श्वेता मिश्रा की 5 कवितायें

कवितायें भावनाओं की वो अभिव्यक्ति हैं,जो जब खुद ही अपना आकार लेती हैं,तो पाठकों के मन को अवश्य छूती हैं | आज हम लायें नाजीरिया में रहने वाली युवा कवियत्री श्वेता मिश्रा की 5 कवितायेँ |पेशे से फैशन डिजाइनर कविताओं के माध्यम से भावनाओं का ताना -बाना भी बहुत ख़ूबसूरती से बुनती हैं |  1. रात कुछ भावनाओं की ठहरी सी धारा नेत्र से नेह बन ढुलक कर गालों से गिर हथेली पर आ ठहरी है रात का चन्द्रमा कटा सा तन्हा सा सफ़र में रुका रुका सा रात शायद यादों की आज बहुत गहरी है ………………… 2. प्रेम-पुष्प शब्दों के भावों में मधुर प्रेम-पुष्प है खिला बंधन अटूट मेरा ईश्वर-प्रदत तुमसे है मिला ऋतू आती है ठहरती है और चली जाती है समय के चक्र पर रंग मौसम का है चला विरह-मिलन वेदना-संवेदना इस डाली के फूल जगत के तपते रेगिस्तान में प्रेम रस है घुला …………………….. 3. तुम कुछ पुष्प कुछ अक्षतकुछ रोली कुछ चन्दनएक हार था प्रभु के वास्तेएक उल्लास था भक्ति के रास्तेएक ही था कठोर मनभीगा था नेह मेंमधुर था स्नेह मेंअधरों पर थी लौटी एक मुस्कानपल जो बीता था कलसौ बात की इक बातमधुर प्रेम पर है विश्वासईश भी रहता जिनके द्वारकठोर मन के भीतररहता मिश्री घुला मीठा जलक्यूँ हो तुम जैसे एक नारियल !!!……………………….. 4. ए दरखत ये दरख्त जब भी तेरी छावंकी महज़ चाहत हुयीतेरे पत्तों ने गिर करमेरा कोमल मन घायल कियादोष मेरा क्या ??????इक बार तो बता दोमाना तेरी छावं केहकदार हैं कईमगर क्यूँसजा का मुझे हकदार किया ??? ए दरख्त तुझे कई बारसींचा है मैंने भी अपने स्नेह से स्वार्थ था शायद या थी असीम चाहततूने समझने से ही इनकार कियाए दरख्त तू यूँ ही हरा भरा रहेतेरी छावं तेरी चाहतो पर बनी रहेमैं मुसाफ़िर हूँ दूर से हीतुझे देख कर नेह जल से तुझे सींचती रहूंगीआखिर मैंने तुझे प्यार किया प्यार किया प्यार किया…………………………….. 5. एक बूंद  ! वो एक बूंदजो पलक तकआ ठहरी थीजाने कितनेख्वाब समेटेजाने कितनेसपनो के रंग लिएअनछुई थी बसएक स्पर्श सेटूट कर गिरीऔर दफ़न होगयी हथेली में !!!! …………………………. नाम-श्वेता मिश्र सम्प्रति- फैशन डिजाईनर स्थान –नाइजीरिया लेखन विधाएँ-कविता गजल नज़्म कहानी प्रकाशित कृतियाँ- (कविता एवं कहानी) — साहित्य अमृत, रचनाकार , अपना ब्लॉग ,पुष्पवाटिका मासिक पत्रिका(मई २०१४ से नियमित  ….) तथा अन्य समाचार पत्र पत्रिकाओं में कवितायेँ एवं कहानियां प्रकाशित ई पत्रिका – साहित्य कुंज, लेखनी, साहित्य रागिनी ,युवा साहित्य,हमरंग.com  आदि में भी यह भी पढ़ें ………. काव्य जगत में पढ़े – एक से बढ़कर एक कवितायें रूचि भल्ला की कवितायें वीरू सोनकर की कवितायेँ आभा दुबे की कवितायें बातूनी लड़की आपको  कविता  “.श्वेता  मिश्रा की 5 कवितायें .“ कैसी लगी   | अपनी राय अवश्य व्यक्त करें | हमारा फेसबुक पेज लाइक करें | अगर आपको “अटूट बंधन “ की रचनाएँ पसंद आती हैं तो कृपया हमारा  फ्री इ मेल लैटर सबस्क्राइब कराये ताकि हम “अटूट बंधन”की लेटेस्ट  पोस्ट सीधे आपके इ मेल पर भेज सकें 

कहानी -कडवाहट

