मुझे मिला वो, मेरा नसीब है
मुझे मिला वो, मेरा नसीब है वही सुकून जहां वो करीब है मैं और क्या भला चाहूंगी जब प्यार से उसके भर गई । उसने जो कहा मैंने मान ली नज़र की हरकतें पहचान ली जिस राह उसके कदम बढ़े बनी फूल और मैं बिखर गई । वह मोड़ जहां टकराए हम बने जिस्म, जिस्म के साये हम मेरा वक्त आगे बढ़ गया पर मैं वहीं पर ठहर गई । जीवन उसी पर वार के मैं खुश हूं खुद को हार के उसने देखा जैसे प्यार से मेरी रूह तक निखर गई। आ जाए तो उसे प्यार दूं मेरे यार सदका उतार लूं डर है नजर लग जाएगी गर उसपर कोई नजर गई ।। साधना सिंह यह भी पढ़ें … जाने कितनी सारी बातें मैं कहते -कहते रह जाती हूँ लज्जा फिर से रंग लो जीवन टूटते तारे की मिन्नतें बाबुल मोरा नैहर छुटो नि जाए मेरे भगवान् आपको कविता “. डायरी के पन्नों में छुपा तो लूँ..“ कैसी लगी | अपनी राय अवश्य व्यक्त करें | हमारा फेसबुक पेज लाइक करें | अगर आपको “अटूट बंधन “ की रचनाएँ पसंद आती हैं तो कृपया हमारा फ्री इ मेल लैटर सबस्क्राइब कराये ताकि हम “अटूट बंधन”की लेटेस्ट पोस्ट सीधे आपके इ मेल पर भेज सकें | filed under: , poetry, hindi poetry, kavita,