सोनम , आयशा या एरिका – आखिर महिलाओं की सरेआम बेईज्ज़ती को कब तक मजाक समझते रहेंगे हम
वंदना बाजपेयी अभी कुछ दिन पहले जब सोशल मीडिया देश नोट बंदी जैसे गंभीर मुद्दे पर उलझा हुआ था | हर चौथी पोस्ट इसके समर्थन या विरोध से जुडी थी कुछ नोट बंदी के कारण भविष्य में भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव के आकलन में लगे थे | नए नोटों की किल्लत थी | और लंबी कतारों से जूझते हुए लोगों को अपना ही कैश मिल रहा था | नए नवेले २००० के नोट तो सब लोगों को दिखे ही नहीं थे | तभी एक सिरफिरे ने नए – नए दो हज़ार के नोट पर लिख दिया ” सोनम गुप्ता बेवफा है ” | देखते ही देखते ये पोस्ट वायरल हो गयी |सोनम गुप्ता नेशनल हास्य का विषय बन गयी | नोट बंदी के गहन विवेचन में व्यसत लोग अचानक एक्टिव हो गए , ठीक वैसे ही जैसे मस्ताजी के क्लास छोड़ते ही बच्चे शोरगुल में व्यस्त हो जाते हैं | पर क्या बड़ों की इस बचकाना हरकत की बच्चों की मासूमियत से तुलना की जा सकती है | वो भी तब जब मुद्दा महिलाओं के सम्मान से जुडा हो | इस पोस्ट के वायरल होते ही इतिहास खंगाले जाने लगे | की सबसे पहले किसी ने १० के नोट पर “सोनम गुप्ता बेवफा है “लिखा था | फिर अन्य नोटों पर भी यही लिखा जाने लगा | हालांकि किसी को नहीं पता की ये सोनम गुप्ता कौन है | फिर भी लोग लगे मजाक उड़ाने | कई वेबसाईट ने तो उसकी पूरी कहानी छाप दी | जाहिर है वो मनगढ़ंत थी | किसी ने बताया की सोनम गुप्ता की क्या मजबूरी थी की वो बेवफा हो गयी | तो किसी ने सोनम गुप्ता की बफवाफी को सही ठहराते हुए सोनम का बचाव किया |तो कोई येन केन प्रकारें सोनम गुप्ता को बेवफा सिद्ध करने में जुट गया |सोनम गुप्ता एक ऐसा नाम है जो रातों रात सबकी जुबान पर चढ़ गया | एक सॉफ्ट ड्रिंक कम्पनी ने तो यहाँ तक घोषणा कर दी की कोई महिला जिसका नाम सोनम गुप्ता है उनके आउटलेट पर आये तो वो उसे फ्री कोल्ड ड्रिंक पिलायेंगे |जो भी हो सोनम गुप्ता एक ऐसा प्रसिद्द नाम बन गयी | जिसे कोई नहीं जानता पर जिसे सब जानते हैं | हंसी मजाक के बीच कभी सोंचा है की क्या ये उन महिलाओं के लिए पीड़ा दायक नहीं है जिनका वास्तव में नाम सोनम गुप्ता है | जब कोई मित्र परिचित उन्हें सोनम गुप्ता कह कर भीड़ में पुकारता होगा तो सभी सर उस और मुद जाते होंगे | या कोई अजनबी उनका नाम पूंछता तो उसके चरे पर एक शरारती मुस्कान आ जाती होगी | हंसी मजाक के बच्च सोनम गुप्ता पर क्या गुज़रती होगी इसकी किसे परवाह है | बात सिर्फ सोनम गुप्ता तक ही सीमित नहीं है | महिलाओ पर ही ज्यादातर चुटकुले बनते हैं | उनमें पत्नी व्अ प्रेमिकाओं पर बन्ने वाले चुटकुले सबसे ज्यादा हैं | प्रेमिकाओं को तो बात – बात पर बेवकूफ व् पत्नियों को अत्याचारी और पति की संपत्ति से प्यार करने वाली दर्शाना आम बात है | अगर आप हास्य के धारावाहिक देखे तो उसमें भी ज्यादातर पुरुष महिला बन कर स्त्री शरीर का मजाक उड़ाते हुए फूहड़ हास्य पैदा करते हैं | स्त्री का शरीर अपमान का विषय बन जाता है | कभी चूड़ियाँ पहन रखी हैं क्या ? कह कर महिला को अक्षम व् कमतर करार दे दिया जाता है |अभी कुछ समय पहले एक विज्ञापन आता था जिसमें एक खास डियो के महक से स्त्री पुरुष की दीवानी हो जाती है | मजे की बात यह है की उस स्त्री को शिक्षित दिखया गया है |तो क्या शिक्षित स्त्री इतनी मूर्ख होती है की वो पुरुष के गुणों को परखने की जगह उसके डीयो पर मर मिटती है | पुरुषों के विज्ञापनों में महिलाओं का ज्यादातर इसी रूप में इस्तेमाल होता है | क्या ये शर्मनाक नहीं है | ये सब सोनम गुट बेवफा है के आगे की कड़ियाँ ही हैं | मेरी एक मित्र ने फेसबुक पोस्ट के माध्यम से प्रश्न किया था की हमेशा मुन्नी बदनाम , शीला जवान या सोनम गुप्ता बेवफा क्यों हो जाती है | क्यों ऐसा नहीं होता की पप्पू जवान , रमेश बदनाम या सुरेश बेवफा हो जाए | शायद ऐसा कभी नहीं होगा | क्योकि पुरुषों को तो हम वैसा मान कर उन्हें क्लीन चित दिए रहते हैं परन्तु स्त्री के लिए ये शब्द आज भी अपमान का विषय बने हुए हैं | युग बदले परन्तु सीता और अग्नि परीक्षा से स्त्री का रिश्ता वही का वही रहा | पुरुषों को हर बात के लिए बैजात बरी कर के स्त्रियों को उसी कटघरे में खड़ा कर आरोप लगाना मज़ाक का नहीं बहस का मुद्दा होना चाहिए | जहाँ तक नोट पर लिखने का सवाल है उसे तो रिजर्व बैंक ने प्रतिबंधित कर दिया है | नए आदेश के अनुसार अब लिखे हुए नोट स्वीकार नहीं किये जायेंगे | उसने लोगों को आगाह भी किया है की आप लिखे हुए नोट न स्वीकारे | इस आदेश के बाद भविष्य में सोनम गुप्ता अपमानित होने से बच जायेगी |पर क्या सामाजिक रूपसे हम सोनम , आयशा या एरिका को अपमानित करने की आदत से मुक्त हो पायेंगे | लाख टेक का सवाल अब भी वहीं है की महिलाओं की सरेआम बेज्जती को कब तक मजाक समझते रहेंगे हम ?