क्या आप घर से काम करते हैं?

            जो लोग ऑफिस में काम करते हैं उन्हें लगता है कि घर से काम करने वाले कितने मजे में होंगे | जब मर्जी आये तब काम करो , मन करे तो लेट जाओ , कोई आ जाए उससे बात कर लो | फिर काम शुरू करो | वास्तव में ये सब बहुत आसान लगता है औ इसी लिए कई लोग घर से काम करना शुरू करते हैं | अपने मन से काम करेंगे | दिन में समय नहीं मिला तो रात में जाग कर कर लेंगे | सर पर कोई बॉस नहीं होगा | परन्तु जैसा दिखाई देता है वैसा होता नहीं है| खासकर महिलाओं के मामले में | पुरुष अगर घर से काम कर रहे हैं तो ये समझा जाता है कि वो काम कर रहे हैं , इसलिए उनको बेसिक सुविधाएं दी जाती हैं पर महिलाओं के काम को अक्सर इतनी वरीयता नहीं दी जाती और कई बार तो उसे काम ही नहीं टाइम पास समझा जाता है | यकीन मानिए जब मैंने ये लेख लिखा शुरू किया था तब से अब तक मैं तीन बार घर के जरूरी कामों के लिए  उठ चुकी हूँ | अगर आप घर से काम करते हैं  तो आजमाइए मोटिवेशनल टिप्स                                                                          अगर आप घर से काम करते हैं और आप को महसूस हो रहा है की आप को काम जारी रखने के लिए जरूरी मोटिवेशन नहीं मिल रहा है तो खुद को मोटिवेट रखने के लिए आप को दो मुख्य बिन्दुओं पर काम करना होगा | पहले तो आपको डी मोटिवेशन की वजह ढूंढनी होगी फिर उसे दूर करने का प्रयास करना होगा | घर से काम करने में आने वाली दिक्कतें किसी भी जॉब का सबसे अच्छा हिस्सा होता है शाम को घर लौटना – अज्ञात 1 )जब आप घर से काम करते हैं तो आप काम करने बैठे तभी बेल बज गयी , पडोसी आये हैं … आप को देखना ही पड़ेगा , कभी फोन की बेल बजेगी , बात करनी ही पड़ेगी , कभी बच्चे किसी काम के लिए मदद मांगेंगे तो देनी ही पड़ेगी | ऐसा इसलिए है क्योंकि हर किसी को लगता है है की आप जब चाहे तब काम कर सकते हैं तो फिर उन्हें तो आसानी से समय दे ही सकते हैं |ऐसे में जब आप किसी नए आइडिया के साथ  काम कर रहे होते हैं तो कई बार वो आइडिया ही दिमाग से निकल जाता है | 2 )इफरात में समय किसी के पास नहीं होता , घर से काम करने वाले भी घर के जरूरी काम निपटा कर अपना प्रोफेशनल काम करने बैठते हैं | अगर इस तरह से बार -बार उनका ध्यान भटकता रहा तो वो रात में जाग कर या सुबह जल्दी उठ कर ही अपना काम कर पायेंगे | यानी उन्हें डबल ड्यूटी देनी पड़ती है जो सेहत के लिए नुकसानदायक है | 3) कई बार आप ही अपना समय ये सोंच कर बर्बाद कर देते हैं की कल कर लेंगे| ऐसे कल -कल पर टलता हुआ काम अपना मोटिवेशन खो देता है | 4) आप को 24 घंटे घर में ही रहना है यानी आप के घर का वातावरण बिलकुल नहीं बदलता जिस कारण आपको धीरे -धीरे बोरियत होने लगती है जो आपके काम पर भी असर डालती है | 5) घर से काम करने पर आपके आने -जाने का समय बचता है जिस कारण  कई बार आप ज्यादा काम कर पाते हैं | आपको हर थोड़ी सी फुरसत के समय काम दिखाई पड़ता है |  आप आउटगोइंग कम हो जाते हैं | धीरे -धीरे आपके रिश्ते आपसे दूरी बनाने लगते हैं | जब कभी आप गेट टुगेदर में आप पहुँचते हैं तो आप एलियन नज़र आते हैं | पढ़िए –5 मिनट रूल – दूर करें काम को टालने की आदत                                                                         जाहिर हैं अगर आप घर से काम करते हैं तो आप ये सब समस्याएं महसूस कर रहे होंगे | लेकिन अपने काम और लाइफ को बेलेंस रखने के लिए आपको खुद को मोटिवेट रखना बहुत जरूरी है | इसके लिए कुछ उपाय हैं | सोंचिये आप घर से क्यों काम करते हैं                                                          अगर आप ये सोंचते हैं कि आप घर से क्यों काम करते हैं तो आप का स्ट्रेस थोडा कम हो जाता है | इसलिए इसे रोज अपनी सोंच में दोहरा लीजिये | इसकी कई वजह हो सकती हैं – आप फ्री लांसर हैं | आप के घर में छोटे बच्चे या कोई बीमार है और आप उसके केयरगिवर  हैं | अभी आप का बजट आपको अपना ऑफिस खोलने की इजाज़त नहीं देता | आप  शौकिया  काम करते हैं | आप खुद बीमार रहते हैं |                                  अगर ऐसी कोई वजह है तो आप जानते हैं  कि घर से काम करना ही आप के लिए बेस्ट ऑप्शन है | इसलिए जब भी बोरियत लगे या ये लगे की बाहर से काम करने वाले ज्यादा खुश है तो आप अपनी लायबिलिटी याद कर लीजिये| रिलेटेड -2018 में लें हार न मानने का संकल्प अपने कमरे को ऑफिस की शक्ल दें                                                                   जब मैंने घर से काम करना शुरू किया था तो मैंने महसूस किया की मैं अपना लैपटॉप उठा कर कहीं भी काम कर सकती थी ,पर इससे दिक्कत ये आ रही थी कि कोई … Read more

