ठेका     

ठेका

शराब का ठेका यानी सरकार के लिए राजस्व सबसे बड़ा सहारा | वही सरकार जो विज्ञापन दिखाती है कि आप  शराब पीते हैं तो आप की पत्नी जिंदगी भर आँसू पीती है | आखिर कौन चुका रहा है ये राजस्व और किस कीमत पर .. आइए जाने उषा अवस्थी जी की लघु कहानी से .. … Read more

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मासूम

मासूम

किसी की मुस्कुराहटों पर हो निसार /किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार .. जीना इसी का नाम है |मासूम कहानी पढ़ते हुए सबसे पहले ये गीत ही जेहन में आया | कितने गरीब मासूम बच्चे सड़क पर रेस्तरा में ,आइसक्रीम , चाट के ठेलों के आस -पास खड़े मिल जाते हैं |क्या हम … Read more

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बलात्कार के खिलाफ हुँकार

 हम उसी देश के वासी हैं जहाँ कभी कहा जाता था कि ,”यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता” आज उसी देश में हर १५ मिनट पर एक बलात्कार हो रहा है | ये एक दर्दनाक सत्य है कि आज के ही दिन निर्भया कांड हुआ था | बरसों से उसकी माँ अपराधियों को दंड दिलालाने … Read more

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कड़वा सच

कहने वाले कहते हैं कि जब शेक्सपीयर ने लिखा था कि नाम में क्या रखा है तो उसने इस पंक्ति के नीचे अपना नाम लिख दिया था | वैसे नाम नें कुछ रखा हो या ना रखा हो नाम हमारे व्यक्तित्व का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है | इतना की कि इसके आधार पर नाम ज्योतिष … Read more

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दीपोत्सव

दीपावली मानने के तमाम कारणों में एक है राम का अयोध्या में पुनरागमन | कहते हैं दीपावली के दिन प्रभु श्री  राम 14 वर्ष का वनवास काट कर पुन: अयोध्या लौटे थे | इस ख़ुशी में लोगों ने अपने घरों में दीप जला लिए थे | राम सिर्फ एक राजा ही नहीं थे | बल्कि … Read more

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अग्नि – पथ

         हम ऐसे समज में जीने के लिए अभिशप्त हैं जहाँ रिश्ते -नाते अपनत्व पीछे छूटते जा रहे हैं | इंसान में  जो चीज सबसे पहले खत्म हो  रही है वो है इंसानियत | इंसान बर्बर होता जा रहा है | आये दिन अखबारों के पन्ने ऐसी  ही दर्दनाक खबरों से से … Read more

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सावन की बुंदियां

सावन के आते ही अपनी धरती ख़ुशी से झूम उठती है , किसान अच्छी फसल की उम्मीद करने लगता है और बावरा मन गा उठता है ….. सावन की बुंदियां उमड़ – घुमड़ करश्याम मेघ , अम्बर छाएसंकुल नभ गलियांरिमझिम गिरे सावन की बुंदियां शीतल , मृदुल फुहारें गिरतींअमृत सम मधुमय जल झरतींभरतीं पोखर , … Read more

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हिन्दी के पाणिनी आचार्य श्री किशोरीदास बाजपेयी : संस्मरण

आचार्य श्री किशोरीदास बाजपेयी को हिंदी भाषा का पाणिनि भी कहा जाता है | उन्होंने हिंदी को परिष्कृत रूप में प्रस्तुत किया | उससे पहले खड़ी बोली का चलन तो था पर उसका कोई व्यवस्थित व्याकरण नहीं था | इन्होने अपने अथक प्रयास से व्याकरण का एक सुव्यवस्थित रूप निर्धारित कर हिंदी भाषा का परिष्कार … Read more

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जरा धीरे चलो

आज फुर्सत किसके पास है , हर कोई भाग रहा है …तेज , और तेज , लेकिन इस भागने में , अपने अहंकार की तुष्टि में , ना जाने कितने मासूम पलों को खोता जाता है जो वास्तव में जिंदगी हैं … तभी तो ज्ञानी कहते हैं … कविता -जरा धीरे चलो  जिन्दगी थोड़ा ठहर … Read more

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रिश्ते तो कपड़े हैं

टूटते और बनते रिश्तों के बीच आधुनिक समय में स्वार्थ प्रेम पर हावी हो गया , अब लोग रिश्तों को सुविधानुसार कपड़ों की तरह बदल लेते हैं … कविता -रिश्ते तो कपडे हैं  आधुनिक जमाने में  रिश्ते तो कपड़े हैं नित्य नई डिज़ाइन, की तरह बदलते हैं नया पहन लो पुराने को त्याग दो मन … Read more

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