कई बार जिंदगी की कडवाहट इतनी अधिक होती है कि इंसान अपना संतुलन भी खो बैठता है और गलत निर्णय लेने से भी अपने आपको नही रोक पाता है l मेरे ही स्कूल की एक अध्यापिका ने अपने पति की प्रताडनाओं से तंग आकर अपना अंत कर लिया था इस खबर ने मुझे आज अन्दर तक झकझोर कर रख दिया था l  बहुत ही सौम्य सुन्दर सुशील और बुद्धिमान थी रुचिका लेकिन उसकी नियति उसे कहाँ ले कर गयी, सोच कर मेरी पलकें गीली होती जा रही थीं उसके चेहरे में अपना ही चेहरा नज़र आने लगा था l कैसे सह गयी वो सब, मैं आज अपने अंतर्मन खुद से ही सवाल किये जा रही थी l सवाल जबाब में एक फिल्म की भांति सब आँखों के सामने चलने लगा था l  प्यार सहयोग सम्मान जैसे शब्द के मायने तो मैं ब्याह के बाद ही भूल गयी थी l जान पायी थी तो बस पति की मार तिरस्कार दुत्कार और अपमान l अभी मेरी पढाई ख़तम भी नही हुयी थी कि घर वालों के लिए मेरी शादी की उम्र निकली जा रही थी l अठारह की उम्र तक मेरी सारी चचेरी बहने ब्याह दी गयी थी l शहर के सबसे नामी और प्रतिष्ठित परिवार से होने के कारण बराबरी का रिश्ता न मिल पाना भी एक समस्या सा बना हुआ था l पिता जी को उनके मित्र ने एक रिश्ता बताया लड़का सरकारी अस्पताल में फिजिशियन था जो सताईस बरस का था और मैं उन्नीस बरस की l मेरी शादी आनन फानन तय कर दी गयी l  मेरी बीएससी के फाइनल एग्जाम भी शादी के बाद हो जायेंगे कहकर मुझे मेरी आगे की पढाई न रोकने का आश्वासन दे दिए गए और अगले ही महीने मेरी शादी भी कर दी गयी सारे रस्मो रिवाजों के बाद मैं ससुराल भी आ गयीl ससुराल में हफ्ते भर रहने के बाद एग्जाम के लिए वापस मायके आ गयी l एग्जाम और चचेरे भाई की शादी में तीन महीने गुज़र गये l घर में माँ पिताजी और दो भाई थे l एक दिन अचानक ही मेरी तबियत बिगड़ गयी और फॅमिली डॉक्टर को दिखाने पर मुझे मेरे माँ बनने की खबर मिली l इस खबर ने मुझे एक अजीब सी ख़ुशी तो दी लेकिन मुझे मेरे सपने धुंधले होते नज़र आने लगे lइस खबर को सुनते ही मेरे पति ख़ुशी से फुले नही समाये और मुझसे मिलने आ गये फिर अपने साथ ले आये l सरकारी आवास में मैं मेरे पति और एक दो नौकर थे l मेरे पति को अस्पताल से वक़्त कम ही मिलता था इसलिए मेरे साथ के लिए मेरी सास साथ रहने आ गयी l वक़्त बीतता गया अब तक मैं दो बेटों की माँ बन चुकी थी और किसी तरह एमएससी पूरी भी कर ली l दो छोटे बच्चों को सँभालने का दायित्व बताकर आगे पीएचडी करने का ख्वाब मुझसे छीन गया था l  मै घर और बच्चों को सँभालने में लग गयी थी l इसी बीच हमारा स्थानंतरण दुसरे जिले में हो गया और हम नई जगह आ गये lमेरे पति देर रात जब हॉस्पिटल से लौटते तो डिनर के बाद थोड़ी शराब पीते थे और मुझसे भी साथ देने को कहते और मेरे मना कर देने पर मुस्कुराकर कहते,’तुम पियोगी तो तुम्हारा धर्म भ्रष्ट हो जाएगा’ है न l मेरे पति की बांतों से या व्यवहार से मुझे मुझसे असंतुष्ट होने का संशय मात्र भी अंदेशा अब तक नही था l  नई जगह पर आने के कुछ ही दिनों बाद मेरे पति के व्यवहार में मेरे प्रति बदलाव आने लगे ,मैंने इसका कारण यहाँ की अत्यधिक व्यस्तता ही समझ स्वयं को दिलासे देना ही उचित समझा और कुछ ही दिनों बाद उनका व्यवहार मेरे प्रति एकदम ख़राब हो गया lकिसी बात पर असंतुष्ट होने पर गरम चाय, खाना, पेपरवेट, पानी, शराब जैसी चीजों का मेरे ऊपर फेंक देना अब उनकी आदत में शामिल हो चुका था l अक्सर वजह-वेवजह उनके हाथ मुझ पर उठने लगे थे मैं कारण जानने का जब भी प्रयास करती दो चार थप्पड़ खाती और खामोश हो जाती lएक रात मैं सारे काम ख़तम करके अपने बच्चों को सुला ही रही थी कि कॉलबेल बजी बाहर जाकर देखा तो मेरे पति शराब में बुत मुझे हज़ार गलियां दिए जा रहे थे l आगे बढ़कर मैं उन्हें संभाल कर बेड तक ले आई उनके जूते निकाले और नशा उतरने के लिए कॉफ़ी भी ले आयीl सुबह पुरे होशो-हवास में उन्होंने मुझे मायके चले जाने को कहा l मैं अकारण बच्चों के एक्जाम के बीच मायके जाने को उचित नही समझ पा रही थी और वैसे भी 7-8 वर्ष की शादी में चचेरे भाईबहनों के विवाह के अलावा कभी गयी ही नही थी, फिर कैसे आज….??