सक्सेस टिप्स -Entrepreneur और Employee दोनों के लिए

                                          आपने एक कहावत तो सुनी होगी, ” एक तीर से दो शिकार ” | आज हम एक ऐसी ही जबरदस्त success tips लायें है जो Entrepreneur और Employee दोनों के लिए कारगर है | हम Entrepreneur हो या  Employee हों , हम दोनों की प्राथमिकता सफलता होती है | जहाँ कंपनी का मालिक चाहता है कि उसकी कंपनी ज्यादा से ज्यादा लाभ कमाए वहीँ उसमें काम करने वाले ये चाहते हैं कि company तो लाभ कमाए ही साथ उनकी जगह उस कम्पनी में सुरक्षित रहे | उन्हें  कंपनी की ग्रोथ के साथ उन्हें अच्छी तनख्वाह व् अन्य सुविदायें  मन माँगी मिलती रहे | आज इस बात को समझाने के लिए एक छोटी सी प्रेरक कहानी का सहारा ले रही हूँ | Entrepreneur और Employee दोनों के लिए सक्सेस का मंत्र                                                एक व्यापारी था |  वह एक शहर से माल खरीद कर ( जहाँ वो सस्ता था )  दूसरे शहर में( जहाँ उसकी मांग ज्यादा थी ) बेंचता था | रास्ते में बहुत बड़ा जंगल नदी पहाड़ आदि थे | जिसके कारण व्यापारी दूसरे शहर कम ही पहुँच पाते थे | व् ये व्यापारी  कॉम्पटीशन कम होने के कारण बहुत लाभ कमाता था | एस काम के लिए उसके पास दो  गधे थे | जिनके ऊपर वो सामान लाद  कर एक शहर से दूसरे शहर  ले जाया करता था |  व्यापारी गधों के खाने -पीने का बहुत ध्यान नहीं रखता था | उनमें से एक गधा मर गया , तो व्यापारी ने दूसरा गधा  खरीदा और पहले की तरह सामान ले कर दूसरे शहर की तरफ चला | नया गधा बहुत धीमे -धीमे चल रहा था | व्यापारी को दूसरे शहर पहुँचने में बहुत ज्यादा समय लगा | अबकी बार उसका माल पहले की तरह हाथों -हाथ नहीं बिका क्योकि कुछ दूसरे व्यापारी उससे पहले आ गए थे | उसे काफी समय दूसरे शहर रुकना पड़ा | पहले इतने समय में वो दो चक्कर लगा लेता था | उसका नुक्सान हुआ | क्योंकि  समय भी धन है | अगली बार त्यौहार का समय था | जल्दी न पहुंचता तो नुक्सान बहुत होता | इसलिए शुरू से ही उसने पह्ले गधे पर ज्यादा सामान लादा व् दूसरे पर कम , दूसरा गधा फिर भी धीरे ही चला पर उस पर सामान कम था इसलिए पहले जितनी देर नहीं हुई | फिर भी वो लोग जब तक पहुंचे ज्यादातर लोगों ने त्यौहार की खरीदारी कर ली थी | व्यापारी का फिर नुकसान हुआ | अबकी बार व्यापारी ने दूसरे गधे पर आधे से भी कम सामान लादा , फिर भी दूसरे गधे की स्पीड पहले से कम ही थी | व्यपाऋ अबकी  बार देर नहीं करना चाहता था | इसलिए उसने दूसरी गधे का सामान और कम करके पहले गधे पर भार  बढ़ाना शुरू किया | दूसरे  गधे के पास नाम मात्र का बोझ था | अब वो पहले गधे के साथ -साथ चल रहा था | उसने मुस्कुरा कर पहले गधे से कहा , ” अब भुगतो ज्यादा काम करने का नतीजा , देखो मैं तो खाली चल रहा हूँ और तुम सारा बोझ ढो रहे हो | दाना – पानी दोनों को बराबर ही मिल रहा है | पहला गधा निरुत्तर हो गया | पर कहानी यहीं खत्म नहीं हुई | रास्ते में कई रातें जंगल में पड़ती थी | इस बार व्यापारी कम्बल लाना भूल गया था | उसने सोंचा दूसरा गधा तो किसी काम का नहीं है , तो उसने रास्ते में पड़ने वाले गाँव में जाकर दूसरे गधे को मार कर उसकी खाल से कम्बल बनवा  लिया |  अब व्यापारी के पास एक ही गधा था | व्यापारी को उसी से काम लेना था | अब उसे उसके मन का खाना देना होता , वो उसे मार भी नहीं सकता था , अगर वो रुक जाए तो मजबूरन उसे रुकना पड़ता | अब पहले गधे की मर्जी  उसके व्यापार में शामिल होने लगी थी | मित्रों ये कहानी अब हम नए एंगल  से देखते हैं … यहाँ व्यापारी Entrepreneur है और  गधे Employee ( केवल प्रतीक के रूपमें ले रहे हैं |) अगर आप Entrepreneur  हैं                                              अगर आप Entrepreneur हैं तो आप को ध्यान रहना होगा की आप का बिजनेस किसी एक व्यक्ति पर निर्भर न रहे | नहीं तो वो व्यक्ति बाद में आप पर दवाब डाल सकता है और आप को बिजनेस बंद हो जाने के डर से उसका हर दवाब मानना पड़ता है |  उसे उसके मन की सेलेरी छुट्टी , काम करने की सुविधा देनी पड़ती है | अगर इतने पर भी आप का काम चल रहा है तो भी ठीक है , नहीं तो अगर उस व्यक्ति ने कहीं और बहुत ज्यादा ऑफर पर चला गया या खुदा न   खस्ता  बीमार पड़ गया  भगवान् न करे अगर उसकी मृत्यु हो गयी तो आप का बिजनेस पूरी तरह से बैठ   जाएगा |  स्टीव जॉब्स को अपनी ही कम्पनी से निकाले जाने की घटना को भला कोई कैसे भूल सकता है | तो फिर ध्यान दीजिये – बिजनेस एक टीम वर्क है और  आपको इसे यही शक्ल देनी चाहिए | आप को स्वयम ही योग्य लोगों की छटनी व् योग्य लोगों की भर्ती  करनी चाहिए | अगर आप की टीम में कम योग्य लोग हैं तो उनकी छटनी न करके उनमें योग्यता पैदा करें , उनके लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम हो, उन्हें  कॉम्पटीशन में रहने के लिए ज्यादा घंटे काम करने के लिए प्रेरित करें | उन्हें कम्पनी से निकालने के स्थान पर उनकी परफोर्मेंस बढाने के लिए उनके आदर ग्रेडिंग सिस्टम द्वारा नि काले जाने का भय उत्पान करें | ये तो बात रही की आप की वन मैंन आर्मी न बनने की पर योग्य व्यक्ति दूसरों से ज्यादा काम करते हुए अपने को अपमानित महसूस करके आपकी कम्पनी को छोड़ … Read more

अपने गुस्से को काबू में कैसे करें ?

    सुबह अलार्म की घडी टाइम पर नहीं बजी …अपने ऊपर गुस्सा आ रहा है |   बच्चे ने पराठे खाने से साफ इनकार कर के सैंडविच खाने की फरमाइश कर दी … बच्चे पर गुस्सा आ रहा है | इतनी भाग -दौड़ के बाद भी बस लेट आई … बस ड्राइवर पर गुस्सा आ रहा है |                                                                     क्या आप कभी गिनते हैं कि सुबह सात  बजे से सुबह नौ बजे तक आप कितनी बार गुस्सा कर लेते हैं | इसी गति से दिन भर में कितनी बार गुस्सा कर लेते हैं या मात्र ” मूड ऑफ ” कह कर अपनों का कितना मूड ऑफ कर देते हैं| गुस्सा कैसा भी हो किसी पर भी हो उसका प्रभाव तन , मन और जीवन पर नकारात्मक ही पड़ता है| विज्ञान कहता है कि हम दिन भर काम करने में उतना नहीं थकते जितना एक घंटे गुस्सा करने में थक जाते हैं | गुस्सा बहुत ही स्वाभाविक है ये मान कर हम गुस्सा करते जाते हैं …तब तक जब तक स्ट्रेस दिल , दिमाग को अपनी गिरफ्त में नहीं ले लेता| अगर आप चाहते हैं कि गुस्से को अपने ऊपर हावी न होने दें तो आपको गुस्से पर काबू करना सीखना होगा | How to control your anger(in Hindi)                                        अगर आप भी अपने गुस्से से परेशान  हो चुके हैं तो जरूर ही आप उसे अपने काबू में रखना चाहते होंगें | आइये हम आपको बताते हैं कि गुस्से पर कैसे काबू रखे| ये बहुत ही आसान है क्यों कि   आपको गुस्से को control में रखने के लिए थिंकिंग पर ध्यान देना है | जानिये कैसे – अपनी इमोशनल चाभी अपने हाथ में रखे                                               फलाने की हिम्मत कैसे हुई कि ऐसा कहे , ढिकाने ने मुझे देख कर आखिर मुँह क्यों फेर लिया , इसने, उसने  ने आखिर क्या समझ कर …. अकसर हमें गुस्सा इस बात पर आता है कि लोग हमारे साथ ऐसा व्यवहार क्यों करते हैं ? यहाँ पर  हमारे स्ट्रेस में आने या गुस्सा करने का सीधा सा अर्थ है कि हमने अपने इमोशन की चाभी अगले को पकड़ा दी है | अब अगर किसी को पता चल जाए कि वो बस इतना सा कह कर या जरा सा मुंह बना कर आपका दिन बिगाड़ सकता है तो कोई क्यों न फायदा उठाये | बेहतर है की आप अपने इमोशन की चाभी अपने ही पास रखें |                                     एक बहु और सास की कहानी याद आ रही है | एक बहु  अपनी सास को कुछ कहती नहीं थी बस उसके पानी मांगने या कोई काम कहने पर मुंह चिढ़ा देती थी , यह देख कर सास का गुस्सा सातवे आसमान पर चढ़ जाता और फिर वो बहु को अनाप शनाप जाने क्या -क्या बोलती रहती | बाहर से लोग केवल सास की आवाज़ सुनते बहु की नहीं | उन्हें लगता सास बुरी है जो गाय जैसी बहु पर गुस्सा करती हैं | यहाँ बहु जान गयी थी कि सास उसके मुंह बनाने पर चीखेगी-चिल्लाएगी | सास ने अपने गुस्से की चाबी बहु को दे दी थी | अगर लोगों को पता चल जाए कि हमें किस बात पर गुस्सा आता है तो वो दस बार हमें गुस्सा दिला सकते हैं | इसलिए कोई दूसरे को ये अधिकार मत दीजिये की वो आपको गुस्सा दिला सके | दूसरों को दें बेनिफिट ऑफ़ डाउट                                कई बार कोई व्यक्ति हमें  ऐसी बात कह जाता है जो हमें बहुत बुरी लग जाती है | उस बात पर हमें बहुत गुस्सा आता है | लेकिन जब आप आराम से सोंचतें  है तो देखते हैं की उस व्यक्ति का वो कहने का इरादा नहीं था | या जो हमने समझा , वो उस आशय के शब्द उसने कहे ही नहीं थे | उदाहरण के लिए मीता की बेटी के १२ th में 70 % मार्क्स आये थे | दरसल वो कोचिंग और  स्कूल को संभाल  नहीं पा रहीथी | उसने कोचिंग पर ज्यादा ध्यान दिया और १२ th में प्रतिशत बिगड़ गया | मीता  ने उस समय उसका साथ दिया |बेटी ने अपनी पढाई जारी रखी और कॉलेज  में उसने बेहतर किया|  मीता की कोशिश यही रहती थी कि वो अपनी बेटी का आत्मविश्वास टूटने न दे | समय आगे बढ़ा | मीता की छोटी बेटी 12 th में आ गयी | मीता उसे पढाई का महत्व समझा रही थी|  बीच में बेटी ने पूँछ दिया ,” मम्मी आपके 12th में कितने नमबर आये थे| मीता ने कहा , “71% , फिर रुक कर बोली , तुम ज्यादा मेहनत करो , हमारे जमाने में 71 % बहुत होशियार बच्चों के आते थे , पर आज तो जो 71 -72 % लेकर आता है उसे मूर्ख हो कहते हैं | तभी दूसरे कमरे से बड़ी बेटी की आवाज़ आई ,”thank you” मम्मी , इतना कह कर उसने गेट बंद कर लिया| मीता का इरादा बड़ी बेटी को कमतर कहने का नहीं था , बस वो बात करते समय उसका वाकया  भूल गयी | परन्तु बड़ी बेटी बहुत दिन तक उससे नाराज़ रही , उसे लगा मम्मी ने उसे मूर्ख कहा है |                             ऐसी बहुत सारी परिस्थितियाँ जिंदगी में आती हैं और हम  लम्बे समय तक गुस्सा पाले रहते हैं | जबकि बाद में बात साफ़ होने पर पता चलता है कि कहने वाले का वो आशय ही नहीं था जो हमने समझा | कई बार तो ये गुस्सा जिंदगी भर पला रहता … Read more

