उषा अवस्थी
बलात्कार के खिलाफ हुँकार
हम उसी देश के वासी हैं जहाँ कभी कहा जाता था कि ,”यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता” आज उसी देश में हर १५ मिनट पर एक बलात्कार हो रहा है | ये एक दर्दनाक सत्य है कि आज के ही दिन निर्भया कांड हुआ था | बरसों से उसकी माँ अपराधियों को दंड दिलालाने … Read more
अग्नि – पथ
हम ऐसे समज में जीने के लिए अभिशप्त हैं जहाँ रिश्ते -नाते अपनत्व पीछे छूटते जा रहे हैं | इंसान में जो चीज सबसे पहले खत्म हो रही है वो है इंसानियत | इंसान बर्बर होता जा रहा है | आये दिन अखबारों के पन्ने ऐसी ही दर्दनाक खबरों से से … Read more
सावन की बुंदियां
सावन के आते ही अपनी धरती ख़ुशी से झूम उठती है , किसान अच्छी फसल की उम्मीद करने लगता है और बावरा मन गा उठता है ….. सावन की बुंदियां उमड़ – घुमड़ करश्याम मेघ , अम्बर छाएसंकुल नभ गलियांरिमझिम गिरे सावन की बुंदियां शीतल , मृदुल फुहारें गिरतींअमृत सम मधुमय जल झरतींभरतीं पोखर , … Read more
हिन्दी के पाणिनी आचार्य श्री किशोरीदास बाजपेयी : संस्मरण
आचार्य श्री किशोरीदास बाजपेयी को हिंदी भाषा का पाणिनि भी कहा जाता है | उन्होंने हिंदी को परिष्कृत रूप में प्रस्तुत किया | उससे पहले खड़ी बोली का चलन तो था पर उसका कोई व्यवस्थित व्याकरण नहीं था | इन्होने अपने अथक प्रयास से व्याकरण का एक सुव्यवस्थित रूप निर्धारित कर हिंदी भाषा का परिष्कार … Read more
जरा धीरे चलो
आज फुर्सत किसके पास है , हर कोई भाग रहा है …तेज , और तेज , लेकिन इस भागने में , अपने अहंकार की तुष्टि में , ना जाने कितने मासूम पलों को खोता जाता है जो वास्तव में जिंदगी हैं … तभी तो ज्ञानी कहते हैं … कविता -जरा धीरे चलो जिन्दगी थोड़ा ठहर … Read more
रिश्ते तो कपड़े हैं
टूटते और बनते रिश्तों के बीच आधुनिक समय में स्वार्थ प्रेम पर हावी हो गया , अब लोग रिश्तों को सुविधानुसार कपड़ों की तरह बदल लेते हैं … कविता -रिश्ते तो कपडे हैं आधुनिक जमाने में रिश्ते तो कपड़े हैं नित्य नई डिज़ाइन, की तरह बदलते हैं नया पहन लो पुराने को त्याग दो मन … Read more