आधी आबादी :कितनी कैद कितनी आज़ाद ( पुष्प लता )

आज़ाद भारत में आज़ाद महिलायें …………… !!!  पायलों की बेड़ी में जकड़ी, आज भी नारी  चूड़ियों सी हर पल खनकती ,वो सुकुमारी  रीती -रिवाजों को ढोती रहती, वो बेचारी  कितनी गिरहें खोली उसने ,कितनी है बाकी  जेवर , तेवर ख़ुशी से सहती ,बांध गले हंसरी  टपके आँसु , बिखरी हंसी , है उसकी आज़ादी  आजाद भारत की आज़ाद महिला क्या वाकई … Read more

Share on Social Media

तुम धरती हो…तुम्हे सहना होगा

तुम धरती हो…तुम्हे सहना  होगा वह खटती रही प्रताड़ित होती रही लुटती रही बार बार….लगातार उससे कहा गया तुम धरती हो…तुम्हे सह्ना होगा उससे कहा गया तुम ममता हो…तुम्हे पलना होगा उससे कहा गया तुम कोख हो….तुम्हे इसी से जन्मना …..तो कभी इसी मे मरना होगा           औरत का जन्म किसी तपस्या से कम नहीं है। उसे … Read more

Share on Social Media

मजबूत हैं हौसले ……….. की मंजिल अब दूर नहीं

आधुनिक और बदलते दौर ने जहाँ एक ओर हमें कई विसंगतियां दी है ,वहीँ हमें अपने तरीके से जीवन जीने की आजादी भी दी है | हमारे इसी बदलाव और लाइफस्टाइल से हमें कई सुविधाएँ भी मिली हैं ,इसमें कोई संशय नहीं | आज हमारे समाज में अगर सबसे ज्यादा बदलाव या क्रांति आई है … Read more

Share on Social Media

बोझ की तरह

एक स्त्री का जब जन्म होता है तभी से उसके लालन पालन और संस्कारों में स्त्रीयोचित गुण डाले जाने लगते हैं | जैसे-जैसे वो बड़ी होती है, उसके अन्दर वो गुण विकसित होने लगते है | प्रेम, धैर्य, समर्पण, त्याग ये सभी भावनाएं वो किसी के लिए संजोने लगती है और मन ही मन किसी … Read more

Share on Social Media

महिला दिवस और नारी मन की व्यथा

                           युग बदल गए, सदिया गुजर गयीं, बदलते दौर और जमाने के साथ-साथ बहुत कुछ बदल गया,लेकिन अगर कुछ नहीं बदला तो वह है नारी की नियति. कहीं परंपराओं की बेड़ियों में जकड़ी, तो कहीं भेदभाव के कारण दासता व पराधीनता के बंधनों … Read more

Share on Social Media

किसी भी बालक के व्यक्तित्व निर्माण में ‘माँ’ की ही मुख्य भूमिका:-

विश्व में शांति की स्थापना के लिए  महिलाओं को सशक्त बनायें! किसी भी बालक के व्यक्तित्व निर्माण में ‘माँ’ की ही मुख्य भूमिका:- कोई भी बच्चा सबसे ज्यादा समय अपनी माँ के सम्पर्क में रहता है और माँ उसे जैसा चाहे बना देती है। इस सम्बन्ध में एक कहानी मुझे याद आ रही है जिसमें … Read more

Share on Social Media

अंतराष्ट्रीय महिला दिवस् पर विशेष : कुछ पाया है …….. कुछ पाना है बाकी

अंतराष्ट्रीय महिला दिवस् पर विशेष       कुछ पाया है …….. कुछ पाना है बाकी सदियों से लिखती आई हैं औरतें सबके लिए चूल्हे की राख पर  धुएं से त्याग द्वारे की अल्पना पर रंगों से प्रेम तुलसी के चौरे पर गेरू से श्रद्धा  अब लिखेंगी अपने लिए आसमानों पर कलम से सफलता की दास्ताने अब … Read more

Share on Social Media