students distraction avoid कैसे करें ?

    जनवरी आधी से ज्यादा बीत गयी है | मार्च से 10 th, और 12th बोर्ड exam शुरू होने वाले हैं | बाकि क्लासेज के exams भी १५ फरवरी के बाद शुरू हो जायेंगे| कहने का मतलब ये हैं की पढाई करने का ये पीक पीरियड है | सभी बच्चे इस कोशिश में लगे होंगे कि वो ज्यादा से ज्यादा पढ़ कर अच्छे नंबर लायें | ऐसे में बहुत जरूरी है की दिमाग पूरी तरह से पढाई में फोकस रहे , पर क्या करें दिमाग बार – बार distract हो जाता है | इस कारण जितना सोंचा था उतना पढ़ नहीं पाते , भले ही बाद में पछताना पड़े पर अगले दिन फिर distraction बिन बुलाये मेहमान की तरह आ जाता है , ऐसे में बच्चों व् उनके पेरेंट्स का सीधा – सादा प्रश्न रहता है की आखिर इसे avoid कैसे करें? जानिये कैसे करें students distraction avoid  ?                          आप बच्चों की तरह मेरे बेटे के भी exam आने वाले हैं , उसने भी टाइम टेबल बना कर  जोर शोर से पढाई शुरू कर दी हैं पर अक्सर वो distraction की वजह से अपना target achieve नहीं कर पाता है , जिससे अगले दिन पर टारगेट से भी ज्यादा बोझ पड  जाता है | जब ने उसकी इस समस्या को देखा तो मुझे भी अपनी पढाई के दिन याद आगये जब मैं मेहनत से पढाई करने का टाइम टेबल  बना कर किताब ले कर बैठती तो बीच -बीच में ऐसे ही distractions को झेलना पड़ता | फिर एक दिन मैंने अपने लिए कुछ नियम बनाए , जिससे मेरा ध्यान इधर -उधर भटकना कम हो  गया | आज अपने बेटे के साथ वही टिप्स शेयर करते समय मुझे ख़याल आया कि क्यों न मैं सब students से ये  टिप्स शेयर करूँ , जिससे सबको फायदा मिल सके और सभी स्टूडेंट्स अपना 100 % दे सकें |   distract करने वाले ख्यालों को लिख लें  students, आपने notice किया होगा कि  जैसे ही आप कुछ पढने बैठे दिमाग में अनेक ख्याल आना शुरू हो जाते हैं , जिनका पढने से कोई लेना देना नहीं है | 1) एग्जाम के बाद मोबाइल फोन लेना है | 2) फेयरवेल में कौन सी ड्रेस पहन कर जाएँ | 3) पद्मावत का end क्या होगा | 4)मैथ्स का वो वाला सवाल , कैसे निकलेगा | 5) प्रैक्टिकल फ़ाईल का कवर लेना है | 6) आखिर सीरियल में वो एक्टर मरा क्यूँ ? हम सब के दिमाग में किसी काम को करते समय ऐसे ख्याल आते हैं | इन्हें avoid करने की कोशिश करों तो ये दिमाग में और शोर मचा देते हैं | बेहतर है आप इन्हें अवॉयड न करें , बल्कि अपनी study table के पास ऐसी एक कॉपी रखे जिस पर आने वाले ख्याल लिख लें , इस वाडे की साथ कि आप इनपर दुबारा खाली समय में विचार  करेंगे | इससे दिमाग को ये सिग्नल जाएगा कि आप उन ख्यालों को इग्नोर नहीं कर रहे हैं |  जिससे आप का दिमाग पढने में कम अवरोध उत्पन्न करेगा | अब बाद में उस लिस्ट को चेक करें | आप देखेंगें  कि कुछ बातें तो बिलकुल फ़ालतू हैं , जिनका जीवन में कोई रोल नहीं है जैसे ऊपर के उदहारण में ३और ६ , वो तो तुरंत कट  जायेंगे | बाकी  को आप attend कर लीजिये | decide कर लीजिये कि  कौन सी ड्रेस पहननी है फेयर वेल में , मैथ्स का सवाल हल कर के देखिये नहीं solve हो तो अगले दिन teacher से स्कूल में पूँछिये | फ़ाइल कवर शाम को ले आइये और मोबाइल कौन सा लेना है इसकी खोज एग्जाम के बाद करनी है ऐसा वादा खुद से करिए | इस तरह से लिख कर जब आप अपने ख्यालों को सही दिशा दे देते हैं तो  आपका दिमाग भी problem creater की जगह problem solver के मोड में आ जाता है|   इन्टरनेट पर लगाम लगाए  students, आपने देखा होगा कि आप मन लगा कर पढ़ रहे हैं तभी  मोबाइल पर किसी का मेसेज आ गया और आपने देखने के लिए फोन उठा लिया , या जरा सा फेसबुक का कोई स्टेटस चेक करना हों , या ईमेल देखना हो , आपने मोबाइल उठाया तो हो गया एक साइट से दूसरी साइट या एक वीडियो से दूसरे वीडियो तक कूदते हुए एक घंटा बर्बाद | इन्टरनेट हर समय भले ही बाखबर रखता हो पर एग्जाम के दिनों में बेखबर रहना आपकी पढाई की सेहत के लिया आवश्यक है | हो सके तो पढ़ते समय इन्टरनेट ऑफ रखिये | ऐसा करके आप उसे आसानी से avoid  कर सकेंगे | कुछ स्टूडेंट्स को अपने काम के लिए इन्टरनेट जरूरी होता है , अगर ऐसा है तो आप एक एप डाउन लोड करिए जो दूसरी साइट्स को ब्लाक कर सकता है | अब इस एप की सहायता से उन साइट्स को ब्लाक  , जहाँ आपका मन ज्यादा भटकता हो | इन्टरनेट पर लगाम लगाने से आप काफी हद तक distraction पर लगाम लगा सकते हैं | आस – पास की आवाजों से अपना ध्यान हटाने के लिए आप हेड फोन इस्तेमाल कर सकते हैं | पढने से पहले की तैयारी  कभी अपनी मम्मी को खाना बनाते हुए देखा है , वो पहले से ही एक जगह सारी  चीजें , जैसे कटी सब्जियां , मसाले , बर्तन , पानी आदि  रख लेती हैं | ये नहीं की जीरा डाल दिया , फिर हल्दी लेने को भागीं , जब तक आयीं तब तक जीरा जल गया | लेकिन ज्यादातर स्टूडेंट्स पढ़ते समय सारा सामन पास नहीं रखते | चार लाइन पढ़ीं … फिर देखा , अरे पेंसिल तो है ही नहीं , फिर चार लाइन पढ़ीं स्केल लेने के लिए उठे , फिर कुछ पेज पढ़े तो ध्यान आया कि नोट करने के लिए डायरी तो रखी ही नहीं , फिर उठाना पड़ा | याद रखिये अगर आप इतनी बार उठेंगे तो आप का दिमाग पढाई से हट जाएगा | इस distraction को avoid करने के लिए जब भी पढने बैठे सारा सामन अपने पास रख लें | जिससे लगतार पढ़ सकें | … Read more

