वो बहुत आकर्षक लग रही थी | समीर हलवा खाते हुए एक – टक दिव्या को देख रहा था | दिव्या समीर का देखने का अंदाज समझ रही थी मुस्कुरा कर बोली हलवा कैसे बना | समीर ने दिव्या की आँखों में डूब कर कहा ,” जी करता है बनाने वाले के हाथ चूम लूँ | दिव्या ने हाथ आगे बढ़ा दिये … तो फिर देर कैसी ? फिर क्या था … मर्यादा , संस्कार और सामाजिक नियम की दीवारें गिरने में देर नहीं लगी | दोनों की शादियों के अटूट बंधन ढीले पड़ने लगे | ये सिलसिला तब तक चला जब तक आशा और सुमीत को पता नहीं चला | जब उन्हें पता चला तो जैसे तूफान सा आ गया | आशा व् सुमीत अपने को ठगा सा महसूस कर रहे थे | विवाहेतर रिश्तों में क्या कहता है न्याय कानून के अनुसार दो विवाहित लोगों के बीच विवाहेतर रिश्ते जो आपसी सहमति से बने हैं रेप की श्रेणी में नहीं आते हैं |परन्तु उनमें दोनों अपराधी या गिल्टी माना जाता है | offence of adultery को समझने के लिए हमें कोड ऑफ़ क्रिमिनल प्रोसीजर , 73 के सेक्शन 198(2) को समझना पड़ेगा | कोई भी कोर्ट इस प्रकार के रिश्तों को तब तक दंडात्मक नहीं मानेगी जब तक वो लोग जो इससे प्रभावित हैं इसकी शिकायत न करें | ( इंडियन पीनल कोड – 45ऑफ़ 1860) किसी भी विवाहेतर रिश्ते में स्त्री पुरुष जिनकी सहमति से रिश्ता बना है दोनों अपराधी है हालांकि इसमें दंड का प्रावधान तब तक नहीं है जब तक उस महिला का पति ( उदाहरण में सुमीत ) दूसरे … Read more