और मैंने न ही जाने का निर्णय सुरक्षित कर लिया था l अब तक मेरा उनसे मार खाना तिरस्कार सहना मेरी नियति बन चुकी थी और मुझे अब घर के नौकरों के सामने  बेवजह अपने पीटे जाने पर शर्म भी नही आती थी और रोज रात शराब पीने के बाद घर में हंगामे का होना आम बात हो चुकी थी l दोनों बेटे सहमे से रहने लगे थे l एक रात मैं अपने पति का इन्तजार करते करते बच्चों के पास ही सो गयी और ये सोचा कि किसी कारण बस मेरे पति हॉस्पिटल में ही रुक गए होंगे जैसा की किसी जरुरी कारण से करते भी थे,और सुबह जब अपने कमरे में पहुची तो देखा मेरे पति हॉस्पिटल की ही एक नर्स के साथ हम-बिस्तर हैं मेरे पैरों के नीचे से ज़मीन ही सरक गयी मेरे जिस्म के एक एक घाव मुझ पर मेरी समझ पर तंज़ कसते हुए नज़र आ रहे थे और बीते सालों के हर सवाल का जबाब भी मेरे प्रत्यक्ष ही थे l मैं झट बाहर आ गयी और खुद को सँभालते हुए बच्चों को तैयार कर स्कूल को भेज दिया l बिना किसी शर्म झिझक या किसी भी गलती के एहसास से कोंसों दूर दोनों ब्रेकफास्ट की टेबल पर बैठ कर मुझे किसी नौकर की भांति आदेश दिए जा रहे थे मैं भी किसी स्वामिभक्त नौकर की भांति सेवा में थी lटेबल से उठते ही मेरे पति ने मुझसे … Read more

एक प्यार ऐसा भी (कहानी -श्वेता मिश्रा )

एक प्यार ऐसा भी  (कहानी ) आप बहुत निष्ठुर हैं’…अवि ने चारू से कहा ……. चारू हैरत भरी निगाहों से अवि का चेहरा देखने लगी ….. . और दिल ही दिल में सोचने लगी की ऐसा क्या किया उसने जो अवि ने उसे ‘निष्ठुर’ कहा …. . अवि को अपने पेरेंट्स के साथ आये अभी दो दिन ही हुए हैं और घर भी उसका अभी ठीक से सेटल नहीं हो पाया है .फिर उसने किस बात को लेकर ये बात कही ..वो समझ नहीं सकी ! शाम को चारू कॉरिडोर में अपनी स्टडी में बिजी थी तभी वहां अवि आ पंहुचा और उसने चारू से कहा की आप ‘बहुत बहुत निष्ठुर हैं’ .तो चारू ने उससे पूछा की वो उसे ऐसा क्यों कह रहा है , उसने ऐसा क्या कर दिया …… अवि बोला आप कितनी भोली हैं .आपके इसी भोलेपन पर तो मैं मरता हूँ .आप मेरी जिंदगी का पहला प्यार  हो मैं आपको कभी नहीं भूल सकता ….. चारू के तो पैर के निचे से मानो ज़मीन ही खिसक गई हो …. ये क्या पागलपन है ….तुम होश में तो हो …… मैं तुम से उम्र में बड़ी हूँ … .ये कैसे हो सकता है .तुम जाओ यंहा से मुझे पढने दो कल मेरा एग्जाम है .चारू ने अविनाश से कहा …. कितनी बड़ी हैं आप एक साल दो साल कितने साल ??? मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता …दो दिन मुझे इस शहर में ,आपके घर में आये हो गया पर आपकी एक भी झलक नहीं मिली मैं कितना बेचैन था आपकी सिर्फ एक झलक के लिए . अगर आप सामने आ जाती तो क्या चला जाता आप का ???? .जाने क्या – क्या कह गया अवि . चारू को कुछ भी समझ नहीं आया …. . वो अब एक नई उलझन में उलझने लगी थी .. अवि ने कहा जब से मैंने होश संभाला है बस आप से ही प्यार करता आ रहा हूँ और आपको ही प्यार करता रहूँगा .. ये सब फालतू बातें हैं … इसे भूल जाओ और जा कर पढाई करो तुम अभी बच्चे हो .. ऐसा सुनते ही अवि ने चारू का चेहरा अपने हाथो में ले लिया और कहा देखिये मेरी इन आँखों में आपको प्यार नहीं दिखाई देता … .