अपने दिन की प्लानिंग कैसे करें ?

  हम सब चाहते है की हमारा दिन बहुत अच्छे से गुज़रे , हम खूब एक्टिव रहे व् सब काम निपटा सकें , पर क्या इसके लिए हम अपने दिन की प्लानिंग करते हैं | दिन की प्लानिंग करना हमारी जिंदगी को अपने कंट्रोल  में करने जैसा होता है | एक उदाहरण देखिये …  विंध्या  बर्तन धोने में लगी थी तभी सुयश वहां आया | सुयश  – विंध्या  तुमने चिंटू के स्कूल की फीस भर दी थी क्या ?  ओह ! भूल गयी , विंध्या  ने सर पर हाथ रखते हुए कहा | सुयश -उफ़ , दो दिन पहले लास्ट डेट निकल गयी, तुम्हें  ध्यान ही नहीं रहा| अब तो लेट फीस  के साथ फाइन भी देना पड़ेगा| तुम्हें कम से कम मुझे बता देना चाहिए था , मैं कर देता अगर तुमसे नहीं हो पा रहा था , फाइन तो न देना पड़ता| विंध्या  – क्या करूँ मुझे याद ही नहीं रहा , भूल गयी , फिर घर के इतने काम रहते हैं कि .. सुयश(गुस्से में ) – तुम्हे याद कैसे रहेगा, वो जो तुम्हारी सहेलियां आ जाती हैं न , उनसे बतियाने में सब भूल जाती हो | विंध्या ( गुस्से में )- सिर्फ मेरी सहेलियां ही नहीं , तुम्हारी बहने , भाई और  दोस्तों के परिवार भी आते -रहते हैं , उन्हें क्यों गिनती करने से भूल जाते हो |                                              मामला गर्म होते देख , “तुम औरतें” अपमानजनक मुद्रा में कहते हुए सुयश वहां से चला गया , और विंध्या रोने लगी |                                            ये मामला  विंध्या और सुयश का नहीं है | स्त्री और पुरुष का भी नहीं है, ये मामला है जरूरी काम भूल जाने का| हम में से अधिकतर लोग सारा दिन समय को यूँही बर्बाद कर देते हैं , या कम जरूरी कामों में उलझे रहते हैं जिस कारण जरूरी काम रह जाते हैं , फिर बाद में पछताते हैं | जानिये कैसे करे अपने दिन की प्लानिंग                                            जरूरी कामों को भूलने और बेकार के कामों में उलझे रहने की  इन सब तकलीफों से बचने के लिए जरूरी है कि हम अपने दिन की सही तरीके से प्लानिंग करें | इससे हमारे सब काम सही समय पर होंगे और हम हर समय कामों में उलझे हुए नहीं रहेंगे | पर दिन को सही तरह से प्लान करने के लिए आपको कुछ बातें ध्यान में रखनी होंगी | To-Do लिस्ट बनाएं                                एक कहावत है कि ,  ” अगर आप चाहते हैं कि आप का काम समय पर पूरा हो , तो उस व्यक्ति को दें जो सबसे ज्यादा व्यस्त हो |”सुनने में जरूर अजीब लगेगा पर जो व्यक्ति सबसे ज्यादा व्यस्त होगा वही समय को सबसे सही ढंग से संचालित करना जानता होगा | उसका टाइम मेनेजमेंट एकदम परफेक्ट होगा | दुनिया में जितने भी लोग सफल हैं उनकी to -do तैयार रहती है| उन्हें पता होता है कि अगले दिन उन्हें क्या करना है | वो अपना समय इस हिसाब से बाँटते है कि किस समय क्या – काम करना हैं | जिससे हर काम समय पर पूरा होता है| यही उनकी सफलता का राज़ भी है | अगर आप भी चाहते हैं की आपका समय बर्बाद न हो तो आप भी to- do लिस्ट बनाए | कैसे बनाए To -Do-लिस्ट                                            अगर आपने कभी ऐसी लिस्ट नहीं बनायीं है तो आपको समझ नहीं आ रहा होगा की इसे कैसे बनायें |  आइये मैं  आपको कैसे to -do लिस्ट बनाये इसकी पूरी जानकारी दे दूं | वैसे तो इसे बनाने के कई तरीके हैं , इस पर कई किताबें भी लिखी जा चुकी हैं कई सेमिनार्स हुए हैं जिनके वीडियो हैं | पर मैं आपको सबसे आसन तरीका बता रही हूँ | इसका नाम है .. ABC लिस्ट  ABC लिस्ट  में अपने नाम के अनुसार आपको अपने कल किये जाने वाले कामों को तीन भागों में बांटना है | A पार्ट में वो काम रखने हैं जो बहुत जरूरी हैं जैसे …URJENT हैं बच्चे की  फीस भरनी है | दवाई लानी है | प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करनी है |  ईमेल का जवाब देना है  विद्यार्थियों के लिए एग्जाम सर पर हैं 5 चैप्टर या कोई ख़ास कठिन चैप्टर कम्पलीट करना है |  B पार्ट में आप वो काम रख सकते हैं जो कल न भी हुए तो कोई बात नहीं | यानी की हमारी दूसरी प्राथमिकता के काम …ये कैटेगिरी सबसे बड़ी होती है | इसमें वो काम होते हैं जिन्हें हम अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल करते हैं |ये काम Urjent  नहीं पर important हैं |  इसमें हमारे दिन के लगभग सारे जरूरी काम आते हैं | पड़ोस के बच्चे की BIRTHDAY PARTY में जाना है |  आज कौन सा चैप्टर पढना है  किसी किताब की समीक्षा लिखनी है |  थोडा समय परिवार की किसी खास सदस्य को देना है जो बीमार है  थोडा समय मी टाइम के लिए |  सब्जी लानी है | बाथरूम का बल्ब फ्यूज हो गया है , बदलना है |  स्कूल ड्रेस पर प्रेस करनी है |  Cपार्ट में वो काम आते हैं जो न Urjent न IMPORTANT पर उन्हें हमें करना है | आज नहीं तो कल करना ही पड़ेगा |  सर्दियों में मेहमानों के आने से पहले पर्दे धोने हैं |  किचन गार्डन सही करना है |  हीटर ठीक कराना है  बेटे के लिए 11th में आने से पहले सही कोचिंग इंस्टीटयूट पता करना है |  कोई हॉबी कोर्स जो करना है | कोई नावेल जो पढना है | किसी सहेली का हालचाल पूँछना है |  ये काम अभी जरूरी व् महत्वपूर्ण नहीं हैं … Read more

