कामलो सो लाडलो
motivational story on ” work is worship” वंदना बाजपेयी मित्रों , कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता | किसी भी व्यक्ति की महानता इस बात में है की वो जो भी काम करें उसे पूरी समग्रता के साथ करे | क्योंकि व्यक्ति की पहचान उसके काम से है | आज आपके साथ काम के महत्व को दर्शाती एक छोटी सी कहानी प्रस्तुत कर रही हूँ | आज मुझे को ननकू भैया की याद आ ही गयी | हुआ यूँ की सुबह जैसे ही बेटे ने स्कूल बैग कंधे पर लटकाया | उसकी बद्धि टूट गयी | जैसे तैसे पुराने बैग में उसकी कॉपी किताबे भर कर उसे भेजा | अब मेरे पास दो ही ऑप्शन थे या तो मैं आज के आज ही नया बैग लूँ या पुराने बैग को ही सिलवा लूँ | दूसरा ऑप्शन ज्यादा सस्ता था | तो मैं बैग लेकर चल दी ननकू के पास | दरसल ननकू हमारे मुहल्ले में बैठने वाले मोची हैं | कॉर्नर वाले मकान से सटा कर उन्होंने कुछ बांस की खपच्चियों पर पोलिथीन डाल कर छोटी सी दुकान खोल रखी है | दुकान छोटी जरूर है पर पर ननकू भैया की सब को जरूरत है | तभी तो उनकी दुकान पर भीड़ लगी रहती है | ब्रांडेड सामान की असलियत कई बार ननकू भैया की दुकान पर देखी जा सकती है | लोग महंगे ब्रांडेड आइटम के टूट जाने पर बैठे हुए दिल से ननकू की दुकान पर आते हैं | ननकू उन्हें २० – २५ रुपये ले कर ठीक कर देता है | ननकू की सधी हुई अंगुलियाँ टूटे हुए बैग्स , लेडीज पर्स व् जूते – चप्पलों पर ऐसे चलती हैं जैसे चित्रकार कोई चित्र बना रहा हो | इसके अलावा ननकू का एक काम और है …वो है लोगों को पता बताना | अजनबी कहीं से भटकते हुए आएगा और ननकू से मकान पूंछेगा | तो उसे आगे भटकना नहीं पड़ेगा | ननकू को पता है की मुहल्ले में किस नंबर का घर कहाँ पड़ता है | और अपना यह ज्ञान वो लोगों के साथ खुश हो होकर बाँटता भी | तो हुआ यूँ की मैं अपना बैग सिलवाने के इंतज़ार में खड़ी ही थी की एक महिला कार से उतर कर ननकू के पास आई और बोली ननकू भैया , “ ये चप्पल ठीक हो जायेगी क्या ? अभी कुछ दिन पहले ही मॉल से २५०० की ली है | ननकू ने चप्पल देख कर कहा ,” हाँ ! बिलकुल आप छोड़ दीजिये | “ महिला ने मुस्कुराते हुए कहा ,” ननकू भैया आप कल दिखे नहीं , मेरा तो जी ही बैठा जा रहा था | उसकी बात सुनकर मुझ से रहा नहीं गया | मैंने हँसते हुए कहा ,” क्या बात है ननकू भैया , इस मेट्रो कल्चर में जब इंसान मर जाता है तब भी महीनों आस पड़ोस वालों को भी खबर नहीं होती और आप का एक दिन काम पर न आने पर भी लोगों का ध्यान जाता है | ननकू भैया अपने पीले दांत दिखाते हुए बोले ,” वो क्या है ना , आप ही लोग कहते हैं की इंसान की वैल्यू नहीं होती उसकी पोस्ट की वैल्यू होती है | कितना सही कहा ननकू ने | इंसान की वैल्यू नहीं उसकी पोस्ट की वैल्यू होती है | इसे थोडा और परिमार्जित करें तो इंसान के काम की वैल्यू होती है | जिन्दगी न जाने इतने कितने उदाहरणों से भरी पड़ी है जहाँ काम करने वाले व्यक्ति के सारे अवगुण इस एक गुण के आगे ढक जाते हैं |काश ननकू की तरह हम सब अपने –अपने काम के महत्व को समझ पाते | और उसी तल्लीनता से कर पाते | घर लौटते – लौटते मुझे बार – बार दादी की पंक्तियाँ याद आ रही थी “ कामलो सो लाडलो “ जो अपना काम अच्छे से करता है वही सबका प्यारा होता है | यह भी पढ़ें ……… दर्द से कहीं ज्यादा दर्द की सोंच दर्दनाक होती है प्रेम की ओवर डोज अरे चलेंगे नहीं तो जिंदगी कैसे चलेगी ? बदलाव किस हद तक ?