ये बस आपके लिए है .. .इतने सालो से मैं जिस आग में जल रहा हूँ मैं ही जानता हूँ .. वैसे भी सालो पहले आप मुझे रोता हुआ छोड़ के चली आई थी और एक बार भी पीछे पलट कर भी नहीं देखा था …………चारू हतप्रत सी अवि का चेहरा देखने लगी ये कब की बात है मुझे तो कुछ भी नहीं मालूम .. तुम कह क्या रहे हो .चारू ने अवि से कहा . जब हम सालो पहले एक ही शहर में थे . जब आप और छोटी थीं ,और हम साथ साथ अपने ढेर सारे फ्रेंड्स के साथ खेला करते थे ,और सारी लड़कियां मेरे पीछे रहती थी और मैं आप के . ..अवि ने बताया . चारू इतना सुनते ही जोर से हसने लगी .और फिर बोली ये तो बचपन की बातें हैं और तुम तो अब भी बचपन में ही हो .इतना कह कर वो अपने कमरे में चली गई . अवि उधर एक बार फिर दुखी हो गया ..उसे लगने लगा की चारू उसकी फीलिंग्स को क्यों नहीं समझना चाहती .क्या उसके प्यार में कोई कमी है ऐसे ढेरों सवाल में खुद ही घिरने लगा . आज पुरे एक हफ्ते हो गए लेकिन उसे चारू कंही दिखाई नहीं दी . अवि ने सोचा आज कुछ भी हो वो चारू से मिल के ही रहेगा और वो उसके कमरे में जा पंहुचा . चारू उसको देख घबरा गई बोली तुम यहाँ क्यों आये हो तुमको शायद मालूम नहीं मेरी शादी होने वाली है…मेरी जिंदगी खुद मेरी नहीं हैं .मैं अपने पेरेंट्स को कोई भी दुःख नहीं दे सकती .तुम यहाँ से जाओ .. .पर अवि कुछ बोल न सका और वहां से चला गया … चारू आज शहर से बाहर  जा रही थी .अवि को बिलकुल अच्छा नहीं लग रहा था .अवि उसे सी ऑफ  करने के लिए उसकी कार के पास ही खड़ा था .चारू ने एक बार फिर उसकी तरफ नहीं देखा और वो चली गई . रस्ते में ही चारू का एक्सीडेंट हो गया और वो जैसे मौत के मुह से बाहर  आ गई हो अब तो उसके घर में सिम्पैथी  देने वालो की लाइन ही लगी रहती अवि को भी मौका अच्छा मिल गया अब उसके करीब जाने का इसी दौरान चारू की शादी भी कैंसिल हो गई . मिलते मिलते अवि ने अपना प्यार तो चारू के दिल में जगा  तो दिया पर चारू इसे कभी स्वीकार नहीं कर सकी ….. चारू ने अवि से पूछा की वो उसे ‘निष्ठुर’ क्यों कहता है . अवि ने कहा मेरी feeling आप जो नहीं समझती .पर आप से मिलने के बाद मुझे बहुत बुरा लग रहा है मैंने आपको क्यों कहा सॉरी प्लीज मुझे माफ़ कर दीजिये बातें बढ़ने लगी . और एक दिन अवि ने चारू से बताया की उसे कभी उम्मीद ही नही थी की वो उसे कभी दुबारा जिंदगी में उससे मिल भी पायेगा सो हर चेहरे में वो उसका ही चेहरा तलाशता था और उसी तलाश में उसे एक फ्रेंड भी मिल गई है .ये बात चारू को अच्छी लगी चारू मुस्कुराई और बोली तब तुम फिर भी मेरे पीछे क्यों हो ???? . अवि बोला आप नहीं समझ सकती ……..काश !आप ये समझती तो ये सवाल ही न करती .आप उम्र में मुझसे बड़ी जरुर हैं पर शायद आज तक आप बच्ची ही हैं इसीलिए तो मैं आप पर मरता हूँ . पर जब भी चारू अवि से मिलती बस एक ही बात कहती ये सब पागलपन है तुम्हारा आज नहीं तो कल मेरी शादी हो ही जाएगी फिर तुम और राशि …..पर तुम्हारे सामने एक ही प्रॉब्लम है तुम्हारे पास अभी कोई जॉब नहीं है अब बस तुम एक अच्छी सी जॉब ज्वाइन कर लो और राशि से शादी कर लो….. समय बिताता गया दोनों एक दुसरे से मिलने लगे सारे शिकवे गिले भी मिटने लगे थे अवि चारू को कभी बचपन की … Read more