कैसे करें अपनी लाइफ से negativity eliminate

                             हम सब positive रहना चाहते हैं | positive thinking पर ढेरों किताबें भी पढ़ते हैं | पर फिर भी negativity हमारा पीछा नहीं  छोडती |  क्या आप जानते हैं कि  ऐसा क्यों होता है?तो आइये आज हम जाने कि कैसे हर समय पॉजिटिव रह सकते हैं और negativity को अपनी लाइफ से पूरी तरह से दूर कर सकते हैं | जानिये कैसे करें अपनी लाइफ से negativity eliminate                                                        दोस्तों , मुझे एक वाकया  याद आ रहा है | एक बार मैं अपने भाई से बात कर रही थी | बात पेंट खरीदने पर हो रही थी |  हम तरह -तरह के रंग की राय दे रहे थे | तभी जुबान फिसल गयी( होता है कभी -कभी )और मैंने कहा,” भैया इस दीपावली को आप हरे रंग की सफ़ेद पेंट लेना| इतना सुनना था की सब हँस पड़े | क्योंकि ये रंग तो संभव ही नहीं था| कोई एक ही हो सकता था, या तो हरा या सफ़ेद | या दोनों को मिला दो तो भी एक नया रंग ही बनेगा| वो बात तो हँसी में टल गयी | बरसों बाद मैंने यही बात Positivity और Negativity में भी देखी |               ये दोनों भावनाएं एक साथ नहीं रह सकती | या व्यक्ति पॉजिटिव होगा या नेगेटिव,  या रो रहा होगा या खुश होगा, या कुछ बुरा सोंच रहा होगा, या अच्छा सोंच रहा होगा | कहने का मतलब ये है कि ये दोनों चीजे एक साथ नहीं रह सकती|  आप कह सकते हैं कि ख़ुशी के आँसूं  होते हैं , कुछ तो ये भी कह सकते हैं कि गम की भी हँसी होती है 🙂 🙂 , पर दोनों ही परिस्थितियों में आप की feeling एक ही होगी या ख़ुशी की या गम की , दोनों एक साथ नहीं | यानी एक तो अपने आप eliminate हो ही जाएगा | Negativity eliminate करने के लिए बनिए positive maganet                                                                 अब ये तो आप जान गए की दो भावों में से एक भावना  ही रह जायेगी | लेकिन क्या आप जानते है कि ये अपने आप हो जाता है | इसे करने की आपको जरूरत नहीं पड़ती | जैसे …  आप रात में देर तक जागते हैं और दिन में देर तक सोते हैं तो आपकी लाइफ से  ८ घंटे वो लोग eliminate हो जायेंगे जो जल्दी सोते और जल्दी उठते हैं | आप ऑफिस टाइम से पहले पहुँचते हैं तो आप की लाइफ से वो लोग eliminate हो जायेंगे जो देर से आते हैं | और उनकी लाइफ में से आप eliminate हो जायेंगे |  अगर आप पढने वाले बच्चे हैं तो आपकी लाइफ से वो friends eliminate हो जाते हैं जो time बर्बाद करते हैं |  अगर आप खेलने में रूचि लेते हैं हैं तो वो लोग आपकी life से निकल जाते हैं जो ज्यादा पढ़ते हैं |  अगर आप गप्प मारने के शौक़ीन हैं तो ऐसे लोग आपको देख कर दूर भाग जाते हैं जो फ़ालतू बात करना पसंद नहीं करते |  अगर आप बहुत भावुक हैं तो practical thinking वाले लोग आपका  साथ पसंद नहीं करते ,  इसलिए वो eliminate हो जाते हैं | फिर भी अगर वो आपकी life में आ रहे हैं तो जरूर उनकी किसी प्रैक्टिकल  योजना के कारण |                                      उदाहरण बहुत हैं आप खुद ही इस लिस्ट को बड़ा  कर सकते हैं | मेरा कहने का मतलब ये हैं कि आप जैसे हैं वैसे ही लोग आप की तरफ खींचते हैं | हम सब एक magnet हैं | लेकिन खास बात ये हैं की बेचारे मैगनेट के विपरीत हम खुद अपने नार्थ और साउथ पोल को बदल सकते हैं | यानी अगर आप पॉजिटिव रहना चाहते हैं ( मुझे उम्मीद है की आप पॉजिटिव रहना चाहते हैं तभी आप ये लेख पढ़ रहे हैं | ) तो आप को सबसे पहले खुद पॉजिटिव होना पड़ेगा | कैसे बने Positive                                  पॉजिटिव होने का मतलब है आप का माइंड पॉजिटिव है | इसके लिए आप को हर बात में Positivity ढूंढनी पड़ेगी |जैसे … आज बस नयी मिली ,… अच्छा है  टहलते हुए जायेंगे , कुछ exercise हो जायेगी | बीमार पड़ गए … कितने दोस्त व् रिश्तेदार मिलने आ रहे हैं , मुझ्गे लोग कितना चाहते हैं | काम वाली नहीं आई … आज  ज्यादा अच्छे से सफाई कर पाऊँगी , वो तो कोने छोड़ देती है | जो भी नौकरी या काम मिला … वाह इसमें कितना कुछ सीखने को है | नौकरी छूट गयी … जिंदगी तो नहीं छूटी , कुछ न कुछ  कर ही लेंगे |                                                                     अब इस लिस्ट को भी आप ही बढ़ाइए | मेरा कहने का मतलब ये है कि आप को हर चीज में पॉजिटिव कारण खोजना है | क्योंकि लाइफ वही है जिस पर आप फोकस करते हो | उदाहरण देखिये … स्टीफन हाकिंग अगर अपनी बीमारी पर फोकस करते तो क्या साइंटिस्ट बन कर दुनिया को इतना दे पाते | निक व्युजेसिक जो बिना  हाथों , पैरों के पैदा हुआ क्या मोटिवेशनल स्पीकर बन पाता | स्टीव जॉब्स अपनी ही कम्पनी से निकाले जाने पर वापस अपना एम्पायर खड़ा कर पाते | केतकी जानी एलोपेसिया की शिकार हो कर  mrs india कांटेस्ट में फाइनल तक पहुँच पाती | संदीप माहेश्वरी कॉलेज ड्राप आउट होने के बाद एक सफल व्यवसायी व् मोटिवेशनल … Read more

