दीपावली पर हायकू व् चोका
जपानी विधा *हाइकु (5/7/5) ; कविता लेखन का जिस तरह एक विधा है 1. दीया व बाती दम्पति का जीवन धागा व मोती। 2 लौ की लहक सीखा दे चहकना जो ना बहके। 3 पथिकार है हरा दुर्मद तम अतृष्ण दीप । 4 मिटे न तम भरा छल का तेल बाती बेदम। 5 पलते रहे नयनों के सपने तम में जीते। 6 लौ की लहक सिखा दे चहकना जो ना बहके। 7 हँस पड़ती पथ दिखाती ज्योति सहमी निशा। 5 नभ हैरान तारे फीके क्यूँ लगे दीप सामने । 6 बत्ती की सख्ती अमा हेकड़ी भूली अंधेर मिटा । 7 मन के अंधे ज्ञान-दीप से डरे अंह में फँसे 8 सायास जीव देहरी मांगे ज्योति दीये जो गढ़े ~~ ठीक उसी तरह तानका (5/7/5/7/7) अकेला जल सहस्र जलाता है सहस्रधी है जीयें हम जीवन दीप जैसा सीख लें सेदोका (5/7/7/5/7/7) तमिस्रा मिटा प्रकाशमान होता सच्चा दीपक वही नव्य साहस संचरण करता विकल्प सूर्य का हो ~~ और चोका (5/7/5/7/5/……अनगिनत…… 7/7) कविता लेखन विधा है चोका 1. इक कहानी चार दीप थे दोस्त फुसफुसाते गप्प में मशगुल एक की इच्छा बड़ा बनना था मायूस रोया था वो लोल का टेढ़ा छोटा दीया था बाती फक्क बुझती दूजे आकांक्षा भव्य मूर्ति बनना शोभा बढ़ाना अमीर घर सज्जा ना जा सका वो मिट्टी विद्युत होड़ी हुआ हवन तीजे महोत्वाकांक्षा पैसे का प्यासा गुल्लक तो बनता भरा रहता खनक सुनता वो चांदी सोने की न यंत्रणा सहता आकंठ डूबा बातें सुन रहा था चौथा दीपक संयमी विनम्र था हँसता हुआ वो आया बोला आपको हूँ बताता राज की बात छूटा भवन ठाठ सब ना रूठा सोचो साथ ईश का हमें जगह मिली पूजा घर में तम डरा हराए उजास फैला हम दीपो का पर्व सब करे खरीदारी दीवाली आई क्यूँ बने हम सब रोने वाला चिराग आस जगायें राह दिखाने वाले मंजिल पहुंचायें विभा रानी श्रीवास्तव ~~~ यह भी पढ़ें ……. दीपावली पर जलायें विश्व एकता का दीप दीपावली पर 11 नयें शुभकामना संदेश धनतेरस दीपोत्सव का प्रथम दिन मनाएं इकोफ्रेंडली दीपावली लक्ष्मी की विजय