घूरे का हंस – पुरुष शोषण की थाह लेती कथा

मैं खटता रहा दिन रात ताकि जुटा सकूँ हर सुख सुविधा का सामान तुम्हारे लिए और देख सकूँ तुम्हें मुस्कुराते हुए पर ना तुम खुश हुई ना मुस्कुराई तुमने कहा मर्दों के दिल नहीं होता और मैं चुपचाप आँसूँ पिता रहा कविता का यह अंश मैंने लिया है सुपरिचित लेखिका अर्चना चतुर्वेदी जी के उपन्यास … Read more

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श्राद्ध पक्ष – क्या वास्तव में आते हैं पितर 

श्राद्ध पक्ष - क्या वास्तव में आते हैं पितर

    चाहें ना धन-संपदा, ना चाहें पकवान l पितरों को बस चाहिए, श्रद्धा और सम्मान ll    आश्विन के शुक्लपक्ष की पूर्णिमा से लेकर आश्विन कृष्णपक्ष अमावस्या तक के काल को श्राद्ध पक्ष या पितृ पक्ष कहा जाता हैl यह वो समय है, जिसमें हम अपने उन पूर्वजों के प्रति श्रद्धा और सम्मान व्यक्त … Read more

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वो छोड़कर चुपचाप चला जाए तो क्या करें ?

वो छोड़कर चुपचाप चला जाए

शायरी काव्य की बहुत खूबसूरत विधा है l रदीफ़, काफिया, बहर से सजी शायरी दिल पर जादू सा असर करती है l यूँ तो शायरी में हर भाव समेटे जाते हैं पर प्रेम का तो रंग ही अलग है l प्रेम, प्रीत प्यार से अलहदा कोई और रंग है भी क्या ? प्रेम में सवाल … Read more

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किराये का परिवार – पुरवाई संपादकीय पर टिप्पणी

किराये पर परिवार

कुछ पढ़ा, कुछ गुना :शीर्षक के अंतर्गत अटूट बंधन में उन लेखों कहानियों पर विस्तार से बात रखी जाएगी जो कहीं न कहीं पढ़ें हैं l आज के अंक   लंदन से प्रकाशित पुरवाई पत्रिका का आ. तेजेंद्र शर्मा जी का संपादकीय, “किराये पर परिवार” पर टिप्पणी l संपादकीय आप यहाँ  से पढ़ सकते हैं l … Read more

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हिंदी – लौटना है ‘व्हाट झुमका’ से ‘झुमका गिरा रे’ तक

हिंदी

हिंदी  – बोली-बानियों की मिठास का हो समावेश                                  अभी कुछ दिनों पहले एक फिल्म आई थी, “रॉकी और रानी की प्रेम कहानी” उसका एक गीत जो तुरंत ही लोगों की जुबान पर चढ़ गया वो था “व्हाट झुमका” l इस गीत के साथ ही जो कालजयी गीत याद आया, वो था मेरा साया … Read more

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काकी का करवाचौथ

हमेशा की तरह करवाचौथ से एक दिन पहले काकी करवाचौथ का सारा सामान ले आयीं| वो रंग बिरंगे करवे, चूड़ी, बिंदी …सब कुछ लायी थीं और हमेशा की तरह सबको हुलस –हुलस कर दे रही थी | मुझे देते हुए बोलीं, “ये लो दिव्या तुम्हारे करवे, अच्छे से पूजा करना, तुम्हारी और दीपेश की जोड़ी … Read more

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भगवान शिव और भस्मासुर की कथा नए संदर्भ में

हमारी पौराणिक कथाओं को जब नए संदर्भ में समझने की कोशिश करती हूँ तो कई बार इतने नए अर्थ खुलते हैं जो समसामयिक होते हैं l अब भस्मासुर की कथा को ही ले लीजिए l क्या थी भस्मासुर की कथा  कथा कुछ इस प्रकार की है कि भस्मासुर (असली नाम वृकासुर )नाम का एक असुर … Read more

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सपनों का शहर सैन फ्रांसिस्को – अमेरिकी और भारतीय संस्कृति के तुलनात्मक विशेषण कराता यात्रा वृतांत

सैन फ्रांसिस्को

“यात्राएँ एक ही समय में खो जाने और पा लेने का सबसे अच्छा तरीका हैं”   कितनी खूबसूरत है ये प्रकृति  कहीं कल-कल करते झरने, कहीं चारों तरफ रेत ही रेत, कहीं ऊँचे पर्वत शिखर तो कहीं  धीर गंभीर समुद्र अथाह जलराशि को अपने में समेटे हुए | प्रकृति के इस सुरम्य शीतल, शांत कर … Read more

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माँ से झूठ

माँ से झूठ

  माँ ही केवल अपने दुखों के बारे में झूठ नहीं बोलती, एक उम्र बाद बच्चे भी बोलने लगते है | झुर्रीदार चेहरे और पोपले मुँह वाली माँ की चिंता कहीं उनकी चिंता करने में और ना बढ़ जाए |इसलिए अक्सर बेटियाँ ही नहीं बेटे भी माँ से झूठ बोलते हैँ | मदर्स डे के … Read more

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स्टेपल्ड पर्चियाँ -समझौतों की बानगी है ये पर्चियाँ

स्टैपलेड पर्चियाँ

    जीवन अनगिनत समझौतों का नाम है | कुछ दोस्ती के नाम पर, कुछ प्रेम की परीक्षा में खरे उतरने के नाम पर,  कुछ घर गृहस्थी चलाने के नाम पर और कुछ घर गृहस्थी बचाने के नाम पर .. हर पर्ची एक समझौता है और  “स्टेपल्ड पर्चियाँ” उन समझौतों का पूरा दस्तावेज .. जीवन … Read more

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