सफलता और शब्दोंकी शक्ति

                                         शब्दों को हमारे जीवन में बहुत महत्व हैं| हम अपने विचार , भावनाएं , इच्छायें सब शब्दों के माध्यम से ही तो व्यक्त करते हैं | शब्दों से ही रिश्ते बनते हैं , बिगड़ते हैं | कई बार कोई हमें एक चाटा  मार दे वो हम भूल जाते हैं , पर अगर किसी ने  अपने शब्दों से जो हमारा दिल दुखाया होता है उसे हम जीवन भर नहीं भूलते| शब्दों का प्रभाव बहुत गहरा होता है |                         हमारे शास्त्रों में शब्दों को ब्रह्म भी कहा गया है | क्या आपने ऐसा सोचा है कि क्यों? क्योंकि शब्दों का हमारे जीवन पर गहरा असर होता है|  उन शब्दों का जो हम बोलते हैं सुनते हैं हमारे ऊपर बहुत प्रभाव पड़ता है | परन्तु  उन शब्दों का हम पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है जो हम खुद से बोलते हैं | ये ही हमारे रिश्ते सफलता , ख़ुशी शांति या अशांति का सबसे बड़ा कारण बनते हैं | यूँ तो शब्दों जीवन के हर क्षेत्र में व्यापक प्रभाव है | पर आज मैं शब्दों के आपकी  Success से  संबंध बताऊँगी | जिसके बाद आप अपने Words पर जरूर ध्यान देने लगेंगे | सफलता और शब्दों की शक्ति  /How to use power of words(in Hindi) सफलता का शब्दों से क्या संबंध है इस पर कुछ लिखने से पहले मैं आप के साथ एक प्रयोग करना चाहती हूँ | जरा नीचे दिए शब्दों को चार -बार पढ़िए .. निराशा , दुःख , दर्द , तकलीफ , गम , बिमारी  अब फिर से इन शब्दों को पढ़िए .. ख़ुशी , हँसी , सफलता , सौभाग्य , स्वास्थ्य                                     क्या आपको कुछ अंतर लगा| जरूर लगा होगा | पहली बार आपको दर्द और दुःख महसूस हुआ होगा और दूसरी बार ख़ुशी |                                                अब जरा रोजाना इस्तेमाल किये जाने वाले अपने WORDS पर गौर करके देखिये कि  आप अपने जीवन में किन शब्दों का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं .. जैसे .. मेरी जिंदगी में बहुत मुश्किलें हैं | मेरी LIFE में  कभी कुछ अच्छा होता नहीं  मेरा तो नसीब ही खोटा है | मैं तो ऊपर से लिखवा के आया ? आई हूँ की सोने में भी  में हाथ डालूँगा  वो मिटटी हो जाएगा | पता नहीं भगवान् ने किस कलम से मेरा भाग्य लिखा है |  या new generation के words… झंड लगी है , डब्बा गोल है , आदि |  इसके अतिरिक्त कुछ और शब्द हैं जैसे , काश , कर सकता हूँ , करना चाहता हूँ | ये शब्द सोंच की शक्ति या WILL POWER को कम करते हैं | जिस कारण उस काम के भी पूरा  होने में बड़ा प्रश्न चिन्ह लगा रहता है |                                                                            अगर आप भी बार- बार ऐसे ही शब्दों का इस्तेमाल करते हैं | तो निश्चित रूप से आपके जीवन में सफलता के मौके दूर से की सलाम कर लेते होंगे | सफलता के अलावा जो लोग ऐसे शब्द बार -बार बोलते हैं उनके ज्यादा दोस्त नहीं होते| सबके जीवन में सौ  परेशानियां होती हैं | किसके पास इतना समय है कि वो दर्द भरी कहानी सुने | यानि रिश्तों से भी गए और सफलता से भी तो  ख़ुशी तो दूर हो ही गयी | इन सब के पीछे अगर किसी का हाथ है तो वो है शब्द | क्या है शब्दों के मन पर पड़ने वाले प्रभाव का विज्ञान                                        इन NEGATIVE शब्दों का हमारे मन पर बहुत प्रभाव पड़ने का कारण  हमारा तंत्रिका तंत्र है | दरअसल हमारे दिमाग में एक छोटा सा हिस्सा होता है | जिसे AMYGDALA   कहते हैं | देखने में तो ये बादाम जैसा होता है | पर एक भी नेगेटिव शब्द से ये एक्टिवेट हो जाता है और तुरंत ही स्ट्रेस हरमोंन  रिलीज करने लगता है| जिसका असर हमारी भावनाओं पर , मन पर और पूरे शरीर पर पड़ता है | आप किसी इंसान को देख कर ही पता लगा सकते हैं कि वो STRESS में है | क्योंकि स्ट्रेस में आते ही शरीर ढीला पड़ जाता हैं ,कंधे झुक जाते हैं और सोंचने समझने की शक्ति भी कम हो जाती है |  अगर सही शब्दों में कहें तो हमारा मन व् शरीर दोनों नेगेटिव हो जाते हैं | जब आप इस मानसिक स्थिति में किसी से बात करते हों , कोई इंटरव्यू दे रहे हों , या कोई मनपसंद फिल्म ही क्यों न देखते हो … कुछ भी अच्छा नहीं लगता , कुछ भी अच्छा नहीं होता |                                          उसके विपरीत POSITIVE WORDS हमें स्ट्रेस फ्री करते हैं , हमारे आत्मविश्वास को बढाते हैं | हम सब जानते है की सफलता आत्मविश्वास से मिलती है| दो STUDENTS जिन्हें  बराबर  ज्ञान हो इंटरव्यू देने जाएँ तो वही बच्चा सेलेक्ट होगा जिसका आत्मविश्वास बढ़ा  हुआ हो , जिसका आत्मविश्वास बढ़ा हुआ होता है वो छोटी- छोटी बातों  को माइंड नहीं करता , जिस कारण उसके रिश्ते अच्छे चलते हैं , और इसी कारण  वो खुश रहता है |  इसलिए जरूरी है की हम नकारात्मक शब्दों से दूर रहे | सफलता चाहिए तो शब्दों को बदलें                                                 अगर आप अपने ऊपर इतने सारे निगेटिव शब्दों का भार  लिए चलेंगे तो सफलता हमेशा आपसे दो कदम दूर रहेगी … Read more

क्या आप अपनी मेंटल हेल्थ का ध्यान रखते हैं?

             कहते हैं,  “पहला सुख निरोगी काया”| हम सब सब अपने – अपने तरीके से  इस बात का प्रयास करते हैं कि हम स्वस्थ रहे|  जैसे  खाने में हरी सब्जियां ज्यादा लेना, तले – भुने से परहेज, जिम या वॉक करने की आदत डालना आदि- आदि|  कई लोग तो अपनी सेहत का इतना ध्यान रखते हैं कि एक – एक कैलोरी गिन – गिन कर खाते हैं|  लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो समय रहते  सेहत का ध्यान नहीं रखते और किसी न किसी रोग का शिकार हो जाते हैं|  उसके बाद डॉ. ढेर सारे परहेज बता देते हैं|  फिर तो वो उन परेहेजों का पालन करने ही लग जाते हैं, क्योंकि वो जानते हैं कि,  “जान है तो जहान है”|                           ये तो रही फिजिकल हेल्थ की बात, अब बात करते हैं मेंटल हेल्थ की| क्या हम अपनी मेंटल हेल्थ का भी उतना ही ध्यान रखते हैं?  उत्तर है नहीं| क्यों? क्योंकि हमारे देश में मेंटल हेल्थ का सीधा सा सम्बन्ध पागल हो जाने से लगाया जाता है|  पागल हो जाना मतलब दिमाग पर पूरी तरह से कंट्रोल खो देना होता है| मेंटल हेल्थ के अंतर्गत निराशा, अवसाद, ज्यादा गुस्सा आना, चिड़चिड़ापन, अनिद्रा, किसी काम में मन न लगना आदि ऐसे बहुत से लक्षण  आते हैं जो हमारे खराब मानसिक स्वास्थ्य की और संकेत करते हैं|  फिर भी हम उनका ध्यान नहीं रखते हैं|  Do you take care of your mental health?                         जिस तरह से हम शरीर को चलाने के लिए भोजन करते  हैं| उसी तरह से हमारा दिमाग भी भोजन करता है| शरीर के लिए भोजन हम रुच विध कर बनाते हैं, अनेकों मसालों से तैयार करते हैं, प्यार से परोसते हैं, फिर खाते हैं |  क्या आप अपने मष्तिष्क के भोजन के लिए भी यही करते हैं|  नहीं, मष्तिष्क को तो जो मिलता है वो बेचारा खाने लगता है, फिर क्यों न अपच की शिकायत हो?                    हम सुबह से ले कर रात तक हम जो कुछ भी देखते सुनते, सोंचते हैं वो सब हमारे दिमाग का भोजन है| आप ने महसूस किया होगा कि जब आप कोई मार-धाड़  वाली फिल्म देखते हैं, वीडियो गेम खेलते हैं, फेसबुक या निजी जिंदगी में बहस में पड़ते हैं तो आप का दिमाग उत्तेजित हो जाता है|  वहीँ जब आप भजन सुनते हैं, बगीचे में बैठ कर फूलों का आनंद लेते हैं, या बच्चों के साथ खेलते हैं  तब आप का दिमाग शांत हो जाता है|  पॉजिटिव लोगों के साथ रहते हैं तो उर्जा और जोश से भरपूर हो जाता हैं| क्यों? यह उस विचार रुपी भोजन की प्रकृति है जो आप अपने दिमाग को खिला रहे हैं| विचार ही हमारे मष्तिष्क का भोजन हैं|   आप अपने आप अपने मेंटल हेल्थ के लिए क्या करते हैं?  अब जरा अपनी दिनचर्या पर नज़र डालिए- आप सुबह उठे सबसे पहले न्यूज़ पेपर उठाया| उसमें ख़बरों में पहले पेज पर किसी ट्रेन या बस एक्सीडेंट की खबर, किसी रेप की खबर, किसी बच्चे के शोषण की खबर होगी| उन्हें पढ़ते ही आप का मन निराशा , क्रोध और क्षोभ में भर जाएगा|  सुबह से ही आप के मन में नकारात्मकता भर जायेगी|  सुबह का समय जब अपने को पॉजिटिव करने का होता है, पर  हम न्यूज़ से अपडेट रहने की चाह में खुद को निगेटिव कर लेते हैं|  आप कह सकते हैं कि आज के समय में ख़बरों से दूर रहना बेवकूफी ही समझी जायेगी|  आप सही हैं पर  जैसा कि ब्रह्मकुमारी शिवानी जी कहती हैं कि – सुबह-सुबह ख़बरों को पढने से बचना चाहिए| जो खबरें है, वो घटनाएं घट चुकी हैं| अब उसमें कुछ किया नहीं जा सकता, परन्तु आप अपनी सुबह सकारत्मकता/नकारात्मकता से शुरू कर के अपना दिन बना या बिगाड़ सकते हैं|  ख़बरों के बाद आपाधापी होती है  स्कूल / ऑफिस जाने की, और उन्हें भेजने की…वो समय हड़बड़ी में निकल जाता है|  उसके बाद (अगर आप गृहणी है तो )आप के घर कोई आया|  या आप  किसी के घर गए और आप लग गए उनसे किसी तीसरे की चर्चा करने में|  इस बुराई- भलाई से आप भी नकारात्मक हो रहे हैं और उसे भी नकारात्मकता भेज रहे हैं जिसके बारे में बात कर रहे हैं| अगर आप ऑफिस में काम करते हैं तो काम के साथ- साथ वहां भी बॉस की, कलीग की बुराई तो करना आम बात है| कुछ नहीं तो किसी मुद्दे पर बहस ही कर ली| नहीं तो “रैट रेस” के कारण या तो खुद को जरूरत से ज्यादा झोंक दिया, नहीं तो हीन भावना ही भर ली|   क्या इसमें भाग लेकर हम खुद को चूहा नहीं साबित कर रहे|    शाम का पूरा समय ख़बरों की बहस देखने में या सोशल मीडिया पर इसकी – उसकी कहानियाँ पढ़ कर कुंठित होने में बिताते हैं|  रात को सोने से पहले बिस्तर पर लेटे – लेटे या तो अतीत को याद कर दुखी हुए या फिर भविष्य की चिंता करते हुए भयभीत होते हुए सो गए|                                     ये अमूमन हम में से हर किसी की दिनचर्या है|  हमने ही इसमें इतनी नकारात्मकता भर रखी है कि हमारी मेंटल  हेल्थ प्रभावित हो रही है|   फिर भी हम सब यही कहेंगे…ये तो नार्मल है| ये नार्मल नहीं है| अगर ये नार्मल होता तो क्या बात-बात पर गुस्सा आता, उलझन होती, बेचैनी होती, सही खाते हुए भी ब्लड प्रेशर या डाइबिटीज या हार्ट डिसीज के शिकार न होते| हम सब जानते है की ये बीमारियाँ शरीर को गलत भोजन देने कही नहीं मन को गलत भोजन देने का परिणाम हैं|  मेंटल हेल्थ  का लक्षण  है कि आप ज्यादा शांत, खुश व् संतुष्ट रहते हैं|  कैसे रखे अपनी मेंटल हेल्थ का ध्यान                            ये तो हमने जान लिया कि हम सब जो विचार रुपी भोजन  अपने दिमाग को देते हैं वो हमारी अच्छी या बुरी मेंटल … Read more

