फ्लाइट

फ्लाइट

जीवन में हम कितनी उड़ाने भरते हैं | सारी मेहनत दौड़ इन उड़ानों के लिए हैं | पर एक उड़ान निश्चित है …पर उस उड़ान का ख्याल हम कहाँ करते हैं | आइए पढ़ें वरिष्ठ लेखिका आशा  सिंह की समय के पीछे भागते एक माँ -बेटे की मार्मिक लघु कथा … फ्लाइट  मां,मेरी सुबह सात बजे थी फ्लाइट है-आशुतोष ने सूचना दी। इतनी जल्दी- अंजलि हैरान हो गई। मैं तो आपका पचहत्तरवां जन्मदिन मनाने आया था, साथ साथ लालकिले … Read more

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ठकुराइन का बेटा

ठकुराइन का बेटा

क्या प्रेम व्यक्ति को बदल देता है ? व्यक्ति के संस्कार में उसके आस -पास के लोगों का व्यवहार भी शामिल होता है | ठकुराइन का बेटा एक ऐसे ही व्यक्ति की कहानी है जो अपने कर्म के संस्कारों से को छोड़कर एक सच्चा इंसान बनता है | आइए पढ़ें वरिष्ठ लेखिका “आशा सिंह” जी … Read more

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क्या हम मुताह कर लें?

मुताह

  मुस्लिम धर्म में मुताह निकाह की परंपरा है | ये एक तरह से कान्ट्रैक्ट मैरिज है | ये कॉन्ट्रैक्ट एक दिन का भी हो सकता है, कुछ महीनों का और कुछ घंटों का भी | इसमें मेहर पहले ही दे दी जाती  है | किसी समय ये एक स्त्री को संरक्षण देने के लिए … Read more

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जेल के पन्नों से -नन्हा अपराधी

नन्हा अपराधी

  एक नन्हा  मासूम सा  बच्चा जेल के अंदर आया माँ को पुकार रहा था .. माँ को नहीं | कहन से आया क्यों आया वो मासूम जेल में |पढिए वरिष्ठ लेखिका आशा सिंह के धरावहिक जेल के पन्नों से की अगली कड़ी में नन्हा अपराधी जेल शहर से बाहर स्थित थी। मुख्य राजमार्ग से अंदर की ओर सड़क जेल कीओर जाती है,जिसके दोनों ओर कर्मचारियों के आवास थे।शाम को महिलाएंगपशप करती, बच्चे सामने पार्क में खेलते। एक सांय छोटेलाल ने बताया-‘ साहब,जेल में एक छोटा बच्चा आया है, बहुत हीसुन्दर है।‘ ‘मॉ के साथ आया होगा।‘ किसी ने कहा। ‘नहीं साहब,मां तो उसकी भाग गई। स्टेशन पर किसी सेठ का थैला लेकर भागा था,पर लोगों ने पकड़ लिया।जब से आया है बराबर आया मां कहकर रोते जारहा है।यही छै सात बरस का होगा। … Read more

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जेल के पन्नों से

जेल के पन्नों से

जेल .. ये शब्द सुनते ही मन पर एक खौफ सा तारी हो जाता है | शहर की भीड़ -भाड़ से दूर,अपनों से अलग, एक छोटा सा कमरा,अंधेरा सीलन भरा | जेल जाने का डर इंसान को अपराध करने से रोकता है |फिर भी अपराध होते हैं | लोग जेल जाते हैं |क्या सब वाकई … Read more

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ढोंगी

आशा सिंह

श्राद्ध पक्ष के दिन चल रहे हैं |हम सब अपने अपने हिसाब से अपने पित्रों के प्रति सम्मान व्यक्त कर रहे है | लेकिन अगर श्रद्धा न हो तो सब कुछ मात्र ढोंग रह जाता है | पढिए आशा सिंह दी की लघु कथा ढोंग ढोंग    आज पितृपक्ष की मातृनवमी है। मैं छत पर … Read more

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बोलती का नाम गाड़ी

गाड़ी

इस कोरोनाकाल में लॉकडाउन से हम इंसान तो परेशान हैं   ही  हमारी गाड़ियां  भी खड़े खड़े उकता गईं हैं | उन्ही गाड़ियों  की व्यथा कथा को व्यक्त करती एक रोचक कहानी .. बोलती का नाम गाड़ी लाक आऊट के लंबे दिन और रातें सन्नाटे में घिरी। दिल्ली का शानदार मोहल्ला,आदमी कम, कारें ज्यादा। ससुरजी की … Read more

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नीम का पेड़‘

दो घरों के बीच अपनी शाखाएं फैला कर खड़ा हुआ नीम का पेड़ उन के बीच विवादों की जड़ था | शाखें भी छटवाई गयीं पर वो फिर किसी शैतान बच्चे की तरह अपनी नन्ही -नहीं टाँगे बढ़ता हुआ दो घरों के बीच की एल .ओ .सी पार कर शान से मुस्कुराने लगता | इस … Read more

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डॉ. सिताबो बाई -मुक्त हुई इतिहास के पन्नों स्त्री संघर्ष की दास्तान

डॉ.सिताबो बाई  जन्म – १९२५ विक्रमी संवत  पिता -बाबू राम प्रसाद सिंह  विवाह -मौजा कादीपुर जिला बनारसछात्रवृत्ति के सहारे शिक्षा  आगरा मडिकल कॉलेज से डॉक्टरी  की शिक्षा  पहले जबलपुर फिर उदयपुर फिर बनारस में सेवाएं दी |  BHU के निर्माण में दस हज़ार का चंदा दिया  विधवा आश्रम, आनाथ आश्रम , वृद्ध आश्रम खोले  अपनी … Read more

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