तन्हाँ
जिस तरह से सबके अपनि खुशियाँ मनाने के तरीके अलग -अलग हैं उसी तरह सबके अपने दुःख से निकलने के तरीके अलग हो सकते हैं | पर समाज ये मानना नहीं चाहता | समाज चाहता है कि दुखी व्यक्ति २४ x ७ दुखी दिखे | कई बार वो दुःख से लड़कर निकलने की कोशिश करते व्यक्ति को और तन्हाँ कर देता है | लघु कथा -तन्हाँ “देखो आस -पड़ोस , छोटे -मोटे अंक्शन- फंक्शन में तो तुम्हे जाना ही होगा, वर्ना गौरव और नन्हे नीरज का ध्यान कैसे रख पाओगी , अपने दुःख से तुम्हें निकलना ही होगा ” सास दमयंती जी ने फोन पर अधिकारपूर्वक मधु से कहा | इस बार मधु उनके आग्रह से इनकार ना कर सकी | वि जानती थी की दुःख की कोई एक्सपायरी डेट नहीं होती …फिर भी जीना तो था ही | महिलाओं का एक छोटा सा मिलन समारोह था | उसने वहाँ जाने का मन बनाया | ठीक से तैयार हुई , और पड़पड़ाये होंठों पर गहरी मैरून लिपस्टिक लगा ली | समारोह में तमाम बातों के बीच लिपस्टिक की चर्चा छिड गयी | ‘वो” बड़े उत्साह से लिपस्टिक के शेड्स के बारे में बताने लगी | तभी एक महिला ने दूसरी को कोहनी मार कर धीरे से कहा, “ साल भर ही हुआ है इनके बेटे की मृत्यु हुए पर देखो कैसे शौक कर रहीं हैं , भाई, हमें तो इन्हें देखकर ही वो दृश्य याद आ जाता है …पानी हलक में रुक जाता है, पता नहीं लोग कैसे मेनेज कर लेते हैं |” कही तो ये बात कई लोगों ने थी पर इस बार उन्होंने सुन ली | मुस्कुराते होंठ दर्द में कस गए, आँखें गंगा –जमुना हो चली , सिसकते हुए बोलीं , “ जब मैं रात को बेतहाशा चीख-चीख कर रोती हूँ और मुझे लगता है कि ये यादें मेरे प्राण ले जायेंगी, तब आप आती हैं मुझे चुप कराने , जब मैं किसी तरह से वो दर्द भूल कर अपने दूसरे बेटे के लिए जीना सीख रही हूँ तो आप… थोड़ी देर के लिए शांति छा गयी | फिर सब उनको सहानुभूति देने लगे | वही जो सब देना चाहते थे | उनका काम पूरा हुआ …और वो जो थोड़ी देर को सब भूलने आयीं थीं अपने दर्द के साथ अकेले तन्हाँ रह गयीं | वंदना बाजपेयी यह भी पढ़ें … सेंध सुकून बुढ़ापा मीना पाण्डेय की लघुकथाएं आपको आपको “तन्हाँ “ कैसी लगी | अपनी राय अवश्य व्यक्त करें | हमारा फेसबुक पेज लाइक करें | अगर आपको “अटूट बंधन “ की रचनाएँ पसंद आती हैं तो कृपया हमारा फ्री इ मेल लैटर सबस्क्राइब कराये ताकि हम “अटूट बंधन”की लेटेस्ट पोस्ट सीधे आपके इ मेल पर भेज सकें filed under – hindi story, emotional story in hindi, sad woman, lonliness, sadness