सपने सच भी होते हैं …

                                          आज मैं आप को ले जाने वाली हूँ सपनों की दुनिया में|  जब हम रात में सोते हैं तो सपने बिन बुलाये मेहमान की तरह आ जाते हैं, और सुबह होते ही फुर्र से उड़ जाते हैं|  अक्सर तो हमें याद भी नहीं रहते वो सपने जिन्हें पूरी रात भर बड़ी शिद्दत से देखते हैं, पर आज मैं दिन में देखे जाने वाले सपनों की बात कर रही हूँ|  वो सपने जो हम कुछ बनने के, कुछ करने के,   कुछ पाने के देखते हैं|  वो सपने जो खुली आँखों से देखे जाते हैं|                                         हम सब अपने जीवन में कुछ करना चाहते हैं जिसका सपना हम मन ही मन पाले रहते हैं|  आज के समय में अगर आप डॉक्टर या इंजीनीयर, वगैरह-वगैरह बनना चाहते हैं तो समाज आप के सपने को सुनते ही ख़ारिज नहीं कर देगा|  भले ही आप को सामाजिक दवाब झेलना पड़े पर लोग ये तो नहीं कहेंगे कि अरे, ये भी कोई काम है करने लायक?                                          लेकिन अगर आप सिंगर, एक्टर, लेखक, पेंटर आदि बनना चाहते हैं तो?  तो सबसे पहले आपको माता–पिता के प्रश्नों का जवाब देना पड़ेगा|  वो कहेंगे, “जिंदगी खराब हो जायेगी इससे|  ये भी कोई काम है करने लायक|  दो पैसे भी नहीं कमा पाओगे|”  16-17 की उम्र में आप डर जायेंगे और अपने सपनों को एक बक्से में बंद कर के लग जायेंगे केमिस्ट्री की बेंजीन रिंग का फार्मूला याद करने में|  आखिरकार इसी से तो निकलेगा दो पैसे कमाने का रास्ता|  पर अंदर ही अंदर आप निराश और कुंठित होंगे|  इस कारण न तो आप अपना सपना पूरा कर पायेंगे, न ही ठीक से केमिस्ट्री पढ़ कर अपने पिताजी का सपना पूरा कर पायेंगे|  फिर क्या?  बेरोजगारों की लिस्ट में आप का भी नाम जुड़ जाएगा| All your dreams will come true (In Hindi )                 सपने टूटते हैं तो बहुत दर्द होता है|  मैं नहीं चाहती कि किसी के भी सपने टूटें और बिखरें और वो दर्द से गुज़रें|  अगर आप अपने सपने के प्रति दीवाने हैं, तो आपको उस काम को करने के लिए शुरूआती ताकत अपने अंदर से ही लानी होगी|  जानिये कैसे- सपनों को खुल कर बताने की हिम्मत करिए                                                  कितने लोग हैं जो अपने सपनों को बताने की हिम्मत ही नहीं करते हैं|  वो पहले से ही डर जाते हैं कि पापा, या मम्मी, या भैया, या पड़ोस वाले अंकल जी, या चाचा के ताऊ की बहन क्या कहेंगे | सबसे बड़ा रोग, क्या कहेंगे लोग – संदीप माहेश्वरी                  दरअसल लोग एक सेट पैटर्न में जिन्दगी जीते हैं और उसी में हमें जीते हुए देखना चाहते हैं|  हम सब उनकी ‘हाँ’ ना मिल पाने के भय के कारण अपने सपने कहते ही नहीं|  हमें समाज की स्वीकृति चाहिए होती है|  हमें लगता है जो सोसायटी कह रही है वही करना है क्योंकि वही सुरक्षित रास्ता है|  यही सोंच कर बैठ जाते हैं सपनों को मार कर|  इसलिए सबसे पहले हिम्मत कर के सपनों को बताइए|  यहाँ पर एक बात और है कई बार हम सोसायटी के कहने पर चुप इसलिए हो जाते हैं क्योंकि हमें खुद अपने सपने और अपने ऊपर विश्वास नहीं होता है|  हमें लगता है कि अगर हमने अपना सपना शेयर किया और स्वीकृति मिल गयी, फिर उसे हम खुद ही पूरा न कर पाए तो?  अगर ऐसा है तो ये वो सपना नहीं है जिसने आपकी नींद उड़ा दी है|  ऐसे में सफलता मिलना मुश्किल है |  फर्स्ट रीएक्शन के लिए तैयार रहिये                            ऐसा नहीं है की आपने खुल कर अपने सपने के बारे में बात की तो सबने हाँ में हाँ मिला दी|  उन का पहला रीएक्शन ऐसा होगा की आप को लगे कि कह कर गलती की है|  चलो वापस उसी पैटर्न में लौट जाते हैं|  मुझे याद है कि जब मैंने अपने पिताजी से कहा था कि मैं लेखक बनना चाहती हूँ तो उन्होंने पहला शब्द यही कहा था, “लेखक, ये भी कोई चीज है बनने की? लिख लो, चार दिन में ऊब जाओगी, कुछ लिख नहीं पाओगी|”  और मैंने लिख लिया,  अपने दिमाग के पन्ने पर|  आपको क्या लगा?  यह सुनकर मुझे पढ़ लिख कर डिग्री पर डिग्री हासिल करना ठीक लगा?  हम में से अधिकतर लोग यही करते हैं|  बस यहीं पर वो फंस जाते हैं|  मैंने दिमाग के पन्ने पर लिखा कि अब मुझे लेखक ही बनना है|  याद रखिये, जब सपना देखा है तो पूरा करने में यह पहला अवरोध है|  हिम्मत करके इसका सामना करिए|  अवरोध खुद ब खुद गिर जाएगा|  ये अवरोध तो आप को डराने के लिए हैं|  अंदर जितना डर होगा, अवरोध उतना ही बड़ा लगेगा|  याद रखिये, शुरू में आप के सपने का कोई साथ नहीं देगा                                            अगर आप ने अपने सपने को पूरा करने की दिशा में कदम बढ़ाया ही है, तो याद रखिये कि शुरू में आप का कोई साथ नहीं देगा|  सबको अजीब लगता है कि कोई ऐसा सपना कैसे देख सकता है जो उनके द्वारा स्वीकृत न हो|  हालांकि शुरू का सहयोग सबसे ज्यादा मायने रखता है, क्योंकि उस समय आप एक अनदेखी दिशा में कदम रखते हैं, बार–बार हिम्मत टूटती है|  कई बार लगता है, कोई हो जो रास्ता बता दे या कम से कम मन की उहापोह को सुन ले|  लेकिन आप ये उम्मीद जितनी जल्दी छोड़ देंगे उतना ही अच्छा होगा, क्योंकि उम्मीद से आप अपनी हार का दोष दूसरों पर डाल देते हैं|  आप कहते हैं, “अगर वो साथ होता तो…”  या फिर हर रोज़ उम्मीद करके और … Read more

टेंशन को न दें अटेंशन

 मित्रों  , हो सकता है की लेख का  टॉपिक देख कर आप को टेंशन हो गया हो , आप की त्योरियां थोड़ी चढ़ गयी हो | वो क्या है ना टेंशन बड़ा संक्रामक होता है | इसलिए सावधान हो जाइए क्योंकि  आज मैं टेंशन की नहीं टेंशन को अटेंशन न देने की बात करने आई  हूँ  How to live a stress-free life (In Hindi) सबसे पहले  आपका मूड थोडा रिलैक्स करने के लिए आपको एक छोटी सी कहानी सुनाती हूँ | एक बार की बात एक प्रोफ़ेसर क्लास में एक गिलास ले कर आये | उन्होंने गिलास हाथ में ले कर बच्चों से पूंछा ,” बच्चों इसका वजन क्या है ? किसी बच्चे ने कहा २५ ग्राम किसी ने कहा ५० ग्राम , किसी ने … प्रोफ़ेसर ने कहा , “ इसका वजन कितना भी हो अगर मैं  इसे ऐसे ही लिए खड़ा रहूँ तो १५ मिनट बाद क्या होगा आप का हाथ में दर्द हो  जाएगा सर , बच्चों ने कहा | अच्छा अगर आधा घंटा ऐसे ही लिए खड़ा रहूँ तो ? तो आप का हाथ अकड़  जायेंगे | अगर एक घंटा ऐसे ही खड़ा रहूँ तो ? प्रोफेसर ने पूंछा तब तो आपके हाथ सुन्न पड़ जायेंगे , हो सकता है आप को हॉस्पिटल में एडमिट करना पड़े |बच्चों ने कहा  फिर … फिर मैं क्या करूँ ,” प्रोफ़ेसर ने घबरा कर पूंछा गिलास नीचे रख दीजिये सर ,बच्चों ने एक साथ कहा | प्रोफ़ेसर ने गिलास नीचे रख कर बच्चों से कहा , “बच्चों इतनी देर में गिलास का वजन तो नहीं बढा  फिर भी मेरे हॉस्पिटल पहुँचने की नौबट आ गयी | ये प्रयोग मैंने आप लोगों को ये समझाने के लिए किया था कि ये  गिलास टेंशन की तरह है जिसे आप जितनी देर अपने सर पर लादे रहेंगे उतना ही आपका नुकसान होता जाएगा | क्योंकि टेंशन  चाहे जितना छोटी सी बात का क्यों न हो यह नकारात्मकता का भार  लिए रहता है | इस बोझ के कारण हमारे सोंचने समझने ,  काम करने की हर क्षमता प्रभावित होती हैं | तो ये तो रही प्रोफेसर की बात | ये बात मैंने आपसे इसलिए की ताकि आप संक्रामक होने वाले टेंशन में न आये | अब मैं अपनी बात बताती हूँ | हुआ ये की आज जब सुबह सो कर उठी तो लाइट गायब थी | सर्दी के दिन लाईट न हो तो सुबह 5 बजे भी रात के बारह लगते हैं | खैर किसी तरह मोमबत्ती जला कर किचन में गयी तो पानी की टंकी भी खाली | वो कल रात में भरी नहीं थी | अब मुझे बहुत टेंशन हो गया | बच्चों को स्कूल कैसे भेजूंगी , पति को ऑफिस कैसे भेजूंगी | इसे अब इस टेंशन के साथ ही पिछले दिनों उनसे पिछले दिनों बचपन के सभी टेंशन एक दूसरे  के साथ चेन बना कर आना शुरू हो गए | हालत ये हो गयी कि लगने लगा कि अपनी तो जिंदगी ही खराब है | यानी एक टेंशन किया और 10 टेंशन साथ में आ गए |अब हर चीज फ्री की अच्छी तो नहीं लगती है ना |  आप के साथ भी ऐसा ही होता होगा |                 तो आइये कोशिश करते हैं  की इस टेंशन को शुरू में ही खत्म कर दें यानी की इसे अटेंशन ही न दें | Five  rules for stress free life  टेंशन को शेयर करिए अगर आप सारा टेंशन अपने अन्दर भरते रहेंगे तो एक न एक दिन विस्फोट होगा | ये विस्फोट जरूरी नहीं की गुस्से के रूप में हो | ये आपके स्वास्थ्य पर भी बीत सकता है | इसलिए इसे शेयर करें | किसी ऐसे व्यक्ति से जो आप से समानुभूति रखता हो | जैसे आप के माता – पिता , भाई – बहन , जीवनसाथी या फिर दोस्त | इससे आप को सही राय मिलने की भी सम्भावना है और आप हल्का भी फील करेंगे | जैसे मैं चली … विशु ( मेरी बचपन की सहेली )  , कहाँ हो तुम ? उन लोगों से बात करें जो खुशमिजाज  रहते हैं हमारी जिंदगी ऐसे लोग भी होते हैं जो जिंदादिल व्  हंसमुख होते हैं | वो अपनी खुद की परेशानियों में भी हँसते – मुस्कुराते रहते हैं | उनके पास जाकर बैठिये | थोड़े ठहाके लगाइए | हँसते ही या तो आप को समस्या का सोल्युशन मिल जाता है या फिर आप इतना हल्का महसूस  करने लगते हैं जैसे की कभी टेंशन हुआ ही न हो | तो उठाइए फोन और घुमाइए नंबर कुछ अच्छा देखे , सुने या पढ़ें अगर घर में अकेले हैं और किसी से भी बात करने का मन नहीं है तो इन्टरनेट खोले | फेसबुक पर भूल कर मत जाइएगा | क्योंकि वहन कहीं न कहीं किसी न किसी का युद्ध चल रहा होगा | आप ऐसे मूड में किसी से खामखाँ में उलझ पड़ेंगे | और टेंशन का डबल टेंशन ले कर आयेंगे | कोई अच्छी वेबसाईट का अर्टिकल पढ़ें , कोई हँसी का यू ट्यूब वीडियो देखे , कोई अच्छा गीत सुने , गुनगुनाएं | फिर देखिये कैसे टेंशन छू मंतर होता है | देखिये मैंने तो अटूट बंधन की वेबसाईट खोली हुई है | पॉजिटिव थिंकिंग के आर्टिकल पढ़ रही हूँ |  लिख दें हाले दिल                             अगर आप को टेंशन ज्यादा है और इनमें से कोई उपाय काम नहीं कर रहा है | तो कॉपी और पेन उठाइये या लैपटॉप में नोट पैड  पर लिख दीजिये हाले दिल या समस्या का कारण | जब हम समस्या को  लिखते हैं तो वो समस्या हमें दूसरे की लगने लगती है | फिर तो आप आसानी से उसका हल भी निकाल लेंगे | तो … कहाँ है आप का नोट पैड | अब ये आर्टिकल मैंने क्यों लिखा … समझ गए न आप | वैसे अपनी समस्या हल करते – करते किसी दूसरे की भी समस्या हल हो जाए तो इसमें हर्ज ही क्या है |  जरा  डरिये टेंशन टेंशन को खींचता है                                  जिसने … Read more